आधुनिक भारतीय वैज्ञानिकों की सूची
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विज्ञान ने हमारे जीवन को अद्भुत आयाम दिया है। विज्ञान के बिना एक दिन की भी कल्पना करना अब मुश्किल है। हमारे फ़ास्ट कम्प्यूटर्स और वाहनों से लेकर एक छोटे से खिलौने तक, सब कुछ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की देन है। वैज्ञानकों ने इनका आविष्कार अपनी कड़ी मेहनत और लगन से किया है। इन साइंटिस्टों ने ही हमारे जीवन को आसान बनाया है। यहां कुछ ऐसे ही आधुनिक भारतीय वैज्ञानिकों की सूची दी गई है जिन्होंने अपने आविष्कार और शोध से पुरे विश्व में नाम कमाया है। आधुनिक भारत में विज्ञान के विस्तार का श्रेय भी इन महान साइंटिस्टों को ही जाता है। इन वैज्ञानिकों ने रसायन विज्ञान, गणित, भौतिकी, चिकित्सा, क्वांटम भौतिकी, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान आदि कई क्षेत्रो में अपने ज्ञान का डंका बजाया है। इनमें से कुछ वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में अपने शोध को फ़ैलाया है और अद्भुत आविष्कार किए है। इन वैज्ञानको को हमारा सलाम है।
सी वी रामन

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होमी जहांगीर भाभा

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ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

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सत्येन्द्रनाथ बोस

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श्रीनिवास रामानुजन्

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जगदीश चन्द्र बसु

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विक्रम अंबालाल साराभाई

विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं 40 संस्थान खोले। इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन 1966 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
डॉ॰ साराभाई के व्यक्तित्व का सर्वाधिक उल्लेखनीय पहलू उनकी रूचि की सीमा और विस्तार तथा ऐसे तौर-तरीके थे जिनमें उन्होंने अपने विचारों को संस्थाओं में परिवर्तित किया। सृजनशील वैज्ञानिक, सफल और दूरदर्शी उद्योगपति, उच्च कोटि के प्रवर्तक, महान संस्था निर्माता, अलग किस्म के शिक्षाविद, कला पारखी, सामाजिक परिवर्तन के ठेकेदार, अग्रणी प्रबंध प्रशिक्षक आदि जैसी अनेक विशेषताएं उनके व्यक्तित्व में समाहित थीं। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि वे एक ऐसे उच्च कोटि के इन्सान थे जिसके मन में दूसरों के प्रति असाधारण सहानुभूति थी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे कि जो भी उनके संपर्क में आता, उनसे प्रभावित हुए बिना न रहता। वे जिनके साथ भी बातचीत करते, उनके साथ फौरी तौर पर व्यक्तिगत सौहार्द स्थापित कर लेते थे। ऐसा इसलिए संभव हो पाता था क्योंकि वे लोगों के हृदय में अपने लिए आदर और विश्वास की जगह बना लेते थे और उन पर अपनी ईमानदारी की छाप छोड़ जाते थे।
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भार्गव श्रीप्रकाश

भार्गव श्रीप्रकाश एक भारतीय उद्यमी और इंजीनियर हैं जो कि सिलिकॉन वैली में स्थित हैं।
श्रीप्रकाश ने जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए डिजिटल वैक्सीन तकनीक के आविष्कारक हैं। वह फ्रेंड्सलर्न के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, और फोया के लिए उत्पाद के प्रमुख हैं, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया एक मोबाइल ऐप है।
वह एक पूर्व पेशेवर टेनिस खिलाड़ी और भारत के जूनियर राष्ट्रीय चैंपियन हैं।
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बीरबल साहनी

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सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर

सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर (19 अक्टूबर, 1910-21 अगस्त, 1995) विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। भौतिक शास्त्र पर उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से सन् 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
चन्द्रशेखर सन् 1937 से 1995 में उनके देहांत तक शिकागो विश्वविद्यालय के संकाय पर विद्यमान थे।
डॉ॰ सुब्रह्मण्याम चंद्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर 1910 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मद्रास में हुई। 18 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर का पहला शोध पत्र `इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स' में प्रकाशित हुआ।
मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि लेने तक उनके कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके थे। उनमें से एक `प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी' में प्रकाशित हुआ था, जो इतनी कम उम्र वाले व्यक्ति के लिए गौरव की बात।
24 वर्ष की अल्पायु में सन् 1934 में ही उन्होंने तारे के गिरने और लुप्त होने की अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा सुलझा ली थी। कुछ ही समय बाद यानी 11 जनवरी 1935 को लंदन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में उन्होंने अपना मौलिक शोध पत्र भी प्रस्तुत कर दिया था कि सफेद बौने तारे यानी व्हाइट ड्वार्फ तारे एक निश्चित द्रव्यमान यानी डेफिनेट मास प्राप्त करने के बाद अपने भार में और वृद्धि नहीं कर सकते। अंतत वे ब्लैक होल बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि जिन तारों का द्रव्यमान आज सूर्य से 1.4 गुना होगा, वे अंतत सिकुड़ कर बहुत भारी हो जाएंगे। ऑक्सफोर्ड में उनके गुरु सर आर्थर एडिंगटन ने उनके इस शोध को प्रथम दृष्टि में स्वीकार नहीं किया और उनकी खिल्ली उड़ाई। पर वे हार मानने वाले नहीं थे। वे पुन शोध साधना में जुट गए और आखिरकार, इस दिशा में विश्व भर में किए जा रहे शोधों के फलस्वरूप उनकी खोज के ठीक पचास साल बाद 1983 में उनके सिद्धांत को मान्यता मिली। परिणामत भौतिकी के क्षेत्र में वर्ष 1983 का नोबेल पुरस्कार उन्हें तथा डॉ॰ विलियम फाऊलर को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया।
27 वर्ष की आयु में ही चंद्रशेखर की खगोल भौतिकीविद के रूप में अच्छी धाक जम चुकी थी। उनकी खोजों से न्यूट्रॉन तारे और ब्लैक होल के अस्तित्व की धारणा कायम हुई जिसे समकालीन खगोल विज्ञान की रीढ़ प्रस्थापना माना जाता है।
खगोल भौतिकी के क्षेत्र में डॉ॰ चंद्रशेखर, चंद्रशेखर सीमा यानी चंद्रशेखर लिमिट के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। चंद्रशेखर ने पूर्णत गणितीय गणनाओं और समीकरणों के आधार पर `चंद्रशेखर सीमा' का विवेचन किया था और सभी खगोल वैज्ञानिकों ने पाया कि सभी श्वेत वामन तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर द्वारा निर्धारित सीमा में ही सीमित रहता है।
सन् 1935 के आरंभ में ही उन्होंने ब्लैक होल के बनने पर भी अपने मत प्रकट किए थे, लेकिन कुछ खगोल वैज्ञानिक उनके मत स्वीकारने को तैयार नहीं थे।
यद्यपि अपनी खोजों के लिये डॉ॰ चंद्रशेखर को भारत में सम्मान तो बहुत मिला, पर 1930 में अपने अध्ययन के लिये भारत छोड़ने के बाद वे बाहर के ही होकर रह गए और लगनपूर्वक अपने अनुसंधान कार्य में जुट गए। चंद्रशेखर ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में तारों के वायुमंडल को समझने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और यह भी बताया कि एक आकाश गंगा में तारों में पदार्थ और गति का वितरण कैसे होता है। रोटेटिंग प्लूइड मास तथा आकाश के नीलेपन पर किया गया उनका शोध कार्य भी प्रसिद्ध है।
डॉ॰ चंद्रा विद्यार्थियों के प्रति भी समर्पित थे। 1957 में उनके दो विद्यार्थियों त्सुंग दाओ ली तथा चेन निंग येंग को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अपने अंतिम साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, यद्यपि मैं नास्तिक हिंदू हूं पर तार्किक दृष्टि से जब देखता हूं, तो यह पाता हूं कि मानव की सबसे बड़ी और अद्भुत खोज ईश्वर है।
अनेक पुरस्कारों और पदकों से सम्मानित डॉ॰ चंद्रा का जीवन उपलब्धियों से भरपूर रहा। वे लगभग 20 वर्ष तक एस्ट्रोफिजिकल जर्नल के संपादक भी रहे। डॉ॰ चंद्रा नोबेल पुरस्कार प्राप्त प्रथम भारतीय तथा एशियाई वैज्ञानिक सुप्रसिद्ध सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के भतीजे थे। सन् 1969 में जब उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उन्हें पुरस्कार देते हुए कहा था, यह बड़े दुख की बात है कि हम चंद्रशेखर को अपने देश में नहीं रख सके। पर मैं आज भी नहीं कह सकती कि यदि वे भारत में रहते तो इतना बड़ा काम कर पाते।
डॉ॰ चंद्रा सेवानिवृत्त होने के बाद भी जीवन-पर्यंत अपने अनुसंधान कार्य में जुटे रहे। बीसवीं सदी के विश्व-विख्यात वैज्ञानिक तथा महान खगोल वैज्ञानिक डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् चंद्रशेखर का 22 अगस्त 1995 को 84 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से शिकागो में निधन हो गया। इस घटना से खगोल जगत ने एक युगांतकारी खगोल वैज्ञानिक खो दिया। यूं तो डॉ॰ चंद्रशेखर ने काफी लंबा तथा पर्याप्त जीवन जिया पर उनकी मृत्यु से भारत को अवश्य धक्का लगा है क्योंकि आज जब हमारे देश में `जायंट मीटर वेव रेडियो टेलिस्कोप' की स्थापना हो चुकी है, तब इस क्षेत्र में नवीनतम खोजें करने वाला वह वैज्ञानिक चल बसा जिसका उद्देश्य था- भारत में भी अमेरिका जैसी संस्था `सेटी' (पृथ्वीतर नक्षत्र लोक में बौद्धिक जीवों की खोज) का गठन। आज जब डॉ॰ चंद्रा हमारे बीच नहीं हैं, उनकी विलक्षण उपलब्धियों की धरोहर हमारे पास है जो भावी पीढ़ियों के खगोल वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।
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शान्ति स्वरूप भटनागर

सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (21 फरवरी 1894 – 1 जनवरी 1955) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था।
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अदिति पंत
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उपेन्द्रनाथ ब्रह्मचारी

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दया शंकर कुलश्रेष्ठ

कुलश्रेष्ठ ने बी.एससी (1969) और एम.एससी। (1971) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से डिग्री ली। उन्होंने अपनी पीएच.डी. 1979 में की |दया शंकर कुलश्रेष्ठ का जन्म दिसंबर, 1951 में हुआ था | वो एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, जो क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत, स्ट्रिंग सिद्धांत और सामान्य सापेक्षता के औपचारिक पहलुओं में विशेषज्ञता रखते हैं।
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नंबी नारायणन

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येल्लप्रगड सुब्बाराव

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रोहिणी गोडबोले

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गायती हसन

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कैलासवटिवु शिवन्

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अमर्त्य सेन

अमर्त्य सेन (जन्म: 3 नवंबर, 1933) अर्थशास्त्री है, उन्हें 1998 में अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। संप्रति वे हार्वड विश्वविद्यालय (अमरीका)|हार्वड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। वे जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे हैं। सेन ने एम.आई। टी, स्टैनफोर्ड, बर्कली और कॉरनेल विश्वविद्यालयों में अतिथि अध्यापक के रूप में भी शिक्षण किया है।
सेन ने अपने कैरियर की शुरुआत एक शिक्षक और अनुसंधान विद्वान के तौर पर अर्थशास्त्र विभाग, जादवपुर विश्वविद्यालय से किया। 1960 और 1961 के बीच सेन, संयुक्त राज्य अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक विजिटिंग प्रोफेसर थे, जहां उन्हें पॉल सैमुएलसन, रॉबर्ट सोलो, फ्रेंको मोडिग्लिनी, और नॉर्बर्ट वीनर के बारे में पता चला। वे यूसी-बर्कले और कॉर्नेल में भी विजिटिंग प्रोफेसर प्रोफेसर थे।
उन्होंने 1963 और 1971 के बीच दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया। सेन बहुत सारे प्रतिष्ठित अर्थशास्त्र के विद्वान् के सहयोगी भी रह चुके हैं जिनमे मनमोहन सिंह (भारत के पूर्व प्रधान मंत्री और भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के लिए जिम्मेदार एक अनुभवी अर्थशास्त्री) केएन राज (विभिन्न प्रधान मंत्रियों के सलाहकार और एक अनुभवी अर्थशास्त्री जो सेंटर फॉर डेवेलपमेंट स्टडीज के संस्थापक थे) और जगदीश भगवती है। 1987 में वे हार्वर्ड में इकॉनॉमिक्स के थॉमस डब्ल्यू. लैंट यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के रूप में शामिल हो गए। नालंदा जो 5 वीं शताब्दी से लेकर 1197 तक उच्च शिक्षा का एक प्राचीन केंद्र था। इसको पुनः चालु किया गया एवं 19 जुलाई 2012 को, सेन को प्रस्तावित नालंदा विश्वविद्यालय (एनयू) के प्रथम चांसलर के तौर पर नामित किया गया था। इस विश्वविद्यालय में अगस्त 2014 में अध्यापन का कार्य शुरू हुआ था। 20 फरवरी 2015 को अमर्त्य सेन ने दूसरे कार्यकाल के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।
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हरगोविंद खुराना

हरगोविंद खुराना (जन्म: 9 जनवरी 1922 मृत्यु 9 नवंबर 2011) एक नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक थे।
हरगोविंद खुराना एक भारतीय अमेरिकी जैव रसायनज्ञ थे। विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय,अमरीका में अनुसन्धान करते हुए , उन्हें 1968 में मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू होली के साथ फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार सयुक्त रूप से मिला ,उनके द्वारा न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम खोजा गया, जिसमें कोशिका के अनुवांशिक कोड होते हैं और प्रोटीन के सेल के संश्लेषण को नियंत्रित करता है । हरगोविंद खुराना और निरेनबर्ग को उसी वर्ष कोलंबिया विश्वविद्यालय से लुइसा ग्रॉस हॉर्वित्ज़ पुरस्कार भी दिया गया था।
ब्रिटिश भारत में पैदा हुए, हरगोविंद खुराना ने उत्तरी अमेरिका में तीन विश्वविद्यालयों के संकाय में कार्य किया। वह 1966 में संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक बन गए और 1987 में विज्ञान का राष्ट्रीय पदक प्राप्त किया।
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वेंकटरामन रामकृष्णन

वेंकटरामन "वेंकी" रामकृष्णन (तमिल: வெங்கட்ராமன் ராமகிருஷ்ணன்) (जन्म: 1952, तमिलनाडु) एक जीव वैज्ञानिक हैं। इनको 2009 के रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन्हें यह पुरस्कार कोशिका के अंदर प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए दिया गया है। इनकी इस उपलब्धि से कारगर प्रतिजैविकों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इजराइली महिला वैज्ञानिक अदा योनोथ और अमरीका के थॉमस स्टीज़ को भी संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया।
तीनों वैज्ञानिकों ने त्रि-आयामी चित्रों के ज़रिए दुनिया को समझाया कि किस तरह राइबोसोम अलग-अलग रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, इसके लिए उन्होंने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफ़ी का सहारा लिया जो राइबोसोम्ज़ की हज़ारों गुना बड़ी छवि सामने लाता है। वर्तमान में श्री वेंकटरामन् रामकृष्णन् ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़े हैं एवं विश्वविद्यालय की एमआरसी लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी (पेशीय जीवविज्ञान की एमआरसी प्रयोगशाला) के स्ट्रकचरल स्टडीज़ (संरचनात्मक अध्ययन) विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक हैं।
वेंकी के नाम से मशहूर वेंकटरामन सातवें भारतीय एवं तीसरे तमिल मूल के व्यक्ति हैं जिनको नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु के चिदंबरम में हुई
वेंकटरामन रामकृष्णन' तमिलनाडु के कड्डालोर जिले में स्तिथ चिदंबरम में पैदा हुए थे। उनके पिता सी॰वी॰ रामकृष्णन और माता राजलक्ष्मी भी वैज्ञानिक थे।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा अन्नामलाई विश्वविद्यालय में हुई एवं उसके बाद इन्होंने 1971 में बड़ौदा के महाराजा सायाजीराव विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक स्तर तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद ओहायो विश्वविद्यालय में शोध-कार्य करना प्रारंभ किया जहाँ से 1976 में उन्हें पीएचडी की डिग्री प्राप्त हुई। इन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कुछ दिनों तक शिक्षण कार्य भी किया। यहीं इनमें जीवविज्ञान के प्रति रूचि जागृत हुई एवं अपने भौतिकी के ज्ञान का प्रयोग जीव विज्ञान में प्रारम्भ किया। इनके कई शोधपत्र नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुए। फ़िलहाल वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, (इंग्लैण्ड) के मेडिकल रिसर्च काउंसिल के मोलीक्यूलर बायोलॉजी लैबोरेट्री में जीव वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं। रामकृष्णन्, अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के सदस्य होने के साथ साथ कैम्ब्रिज में स्थित ट्रिनिटी कॉलेज एवं रॉयल सोसायटी के फैलो भी हैं।
वेंकटरामन रामकृष्णन ने 1977 में करीब 95 शोधपत्र प्रकाशित किए। वर्ष 2000 में वेंकटरामन ने प्रयोगशाला में राइबोसोम की तीस ईकाईयों का पता लगाया और प्रतिजैविकों के साथ इनके यौगिकों पर भी अनुसंधान किया। 26 अगस्त 1999 को इन्होंने राइबोसोम पर आधारित तीन शोधपत्र प्रकाशित किए। उनका यह शोधकार्य 21 सितबंर 2000 को नेचर पत्रिका में छपा। उनके हालिया शोध से राइबोसोम की परमाणु संरचना का पता लगता है। रामकृष्णन् का नाम हिस्टोन और क्रोमैटिन की संरचना कार्य के लिए भी जाना जाता है।
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जी.एन. रामचंद्रन

गोपालसमुद्रम नारायणन रामचंद्रन, या जी.एन. रामचंद्रन, एफआरएस एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे, जो अपने काम के लिए जाने जाते थे, इनके कारण पेप्टाइड संरचना को समझने के लिए "रामचंद्रन प्लाट" का निर्माण हुआ। वह कोलेजन की संरचना के लिए ट्रिपल-हेलिकल मॉडल का प्रस्ताव करने वाले पहले व्यक्ति थे।
रामचंद्रन का जन्म एर्णाकुलम शहर में हुआ था, जो भारत के कोचीन राज्य में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में था। उन्होंने 1939 में सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से भौतिकी में बीएससी ऑनर्स पूरा किया। उन्होंने 1942 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में प्रवेश लिया। भौतिकी में अपनी रुचि का एहसास करते हुए, उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी। वी। रमन की देखरेख में अपने गुरु और डॉक्टरेट की थीसिस को पूरा करने के लिए भौतिकी विभाग का रुख किया। 1942 में, उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की, बंगलौर से प्रस्तुत उनकी थीसिस के साथ (वे उस समय किसी भी मद्रास कॉलेज में उपस्थित नहीं हुए थे)।
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सुभाष मुखोपाध्याय

सुभाष मुखोपाध्याय (16 जनवरी 1931 - 19 जून 1981) एक भारतीय वैज्ञानिक, हजारीबाग, बिहार और उड़ीसा प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब झारखंड, भारत) के चिकित्सक थे, जिन्होंने इन-विट्रो निषेचन का उपयोग करके दुनिया का दूसरा और भारत का पहला बच्चा बनाया था। कनुप्रिया अग्रवाल (दुर्गा), जिनका जन्म 1978 में हुआ था, यूनाइटेड किंगडम में पहले आईवीएफ बच्चे के 67 दिन बाद। बाद में, डॉ। सुभाष मुखोपाध्याय को तत्कालीन पश्चिम बंगाल राज्य सरकार और भारत सरकार द्वारा परेशान किया गया और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ अपनी उपलब्धियों को साझा करने की अनुमति नहीं दी गई। निर्वासित, उन्होंने 19 जून 1981 को आत्महत्या कर ली।
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वामन दत्तात्रेय पटवर्धन

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अशोक सेन

मेघनाद साहा

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असीमा चटर्जी

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प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस

प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस ( 29 जून 1893- 28 जून 1972) एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद थे। उन्हें दूसरी पंचवर्षीय योजना के अपने मसौदे के कारण जाना जाता है। भारत की स्वत्रंता के पश्चात नवगठित मंत्रिमंडल के सांख्यिकी सलाहकार बने तथा औद्योगिक उत्पादन की तीव्र बढ़ोतरी के जरिए बेरोजगारी समाप्त करने के सरकार के प्रमुख उद्देश्य को पूरा करने के लिए योजना का खाका खींचा।
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यमुना कृष्णन

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नरेन्द्र करमारकर
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अभय अष्टेकर

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अमल कुमार रायचौधुरी

अमल कुमार रायचौधुरी 14 सितंबर 1923 - 18 जून 2005) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे, जो सामान्य सापेक्षता और ब्रह्मांड विज्ञान में अपने शोध के लिए जाने जाते थे।
डॉ रायचौधुरी का जन्म बैसल (बांग्लादेश में) से आने वाले एक बैद्य परिवार में 14 सितंबर 1923 को सुरबाला और सुरेशचंद्र रायचौधरी के घर हुआ था। वह सिर्फ एक बच्चा था जब परिवार कोलकाता चला गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तीर्थपति संस्थान में की और बाद में हिंदू स्कूल, कोलकाता में से मैट्रिक पूरा किया। 2005 में अपनी मृत्यु से ठीक पहले बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म में खुलासा किया कि वह अपने विद्वानों से गणित के बारे में बेहद भावुक था और समस्याओं को हल करने से उसे बहुत खुशी मिलती थी । यह तथ्य हो सकता है कि उनके पिता एक स्कूल में गणित के शिक्षक थे और उन्होंने उन्हें प्रेरित भी किया। उसी समय क्योंकि उनके पिता कहने में इतने 'सफल' नहीं थे, इसलिए उन्हें गणित, उनकी पहली पसंद, कॉलेज में सम्मान के रूप में लेने के लिए हतोत्साहित किया गया था।
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जोगेश पति
जोगेश पति ने अपनी स्कूली शिक्षा गुरु प्रशिक्षण स्कूल, बारीपाड़ा से शुरू की और फिर एम के सी हाई स्कूल में दाखिला लिया जहाँ उन्होंने मैट्रिक पास किया। उन्हें एमपीसी कॉलेज में भर्ती कराया गया और उत्तीर्ण किया गया |
वह मैरीलैंड सेंटर फॉर फंडामेंटल फिजिक्स और फिजिक्स विभाग में मैरीलैंड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस हैं, जो यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड कॉलेज ऑफ कंप्यूटर, मैथमेटिकल, और नेचुरल साइंसेज का हिस्सा हैं।
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मिताली मुखर्जी

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एम एस स्वामिनाथन

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एन्नाक्कल चांडी जॉर्ज सुदर्शन

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अर्चना भट्टाचार्य

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अरविंद जोशी
अरविंद कृष्ण जोशी (5 अगस्त, 1929 - 31 दिसंबर, 2017) हेनरी सालवेटोरी प्रोफेसर ऑफ कंप्यूटर और संज्ञानात्मक विज्ञान पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग में थे। जोशी ने पेड़ से सटे व्याकरण की औपचारिकता को परिभाषित किया जो अक्सर कम्प्यूटेशनल भाषा विज्ञान और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण में उपयोग किया जाता है।
जोशी ने पुणे विश्वविद्यालय और भारतीय विज्ञान संस्थान में अध्ययन किया, जहां उन्हें क्रमशः इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई और संचार इंजीनियरिंग में डीआईआईएससी से सम्मानित किया गया। जोशी का स्नातक काम पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में किया गया था, और उन्हें 1960 में पीएचडी से सम्मानित किया गया था। वह पेन में एक प्रोफेसर बन गए और इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन कॉग्निटिव साइंस के सह-संस्थापक और सह-निदेशक थे।
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अखिलेश के गहरवार

अखिलेश के गहरवार (जन्म 3 जनवरी, 1982, नागपुर, भारत) एक भारतीय शैक्षणिक और टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। उनकी प्रयोगशाला का लक्ष्य सेल-नैनोमटेरियल्स इंटरैक्शन को समझना और क्षतिग्रस्त ऊतक की मरम्मत और पुनर्जनन के लिए स्टेम सेल व्यवहार को संशोधित करने के लिए नैनो-रणनीति का विकास करना है।
गहरवार ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रॉबर्ट लैंगर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अली खादमहोसिनी के साथ अपना पोस्टडॉक्टरल प्रशिक्षण पूरा किया। प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे और बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से।
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अमिताव रायचौधुरी

अमिताव रायचौधुरी एक भारतीय सैद्धांतिक कण भौतिक विज्ञानी हैं।वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के राजाबाजार साइंस कॉलेज के भौतिकी विभाग में प्रोफेसर एमेरिटस हैं, जहाँ उन्होंने पहले सर तारक नाथ पालिट चेयर प्रोफेसरशिप का आयोजन किया था। वह एक अन्य प्रसिद्ध भारतीय भौतिक विज्ञानी, अमल कुमार रायचौधुरी का भतीजा है|
रायचौधरी का जन्म कलकत्ता, भारत में हुआ था और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा साउथ पॉइंट स्कूल (भारत) में की थी।बाद में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में भाग लिया जहाँ से उन्होंने 1970 में भौतिकी में बीएससी की डिग्री प्राप्त की और फिर 1973 में दिल्ली विश्वविद्यालय में एमएससी की डिग्री हासिल की। ऑस्कर डब्ल्यू। ग्रीनबर्ग की देखरेख में रायचौधुरी ने पार्टिकल भौतिकी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। 1977 में मैरीलैंड विश्वविद्यालय, कॉलेज पार्क से।
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दौलत सिंह कोठारी

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कमला सोहोनी

कमला सोहोनी (1912-1998) एक भारतीय जैव रसायनज्ञ थी। वह वैज्ञान के क्षेत्र में पी एच डी प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला थीं।कमला सोहोनी (विवाह से पूर्व भागवत) का जन्म 1912 में इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था। उनके पिता नारायणराव भागवत, एक रसायनज्ञ थे। कमला ने 1933 में स्नातक (प्राचार्य) और मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान (सहायक) में बीएससी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने खाद्य पदार्थों में मौजूद प्रोटीनों पर काम किया, और अनुसंधान ने जैव रसायन में एमएससी की डिग्री हासिल की। डॉ. डेरेक रिक्टर के तहत फ्रेडरिक जी हॉपकिंस प्रयोगशाला में काम करने के लिए उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आमंत्रित किया गया था।
उन्होंने डॉ रॉबिन हिल के तहत काम किया, और सेल्यूलर एंजाइम साइटोक्रोम सी की खोज की। उन्होंने साइटोक्रोम सी पर अपनी पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पी एच डी की डिग्री प्राप्त की। उन्हें 'नीरा' पेय पर अपने काम के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो कि कुपोषित बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण भोजन है।
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अरुण कुमार पति

अरुण कुमार पति क्वांटम सूचना और गणना, ज्यामितीय चरणों के सिद्धांत और इसके अनुप्रयोगों, साथ ही क्वांटम यांत्रिकी में अपने शोध के लिए उल्लेखनीय एक भारतीय भौतिक विज्ञानी हैं। उन्होंने क्वांटम सूचना के क्षेत्र में अग्रणी योगदान दिया है।
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सी॰ एन॰ आर॰ राव

चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव जिन्हें सी॰ एन॰ आर॰ राव के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय रसायनज्ञ हैं जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। डॉ॰ राव को दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त है। उन्होंने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं।
वर्ष 2013 में भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया। सी वी रमण और ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले वे तीसरे ऐसे वैज्ञानिक हैं।
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अनिमेष चक्रवर्ती
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सालिम अली

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के एस कृष्णन

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नरिंदर सिंह कपानी
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डाक्टर प्रफुल्लचन्द्र राय

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वेंकटरमन राधाकृष्णन
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हरीश चंद्र

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एडावलेठ कक्कट जानकी अम्माल

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जयन्त विष्णु नार्लीकर

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सुलभ कुलकर्णी

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दर्शन रंगनाथन

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अनिल काकोदकर

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रोद्दम नरसिंहा

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चारुसीता चक्रवर्ती

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राजेश्वरी चटर्जी

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राधा बालकृष्णन

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अभय भूषण
अभय के भूषण (जन्म 23 नवंबर 1944, इलाहाबाद, भारत में) इंटरनेट टीसीपी / आईपी आर्किटेक्चर के विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता रहे हैं, और फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल के लेखक हैं ( जो उन्होंने आईआईटी-कानपुर में छात्र थे और ईमेल प्रोटोकॉल के शुरुआती संस्करणों के दौरान काम करना शुरू किया। वह वर्तमान में एस्क्वायर इंक के अध्यक्ष और आईआईटी-कानपुर फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं।
अमर गुप्ता

अमर गुप्ता (जन्म 1953) एक कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं, जो मूल रूप से गुजरात, भारत और अब संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित हैं। गुप्ता ने शिक्षाविदों, निजी कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में पदों पर काम किया है, जिसमें प्रौद्योगिकी और व्यवसाय के चौराहे पर विश्लेषण और अवसरों का लाभ उठाना शामिल है, साथ ही साथ प्रोटोटाइप प्रणालियों का डिजाइन, विकास और कार्यान्वयन, जिसने नई तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाया। और प्रौद्योगिकियों। उन्होंने कई नवीन उत्पादों और सेवाओं से संबंधित कई रणनीतिक, व्यावसायिक, तकनीकी, आर्थिक, कानूनी और सार्वजनिक नीति बाधाओं को दूर किया है।
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अविनाश काक

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अमर बोस

ए एस किरण कुमार

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अमीय चरण बैनर्जी
अमिया चरण बनर्जी (23 जनवरी 1 (9 1 - 31 मई 1 9 6)) एक भारतीय गणितज्ञ थे।
अमिया चरण बनर्जी का जन्म 23 जनवरी 1891 को उनके नाना के घर भागलपुर में हुआ था। जैसा कि उनके पिता के पास एक हस्तांतरणीय नौकरी थी, वे ज्यादातर भागलपुर जिला स्कूल में पढ़े थे। वे मैट्रिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहे और कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने गणित में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और इंग्लैंड जाने के लिए बिहार सरकार की छात्रवृत्ति हासिल की। वे क्लेयर कॉलेज, कैम्ब्रिज से रैंगलर और फाउंडेशन स्कॉलर बने।
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ए शिवाथानु पिल्लई

शिवाथानु पिल्लई एक भारतीय वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने पूर्व में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (2015-2018) में मानद गणमान्य प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग (2015-2016) में IIT दिल्ली में एक मानद प्रोफेसर थे ) और भारतीय विज्ञान संस्थान (2014-2015) में एक विजिटिंग प्रोफेसर।
वे प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एसोसिएट्स के अध्यक्ष हैं | और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पूर्व अध्यक्ष हैं। उन्होंने पूर्व में वर्ष 1996 से 2014 तक मुख्य अनुसंधान और विकास नियंत्रक के रूप में कार्य किया और वर्ष 1999 से 2014 तक भारतीय गणतंत्र के रक्षा मंत्रालय में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में "प्रतिष्ठित वैज्ञानिक" के पद पर रहे। वह ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक-सीईओ और प्रबंध निदेशक भी हैं।
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अजॉय घटक

अजॉय घटक एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और भौतिकी पाठ्य पुस्तकों के लेखक हैं। अजॉय घटक ने 170 से अधिक शोध पत्र और 20 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। प्रकाशिकी पर उनकी स्नातक की पाठ्यपुस्तक का चीनी और फारसी में अनुवाद किया गया है और इनहोमोजीनस ऑप्टिकल वेवगाइड्स पर उनके मोनोग्राफ (प्रोफेसर सोढा के साथ सहानुभूति) का चीनी और रूसी में अनुवाद किया गया है।
1995 में, उन्हें ऑप्टिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका का फेलो चुना गया, "प्रकाशिकी शिक्षा में विशिष्ट सेवा के लिए और ग्रेडिएंट इंडेक्स मीडिया, फाइबर और एकीकृत ऑप्टिकल उपकरणों की प्रसार विशेषताओं की समझ के लिए उनके योगदान के लिए"।
अंबरीश घोष

अंबरीश घोष एक भारतीय वैज्ञानिक, नैनो विज्ञान और इंजीनियरिंग केंद्र (CeNSE), भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में एक संकाय सदस्य हैं। वह भौतिकी विभाग में एसोसिएट फैकल्टी भी हैं। वह नैनोरोबोट्स, सक्रिय पदार्थ भौतिकी, प्लास्मोनिक्स, मेटामेट्रिक्स और तरल हीलियम में इलेक्ट्रॉन बुलबुले पर अपने काम के लिए जाना जाता है।
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अयलम परमेस्वर बालाचंद्रन

अयलम परमेस्वर बालाचंद्रन (जन्म 25 जनवरी 1938) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, जो क्वांटम भौतिकी में शास्त्रीय टोपोलॉजी की भूमिका के लिए व्यापक योगदान के लिए जाने जाते हैं। वह वर्तमान में भौतिकी विभाग, सिरैक्यूज़ विश्वविद्यालय, में एक एमेरिटस प्रोफेसर हैं, जहां वह 1999 और 2012 के बीच भौतिकी के जोएल डोरमैन स्टील प्रोफेसर थे। 1988 से अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी के साथी भी हैं और उन्हें उनके उत्कृष्ट वैज्ञानिक योगदान के लिए भारतीय भौतिकी संघ के अमेरिकी अध्याय द्वारा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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अय्यगिरी साम्बशिव राव

अय्यगरी सम्बासिवा राव (ए एस राव के नाम से लोकप्रिय) (1914–2003) एक भारतीय वैज्ञानिक और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद, तेलंगाना, भारत के संस्थापक थे।
उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एम.एससी और फिर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स पूरा किया। राव ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलनों सहित वैज्ञानिक विकास पर कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कई वैज्ञानिक पत्रिकाओं के संपादकीय और सलाहकार बोर्डों पर भी काम किया, जिनमें कई अंतर्राष्ट्रीय जर्नल भी शामिल हैं।
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बिमन बागची

बिमन बागची (जन्म 1954) एक भारतीय जैव-रासायनिक रसायनज्ञ, सैद्धांतिक रसायनज्ञ और भारतीय विज्ञान संस्थान के ठोस राज्य और संरचनात्मक रसायन विज्ञान इकाई में एक अमृत मोदी प्रोफेसर हैं। वह सांख्यिकीय यांत्रिकी पर अपने अध्ययन के लिए जाना जाता है; विशेष रूप से चरण संक्रमण और न्यूक्लियेशन, सॉल्वेशन डायनेमिक्स, इलेक्ट्रोलाइट ट्रांसपोर्ट के मोड-कपलिंग सिद्धांत, जैविक मैक्रोमोलेक्यूल्स (प्रोटीन, डीएनए आदि) की गतिशीलता, प्रोटीन फोल्डिंग, एंजाइम कैनेटीक्स, सुपरऑलड तरल और प्रोटीन हाइड्रेशन परत के अध्ययन में।
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बेंजामिन पियरी पाल

बेंजामिन पियरी पाल, FRS (26 मई 1906 - 14 सितंबर 1989) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पहले निदेशक थे। वे गेहूं आनुवंशिकी और प्रजनन में सबसे अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक थे। पाल ने अपनी बैचलर ऑफ साइंस और मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री रंगून यूनिवर्सिटी से पूरी की और पीएचडी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पूरी की। उन्हें 1972 में रॉयल सोसाइटी (FRS) का फेलो चुना गया था। वह एक कुंवारे थे और उन्होंने अपनी संपत्ति भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को दान कर दी थी।
1959 में पद्मश्री से सम्मानित
1968 में पद्म भूषण से सम्मानित
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बिकास कांता चक्रवर्ती

बिकास कांता चक्रवर्ती (जन्म 14 दिसंबर 1952 को कलकत्ता में) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी हैं। जनवरी 2018 से, वह भारत के कोलकाता स्थित साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स में भौतिकी के प्रोफेसर हैं।
चक्रवर्ती ने अपनी पीएच.डी. 1979 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से डिग्री। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और कोलोन विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टरल कार्य के बाद, वह 1983 में साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स (SINP) के संकाय में शामिल हो गए। जनवरी 2018 से, वह जोसे बोस नेशनल फेलो और एसआईएनपी में एमेरिटस प्रोफेसर, एसएन में मानद एमरिटस प्रोफेसर बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता। वह SINP के पूर्व निदेशक हैं। वह भारतीय सांख्यिकी संस्थान में अर्थशास्त्र के मानद विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। चक्रवर्ती के अधिकांश शोध सांख्यिकीय भौतिकी और संघनित पदार्थ भौतिकी (क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम सहित) के आसपास केंद्रित रहे हैं; डी-वेव सिस्टम और क्वांटम कंप्यूटिंग की समयरेखा भी देखें) और सामाजिक विज्ञान के लिए उनके आवेदन (जैसे, ईगोफिज़िक्स देखें)। उन्होंने भौतिकी और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में कई पुस्तकों और पत्रों को लिखा है। चक्रवर्ती कई भौतिकी और अर्थशास्त्र पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्डों के भी सदस्य हैं।
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बिस्वरुप मुखोपाध्याय
बिस्वरुप मुखोपाध्याय (जन्म 1 अगस्त 1960) एक भारतीय सैद्धांतिक उच्च ऊर्जा भौतिक विज्ञानी और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान कोलकाता (IISER कोलकाता) के एक वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। हाई एनर्जी कोलाइडर, हिग्स बोसोन, न्यूट्रिनोस पर अपने शोध के लिए जाना जाता है, मुखोपाध्याय नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत के एक चुने हुए साथी हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने उन्हें 2003 में भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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भीमिदिपति लक्ष्मीधारा कनकाद्री सोमयाजुलु

भीमिदिपति लक्ष्मीधारा कनकाद्री सोमयाजुलु (जन्म 1937) एक भारतीय भू-वैज्ञानिक और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद में सीएसआईआर एमेरिटस साइंटिस्ट हैं। वे प्राचीन और समकालीन समुद्री प्रक्रियाओं पर अपने अध्ययन के लिए जाने जाते हैं और कई विज्ञान समाजों के एक चुने हुए साथी हैं, जैसे कि नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत, [जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, भारतीय भूभौतिकीय संघ, अमेरिकी भूभौतिकीय संघ, यूरोपियन एसोसिएशन फॉर जियोकेमिस्ट्री, भारतीय विज्ञान अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, ने उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया, जो पृथ्वी, वायुमंडल, महासागर और ग्रहों में उनके योगदान के लिए सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कारों में से एक है। 1978 में विज्ञान।
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बदनवाल वेंकटसुब्बा श्रीकांतन
बदनवाल वेंकटसुब्बा श्रीकांतन (जन्म 30 जून 1925) एक भारतीय उच्च-ऊर्जा खगोल भौतिकीविद् और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में होमी जे। भाभा के पूर्व सहयोगी हैं। वह राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान, बैंगलोर में डॉ। एस। राधाकृष्णन विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। ब्रह्मांडीय किरणों, प्राथमिक कणों, और उच्च-ऊर्जा एक्स-रे खगोलविदों के क्षेत्र में अपने अध्ययन के लिए जाना जाता है, श्रीकांतन तीनों प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों, भारतीय विज्ञान अकादमी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और के एक निर्वाचित साथी हैं। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत और साथ ही महाराष्ट्र विज्ञान अकादमी। वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में ब्रूनो रॉसी के सहयोगी भी थे। भारत सरकार ने उन्हें 1988 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
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चंद्रशेखरन मोहन

चंद्रशेखरन मोहन एक भारतीय मूल के अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं। उनका जन्म 3 अगस्त 1955 को तमिलनाडु, भारत में हुआ था। वहाँ बड़े होने और चेन्नई में अपनी स्नातक की पढ़ाई खत्म करने के बाद, वह 1977 में स्नातक की पढ़ाई के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। जन्म से एक भारतीय नागरिक होने के बाद, 2007 से वह एक अमेरिकी नागरिक और ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) रहे हैं। जून 2020 में, वे आईबीएम रिसर्च सेंटर (सैन जोस, कैलिफोर्निया) में आईबीएम फेलो बनने से 38.5 साल तक आईबीएम रिसर्च में काम करने के बाद सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में, वह चीन के सिंघुआ विश्वविद्यालय में एक प्रतिष्ठित विजिटिंग प्रोफेसर हैं। वह चेन्नई में तमिलनाडु ई-गवर्नेंस एजेंसी में मानद सलाहकार और केरल में केरल ब्लॉकचैन अकादमी में सलाहकार भी हैं।
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चित्रा मंडल
चित्रा मंडल बायोमोलेक्युलस के क्षेत्र में एक रासायनिक जीवविज्ञानी और स्वास्थ्य और रोगों में उनके अनुप्रयोग हैं। वह वर्तमान में CSIR - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी इन कोलकाता, भारत के निदेशक हैं।
मंडल ने जैव-रसायन रसायन विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से अपने करियर की शुरुआत में पीएचडी पूरी की। वह फिलाडेल्फिया में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट अनुसंधान करने के बाद चले गए। भारत लौटकर, वह सीएसआईआर में एक वैज्ञानिक बन गई, जब तक कि वह कोलकाता में अपने इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का नेतृत्व नहीं कर लेती, और फिर इसके निदेशक। उनका शोध क्षेत्र मुख्य रूप से बायोमोलेक्युलस का ग्लाइकोसिलेशन है और रोग प्रबंधन, कैंसर और ट्यूमर प्रतिरक्षा विज्ञान में उनके संभावित अनुप्रयोग है। भारत में स्वदेशी औषधीय पौधों का उपयोग करते हुए प्रयोगशाला कम लागत वाली स्वास्थ्य देखभाल समाधानों की भी जांच कर रही है, उदाहरण के लिए, कैंसर सेल उपचार में एक गैर विषैले हर्बल अणु की पहचान। उनके कुछ पत्रों में डुप्लिकेट छवियों के बारे में कुछ विवाद रहा है।
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कोमारवोलु चंद्रशेखर

कोमारवोलु चंद्रशेखर (21 नवंबर 1920 - 13 अप्रैल 2017) ETH ज्यूरिख में प्रोफेसर थे और स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के संस्थापक फैकल्टी सदस्य थे। वह संख्या सिद्धांत और सुगमता में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्हें पद्मश्री, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और रामानुजन पदक मिले और वे टीआईएफआर के मानद साथी थे। वह 1971 से 1974 तक अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ (IMU) के अध्यक्ष थे।
चंद्रशेखर का जन्म 21 नवंबर 1920 को आधुनिक आंध्र प्रदेश में मछलीपट्टनम में हुआ था। चंद्रशेखर ने अपना हाई स्कूल आंध्र प्रदेश के गुंटूर के बापटला गाँव से पूरा किया। उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से गणित में एम। पूरा किया और गणित विभाग, मद्रास विश्वविद्यालय से 1942 में पीएचडी किया। के। आनंदा राऊ की देखरेख में।
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चंचल कुमार मजुमदार

चंचल कुमार मजुमदार (बंगाली: [कनकला कुमारा मजुमदरा]) (11 अगस्त 1938 - 20 जून 2000) एक भारतीय संघनित भौतिक विज्ञानी और एस.एन. के संस्थापक निदेशक थे। बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज। क्वांटम यांत्रिकी में अपने शोध के लिए जाने जाने वाले, मजूमदार तीन प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों के चुने हुए साथी थे - भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत और भारतीय विज्ञान अकादमी - और साथ ही नए सदस्य यॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज और अमेरिकन फिजिकल सोसायटी।
मजुमदार दीपन घोष के गुरु थे, जिनके साथ उन्होंने मजुमदार-घोष मॉडल का सह-विकास किया, जो हाइजेनबर्ग मॉडल का एक विस्तार था, जो बाद में बेहतर हुआ, और वाल्टर कोहन और मारिया गोएप्पर्ट-मेयर, दोनों नोबेल पुरस्कार विजेताओं का एक समूह था। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने उन्हें 1976 में भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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कोंजीवरम श्रीरंगचारी शेषाद्रि

कोंजीवरम श्रीरंगाचारी शेषाद्रि FRS (29 फरवरी 1932 - 17 जुलाई 2020) एक भारतीय गणितज्ञ थे। वह चेन्नई गणितीय संस्थान के संस्थापक और निदेशक-उद्भव थे, और बीजीय ज्यामिति में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। शेषाद्रि का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
2009 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। उन्होंने अपने बी.ए. (ऑनर्स) 1 9 53 में मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में उपाधि प्राप्त की और फ्रा द्वारा इसका उल्लेख किया गया। रेसीन और एस नारायनन। उन्होंने 1958 में के.एस. चंद्रशेखरन की देखरेख में बॉम्बे विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की। 1971 में उन्हें भारतीय विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया।
कोंजीवरम श्रीरंगचारी शेषाद्रि के बारे मे अधिक पढ़ें
डॉ. द्वारम बाप रेड्डी
डॉ. द्वारम बाप रेड्डी संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक शीर्ष रैंकिंग अधिकारी थे। उन्होंने इक्कीस वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन में काम किया।
रेड्डी संयुक्त राज्य अमेरिका में आने के लिए भारतीय रेड्डीज में एक अग्रणी थे और सितंबर 1946 में पहुंचे। उन्होंने 1950 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले, संयुक्त राज्य अमेरिका से पीएचडी प्राप्त की। उन्हें एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में अध्ययनरत भारतीय छात्र। इस एसोसिएशन को हिंदुस्तान स्टूडेंट्स एसोसिएशन कहा जाता था और इसका मुख्यालय इंटरनेशनल हाउस में था, जहाँ वह एक निवासी था। पीडमोंट एवेन्यू में स्थित इंटरनेशनल हाउस प्रसिद्ध बे एरिया आर्किटेक्ट जॉर्ज केल्हम द्वारा डिजाइन किया गया था और इसमें राजदूतों और राजनेताओं सहित कई पूर्व छात्र शामिल हैं । वह इंटरनेशनल हाउस के छात्र सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे।
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देबाशीष घोष
देबाशीष घोष (जन्म 16 मई 1960) एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर हैं। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने भारत में सहकारी नियंत्रण पर काम शुरू किया है, जिसमें बुद्धिमान नियंत्रण और बहु-एजेंटों पर अग्रणी अनुसंधान किया गया है।उन्होंने 2002 में IISc में भारत में पहली मोबाइल रोबोटिक्स लैब यानी मोबाइल रोबोटिक्स प्रयोगशाला की स्थापना की। उन्हें स्वार्म इंटेलिजेंस, डिस्ट्रीब्यूटेड कंप्यूटिंग और गेम थ्योरी में अपने शुरुआती काम के लिए जाना जाता है। उनका प्राथमिक शोध स्वायत्त वाहनों के मार्गदर्शन और नियंत्रण में है, हालांकि, वर्तमान रुचि कम्प्यूटेशनल खुफिया यानी एरियल रोबोटिक्स के लिए मशीन लर्निंग में है।
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दिपन घोष

दिपन घोष एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्हें हाइजेनबर्ग एंटीफेरोमैग्नेट की जमीनी स्थिति के सटीक वर्णन के लिए जाना जाता है, जिन्हें साहित्य में मजूमदार-घोष मॉडल के रूप में जाना जाता है, जिसे उन्होंने चंचल कुमार मजुमदार के साथ विकसित किया।
घोष को M.Sc. भौतिकी में 1966 में रेनशॉ कॉलेज, कटक उत्कल विश्वविद्यालय, उस विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदक विजेता के रूप में। बाद में उन्होंने अपनी पीएच.डी. चंबल कुमार मजुमदार के तहत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, बॉम्बे, 1971 में अपनी थीसिस के बल पर, "स्टडी ऑफ मैग्नेटिक हैमिल्टन" शीर्षक से। उन्होंने 1971 से 1972 तक जॉन ज़िमन के साथ ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में पोस्ट-डॉक्टोरल काम किया, और 1972-73 तक के.एस. सिंग्वी के साथ नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में।
द्रोणमृजू कृष्णा राव
द्रोणमृजू कृष्णा राव (जन्म 14 जनवरी 1937) एक भारतीय-जनित आनुवंशिकीविद् और फाउंडेशन ऑफ जेनेटिक रिसर्च फ़ॉर ह्यूस्टन, टेक्सास में हैं। उनका जन्म भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के पीथापुरम में हुआ था। उनके काम का एक फोकस उनके गुरु जे। बी। हाल्डेन का शोध रहा है। एक लेखक के रूप में, उनका नाम आम तौर पर कृष्ण आर द्रोणमृजु है।
द्रोणमृजू आंध्र प्रदेश के विजयनगरम विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान का अध्ययन करने के लिए गए और 1955 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1957 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की; उन्होंने पौधे के प्रजनन और आनुवंशिकी का अध्ययन किया। जब जे.बी.एस. 1957 में हाल्डेन भारत आ गया, द्रोणमराजू ने कलकत्ता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान में उनके निर्देशन में एक शोध कैरियर को आगे बढ़ाने के अवसर के लिए हल्दाने को लिखा।
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दादाजी रामजी खोबरागड़े

दादाजी रामजी खोबरागड़े (मराठी: दादाजी रामजी खोब्रागड़े; मृत्यु 3 जून 2018) एक भारतीय कृषक थे, जिन्होंने धान, एचएमटी की उच्च उपज देने वाली किस्म को उगाया और परिष्कृत किया। डी.आर. खोबरागड़े महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के महार जाति के नाग नागिद गांव के थे। 1983 के आसपास, खोबरागड़े ने अपने खेत में थोड़े अलग दिखने और पीले रंग के बीजों के साथ 'पटेल 3' किस्म के धान के पौधे को देखा, जिसे उन्होंने आने वाले वर्षों में प्रयोग किया। नई किस्म उस समय उपलब्ध किस्मों की तुलना में उच्च पैदावार देती हुई पाई गई। 1990 तक, विविधता को HMT नाम दिया गया था। अपने नवाचार के बावजूद, खोबरागड़े एक गरीब और ज्यादातर उपेक्षित जीवन जीते थे।उन्हें कुछ मीडिया का ध्यान तब आया जब फोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें 2010 में भारत के सात सबसे शक्तिशाली उद्यमियों में नामित किया।
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डॉ. दत्तात्रेयुडु नोरी

डॉ. दत्तात्रेयुडु नोरी एक प्रख्यात भारतीय विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट हैं। महिलाओं की पत्रिका लेडीज़ होम जर्नल द्वारा महिलाओं में कैंसर के इलाज के लिए उन्हें एक बार अमेरिका में शीर्ष डॉक्टरों में से एक नामित किया गया था। दत्तात्रेयुडु नोरी का जन्म भारत के आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मंटादा गाँव में एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मछलीपट्टनम में की। उन्होंने कुरनूल मेडिकल कॉलेज से अपनी मेडिकल की डिग्री और उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
डॉ नोरी न्यूयॉर्क शहर के न्यू यॉर्क-प्रेस्बिटेरियन अस्पताल / वेल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज में विकिरण ऑन्कोलॉजी विभाग के एक प्रोफेसर और कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं। इसके अलावा, डॉ। नोरी क्वींस के न्यूयॉर्क अस्पताल मेडिकल सेंटर में विकिरण ऑन्कोलॉजी यूनिट के अध्यक्ष हैं।
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गोविंद स्वरूप

गोविंद स्वरूप (23 मार्च, 1929 - 7 सितंबर, 2020) एक रेडियो खगोलशास्त्री और रेडियो खगोल विज्ञान के अग्रदूतों में से एक थे, जिन्हें न केवल खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के कई क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण शोध योगदान के लिए जाना जाता था, बल्कि उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए भी रेडियो खगोल विज्ञान में फ्रंट-लाइन अनुसंधान के लिए सरल, नवीन और शक्तिशाली अवलोकन सुविधाओं का निर्माण। वह पुणे के पास ऊटी रेडियो टेलीस्कोप (भारत) और विशालकाय मेट्रूवे रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) की अवधारणा, डिजाइन और स्थापना के पीछे प्रमुख वैज्ञानिक थे। उनके नेतृत्व में, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स का एक मजबूत समूह बनाया गया है, जो दुनिया में सबसे अच्छा करने के लिए तुलनीय है।
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इंदुमाधब मल्लिक

इंदुमाधब मल्लिक ( 4 दिसंबर 1 196 9 - was मई 1 9 1ick) एक भारतीय पुलिसकर्मी थे जिन्होंने आइकमिक कुकर का आविष्कार किया और इसे व्यावसायिक सफलता दिलाई। वे एक दार्शनिक, भौतिक विज्ञानी, वनस्पतिशास्त्री, वकील, चिकित्सक, आविष्कारक, उद्यमी, कलेक्टर, यात्री, लेखक और समाज सुधारक थे।
इंदुमाधब का जन्म 4 दिसंबर 1869 को बंगाल के हुगली जिले के गुप्तिपारा गाँव में एक बैद्य ब्राह्मण परिवार में राधागोबिंडा मल्लिक के यहाँ हुआ था।उनका परिवार कोलकाता के भौवनिपोर के मल्लिक परिवार से संबंधित था। वह कवि उपेंद्र मल्लिक के पिता और अभिनेता रंजीत मल्लिक के दादा हैं। 1891 में, इंदुमाधब ने दर्शनशास्त्र में अपने स्वामी को पूरा किया। 1892 में, उन्होंने भौतिकी में स्नातकोत्तर किया। वह 1894 में कानून के स्नातक बन गए।
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जितेन्द्रनाथ गोस्वामी

जितेन्द्रनाथ गोस्वामी (जन्म 18 नवंबर 1950) जोरहाट, असम के एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। वह चंद्रयान -1 के मुख्य वैज्ञानिक थे और इस परियोजना के डेवलपर भी थे। उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक के रूप में कार्य किया। वह चंद्रयान -2 और मंगलयान से भी जुड़े थे।
गोस्वामी ने जोरहाट से स्कूलिंग शुरू की। 1965 में, उन्हें AHSEC द्वारा आयोजित उच्च माध्यमिक परीक्षा में 6 वां स्थान मिला। फिर उन्होंने भौतिकी का अध्ययन करने के लिए कॉटन कॉलेज में दाखिला लिया। [उद्धरण वांछित] उन्होंने गौहाटी विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री प्राप्त की और पीएचडी के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में शामिल हो गए। इस समयावधि में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में स्नातकोत्तर अनुसंधान विद्वान के रूप में भी काम किया। 1978 में, उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
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डॉ. केवल कृष्ण

डॉ. केवल कृष्ण, एक भारतीय फोरेंसिक मानवविज्ञानी, भौतिक नृविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में भारत के नृविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष हैं। उन्होंने भारत में फोरेंसिक नृविज्ञान के विकास में योगदान दिया है। वह राष्ट्र के बहुत कम फोरेंसिक नृविज्ञान विशेषज्ञों में से एक हैं। [उद्धरण वांछित] उन्होंने 2003 में पंजाब की चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वह रॉयल एंथ्रोपोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड (FRAI) के एक निर्वाचित साथी हैं।
उनका प्रकाशित शोध मानव आबादी के विभिन्न पहलुओं और भारतीय आबादी में उनके फोरेंसिक अनुप्रयोगों के विश्लेषण से संबंधित है। उन्होंने 2013 में और 2016 में एल्सेवियर द्वारा प्रकाशित फॉरेंसिक साइंसेज 2000 संस्करण और एनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेंसिक एंड लीगल मेडिसिन 2 डी संस्करण के लेखों में योगदान दिया है। उनका सबसे उद्धृत कार्य उत्तर भारतीय आबादी के फोरेंसिक पोडियाट्री से संबंधित है। 2008 में अपने एक उल्लेखनीय कार्य में, उन्होंने पैरों के निशान पर शरीर के वजन और शरीर के अतिरिक्त वजन के प्रभाव और अपराध स्थल की जांच में इसकी व्याख्या का अध्ययन किया। उन्होंने पदचिह्नों की कुछ अनोखी और व्यक्तिवादी विशेषताओं को भी स्थापित किया जो अपराधियों की पहचान में सहायक हैं। उन्होंने फोरेंसिक परीक्षाओं में कद के आकलन पर अंग विषमता के प्रभाव को तैयार किया और गणना की।
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कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन

कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं राज्यसभा के सांसद हैं। इन्हें भारत सरकार ने 1992 में विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था। आप सन 1994 से 2003 तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष रहे। आप भारतीय योजना आयोग के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं।
डॉ॰ कस्तूरीरंगन ने इसरो एवं अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 साल तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का निर्देशन किया। इससे पहले जब वे इसरो के उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, तब उनकी देखरेख में भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह , भारतीय दूरसंवेदी उपग्रह (आईआरएस -1 ए और 1 बी) तथा अन्य कई वैज्ञानिक उपग्रह विकसित किये गए। वह भारत के पहले प्रयोगात्मक पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों, (भास्कर एकम और द्वितीय) के लिए परियोजना निदेशक थे।
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लीलाबती भट्टाचार्जी

लीलाबती भट्टाचार्जी (नी रे) एक खनिज विज्ञानी, क्रिस्टलोग्राफर और एक भौतिक विज्ञानी थी। उन्होंने वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के साथ अध्ययन किया, और 1951 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के राजाबाजार साइंस कॉलेज परिसर से भौतिकी में एमएससी पूरा किया। श्रीमती भट्टाचार्जी ने संरचनात्मक क्रिस्टलोग्राफी, ऑप्टिकल ट्रांसफ़ॉर्मेशन के तरीकों, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, चरण परिवर्तनों, क्रिस्टल विकास के क्षेत्र में काम किया। स्थलाकृति, और यंत्रीकरण। उन्होंने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में वरिष्ठ खनिज अधिकारी के रूप में कार्य किया, और बाद में इसके निदेशक (खनिज भौतिकी) बने। उनका विवाह शिव ब्रह्मा भट्टाचर्जी से हुआ था और उनके दो बच्चे थे।
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मणि लाल भौमिक

मणि लाल भौमिक एक भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और एक सर्वश्रेष्ठ लेखक हैं। भौमिक का जन्म 30 मार्च, 1931 को तमलुक, मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल, भारत के एक छोटे से गाँव में हुआ था और उन्होंने कोला यूनियन हाई स्कूल में पढ़ाई की थी।किशोरी के रूप में, भौमिक ने अपने महासीदल शिविर में महात्मा गांधी के साथ कुछ समय बिताया। उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बैचलर ऑफ़ साइंस की डिग्री और एम। एससी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के राजाबाजार साइंस कॉलेज परिसर से। उन्होंने सत्येंद्र नाथ बोस (बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी के निर्माता) का ध्यान आकर्षित किया जिन्होंने उनकी विलक्षण जिज्ञासा को प्रोत्साहित किया। भौमिक पीएचडी प्राप्त करने वाले पहले छात्र बने। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से डिग्री प्राप्त की जब उन्होंने पीएच.डी. 1958 में क्वांटम भौतिकी में। उनकी थीसिस रेजोनेंट इलेक्ट्रॉनिक एनर्जी ट्रांसफ़र पर थी, एक ऐसा विषय जिसके कारण वे अपने काम में लेज़रों के साथ उपयोग करते थे।
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मुदुम्बई शेषचालु नरसिम्हन

मुदुम्बई शेषचलू नरसिम्हन FRS (जन्म 7 जून 1932) एक भारतीय गणितज्ञ हैं। सी। एस। शेषाद्री के साथ, नरसिम्हन-शेषाद्री प्रमेय के प्रमाण के लिए उन्हें जाना जाता है, और दोनों को रॉयल सोसाइटी के अध्येता के रूप में चुना गया। वह विज्ञान के क्षेत्र में किंग फैसल अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले एकमात्र भारतीय रहे हैं।
नरसिम्हन ने अपनी स्नातक की पढ़ाई लोयोला कॉलेज, चेन्नई से की, जहाँ उन्हें फ्र आराइन ने पढ़ाया था। Fr Racine ने प्रसिद्ध फ्रांसीसी गणितज्ञ anlie Cartan और Jacques Hadamard के साथ अध्ययन किया था और अपने छात्रों को आधुनिक गणित में नवीनतम घटनाओं से जोड़ा था।
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नरसिम्हेंगर मुकुंद
नरसिम्हेंगर मुकुंद (जन्म 25 जनवरी 1939, नई दिल्ली, भारत) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं।
मुकुंद की उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय में शुरू हुई जहाँ उन्हें B.Sc. (माननीय) की डिग्री 1953 में। उनके लिए पीएच.डी. उन्होंने रोचेस्टर विश्वविद्यालय में ई। सी। जी। सुदर्शन के साथ अध्ययन किया और 1964 में स्नातक किया। मुकुंद की थीसिस हैमिल्टनियन यांत्रिकी, समरूपता समूहों और प्राथमिक कणों के साथ निपटा। उन्होंने वेलेंटाइन बारगमन के साथ प्रिंसटन विश्वविद्यालय में समूह सिद्धांत का अध्ययन भी किया, जिसमें सामयिक समूह और लाई सिद्धांत शामिल हैं।
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प्रहलाद चुन्नीलाल वैद्य

प्रहलाद चुन्नीलाल वैद्य ( 23 मई 1918 - 12 मार्च 2010), एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ थे, जो सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में अपने वाद्य कार्य के लिए प्रसिद्ध थे। अपने वैज्ञानिक कैरियर के अलावा, वे एक शिक्षाविद् और स्वतंत्रता के बाद के भारत में गांधीवादी दर्शन के अनुयायी भी थे, विशेषकर उनके अधिवास राज्य गुजरात में।
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समीर ब्रह्मचारी
समीर कुमार ब्रह्मचारी (जन्म 1 जनवरी 1952) एक भारतीय बायोफिज़िसिस्ट और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक और पूर्व सचिव, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR), सरकार भारत। वह इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB), नई दिल्ली के संस्थापक निदेशक और ड्रग डिस्कवरी (OSDD) प्रोजेक्ट के लिए ओपन सोर्स के मुख्य संरक्षक हैं। वह जे सी बोस फैलोशिप अवार्ड, डीएसटी (2012) के प्राप्तकर्ता हैं।
ब्रह्मचारी ने 1972 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में बी.एससी की उपाधि प्राप्त की, इसके बाद 1974 में एम.एससी (शुद्ध रसायन विज्ञान) किया। 1978 में उन्होंने बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान से आणविक जैव भौतिकी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने इसके बाद पेरिस डिडरोट विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट अनुसंधान और न्यूमाउंडलैंड के मेमोरियल विश्वविद्यालय में एक विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में एक पद प्राप्त किया।
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शिराज नवल मिनवाल

शिराज नवल मिनवाल (जन्म 2 जनवरी, 1972) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और स्ट्रिंग सिद्धांतकार हैं। वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई में सैद्धांतिक भौतिकी विभाग में एक संकाय सदस्य हैं। अपनी वर्तमान स्थिति से पहले, वह हार्वर्ड जूनियर फेलो थे और बाद में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर थे।
1972 में मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में जन्मे, एक पारसी-जोरास्ट्रियन पिता (नवल) और एक मुस्लिम माँ (खदीजा) के लिए, मिनवला ने 1988 में कैंपियन स्कूल, मुंबई से और फिर 1995 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से स्नातक किया। प्रिंसटन विश्वविद्यालय से अपनी पीएच.डी. नाथन साइबेरग के मार्गदर्शन में।
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यशपाल

प्रोफेसर यशपाल (जन्म: 26 नवंबर 1926, मृत्यु: 24 जुलाई 2017) भारतीय शिक्षाविद व वैज्ञानिक थे| उनका जन्म 26 नवंबर, 1926 को झांग (पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक शहर) में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से 1949 में भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर तथा 1958 में मैसाचुसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से भौतिकी में ही पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी।
जगदीश शुक्ला

जगदीश शुक्ला संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय में एक भारतीय मौसम विज्ञानी और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं। शुक्ला का जन्म 1944 में भारत के उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के मिर्धा गाँव में हुआ था। इस गाँव में न बिजली थी, न सड़क और न ही परिवहन, और न ही कोई प्राथमिक स्कूल भवन। उनकी अधिकांश प्राथमिक स्कूली शिक्षा एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी।
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के राधाकृष्णन

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महाराजपुरम सीतारमण कृष्णन

महाराजपुरम सीतारमण कृष्णन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1970 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये तमिलनाडु राज्य से हैं। कृष्णन का जन्म 24 अगस्त 1898 को मद्रास प्रेसीडेंसी के तंजौर में हुआ था। तंजौर में स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली में अपनी पढ़ाई जारी रखी।
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सी. शिव राम

सी. शिव राम मूर्ति ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में 1982 में अपना बीटेक किया। एम.टेक. 1984 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री और पीएच.डी. 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से कंप्यूटर विज्ञान में डिग्री। सितंबर 1988 के बाद से, वह आईआईटी मद्रास में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के साथ रहे हैं, जहां वह वर्तमान में प्रोफेसर रिचर्ड कार्प इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष प्रोफेसर हैं। उन्होंने 2010 से 2013 तक विभाग के प्रमुख (अध्यक्ष) के रूप में काम किया है और 2012-14 के दौरान इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (INAE) के चेयर प्रोफेसर पद पर रहे। वह रियल-टाइम सिस्टम्स एंड नेटवर्क्स (MIT प्रेस, यूएसए), एड हॉक वायरलेस नेटवर्क: आर्किटेक्चर एंड प्रोटोकॉल (प्रेंटिस हॉल, यूएसए), डब्लूडीएम ऑप्टिकल नेटवर्क: कॉन्सेप्ट, डिजाइन और एल्गोरिदम में पाठ्यपुस्तकों के संसाधन प्रबंधन के सह-लेखक हैं। (अप्रेंटिस हॉल, यूएसए), ऑप्टिकल बर्स्ट स्विच्ड नेटवर्क्स (स्प्रिंगर, यूएसए), पैरेलल कंप्यूटर्स: आर्किटेक्चर एंड प्रोग्रामिंग (प्रेंटिस-हॉल ऑफ इंडिया, इंडिया) के लिए एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण, और रैखिक समीकरणों के प्रत्यक्ष समाधान के लिए नए समानांतर एल्गोरिदम (जॉन विले) एंड संस, इंक।, यूएसए)
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यूसुफ़ ख्वाजा हमीद

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अन्ना मणी

अन्ना मणि एक भारतीय भौतिक और मौसम वैज्ञानिक थीं। वह भारत के मौसम विभाग के उप-निदेशक थीं। उन्होंने मौसम विज्ञान उपकरणों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किए हैं; सौर विकिरण, ओज़ोन और पवन ऊर्जा माप के विषय में अनुसन्धान किया है और कई शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।
अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त, 1918 को पीरुमेडू, त्रवनकोर में हुआ था।वह आठ बच्चों में सातवीं थीं। उनके पिता एक सिविल अभियन्ता थे। बचपन में उन्हे किताबें पढ़ना बहुत पसंद था। वायकोम सत्याग्रह के दौरान अन्ना मणि महात्मा गाँधी के काम से बहुत प्रभावित हुईं। राष्ट्रवादी आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने केवल खादी के कपड़े पहनना शुरू किया। वह पहले आयुर्विज्ञान पढ़ना चाहती थीं, पर अंत में, क्योंकि उन्हें भौतिक विज्ञान में ज़्यादा दिलचस्पी थी, उन्होंंने वही पढ़ने का निर्णय लिया। 1939 में मद्रास के प्रेसिडेन्सी कॉलेज से उन्होंने भौतिक और रसायन शास्त्र में विज्ञान स्नातक (प्रवीण) की उपाधि प्राप्त की।
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नौतम भट्ट
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शंकर अबाजी भिसे
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अदिति पंत
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दाराशा नौशेरवां वाडिया

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इरोड सुब्रमण्यन राजा गोपाल

इरोड सुब्रमण्यन राजा गोपाल (12 मई 1 9 36 - 15 नवंबर 201 ) एक भारतीय संघनित भौतिक विज्ञानी, भारतीय विज्ञान संस्थान में पूर्व प्रोफेसर और भारत की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के पूर्व निदेशक थे। संघबद्ध भौतिक विज्ञान में अपने शोध के लिए जाने जाने वाले, राजा गोपाल भारतीय विज्ञान अकादमी, इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत और इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेस - तीनों के एक चुने हुए साथी थे। भौतिक विज्ञान संस्थान। वह एक पूर्व सीएसआईआर एमेरिटस वैज्ञानिक, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और संघनित पदार्थ भौतिकी में तीन संदर्भ ग्रंथों के लेखक थे। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने उन्हें 1978 में भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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जी माधवन नायर

जी माधवन नायर (जन्म 31 अक्टूबर 1943) एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव हैं। वह अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन, बैंगलोर के गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष थे जब तक कि उन्होंने एंट्रिक्स से जुड़े रेडियो स्पेक्ट्रम बैंडविड्थ की बिक्री से संबंधित एक विवादास्पद सौदे में अपनी भागीदारी के कारण कदम नहीं उठाया। बाद में उन्हें किसी भी सरकारी पद पर रखने से रोक दिया गया।
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गोंडी कोंडैया अनंतसुरेश
गोंडी कोंडैया अनंतसुरेश एक भारतीय मैकेनिकल इंजीनियर और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, भारत में प्रोफेसर हैं। उन्हें टोपोलॉजी ऑप्टिमाइज़ेशन, कंप्लेंट मैकेनिज़्म और माइक्रो-इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम्स (एमईएमएस) के क्षेत्रों में अपने काम के लिए जाना जाता है।
वह वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान में मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ME) विभाग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। वह पहले भारतीय विज्ञान संस्थान में बायोसिस्टम साइंसेज एंड इंजीनियरिंग (BSSE) के केंद्र के अध्यक्ष थे। वह इंजीनियरिंग विज्ञान के लिए 2010 में प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं।
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गिरिधर मद्रास
गिरिधर मद्रास एक भारतीय रासायनिक इंजीनियर और भारतीय विज्ञान संस्थान में एक प्रोफेसर हैं। वह स्वर्ण जयंती फैलोशिप, जे सी बोस नेशनल फेलोशिप और शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं।उन्होंने 20,000 से अधिक उद्धरणों के करीब 550 से अधिक जर्नल लेख प्रकाशित किए हैं। यह उसे भारत में इंजीनियरिंग क्षेत्र में काम करने वाले सबसे उद्धृत वैज्ञानिकों में से एक बनाता है। उन्होंने 50 पीएचडी छात्रों सहित 100 से अधिक छात्रों को स्नातक किया है। वह IISc में जीवन के बारे में एक ब्लॉग भी लिखते हैं।
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गौतम राधाकृष्ण देसिराजू

गौतम राधाकृष्ण देसिराजू एक भारतीय रसायनज्ञ और शिक्षाविद् हैं जिन्होंने क्रिस्टल इंजीनियरिंग और कमजोर हाइड्रोजन बॉन्डिंग के विषयों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने इन विषयों पर किताबें लिखी हैं। उन्होंने क्रिस्टल इंजीनियरिंग (2011) में एक पाठ्यपुस्तक का सह-लेखन किया है। वे सबसे उच्च उद्धृत भारतीय वैज्ञानिकों में से एक हैं और उन्हें अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ड्ट फोर्सचुंगस्पेरेस जैसे पुरस्कारों से मान्यता प्राप्त है, जो कि बोलोग्ना विश्वविद्यालय के विज्ञान 2018 के लिए आईएसए मेडल और रसायन विज्ञान में टीडब्ल्यूएएस पुरस्कार है। उन्होंने 2011-2014 के लिए त्रिकोणीय के लिए इंटरनेशनल यूनियन ऑफ क्रिस्टलोग्राफी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
गौतम राधाकृष्ण देसिराजू के बारे मे अधिक पढ़ें
गजेंद्र पाल सिंह राघव

गजेंद्र पाल सिंह राघव एक भारतीय जैव-सूचना विज्ञान और इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान के प्रमुख हैं।
राघव का जन्म 1963 में भारत के बुलंदशहर जिले के गाँव नगला करण, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपनी मूल शिक्षा बुलंदशहर से और पोस्ट ग्रेजुएशन मेरठ, यूपी से 1984 में पूरा किया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में एम। टेक पूरा करने के बाद, नई दिल्ली, वह एक कंप्यूटर वैज्ञानिक के रूप में इंस्टिट्यूट ऑफ़ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी में शामिल हो गए। वहाँ उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं पर काम करना जारी रखा और 1994 में जैव सूचना विज्ञान केंद्र के प्रमुख बने। 1996 में उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी एंड पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से जैव सूचना विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
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गणपति थानिकिमोनी

गणपति थानिकिमोनी (1 जनवरी 1 938 - 5 सितंबर 1986), जिसे अक्सर थनिकामोनी कहा जाता था, एक भारतीय राजवंशविज्ञानी था। मद्रास, भारत में नए साल के दिन 1938 को जन्मे, थानी ने 1962 में वनस्पति विज्ञान में मास्टर ऑफ साइंस की उपाधि प्राप्त की, प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास में प्लांट मॉर्फोलॉजिस्ट के निर्देशन में प्रोफेसर बी.जी.एल. स्वामी। उसी समय थानी को नैसर्गिक विज्ञान में फाइसन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो उत्कृष्ट भारतीय प्रकृतिवादियों के लिए आरक्षित है।
थानी ने डॉ। प्रो। गिनीट के निर्देशन में फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ पॉन्डिचेरी (फ्रेंच: इंस्टीट्यूट फ्रैंक्स डी पांडिचेरी) की नव स्थापित (1960) पैलियोलॉजी प्रयोगशाला में वैज्ञानिक का पद ग्रहण किया। कुछ वर्षों में थानी की वैज्ञानिक और प्रशासनिक क्षमताओं को प्रयोगशाला के निर्देशन में उनके प्रचार से पहचाना गया।
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गांडीकोटा वी. राव
गांडीकोटा वी. राव (15 जुलाई 1934 को विजयनगरम, भारत में - 31 जुलाई 2004 को मैक्सिको में) एक भारतीय-अमेरिकी वायुमंडलीय वैज्ञानिक थे, जिन्होंने सेंट लुइस विश्वविद्यालय (SLU) में पृथ्वी और वायुमंडलीय विज्ञान विभाग की अध्यक्षता की। वे उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान, मानसून, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और उष्णकटिबंधीय चक्रवात बवंडर पर एक विश्व प्रसिद्ध विशेषज्ञ थे। वह वायु प्रदूषण, वायुमंडलीय संवहन, वायुमंडलीय सीमा परतों और संख्यात्मक मौसम की भविष्यवाणी पर काम करने के लिए भी जाना जाता था।
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रवि वीराराघवन गोमताम

रवि वीराराघवन गोमताम (जन्म 1950, चेन्नई, भारत में) भक्तिवेदांत इंस्टीट्यूट (बर्कले और मुंबई) के निदेशक और नवनिर्मित इंस्टीट्यूट ऑफ सिमेंटिक इन्फॉर्मेशन साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (बर्कले और मुंबई) के निदेशक हैं। वह इन संस्थानों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम पढ़ाता है। वह बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS), पिलानी, राजस्थान, भारत (1993-2015) में एक सहायक प्रोफेसर थे।
उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत भारत सरकार के निकाय, भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद (ICPR) में वर्ष 2016-2017 के लिए विजिटिंग प्रोफेसर बनाया गया है।
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गोविंदराजन पद्मनाभन

गोविंदराजन पद्मनाभन (जन्म 20 मार्च 1938, मद्रास में) एक भारतीय जैव रसायनशास्त्री और जैव प्रौद्योगिकीविद हैं। वह भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के पूर्व निदेशक थे, और वर्तमान में IISc में जैव रसायन विभाग में मानद प्रोफेसर के रूप में कार्य करते हैं।
पद्मनाभन को इंजीनियरों के एक परिवार में लाया गया था। उनका ताल्लुक तमिलनाडु के तंजौर जिले से है लेकिन वे बैंगलोर में बस गए थे। बैंगलोर में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। हालाँकि, उन्होंने इंजीनियरिंग को निर्बाध पाया, और उन्होंने रसायन शास्त्र में स्नातक की डिग्री पूरी करने के लिए मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में मृदा रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर पूरा किया और पीएच.डी. 1966 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर में जैव रसायन विज्ञान में।
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गुरसरन प्राण तलवार
गुरसरन प्राण तलवार एक चिकित्सा शोधकर्ता हैं जो टीके और इम्युनोकंट्रेसन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। 1994 के एक पेपर में, उनके समूह ने यह दर्शाया कि गर्भावस्था को रोकने के लिए महिलाओं को टीका लगाया जा सकता है। गुरसरन प्रसाद तलवार ने पंजाब विश्वविद्यालय से बीएससी (ऑनर्स) और एमएससी (टेक) की डिग्री प्राप्त की, सोरबोन से डीएससी, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से इंस्टीट्यूट पाश्चर, पेरिस और डीएससी (एचसी) में काम कर रहे (2004)। वह ट्युबिंगन, स्टटगार्ट और म्यूनिख में अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट पोस्टडॉक्टोरल फेलो थे। वह नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली में जैव रसायन विज्ञान (1956) के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए, और 1983 तक प्रोफेसर और प्रमुख के रूप में भी काम किया। वे प्रमुख, ICMR-WHO अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र के प्रमुख थे। भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए इम्यूनोलॉजी (1972-91)। वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई) (1983-91) के संस्थापक निदेशक थे और 1994 तक प्रख्यात के प्रोफेसर भी थे। वह प्रख्यात और वरिष्ठ सलाहकार, जेनेटिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (आईसीआईसीबी), नई दिल्ली के प्रोफेसर थे। 1994–99) और निदेशक अनुसंधान, तलवार रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली (2000-)। वह प्रोफेसर, कॉलेज डे फ्रांस (1991), जॉन्स हॉपकिन्स में वेलकम प्रोफेसर (1994-95), और पुणे के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइनफॉरमैटिक्स एंड बायोटेक्नोलॉजी में प्रतिष्ठित प्रोफेसर थे (2005-10)।
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गणेश वेंकटरमन
गणेश वेंकटरमन एक भारतीय संघनित भौतिक विज्ञानी, लेखक और श्री सत्य साई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, और भारतीय विज्ञान अकादमी के एक चुने हुए साथी, वेंकटरमण जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप के प्राप्तकर्ता हैं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सर सीवी रमन पुरस्कार और विज्ञान के लोकप्रियकरण के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का। भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्म श्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया।
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गणपति नरेश पटवारी
गणपति नरेश पटवारी (जन्म 13 दिसंबर 1972) एक भारतीय रसायनज्ञ और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बंबई के रसायन विज्ञान विभाग में प्रोफेसर हैं। कंपन स्पेक्ट्रोस्कोपी पर उनके अध्ययन के लिए जाना जाता है, उनके काम ने हाइड्रोजन बॉन्डिंग में मूलभूत अवधारणाओं की समझ को चौड़ा किया है।
13 दिसंबर 1972 को दक्षिण भारतीय राज्य अविभाजित आंध्र प्रदेश (वर्तमान में तेलंगाना में) के निज़ामाबाद जिले के बोधन मंडल में जन्मे नरेश पटवारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर गाँव में की। उनकी स्नातक की पढ़ाई उस्मानिया विश्वविद्यालय में हुई और 1992 में बीएससी करने के बाद, उन्होंने 1994 में अपनी मास्टर डिग्री (एमएससी) पूरी करने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय का रुख किया। इसके बाद, उन्होंने 2000 में पीएचडी को सुरक्षित करने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में डॉक्टरेट अनुसंधान के लिए दाखिला लिया, जिसके बाद उन्होंने जापान सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ साइंस द्वारा सम्मानित की गई फ़ेलोशिप पर 2000 से 02 के दौरान टोहोकू विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट के बाद काम किया और अपना पद पूरा किया। 2003 में यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के अर्बाना-शैंपेन में डॉक्टरेट का काम। भारत लौटकर, उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे में अप्रैल 2003 में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में प्रवेश किया, 2007 में एक एसोसिएट प्रोफेसर बने और 2012 से एक प्रोफेसर का पद संभाला।
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घनश्याम स्वरूप
घनश्याम स्वरूप (जन्म 1953) एक भारतीय आणविक जीवविज्ञानी, जे। सी। बोस नेशनल फेलो और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के घनश्याम स्वरूप रिसर्च ग्रुप के प्रमुख हैं।वे ग्लूकोमा पर अपने अध्ययन और प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेट की खोज के लिए जाने जाते हैं, जो कोशिका प्रसार के नियमन को प्रभावित करने वाला एक नया प्रोटीन है। वह भारतीय विज्ञान अकादमी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत के एक चुने हुए साथी हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने, 1996 में जैविक विज्ञान में उनके योगदान के लिए, उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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गोपीनाथ करथा
गोपीनाथ करथा (26 जनवरी 1927 - 18 जून 1984) भारतीय मूल के एक प्रमुख क्रिस्टलोग्राफर थे। 1967 में, उन्होंने एंजाइम राइबोन्यूक्लाइज की आणविक संरचना का निर्धारण किया। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रकाशित और प्रकाशित पहली प्रोटीन संरचना थी।
गोपीनाथ करथा का जन्म भारत के केरल राज्य में अलाप्पुझा के पास चेरथला में हुआ था। वह अलप्पुझा में सनातनधर्म विद्या साला में स्कूल गए। गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान में उनका स्नातक डिप्लोमा यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) से था। उन्होंने बी.एससी। भौतिकी में 1950 में मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई, तमिलनाडु, भारत से। उन्होंने एक और बी.एससी। 1951 में आंध्र विश्वविद्यालय विशाखापत्तनम से गणित में।
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हुलीकल रामईंगर कृष्णमूर्ति

हुलीकल रामईंगर कृष्णमूर्ति (जन्म 1951) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं। वह सैद्धांतिक रूप से संघनित पदार्थ भौतिकी में माहिर हैं, विशेष रूप से कई शरीर सिद्धांत और सांख्यिकीय भौतिकी क्वांटम। वे भारतीय विज्ञान संस्थान के भौतिकी विभाग के अध्यक्ष थे। वह उन अनुसंधान विद्वानों में से एक हैं जिन्होंने प्रो केनेथ जी। विल्सन के अधीन काम किया। उनका मुख्य काम रेनॉर्लाइज़ेशन ग्रुप एप्रोच टू एंडरसन मॉडल ऑफ़ डिल्यूट मैग्नेटिक अलॉयज़ था।
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हलायुध
हिम्मतराव सलूबा बावस्कर
हिम्मतराव सलूबा बावस्कर महाराष्ट्र के महाड के एक भारतीय चिकित्सक हैं, जिन्हें ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित किया गया है|वह बिच्छू के जहर के इलाज के लिए अपने शोध के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। इस विषय पर उनका सबसे उद्धृत पेपर स्कोर्पियन स्टिंग: अपडेट है, जो जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुआ है। उनका अल्मा मेटर पुणे में बी। जे। मेडिकल कॉलेज है।
बावस्कर चिकित्सा में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में शामिल है।
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होमी सेठना

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हरि बालकृष्णन
हरि बालकृष्णन एमआईटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान विभाग में फुजित्सु अध्यक्ष हैं। वह कंप्यूटर नेटवर्क, नेटवर्क कंप्यूटर सिस्टम और मोबाइल कंप्यूटिंग में अपने योगदान के लिए जाना जाता है, जिसमें ओवरले और पीयर-टू-पीयर नेटवर्क, इंटरनेट रूटिंग और कंजेशन कंट्रोल, वायरलेस और सेंसर नेटवर्क, नेटवर्क सुरक्षा और वितरित डेटा प्रबंधन शामिल हैं। रॉन ओवरले नेटवर्क, कॉर्ड ने हैश टेबल, क्रिकेट इंडोर लोकेशन सिस्टम, इंफ्रानेट एंटी-सेंसरशिप सिस्टम, इंटरनेट रूटिंग (बीजीपी) में विभिन्न सुधार, कॉन्ग्रेसीयन मैनेजर और द्विपद कंजेशन कंट्रोल, स्नूप वायरलेस टीसीपी प्रोटोकॉल, और एप्रोच को वितरित किया। स्पैम नियंत्रण और सेवा से वंचित करना उनके कुछ उल्लेखनीय योगदान हैं। उनके वर्तमान शोध में उच्च-प्रदर्शन वायरलेस प्रोटोकॉल और वाहनों के अनुप्रयोगों के लिए कारटेल मोबाइल सेंसर कंप्यूटिंग प्रणाली शामिल है। 2003 में, उन्होंने स्ट्रीमबेस सिस्टम की सह-स्थापना की, माइक स्टोनब्रोकर, स्टेन ज़ोनडिक और अन्य के सहयोग से मेडुसा / अरोरा परियोजना से अनुसंधान का व्यवसायीकरण किया।
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इंद्राणी बोस
इंद्राणी बोस (जन्म 15 अगस्त 1951) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी, भौतिकी विभाग, बोस संस्थान, कोलकाता में वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। विशेषज्ञता के उनके क्षेत्र सैद्धांतिक संघनित वस्तु, क्वांटम सूचना सिद्धांत, सांख्यिकीय भौतिकी, जैविक भौतिकी और प्रणालियों में हैं। बोस ने उन्हें पीएच.डी. (भौतिकी) 1981 में राजाबाजार साइंस कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय से। बोस के अनुसंधान हितों में क्वांटम की समस्या कई शरीर प्रणाली, क्वांटम सूचना सिद्धांत, सांख्यिकीय यांत्रिकी और सिस्टम जीव विज्ञान शामिल हैं।
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ज्येष्ठराज भालचंद्र जोशी

ज्येष्ठराज भालचंद्र जोशी एक भारतीय रासायनिक इंजीनियर, परमाणु वैज्ञानिक, सलाहकार और शिक्षक हैं, जिन्हें व्यापक रूप से परमाणु रिएक्टर डिजाइन में नवाचारों के लिए जाना जाता है और आमतौर पर एक सम्मानित शिक्षक के रूप में माना जाता है। वह डीएई-होमी भाभा चेयर प्रोफेसर, होमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट, मुंबई, और इंजीनियरिंग विज्ञान और कई अन्य पुरस्कारों और पहचानों के लिए शांतिस्वरुप भटनागर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें रासायनिक इंजीनियरिंग और परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए 2014 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण मिला|
जोशी का जन्म 28 मई 1949 को भारत के महाराष्ट्र राज्य के सतारा जिले के मसूर कस्बे में भालचंद्र (काका) जोशी के पुत्र के रूप में हुआ था। उन्होंने 1971 में केमिकल इंजीनियरिंग में बीई पास की और 1972 में एमई यूनिवर्सिटी ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (यूडीसीटी), मुंबई से एमई की, जिसके बाद उन्होंने अपना शोध शुरू किया, जिसका नाम बदलकर केमिकल इंजीनियर मन मोहन शर्मा के मार्गदर्शन में रखा गया। 1977 में, उन्हें पीएचडी से सम्मानित किया गया।
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ज्ञानचन्द्र घोष

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जसवीर सिंह बजाज
जसवीर सिंह बजाज एक भारतीय चिकित्सक और मधुमेह विशेषज्ञ थे। उन्हें चिकित्सा विज्ञान और अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान और स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने के उनके प्रयासों के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इससे पहले उन्हें 1981 में पद्मश्री और 1982 में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया था। वह चिकित्सा और अनुसंधान के क्षेत्र में सेवाओं के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वाले देश के नौवें व्यक्ति थे।
1991-98 में राज्य मंत्री के पद के साथ बजाज योजना आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) थे। वह 1966 में एम्स संकाय में शामिल हुए और 1979 में प्रोफेसर और चिकित्सा के प्रमुख नियुक्त किए गए। उन्हें 1977-1982 के दौरान और फिर 1987 से 1992 के दौरान भारत के राष्ट्रपति के लिए मानद चिकित्सक नियुक्त किया गया था। वह 1991 से 1996 तक प्रधान मंत्री के सलाहकार चिकित्सक भी थे। उन्होंने एंडोक्रिनोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त की और करोलिंस्का इंस्टीट्यूट, स्टॉकहोम, स्वीडन द्वारा सम्मानित किया गया। जब 1985 में अपनी 175 वीं वर्षगांठ के उत्सव के समय, डॉक्टरेट इन मेडिसिन उन्हें सम्मानित किया गया।
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कालपति रामकृष्ण रामनाथन

दीवान बहादुर कालपति रामकृष्ण रामनाथन FNA, FASc, FIAS, माननीय .RRetS (28 फरवरी 1893 - 31 दिसंबर 1984) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी थे। वे भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद के पहले निदेशक थे। 1954 से 1957 तक, रामनाथन इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोडेसी एंड जियोफिजिक्स (IUGG) के अध्यक्ष थे। रामनाथन को 1965 में पद्म भूषण और 1976 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
रामनाथन का जन्म कलापथी, पालक्कड़ में रामकृष्ण सतिगृल, एक ज्योतिषी, मुद्रक और संस्कृत विद्वान के रूप में हुआ था। माध्यमिक विद्यालय पूरा करने के बाद, उन्होंने 1909 में गवर्नमेंट विक्टोरिया कॉलेज, पलक्कड़ में प्रवेश किया। 1911 में, उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में भाग लेने के लिए एक सरकारी छात्रवृत्ति प्राप्त की, जहाँ उन्होंने बी.ए. (ऑनर्स।) भौतिकी में डिग्री। उन्होंने 1914 में, और 1916 में एक एमए की उपाधि प्राप्त की। अपने एमए के बाद, त्रावणकोर (अब यूनिवर्सिटी कॉलेज तिरुवनंतपुरम) में तिरुवनंतपुरम में महाराजा कॉलेज ऑफ साइंस के प्रिंसिपल थे, जो उनके परीक्षकों में से एक थे। उसे भौतिकी में एक प्रदर्शनकारी का पद। कॉलेज में, रामनाथन को अपनी जाँच करने और अपने प्रयोगशाला कौशल को सुधारने की आज़ादी मिली।
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के. श्रीधर
के. श्रीधर (जन्म 27 मई 1961) सैद्धांतिक उच्च ऊर्जा भौतिकी और कथा साहित्य के क्षेत्र में शोध करने वाले एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। के. श्रीधर ने 1990 में मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिकी में पीएचडी प्राप्त की। अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई के बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय और सर्न, जिनेवा में काम किया। उनका सर्न, जिनेवा के साथ सहयोगी संघ है; एलएपीपी, वार्षिकी; DAMTP, कैम्ब्रिज और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑर्से, पेरिस। आज वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई में सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर हैं।
उनकी वर्तमान रुचि मुख्य रूप से अतिरिक्त आयामों के सिद्धांतों में है, लेकिन उन्होंने क्वांटम क्रोमोडायनामिक्स, सुपरसेमेट्री, भव्य एकीकरण और इलेक्ट्रोकेक भौतिकी में भी योगदान दिया है। उन्होंने अतिरिक्त आयामों, क्वार्कोनियम भौतिकी और आर-समता के सुपर मॉडल का उल्लंघन करने वाले ब्रो-वर्ल्ड मॉडल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने श्रेयरुप रायचौधुरी के साथ ब्रैक वर्ल्ड्स और एक्स्ट्रा डाइमेंशन की एक किताब पार्टिकल फिजिक्स प्रकाशित की है जो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा गणितीय भौतिकी पर कैम्ब्रिज मोनोग्राफ में प्रकाशित की गई है।
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कैलाशनाथ कौल

कैलास नाथ कौल (1905-1983) एक भारतीय वनस्पति विज्ञानी, प्रकृतिवादी, कृषि वैज्ञानिक, बागवानी वैज्ञानिक, वनस्पति विज्ञानी, पादप कलेक्टर और हेरपेटोलॉजिस्ट थे| उन्होंने भारत के राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान की स्थापना की और देश के आधुनिक वैज्ञानिक बुनियादी ढाँचे के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। व्यापक विधायी और नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में अपनी भतीजी इंदिरा गांधी की सक्रिय भूमिका के पीछे उन्हें एक महत्वपूर्ण प्रभाव माना जाता है। रॉयल बोटैनिकल गार्डन, केवमें पहले भारतीय वैज्ञानिक के रूप में कार्य करने और प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, लंदन और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय सहित कई ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के साथ काम करने के बाद, प्रोफेसर कौल ने राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। पूर्व में, भारत का राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान), 1948 में लखनऊ में। उन्होंने 1965 तक संस्थान का निर्देशन किया, इस दौरान केव (यूके), बोगोर (इंडोनेशिया) के साथ-साथ यह दुनिया के पांच सर्वश्रेष्ठ वनस्पति उद्यानों में से एक रहा। पेरिस (फ्रांस) और न्यूयॉर्क (यूएसए)। 1 9 53 से 1 9 65 तक, कौल ने पूरे भारत का सर्वेक्षण किया, उत्तर में काराकोरम पहाड़ों से लेकर देश के दक्षिणी छोर पर कन्याकुमारी तक और पूर्व में उत्तर पूर्व सीमांत एजेंसी से लेकर पश्चिम में कच्छ के रण तक। उसी अवधि में, उन्होंने पेरादेनिया (श्रीलंका), सिंगापुर, बोगोर (इंडोनेशिया), बैंकॉक (थाईलैंड), हांगकांग, टोक्यो (जापान), और मनीला (फिलीपींस) में वनस्पति उद्यान के विकास में योगदान दिया। उन्होंने पेरिस (1954), मॉन्ट्रियल (1959) और एडिनबर्ग (1964) में अंतर्राष्ट्रीय वनस्पति कांग्रेस में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
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कविता शाह
कविता शाह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पर्यावरण और सतत विकास संस्थान में एक भारतीय पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकीविद हैं।वह छह निदेशकों में से एक और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की एकमात्र महिला निदेशक हैं। वह पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में अपनी भूमिका के लिए उल्लेखनीय है।
उसने अपनी MSc, B.Ed, Ph.D. और कुछ पोस्ट-डॉक्स पूरी की है और फिर NEHU में पढ़ाया है और वहाँ तीन और पोस्ट-डॉक्स पूरे किए हैं। उन्होंने महिला महाविद्यालय में महिला महाविद्यालय में महिला महाविद्यालय (MMV) नाम से एक जूलॉजी छात्रा के रूप में शुरुआत की।शिलॉन्ग में जापान, जिनेवा और नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी के स्टिंट के बाद, उन्होंने खुद को बीएचयू में पढ़ाने के लिए वापस आते हुए पाया। कार्य के एक प्रमुख क्षेत्र में इमबिलाइज्ड प्लांट एंजाइम (बायोटेक्नोलॉजी और बायो प्रोसेस इंजीनियरिंग, 13, 632-638, 2008) का उपयोग करके बायोसेंसर का विकास शामिल है और एचआईवी प्रोटीज के अवरोधकों से संबंधित अध्ययन (सिलिको बायोलॉजी, 8-033, 2008 में) शामिल हैं। एचआईवी इंटीग्रेज (आर्कियोलॉजी ऑफ वायरोलॉजी 2014) और एन। मेनिंगिटाइड्स वैक्सीन कंस्ट्रक्शन (इंडियन जर्नल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, 2010) में जैव सूचना विज्ञान उपकरण का उपयोग करते हुए सिलिको में।
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केदारेश्वर बनर्जी

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प्रो. कोटचेर्लकोता रंगधाम राव

प्रो. कोटचेर्लकोता रंगधाम राव (9 सितंबर 1898 - 20 जून 1972) स्पेक्ट्रोस्कोपी के क्षेत्र में एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे।
रंगधाम राव को स्पेक्ट्रोस्कोपी पर उनके काम के लिए जाना जाता है, जो न्यूक्लियर क्वाड्रुपोल रेजोनेंस (NQR) के विकास में उनकी भूमिका, और आंध्र विश्वविद्यालय के भौतिकी प्रयोगशालाओं के साथ उनके लंबे जुड़ाव के कारण है। अपने बाद के वर्षों में, उन्हें अलग-अलग, अर्थात, एयू कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, एयू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, एयू कॉलेज ऑफ लॉ, एयू कॉलेज में उनके विभाजन से पहले आंध्र विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल के रूप में जाना जाता था। फार्मेसी और एयू कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी।
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कृत्युंजय प्रसाद सिन्हा

कृत्युंजय प्रसाद सिन्हा (जन्म 5 जुलाई 1929) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और एक प्रफुल्लता प्रोफेसर भारतीय विज्ञान संस्थान हैं। ठोस राज्य भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान में अपने शोध के लिए जाना जाता है, सिन्हा तीनों प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों - भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारतीय विज्ञान अकादमी और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत के एक निर्वाचित साथी हैं। 1974 में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की सर्वोच्च एजेंसी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया, जो भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कारों में से एक है।
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के. आनंदा राउ

के आनंदा राउ (21 सितंबर 1893 - 22 जनवरी 1966) एक प्रख्यात भारतीय गणितज्ञ और रामानुजन के समकालीन थे। हालांकि, रामानुजन के विपरीत, राम, रामानुजन के छह साल के जूनियर थे, लेकिन रामानुजन के विपरीत, वे बहुत पारंपरिक थे और उन्होंने रामानुजन के कौशल का पता चलने से पहले गणित में अपना कैरियर बनाने का फैसला किया था।
आनंद राऊ का जन्म 21 सितंबर 1893 को मद्रास में हुआ था। उन्होंने मद्रास के ट्रिप्लिकेन, और फिर प्रेसीडेंसी कॉलेज ऑफ मद्रास में हिंदू स्कूल में पढ़ाई की। शानदार अकादमिक रिकॉर्ड के बाद, वह रामानुजन के कुछ महीने बाद ही 1914 में इंग्लैंड चले गए। 1916 में, कैम्ब्रिज के किंग्स कॉलेज से अपनी गणितीय परीक्षा समाप्त करने के बाद, वह रामानुजन की तरह, जी। एच। हार्डी के प्रभाव में आए, जिन्होंने उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें सक्रिय शोध में आरंभ किया। कैम्ब्रिज में, राऊ और रामानुजन अच्छे दोस्त बन गए। इसके अलावा, रामानुजन के "सबसे समर्पित दोस्त" आर। रामचंद्र राव, जो एक जिला कलेक्टर थे, आनंद राऊ के रिश्तेदार थे। रामचंद्र राव, रामानुजन को शोध में उनकी प्रगति को देखने के लिए जिम्मेदार मानते थे, और वित्तीय सहायता प्रदान करते थे, उनकी दैनिक आवश्यकताओं का ध्यान रखते थे और उन्हें मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में एक क्लर्क की नौकरी मिली। हालाँकि आनंद राऊ इंग्लैंड में पहली बार रामानुजन से मिले थे, लेकिन उन्हें राव के साथ अपने संबंधों के माध्यम से रामानुजन के बारे में पता चला।
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के.एस. आर. कृष्णा राजू

के.एस. आर. कृष्णा राजू (11 मार्च 1948 - 22 जुलाई 2002) एक भारतीय पक्षी विज्ञानी थे जिन्होंने विशाखापत्तनम के पूर्वी घाट में बड़े पैमाने पर काम किया था। उन्होंने कई एवीफैनल सर्वेक्षण किए, पक्षियों को चकमा दिया और डिलन रिप्ले और सलीम अली सहित अन्य पक्षीविज्ञानियों के साथ सहयोग किया। उनके अध्ययनों ने सुंदर लाल होरा द्वारा प्रस्तावित सतपुड़ा परिकल्पना को वजन प्रदान किया कि पूर्वी घाट भारत के उत्तर-पूर्व और पश्चिमी घाट के बीच दक्षिण पूर्व एशिया में रहने वाले लोगों के लिए आवासों की एक पूर्व निरंतरता का हिस्सा था। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम घाटों के आसपास खोजे गए एबॉट के बब्बलर, मलकोकिंसला एबोट्टी क्रिशनाजुई की एक उप-प्रजाति का नाम उनके सम्मान में नामित किया गया था,पूर्वी घाट के प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण और संरक्षण को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए।
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कुडली नंजुंडा घनपति शंकर

कुडली नंजुंडा घनपति शंकर भारत के एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे। वह इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), अहमदाबाद और इसरो उपग्रह केंद्र (आईएसएसी), बैंगलोर के निदेशक थे। वह उपग्रह संचार कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक और कार्यक्रम निदेशक, INSAT थे, और संचार उपग्रह कार्यक्रम की समग्र योजना और दिशा की देखरेख कर रहे थे। ट्रांसपोंडर डिजाइन और विकास के क्षेत्र में उनके काम से भारत की संचार उपग्रह प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला।
उपग्रह प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए, शंकर को 2004 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्हें वह व्यक्ति कहा जाता है जिसने चंद्रयान के लिए भारत के पहले उद्यम चंद्रयान की अवधारणा की थी।
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कल्पित रामियेर कच्छप ईश्वरन
कल्पित रामियेर कच्छप ईश्वरन (जन्म 1939) एक भारतीय आणविक जैव-भौतिकीविद्, अकादमिक और पूर्व एस्ट्रा चेयर प्रोफेसर और भारतीय विज्ञान संस्थान के आणविक जैव-भौतिकी विभाग के अध्यक्ष हैं। वह एंटी-फंगल दवाओं के विकास में और आयनोफोरस और आयन-परिवहन झिल्ली पर अपने शोध के लिए अपने योगदान के लिए जाना जाता है। वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और भारतीय विज्ञान अकादमी के एक चुने हुए साथी हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने, जैव विज्ञान में उनके योगदान के लिए, उन्हें 1984 में सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कारों में से एक, विज्ञान स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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कमानियो चट्टोपाध्याय

कमानियो चट्टोपाध्याय (जन्म 1950) एक भारतीय सामग्री इंजीनियर और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में एक मानद प्रोफेसर हैं। वे आईआईएससी के मैकेनिकल साइंसेज डिवीजन के अध्यक्ष और सामग्री इंजीनियरिंग विभाग की पूर्व अध्यक्ष हैं।
चट्टोपाध्याय सबसे अच्छी तरह से विकर्ण नैनोक्वान्टम क्वासिक क्रिस्टल की खोज के लिए जाने जाते हैं, जो उन्होंने 1985 में एल। बेंडस्की और एस। रंगनाथन के साथ पूरा किया था। उन्होंने यह भी quasicrystals और nanocomposites के संश्लेषण और लक्षण वर्णन पर शोध के साथ श्रेय दिया जाता है और सभी तीन प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों के एक चुने हुए साथी हैं। भारतीय विज्ञान अकादमी, [Indian] भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी [National] और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत और साथ ही भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी।वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, ने उन्हें 1995 में इंजीनियरिंग विज्ञान में उनके योगदान के लिए सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कारों में से एक, विज्ञान स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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लव कुमार ग्रोवर
लव कुमार ग्रोवर (जन्म 1961) एक भारतीय-अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं। वह ग्रोवर डेटाबेस खोज एल्गोरिथ्म के प्रवर्तक क्वांटम कंप्यूटिंग में उपयोग किए गए हैं। ग्रोवर के 1996 के एल्गोरिथ्म को क्वांटम कंप्यूटिंग (शोर के 1994 के एल्गोरिथ्म के बाद), और 2017 में अंततः स्केलेबल फिजिकल क्वांटम सिस्टम में लागू किया गया था। ग्रोवर का एल्गोरिथ्म कई लोकप्रिय विज्ञान लेखों का विषय रहा है। ग्रोवर को भारत के 9 वें सबसे प्रमुख कंप्यूटर वैज्ञानिक के रूप में स्थान दिया गया है।
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लक्ष्मीनारायणपुरम अनंताकृष्णन रामदास
लक्ष्मीनारायणपुरम अनंताकृष्णन रामदास (3 जून 1900-1 जनवरी 1979) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी थे, जिन्हें रामदास परत की वायुमंडलीय घटना की खोज करने के लिए जाना जाता था या लिफ्ट किया हुआ न्यूनतम तापमान जहां वायुमंडल में सबसे कम तापमान जमीन पर नहीं होता है लेकिन कुछ दसियों में होता है जमीन के ऊपर सेंटीमीटर जिसके परिणामस्वरूप। यह पतली परत के कोहरे में देखा जा सकता है जो जमीन से कुछ ऊंचाई पर हैं। उन्हें भारत में कृषि मौसम विज्ञान का जनक कहा जाता है।
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एम गोविंद कुमार मेनन

डॉ. मांबलीकलाथिल गोविंद कुमार मेनन, एफआरएस (28 अगस्त 1928 - 22 नवंबर 2016), जिन्हें एम. जी. के. मेनन के नाम से भी जाना जाता है, भारत के भौतिकविद् और नीति निर्माता थे। चार दशकों में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में उनकी प्रमुख भूमिका थी। उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई का पोषण था, जिसे उनके गुरु होमी जे। भाभा ने 1945 में स्थापित किया था।
मैंगलोर में जन्मे, उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता सेसिल एफ पॉवेल के मार्गदर्शन में प्राथमिक कण भौतिकी में पीएचडी के लिए ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में भाग लिया। वह 1955 में TIFR में शामिल हुए। उन्होंने मूलभूत कणों के गुणों का पता लगाने के लिए ब्रह्मांडीय किरणों के साथ प्रयोग किए। वह बैलून उड़ान प्रयोगों को स्थापित करने में सक्रिय रूप से शामिल थे, साथ ही कोलार गोल्ड फील्ड्स में खानों में कॉस्मिक किरण न्युट्रीनो के साथ गहरे भूमिगत प्रयोग थे। वे भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष थे, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के विक्रम साराभाई फैलो, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत के अध्यक्ष, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई के निदेशक (1 966-19 the5) गवर्नर बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद के अध्यक्ष बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स।
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मोती लाल मदान
मोती लाल मदान (जन्म 1939) एक भारतीय जैव प्रौद्योगिकी शोधकर्ता, पशुचिकित्सा, अकादमिक और प्रशासक हैं। 1994 से 1995 तक, मदन ने करनाल में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) के निदेशक (अनुसंधान) के रूप में कार्य किया और बाद में 1995 से 1999 तक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) रहे। नवंबर 2006 में वे पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा के कुलपति बने। इससे पहले उन्होंने अकोला में डॉ। पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के कुलपति के रूप में कार्य किया। मदन ने कम से कम 188 अकादमिक लेख प्रकाशित किए हैं, जिनमें कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाएं भी शामिल हैं।
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मांड्यम ओसुरी पार्थसारथी अयंगर
मांड्यम ओसुरी पार्थसारथी अयंगर (15 दिसंबर 1886-10 दिसंबर 1963) एक प्रमुख भारतीय वनस्पतिशास्त्री और फ़ाइकोलॉजिस्ट थे जिन्होंने शैवाल की संरचना, कोशिका विज्ञान, प्रजनन और वर्गीकरण पर शोध किया था। उन्हें "भारतीय फिजियोलॉजी के पिता" या "भारत में एल्गोलॉजी के पिता" के रूप में जाना जाता है। वह भारत के फ़ाइकोलॉजिकल सोसायटी के पहले अध्यक्ष थे। उन्होंने मुख्य रूप से स्पाइरोग्रा का अध्ययन किया।
अयंगर का जन्म मद्रास में हुआ था जहाँ उनके पिता एम.ओ. अलसिंग्राचार्य ने एक वकील के रूप में काम किया। अमीर परिवार कई क्षेत्रों में उपलब्धियों के लिए जाना जाता था। हिंदू हाई स्कूल में पढ़ाई के बाद, वह 1906 में बीए की डिग्री और 1909 में एमए करने के बाद, प्रेसीडेंसी कॉलेज में चले गए। वह तब मद्रास के सरकारी संग्रहालय में क्यूरेटर बन गए और 1911 में शिक्षक कॉलेज में व्याख्याता बन गए। 1920 में प्रेसीडेंसी कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर और शिक्षण से अलग शैवाल पर काम किया। उन्होंने क्वीन मैरी कॉलेज में प्रोफेसर एफई फ्रिट्च के साथ 1930 में यूके में काम किया, जहाँ से उन्हें पीएचडी प्राप्त हुई|
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मदुरा एस. बालाकृष्णन
मदुरा एस. बालाकृष्णन (1917-1990) का जन्म और पालन-पोषण चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी थे और उन्होंने विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और कुछ समय के लिए पुणे विश्वविद्यालय में काम किया (वर्तमान में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है)। वह फाइटोलॉजिस्ट प्रोफेसर एम.ओ.पी. आयंगर। मानक लेखक संक्षिप्त नाम M.S.Balakr। एक वनस्पति नाम का हवाला देते हुए इस व्यक्ति को लेखक के रूप में इंगित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
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माधव गाडगिल

माधव धनंजय गाडगिल (जन्म 1942) एक भारतीय पारिस्थितिकीविज्ञानी, अकादमिक, लेखक, स्तंभकार और भारतीय विज्ञान संस्थान के तत्वावधान में एक पारिस्थितिक विज्ञान केंद्र के संस्थापक हैं। वह भारत के प्रधान मंत्री और 2010 के पश्चिमी घाट इकोलॉजी एक्सपर्ट पैनल (WGEEP) के प्रमुख के रूप में वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य हैं, जिसे गडगिल आयोग के रूप में जाना जाता है। वह पर्यावरणीय उपलब्धि के लिए वोल्वो पर्यावरण पुरस्कार और टायलर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। भारत सरकार ने उन्हें 1981 में पद्मश्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया और इसके बाद 2006 में पद्म भूषण के तीसरे सर्वोच्च पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया।
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अनीता महादेवन-जानसेन

अनीता महादेवन-जानसेन बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर हैं और वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में ओरिन एच इनग्राम अध्यक्ष हैं। वह SPIE के 2020 उपाध्यक्ष के रूप में सेवा करने के लिए चुनी गई हैं। अपने चुनाव के साथ, महादेवन-जानसेन SPIE राष्ट्रपति की श्रृंखला में शामिल हो गए और 2021 में राष्ट्रपति-चुनाव और 2022 में सोसायटी के अध्यक्ष के रूप में काम करेंगी।
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मनमोहन शर्मा

,मनमोहन शर्मा फ्रिंज (जन्म 1 मई, 1937 को जोधपुर, राजस्थान में) एक भारतीय रसायन इंजीनियर हैं।उनकी शिक्षा जोधपुर, मुंबई और कैम्ब्रिज में हुई थी। 27 साल की उम्र में, उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर नियुक्त किया गया। बाद में वह UDCT के निदेशक बन गए, UDCT से ऐसा करने वाले पहले केमिकल इंजीनियरिंग प्रोफेसर थे।
1990 में, वह रॉयल सोसाइटी, यूके के फैलो के रूप में चुने जाने वाले पहले भारतीय इंजीनियर बन गए। उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण (1987) और पद्म विभूषण (2001) से सम्मानित किया गया था। उन्हें रॉयल सोसाइटी के लीवरहल्मे मेडल, इंजीनियरिंग विज्ञान में S.S भटनागर पुरस्कार (1973), फिक्की अवार्ड (1981), भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (1985) के विश्वकर्मा पदक, जी.एम. मोदी अवार्ड (1991), मेघनाद साहा मेडल (1994), और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (2001) से विज्ञान की मानद उपाधि प्राप्त की।
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मनचनाहल्ली रंगास्वामी सत्यनारायण राव

मनचनाहल्ली रंगास्वामी सत्यनारायण राव को संक्षिप्त नाम एम। आर.एस. राव द्वारा जाना जाता है, जो एक भारतीय वैज्ञानिक हैं, जिनका जन्म 21 जनवरी 1948 को मैसूर, भारत में हुआ था। उन्हें भारत सरकार द्वारा विज्ञान और इंजीनियरिंग श्रेणी (वर्ष 2010) में चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। वे जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR), बैंगलोर, भारत के अध्यक्ष थे (2003-2013)|
राव ने 1966 में स्नातक की डिग्री (बीएससी) और 1968 में बैंगलोर विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री (एमएससी) प्राप्त की। उन्होंने 1973 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर से जैव रसायन विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की। गोविंदराजन पद्मनाभन (पूर्व निदेशक, IISc) जैव रसायन विभाग में उनके डॉक्टर सलाहकार थे। उन्होंने अपना पोस्टडॉक्टरल रिसर्च बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, ह्यूस्टन, टेक्सास, अमेरिका में (1974-76) में किया था और उसी संस्थान में सहायक प्रोफेसर थे। उन्होंने भारत वापस आने का फैसला किया और जैव रसायन विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शामिल हो गए।
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मणीन्द्र अग्रवाल

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मंजुला रेड्डी

मंजुला रेड्डी (जन्म 1965) एक भारतीय जीवाणु आनुवंशिकीविद् है। वह हैदराबाद, भारत में सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान केंद्र में मुख्य वैज्ञानिक हैं। 2019 में, उसने बैक्टीरिया सेल दीवार संरचना और संश्लेषण पर अपने काम के लिए लाइफ साइंसेज में इन्फोसिस पुरस्कार जीता। वह तेलंगाना अकादमी ऑफ साइंसेज और भारतीय विज्ञान अकादमी की फेलो हैं।
मंजुला रेड्डी ने 2002 में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 2007 में संस्था में अपनी प्रयोगशाला शुरू की|
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माथुकुमल्ली विद्यासागर

माथुकुमल्ली विद्यासागर FRS (जन्म 29 सितंबर 1947) एक प्रमुख नियंत्रण सिद्धांतकार और रॉयल सोसाइटी के फैलो हैं। वह वर्तमान में IIT हैदराबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं। पहले वह डलास में टेक्सास विश्वविद्यालय में सिस्टम बायोलॉजी साइंस के सेसिल और इडा ग्रीन (II) चेयर थे। इससे पहले वह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में कार्यकारी उपाध्यक्ष थे, जहां उन्होंने एडवांस्ड टेक्नोलॉजी सेंटर का नेतृत्व किया। इससे पहले, वह बैंगलोर में डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला, सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) के निदेशक थे। वह प्रख्यात गणितज्ञ एम वी सुब्बाराव के पुत्र हैं।
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माइकल लोबो

माइकल लोबो (जन्म 12 सितंबर 1953) एक भारतीय वैज्ञानिक, लेखक और वंशावली विज्ञानी हैं।वे मैंगलोर, भारत में कैथोलिक समुदाय पर तीन स्व-प्रकाशित पुस्तकों के लेखक हैं।
माइकल लोबो का जन्म मैंगलोर, भारत में मैसी लोबो (नी फर्नांडिस) और कैमेलो लोबो, दोनों का जन्म मंगलोरियन कैथोलिक वंश में हुआ था। वह लोबो-प्रभु कबीले की बेजाई शाखा से संबंधित है, जिसकी जड़ें मंगलौर के कुलशेखर उपनगर में हैं। लोबो के पिता एक ब्रिटिश सेना के सिपाही थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेवा की थी। उन्होंने तमिलनाडु के यरकौड के मोंटफोर्ट हाई स्कूल में अध्ययन किया और सेंट अलॉयसियस कॉलेज से स्नातक किया। 1975 में, वह देश के "राष्ट्रीय-ए" स्तर के शतरंज खिलाड़ियों में से एक थे, जिसने उन्हें भारत के शीर्ष शतरंज खिलाड़ियों में शामिल किया। 1982 में, उन्होंने एप्लाइड गणित में डिग्री के साथ IISc बैंगलोर से पीएचडी प्राप्त की। ट्रांसोनिक एयरोडायनामिक्स पर उनकी डॉक्टरेट थीसिस ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) से "युवा वैज्ञानिक पुरस्कार" अर्जित किया। 1982 में, उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से एयरोडायनामिक्स गणित में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, और इंडियन नेशनल साइंस अकादमी से 1983 का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त किया।
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मिर्ज़ा फैजान

मिर्ज़ा फैजान एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक हैं जिन्होंने ग्राउंड रियलिटी इंफॉर्मेशन प्रोसेसिंग सिस्टम (GRIPS) विकसित किया है। फैज़ान ने सेंट करेन स्कूल, पटना में भाग लिया, और पटना विश्वविद्यालय से स्नातक किया, इसके बाद मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर एप्लीकेशन और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर में एम्बेडेड सिस्टम में काम किया।
इसके बाद उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, सत्यम कम्प्यूटर्स, हनीवेल, एयरबस-फ्रांस और अमेरिका में एयरोस्पेस परियोजनाओं पर काम किया। फैजान अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स के सदस्य हैं। वह फिलहाल अमेरिका के टेक्सास में रहते हैं।
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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या

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मनोज कुमार जायसवाल

मनोज कुमार जायसवाल एक भारतीय तंत्रिका विज्ञानी हैं। वे माउंट सिनाई में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में मनोचिकित्सा विभाग में पूर्णकालिक संकाय (इंस्ट्रक्टर) हैं। जायसवाल का जन्म वाराणसी या काशी, जिसे भारत में एक प्रमुख धार्मिक केंद्र और सात पवित्र शहरों (सप्त पुरी) के रूप में भी जाना जाता है के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म और जैन धर्म में। वह कम उम्र में जीव विज्ञान में रुचि रखने लगे और स्नातक छात्र के रूप में क्षेत्र में शोध करना शुरू कर दिया।
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एम. अन्नादुरै

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मदन राव

मदन राव (जन्म 11 जुलाई 1960) एक भारतीय गाढ़ा पदार्थ और जैविक भौतिक विज्ञानी और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में एक वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। सेल की सतह पर आणविक गतिशीलता पर अपने शोध के लिए जाना जाता है, राव भारतीय विज्ञान अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के एक निर्वाचित साथी हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की सर्वोच्च एजेंसी, काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, ने उन्हें 2004 में भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
एम.एस. रघुनाथ

मदाबुसी संतनम "एम.एस." रघुनाथन एक भारतीय गणितज्ञ हैं। वह वर्तमान में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर मैथमेटिक्स के हेड हैं। होमी भाभा चेयर में TIFR में प्रख्यात के पूर्व प्रोफेसर। रघुनाथन ने गणित (TIFR), मुंबई विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी प्राप्त की; उनके सलाहकार एम। एस। नरसिम्हन थे। रघुनाथन रॉयल सोसाइटी के फेलो हैं, थर्ड वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज के, और अमेरिकन मैथमैटिकल सोसाइटी के और पद्म भूषण के नागरिक सम्मान के प्राप्तकर्ता हैं।
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मनीषा एस. इनामदार

मनीषा एस. इनामदार (जन्म 25 फरवरी 1967) एक भारतीय विकासात्मक जीवविज्ञानी हैं जो स्टेम सेल अनुसंधान में विशेषज्ञता रखते हैं। वह एक प्रोफेसर और जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) की आणविक जीवविज्ञान और आनुवंशिकी इकाई में अध्यक्ष हैं। वह स्टेम सेल बायोलॉजी एंड रिजेनेरेटिव मेडिसिन (इनस्टेम) संस्थान में एक सहायक संकाय के रूप में थी और भारतीय विज्ञान अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की एक चुनी हुई साथी है।
25 फरवरी 1967 को जन्मीं मनीषा इनामदार ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में आणविक जीव विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और चैपल हिल के उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय में हृदय जीव विज्ञान में पोस्ट-डॉक्टोरल काम पूरा किया। इसके बाद, वह जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) में शामिल हो गईं, जहाँ उन्होंने संस्था की आणविक जीवविज्ञान और आनुवंशिकी इकाई के एक प्रोफेसर का पद संभाला।
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नागेंद्र कुमार सिंह

नागेंद्र कुमार सिंह एक भारतीय कृषि वैज्ञानिक हैं। वह राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में आईसीएआर के तहत एक राष्ट्रीय प्रोफेसर (डॉ। बी.पी. पाल अध्यक्ष) हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के राजापुर नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्हें संयंत्र जीनोमिक्स और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने शोध के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से चावल, टमाटर और कबूतर जीनोम के डिकोडिंग में उनके योगदान और गेहूं के बीज भंडारण प्रोटीन की समझ और गेहूं की गुणवत्ता पर उनके प्रभाव के लिए। उन्होंने चावल और गेहूं के जीनोम के तुलनात्मक विश्लेषण और चावल में नमक सहिष्णुता और बासमती गुणवत्ता के गुणों के लिए जीनों की मैपिंग में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
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नंदिनी हरीनाथ
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नरेश दाधीच
नरेश दाधीच (जन्म 1 सितंबर, 1944) एक सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, जो पूर्व में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) में थे। वे 31 अगस्त, 2009 तक IUCAA के निदेशक भी थे। वर्तमान में वे सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स, जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली में सैद्धांतिक भौतिकी में M.A. अंसारी की अध्यक्ष हैं।
वे जुलाई 2003 में IUCAA के निदेशक बने। वह वर्तमान में डरबन, दक्षिण अफ्रीका में यूनिवर्सिटी ऑफ क्वाज़ुलु-नटाल के विजिटिंग फैकल्टी हैं और पोर्ट्समाउथ, यूके और बिलबाओ, स्पेन में गुरुत्वाकर्षण अनुसंधान समूहों के साथ भी काम करते हैं।
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नित्या आनंद
नित्या आनंद (जन्म 1 जनवरी 1925 को लैलापुर, ब्रिटिश भारत में) एक वैज्ञानिक हैं जो कई वर्षों तक लखनऊ में केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के निदेशक थे। 2005 में, भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) ने उन्हें अपनी वैज्ञानिक समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया। 2012 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
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निलाम्बर पंत
निलाम्बर पंत एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक, भारतीय अंतरिक्ष आयोग के पूर्व सदस्य और भारत में उपग्रह आधारित संचार और प्रसारण के अग्रणी हैं। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के उपाध्यक्ष बनने से पहले सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र और इसरो उपग्रह केंद्र में सेवा की। भारत सरकार ने उन्हें 1984 में पद्म श्री के चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।
पंत का जन्म भारतीय राज्य उत्तराखंड (पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में 25 जुलाई 1931 को अल्मोड़ा में हुआ था और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और पूर्व-स्नातक की पढ़ाई अल्मोड़ा में स्थानीय संस्थानों में की। उन्होंने 1948 में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1952 में उसी संस्थान से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की, जिसमें भौतिकी में एक प्रमुख के रूप में थे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल होना, उनका पहला महत्वपूर्ण कार्य अहमदाबाद में एक प्रायोगिक उपग्रह संचार पृथ्वी स्टेशन (ESCES) की स्थापना थी, जो भारत में अपनी तरह का पहला कार्य 1965 में सौंपा गया था। ज़िम्मेदारी। बाद में, उन्होंने 1971 में पुणे से लगभग 21 किलोमीटर दूर एक गाँव अरवी में मुख्य वाणिज्यिक अभियंता के रूप में पहला वाणिज्यिक अर्थ स्टेशन पूरा किया। अगले पाँच वर्षों के दौरान, वे सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट (SITE) के विकास और स्थापना से जुड़े थे। अहमदाबाद, दिल्ली और अमृतसर में स्थित पृथ्वी स्टेशनों पर।
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उबैद सिद्दिकी

ओबैद सिद्दीकी FRS (7 जनवरी 1932 - 26 जुलाई 2013) एक भारतीय राष्ट्रीय अनुसंधान प्रोफेसर और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज के संस्थापक-निदेशक थे। उन्होंने ड्रोसोफिला के आनुवांशिकी और न्यूरोबायोलॉजी का उपयोग करके व्यवहार न्यूरोजेनेटिक्स के क्षेत्र में मौलिक योगदान दिया।
ओबैद सिद्दीकी का जन्म 1932 में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्राप्त की जहाँ उन्होंने M.Sc. उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की। Guido Pontecorvo की देखरेख में ग्लासगो विश्वविद्यालय में उन्होंने कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय, और कैम्ब्रिज में MRC प्रयोगशाला में डॉक्टरेट अनुसंधान के बाद किया। उन्हें 1962 में बॉम्बे के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में आणविक जीव विज्ञान इकाई स्थापित करने के लिए होमी भाभा द्वारा आमंत्रित किया गया था।
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पद्मनाभन बालाराम
पद्मनाभन बालाराम एक भारतीय जैव रसायनज्ञ और भारत के बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक हैं। वह पद्म भूषण (2014) के साथ ही TWAS पुरस्कार (1994) के तीसरे सर्वोच्च भारतीय नागरिक सम्मान के प्राप्तकर्ता हैं।
बलराम ने फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, इसके बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से मास्टर डिग्री की और अक्सेल ए बोनेर-बाय के साथ कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट बर्न्स वुडवर्ड के साथ पोस्टडॉक्टरल स्टेंट के बाद, वह भारतीय विज्ञान संस्थान में लौट आए, जहां वह कभी भी आणविक बायोफिज़िकल यूनिट में संकाय सदस्य के रूप में रहे हैं। अपनी पीएचडी के दौरान, बालाराम ने मैक्रोमोलेक्यूलर अनुरूपताओं की जांच के रूप में नकारात्मक परमाणु ओवरहॉलर प्रभाव संकेतों के उपयोग का अध्ययन किया। वुडवर्ड के साथ एक पोस्टडॉक के रूप में, बालाराम ने एंटीबायोटिक एरिथ्रोमाइसिन के संश्लेषण पर काम किया।
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पम्पोश भट
पंपोश भट (जन्म 19 सितंबर, भोपाल, भारत) एक नई दिल्ली स्थित पर्यावरणविद् और पुरस्कार विजेता लेखक हैं। भट्ट को उनके काम "क्षितिज की ख़ोज में" (क्षितिज की खोज में) के लिए 1995 में कविता के लिए प्रतिष्ठित राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
सार्वजनिक जीवन में सक्रिय, वह एक सामाजिक संस्था, ज्वाला के लिए न्यासी बोर्ड की अध्यक्ष के रूप में कार्य करती है, जो भारत में अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना चाहती है। वह [सोलर एनर्जी सोसाइटी ऑफ इंडिया] की गवर्निंग काउंसिल की पूर्व सदस्य हैं। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग सलाहकार समिति की वर्तमान सदस्य हैं।
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पांडुरंग सदाशिव खानखोजे

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पच्चा रामचंद्र राव

पच्चा रामचंद्र राव (21 मार्च 1942 - 10 जनवरी 2010) एक धातुकर्मवादी और प्रशासक थे। उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) का एकमात्र कुलपति (2002–05) होने का अनूठा गौरव प्राप्त है, जो उस संस्थान में एक छात्र (1963-68) और संकाय (1964-92) भी थे। 1992 से 2002 तक, राव राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला, जमशेदपुर के निदेशक थे। 2005 में B.H.U. के कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल के बाद, उन्होंने अपने पहले कुलपति के रूप में रक्षा प्रौद्योगिकी संस्थान (DIAT) की बागडोर संभाली। उन्हें 2007 में अपने सुपरनैचुरेशन तक DIAT की सेवा देनी थी। 2007 से अंत तक, राव हैदराबाद, आंध्र प्रदेश में पाउडर धातुकर्म और नई सामग्री के लिए अंतर्राष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र में एक राजा रमन्ना फेलो थे।
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पिशरोथ राम पिशरोती

पिशरोथ राम पिशरोती ( 10 फरवरी 1909 - 24 सितंबर 2002) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी थे, और उन्हें भारत में सुदूर संवेदन का जनक माना जाता है। उनका जन्म 10 फरवरी 1909 को भारतीय राज्य केरल के कोल्लेंगोडे शहर में हुआ था। उनके माता-पिता शिवरामकृष्णन उर्फ गोपाल वधियार और लक्ष्मी पिसारसीर थे। उनके तीन भाई थे: चक्रपाणि, बालकृष्णन और राजगोपाल, और तीन सौतेले भाई: वैद्यनाथन, रोज़ वधियार और गोपालकृष्णन। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केरल में पूरी की। सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिचिनोपोली, मद्रास राज्य से अपने भौतिकी के बीए ऑनर्स करने के बाद, उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से एमए (भौतिकी) किया। फिर उन्होंने 1932-1941 के दौरान चेन्नई के लोयोला कॉलेज में भौतिकी में कॉलेज व्याख्याता के रूप में काम किया। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान वे भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में प्रो। सी। वी। रमन के अधीन काम करते थे। रमन की सिफारिश पर, पिशारोटी 1942 में भारत के मौसम विभाग में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने गरज, पश्चिमी विक्षोभ, मानसून के उतार-चढ़ाव की गति, ऑर्गेनिक बारिश आदि पर शोध किया। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भर्ती हुए जहाँ उन्होंने काम किया। मौसम विज्ञानी जैकब बॅकर्न्स। उनकी प्रकाशित दो रिपोर्टों ने जियोस्ट्रोफिक पोलवार्ड सेंसिबल हीट के कुछ पहलुओं और वायुमंडल की गतिज ऊर्जा का शीर्षक दिया।
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प्रणव मिस्त्री

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प्रवीण कुमार गोरकावी

प्रवीण कुमार गोरकावी (जन्म 24 मई 1989) एक भारतीय वैज्ञानिक, रसायन इंजीनियर, आविष्कारक और सलाहकार हैं, जिन्हें बचपन से ही विज्ञान और इंजीनियरिंग में उनके कार्यों के लिए एक बहुपत्नी और पूर्व बच्चे के रूप में पहचाना जाता है। प्रवीण कुमार गोरकवी ने द फी फैक्ट्री की सह-स्थापना की है, जो सामाजिक रूप से जागरूक आर एंड आई पहल है जो विकसित होने वाली प्रत्येक तीन वाणिज्यिक प्रौद्योगिकियों के लिए एक सामाजिक नवाचार विकसित करती है। गोरकावी ने उस्मानिया विश्वविद्यालय में केमिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन किया और बाद में पीएचडी से बाहर हो गए। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी का कार्यक्रम द फी फैक्ट्री में नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए।
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प्रेम चंद पाण्डेय

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पंचानन माहेश्वरी
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प्रभु लाल भटनागर

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फूलन प्रसाद

फूलन प्रसाद (जन्म 1 जनवरी 1944) एक भारतीय गणितज्ञ हैं, जो आंशिक अंतर समीकरणों, द्रव यांत्रिकी में विशिष्ट हैं। उन्हें 1983 में गणितीय विज्ञान श्रेणी में भारत के सर्वोच्च विज्ञान पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) के फेलो भी हैं।
प्रसाद ने कृष्णनाथ कॉलेज बेरहामपुर के नलहाटी एचपी हाई स्कूल में पढ़ाई की, उन्होंने बी.एससी। प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय और M.Sc. कलकत्ता विश्वविद्यालय के राजाबाजार साइंस कॉलेज परिसर से पीएच.डी. 1968 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर से।
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पूर्णिमा सिन्हा

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प्रद्युम्न कृष्ण काव

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प्रबीर रॉय

प्रबीर रॉय (जन्म 4 अक्टूबर 1942) एक भारतीय कण भौतिक विज्ञानी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में एक पूर्व प्रोफेसर हैं। वह बोस इंस्टीट्यूट में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और परमाणु भौतिकी के साहा इंस्टीट्यूट में परमाणु ऊर्जा विभाग के पूर्व राजा रमन्ना भी हैं।
दो-फोटॉन प्रक्रियाओं पर एक योग नियम के विकास के लिए जाना जाता है, रॉय सभी तीन प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों - भारतीय विज्ञान अकादमी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत के एक निर्वाचित साथी हैं - साथ ही साथ अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने उन्हें 1987 में भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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पी॰ के॰ अयंगार
पद्मनाभ कृष्णगोपाला अयंगर (2 9 जून 1 9 31 - 21 दिसंबर 2011; सर्वश्रेष्ठ पी के अयंगर के नाम से जाना जाता है), एक भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानी थे, जो व्यापक रूप से भारत के परमाणु कार्यक्रम के विकास में अपनी केंद्रीय भूमिका के लिए जाने जाते हैं। अयंगर ने पहले BARC के निदेशक और भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, उन्होंने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच परमाणु समझौते के खिलाफ अपनी आवाज और विरोध जताया और कहा कि इस समझौते ने संयुक्त राज्य अमेरिका का पक्ष लिया।
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प्रेम शंकर गोयल

प्रेम शंकर गोयल एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, महासागर विकास विभाग में पूर्व सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व निदेशक। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2001 में, पद्म श्री के चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
20 अप्रैल 1947 को जन्मे राजस्थान में, प्रेम शंकर गोयल ने जोधपुर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग (बीई) में स्नातक किया, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विसोमिचनिज्म में स्नातकोत्तर डिग्री (एमई) प्राप्त की। (IISc) और बैंगलोर विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी करने के लिए बेंगलुरु में जारी रखा। उन्होंने आरएस -1 उपग्रह को स्पिन करने के लिए सैटेलाइट एटिट्यूड कंट्रोल सिस्टम की परियोजना में तिरुवनंतपुरम में अपने केंद्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में शामिल होकर अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन बाद में आर्यभट्ट (उपग्रह) टीम में शामिल होने के लिए बेंगलुरु केंद्र में स्थानांतरित हो गए।
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पी. कुन्हीकृष्णन
पी. कुन्हीकृष्णन (जन्म 30 मई 1961) भारत के एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, वर्तमान में बेंगलुरु, भारत में U.R.Rao सैटेलाइट सेंटर (URSC) के निदेशक हैं। पी. कुन्हीकृष्णन का जन्म 30 मई 1961 को केरल के पय्यानूर में ए के पी चिंदा पोडुवल और पी नारायणी अम्मा के बेटे के रूप में हुआ था।
पी. कुन्हीकृष्णन ने 1986 में कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, त्रिवेंद्रम से स्नातक करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में प्रवेश लिया। वह अपने करियर की शुरुआत में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में सिस्टम विश्वसनीयता इकाई का हिस्सा थे। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में ASLV-D1 से शुरू होने वाले विभिन्न वाहन मिशनों में योगदान देने के बाद, वह बाद में टेस्ट एंड इवैल्यूएशन के लिए क्वालिटी डिवीजन के प्रमुख, PSLV-C12 के लिए एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर और PSLV-C14, PSLV-C15 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे। पीएसएलवी-सी 27 (2010-2015) और उप निदेशक, यांत्रिकी के लिए वीएसएससी, वाहन एकीकरण और परीक्षण (एमवीआईटी)। मिशन निदेशक के रूप में, वह PSL-C25 द्वारा भारत के प्रतिष्ठित मार्स ऑर्बिटर के प्रक्षेपण सहित 13 लगातार PSLV प्रक्षेपणों से पीछे था।
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राम राजशेखरन

राम राजशेखरन (जन्म 25 दिसंबर 1960) एक भारतीय पादप जीवविज्ञानी, खाद्य प्रौद्योगिकीविद् और केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI) के पूर्व निदेशक, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के एक घटक प्रयोगशाला हैं। प्लांट लिपिड चयापचय पर अपने अध्ययन के लिए जाना जाता है, राजशेखरन भारतीय विज्ञान संस्थान में पूर्व प्रोफेसर हैं और तीनों प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों के चुने हुए साथी हैं, जैसे भारतीय विज्ञान अकादमी, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान। अकादमी के साथ ही राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने उन्हें कैरियर विकास के लिए राष्ट्रीय जीव विज्ञान पुरस्कार, 2001 में जैव विज्ञान में उनके योगदान के लिए सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कारों में से एक से सम्मानित किया।
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रघुनाथ अनंत माशेलकर

रघुनाथ अनंत माशेलकर, जिन्हें रमेश माशेलकर के नाम से भी जाना जाता है, (जन्म 1 जनवरी 1943) एक भारतीय रासायनिक अभियंता हैं, जो गोवा के एक गाँव माशेल में पैदा हुए और महाराष्ट्र में पले-बढ़े। वह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक हैं। वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (2004-2006) के अध्यक्ष, रासायनिक इंजीनियरों के संस्थान (2007) के अध्यक्ष के रूप में वैश्विक अनुसंधान गठबंधन (2007-2018) के अध्यक्ष भी थे। वे पहले एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च (एकसिर) के अध्यक्ष भी थे। वे रॉयल सोसाइटी के फेलो हैं, रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (फ्रायंग) के फेलो, यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के विदेशी सहयोगी और यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज।
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राज रेड्डी

डबला राजगोपाल "राज" रेड्डी (जन्म 13 जून 1937) एक भारतीय-अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और ट्यूरिंग अवार्ड के विजेता हैं। वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के शुरुआती अग्रदूतों में से एक हैं और उन्होंने स्टैनफोर्ड और कार्नेगी मेलन के संकाय में 50 वर्षों से अधिक समय तक काम किया है। वह कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में रोबोटिक्स संस्थान के संस्थापक निदेशक थे। उन्होंने भारत में राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ नॉलेज टेक्नोलॉजी बनाने में मदद करने के लिए कम आय वाले, प्रतिभाशाली, ग्रामीण युवाओं की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह हैदराबाद के अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के अध्यक्ष हैं। वह 1994 में एसीएम ट्यूरिंग अवार्ड पाने वाले एशियाई मूल के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में उनके काम के लिए कंप्यूटर साइंस के नोबेल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है।
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राजा रमन्ना

राजा रमन्ना (28 जनवरी 1925 - 24 सितंबर 2004) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे जो अपने शुरुआती दौर में भारत के परमाणु कार्यक्रम में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं।
1964 में परमाणु कार्यक्रम में शामिल होने के बाद, रमन्ना ने होमी जहांगीर भाभा के अधीन काम किया, और बाद में 1967 में इस कार्यक्रम के निदेशक बने। रमन्ना ने परमाणु हथियारों पर वैज्ञानिक अनुसंधान का विस्तार और पर्यवेक्षण किया और पर्यवेक्षण करने वाले वैज्ञानिकों की छोटी टीम के पहले निदेशक थे 1974 में कोडन स्माइलिंग बुद्धा के तहत परमाणु उपकरण का परीक्षण किया गया।
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राजीव मोटवानी

राजीव मोटवानी ( 26 मार्च, 1962 - 5 जून, 2009) स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर थे, जिनका शोध सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान पर केंद्रित था। वह Google और पेपाल सहित कंपनियों के शुरुआती सलाहकार और समर्थक थे और सिकोइया कैपिटल के विशेष सलाहकार थे। वह 2001 में गोडेल पुरस्कार का विजेता था।
राजीव मोटवानी का जन्म जम्मू में हुआ और वे नई दिल्ली में बड़े हुए। उनके पिता भारतीय सेना में थे। उसके दो भाई थे। एक बच्चे के रूप में, गॉस जैसे प्रकाशकों से प्रेरित, वह एक गणितज्ञ बनना चाहता था। मोटवानी सेंट कोलंबा स्कूल, नई दिल्ली गए। उन्होंने 1983 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से कंप्यूटर विज्ञान में बी.टेक पूरा किया और पीएच.डी. कंप्यूटर विज्ञान में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से 1988 में रिचर्ड एम कार्प की देखरेख में।
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राजीव कुमार वार्ष्णेय

राजीव कुमार वार्ष्णेय (जन्म 13 जुलाई 1973) एक कृषि वैज्ञानिक हैं, जो विकासशील देशों में जीनोमिक्स, आनुवांशिकी, आणविक प्रजनन और क्षमता निर्माण में विशेषज्ञता रखते हैं। वह वैश्विक कृषि के सामने आने वाली दुष्ट समस्याओं से निपटने के लिए नवीन अनुसंधान एवं विकास समाधानों की खोज, विकास और वितरण में लगे हुए हैं। वर्शनी वर्तमान में रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर- जेनेटिक गेन्स है जिसमें कई इकाइयाँ शामिल हैं। जीनोमिक्स एंड ट्रेट डिस्कवरी, फॉरवर्ड ब्रीडिंग, प्री-ब्रीडिंग, सेल, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग, सीड सिस्टम, बायोटेक्नोलॉजी- ईएसए, सीक्वेंसिंग एंड इंफॉर्मेटिक्स सर्विसेज यूनिट, और जीनबैंक (2020 तक); और निदेशक, एक वैश्विक कृषि अनुसंधान संस्थान, अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय (ICRISAT) के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान में जीनोमिक्स और सिस्टम बायोलॉजी में उत्कृष्टता केंद्र। वह ऑस्ट्रेलिया, चीन, घाना, हांगकांग और भारत में 10 शैक्षणिक संस्थानों में एडजंक / मानद / विजिटिंग प्रोफेसर पद पर हैं, जिनमें द यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड, वेस्ट अफ्रीका सेंटर फॉर क्रॉप इम्प्रूवमेंट (घाना विश्वविद्यालय) शामिल हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय।
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राजेश गोपकुमार

राजेश गोपकुमार (जन्म 1967 कोलकाता, भारत में) एक सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और बैंगलोर, भारत में इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंसेज (ICTS-TIFR) के निदेशक हैं। वह पहले भारत के इलाहाबाद में हरीश-चंद्र अनुसंधान संस्थान (HRI) में प्रोफेसर थे।वह सामयिक स्ट्रिंग सिद्धांत पर अपने काम के लिए जाना जाता है।
गोपकुमार का जन्म 1967 में जयश्री और जी। गोपकुमार के यहाँ कोलकाता में हुआ था। उनका परिवार दक्षिणी भारतीय राज्य केरल से है। उन्हें 1987 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के लिए प्रवेश परीक्षा में 1 स्थान प्राप्त हुआ।
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राम चेत चौधरी
राम चेत चौधरी एक भारतीय कृषि वैज्ञानिक हैं। भारत में जन्मे और शिक्षित, उन्होंने भारत के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और जर्मनी में अध्ययन किया। कृषि पर उनके कार्यों को दुनिया भर में प्रकाशित किया गया है और कई भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा है। उन्होंने नाइजीरिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, कंबोडिया, म्यांमार के साथ-साथ भारत में भी चावल और अन्य फसलों के उत्पादन का अध्ययन किया है। उन्होंने 1982 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित और 1993 के माध्यम से चावल की किस्मों पर एक व्यापक कार्य, 2001 में एफएओ द्वारा प्रकाशित, प्लांट ब्रीडिंग पर एक पाठ्यपुस्तक लिखी है।
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राधानाथ सिकदार

राधानाथ सिकदार, एक भारतीय बंगाली गणितज्ञ थे, जो माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई की गणना के लिए जाने जाते हैं।
1831 में, भारत के सर्वेयर जनरल जॉर्ज एवरेस्ट एक शानदार युवा गणितज्ञ की खोज कर रहे थे, जो गोलाकार त्रिकोणमिति में एक विशेष प्रवीणता के साथ भारतीय "हिंदू" कॉलेज के गणित शिक्षक जॉन टाइटलर ने अपने शिष्य सिकंदर की सिफारिश की, तब केवल 19. सिकंदर महान त्रिकोणमितीय में शामिल हो गए। दिसंबर 1831 में "कंप्यूटर" के रूप में तीस रुपये प्रति माह के वेतन पर सर्वेक्षण। जल्द ही उन्हें सिरोंज (देहरादून के पास) भेज दिया गया जहाँ उन्होंने भूगर्भीय सर्वेक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। सामान्य भूगर्भीय प्रक्रियाओं में महारत हासिल करने के अलावा, उन्होंने अपने स्वयं के काफी आविष्कार किए। एवरेस्ट उनके प्रदर्शन से बेहद प्रभावित था, इतना कि जब सिकंदर जीटीएस को छोड़कर डिप्टी कलेक्टर बनना चाहते थे, तब एवरेस्ट ने यह घोषणा करते हुए कहा कि कोई भी सरकारी अधिकारी अपने मालिक की मंजूरी के बिना किसी अन्य विभाग में नहीं बदल सकता है। एवरेस्ट 1843 में सेवानिवृत्त हुआ और कर्नल एंड्रयू स्कॉट वॉ निदेशक बने।
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रणजीत चक्रवर्ती

रणजीत चक्रवर्ती (17 अप्रैल, 1946 - 23 सितंबर, 2018) एक मानव और जनसंख्या आनुवंशिकीविद् थे। उनकी मृत्यु के समय, वह इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड जेनेटिक्स में सेंटर फॉर कम्प्यूटेशनल जीनोमिक्स के निदेशक थे और फोर्ट बर्थ, टेक्सास में नॉर्थ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के विश्वविद्यालय में फोरेंसिक और खोजी जेनेटिक्स विभाग में प्रोफेसर थे। उनके वैज्ञानिक योगदान में मानव आनुवंशिकी, जनसंख्या आनुवंशिकी, आनुवंशिक महामारी विज्ञान, सांख्यिकीय आनुवंशिकी और फोरेंसिक आनुवंशिकी में अध्ययन शामिल हैं।
रणजीत चक्रवर्ती का जन्म भारत के बारानागोर (पश्चिम बंगाल) में हुआ था। 1963 में हाई स्कूल से स्नातक होने पर, उन्हें पश्चिम बंगाल के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से डिस्टिंक्शन प्रमाणपत्र के साथ प्रथम श्रेणी से सम्मानित किया गया। 1967 में, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कलकत्ता से अपनी सांख्यिकी स्नातक की उपाधि (सम्मान के साथ) प्राप्त की, और एक साल बाद सांख्यिकी के मास्टर (गणितीय जेनेटिक्स और उन्नत संभाव्यता में विशेषज्ञता के साथ) से सम्मानित किया गया। 1971 में, उन्होंने अपनी पीएच.डी. भारतीय सांख्यिकी संस्थान से जीवविज्ञान में। उनके शोध प्रबंध पर्यवेक्षक सी। आर। राव, एफआरएस थे। अपना पहला कार्यकाल प्राप्त करने के बाद, शैक्षिक स्तर पर, चक्रवर्ती ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान में रिसर्च स्कॉलर और वरिष्ठ रिसर्च फेलो के रूप में कार्य किया, भारतीय प्रबंधन संस्थान में सांख्यिकी के व्याख्याता, और विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटा संदर्भ केंद्र में विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में कार्य किया।
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रवींद्र श्रीपाद कुलकर्णी
रवींद्र श्रीपाद कुलकर्णी (जन्म 1942) एक भारतीय गणितज्ञ हैं, जो अंतर ज्यामिति में विशेषज्ञता रखते हैं। वह कुलकर्णी-नोमिज़ु उत्पाद के लिए जाना जाता है। रवि एस कुलकर्णी ने 1968 में अपनी पीएच.डी. थिसिस कर्वट और मेट्रिक के साथ श्लोमो स्टर्नबर्ग के तहत हार्वर्ड विश्वविद्यालय से।1980-1981 के शैक्षणिक वर्ष के लिए वह गुगेनहाइम फेलो थे।
अमेरिका में जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय, इंडियाना विश्वविद्यालय और न्यूयॉर्क के सिटी विश्वविद्यालय में 40 वर्षों से अधिक के एक शोध और शिक्षण कैरियर के बाद, वह तीन में से एक हरीश-चंद्र अनुसंधान संस्थान के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और निदेशक के रूप में भारत लौट आए। भारत में गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के लिए अनुसंधान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बॉम्बे) में 7 साल के कार्यकाल के बाद गणित के अध्यक्ष के रूप में। वह गणित और विज्ञान के दर्शन में रुचि रखते हैं, और उनके पास "रामानुजन का दिमाग कैसे काम करता है" इस रहस्य का पता नहीं लगाया गया है।
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रमेश रसकर

रमेश रसकर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एसोसिएट प्रोफेसर और MIT मीडिया लैब के कैमरा कल्चर रिसर्च ग्रुप के प्रमुख हैं। पहले उन्होंने 2002 से 2008 के दौरान मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक रिसर्च लेबोरेटरीज़ (MERL) में एक वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक के रूप में काम किया। वह कंप्यूटर दृष्टि, कम्प्यूटेशनल स्वास्थ्य, सेंसर और इमेजिंग में नब्बे से अधिक पेटेंट रखता है। 2016 में उन्हें $ 500K लेमेल्सन-एमआईटी पुरस्कार मिला। पुरस्कार राशि का उपयोग REDX.io को लॉन्च करने के लिए किया जाएगा, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सह-नवाचार के लिए एक समूह प्लेटफॉर्म है। उन्हें आईनेक्स्ट्रा (चश्मा लगाने के नुस्खे की गणना करने के लिए मोबाइल डिवाइस), आईकाट्रा (मोतियाबिंद की जांच) और आईसेल्फी (रेटिना इमेजिंग), फेमटो-फोटोग्राफी (प्रति सेकंड ट्रिलियन फ्रेम प्रति सेकंड और उनकी टेड टॉक के लिए जाना जाता है। कोनों के आसपास देखने के लिए कैमरे।
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रतन लाल ब्रह्मचारी

रतन लाल ब्रह्मचारी (1 9 32 - 13 फरवरी 201)) एक प्रतिष्ठित जैव रसायनविद और भारत में बाघ जेरोमोन अध्ययन के अग्रणी थे। उन्हें फेरोमोन में अपने शोध के लिए व्यापक रूप से जाना जाता था, हालांकि भौतिकी पर आधारित उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि, विशेष रूप से एस.एन. के मार्गदर्शन में खगोल भौतिकी पर। बोस। 50 वर्षों से अधिक समय तक पशु पर शोध करने वाले बाघ के व्यवहार संबंधी अध्ययन में ब्रह्मचर्य ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने वन्यजीवों की कई प्रजातियों, विशेष रूप से बड़ी बिल्लियों का अध्ययन किया और अपने पसंदीदा महाद्वीप अफ्रीका में चौदह बार शोध यात्राएं कीं। ब्रह्मचारी ने दक्षिण अमेरिका में अमेज़ॅन बेसिन और इंडोनेशिया में बोर्नियो, आंत्रोलॉजिस्ट गोपाल चंद्र भट्टाचार्य के उत्साही प्रशंसक के साथ नैतिकता का अध्ययन किया।
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राजगोपाल चिदंबरम

राजगोपाला चिदंबरम (जन्म 12 नवंबर 1936) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्हें भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में उनकी अभिन्न भूमिका के लिए जाना जाता है; उन्होंने पोखरण- I (1975) और पोखरण- II (1998) के लिए परीक्षण तैयारी का समन्वय किया।
पहले भारत के संघीय सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया, चिदंबरम ने पहले भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक के रूप में कार्य किया - और बाद में भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के रूप में और उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा प्रदान करने में योगदान दिया और भारत को ऊर्जा सुरक्षा। चिदंबरम 1994-95 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष थे। वह 2008 में "आईएईए की भूमिका 2020 और परे" पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए महानिदेशक, IAEA द्वारा नियुक्त प्रख्यात व्यक्तियों के आयोग के सदस्य भी थे।
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रामा गोविंदराजन
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राममूर्ति राजारमन
राममूर्ति राजारमन (जन्म 11 मार्च 1939) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शारीरिक विज्ञान के स्कूल में सैद्धांतिक भौतिकी के एक एमेरिटस प्रोफेसर हैं। वह फ़िसिल सामग्रियों पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल के सह-अध्यक्ष और परमाणु वैज्ञानिकों के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के बुलेटिन के सदस्य भी थे। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी इन प्रिंस्टन, और स्टैनफोर्ड, हार्वर्ड, एमआईटी और अन्य जगहों पर विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भौतिकी में शोध किया है। उन्होंने 1963 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से सैद्धांतिक भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। अपने भौतिकी प्रकाशनों के अलावा, राजारमण ने भारत और पाकिस्तान में तंतु सामग्री उत्पादन और परमाणु हथियार दुर्घटनाओं के रेडियोलॉजिकल प्रभावों सहित विषयों पर व्यापक रूप से लिखा है।
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ऋतु करिधाल

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राघवन नरसिम्हन

राघवन नरसिम्हन (31 अगस्त, 1937 - 3 अक्टूबर, 2015) शिकागो विश्वविद्यालय में एक भारतीय गणितज्ञ थे, जिन्होंने वास्तविक और जटिल कई गुना काम किया और जिन्होंने जटिल अभिव्यक्तियों के लिए लेवी समस्या को हल किया।
उन्होंने मद्रास के लोयोला कॉलेज में भाग लिया, जहां कई अन्य प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञों की तरह, उन्हें फ्रेंच जेसुइट पुजारी रैसीन द्वारा पढ़ाया जाता था, और 1963 में बॉम्बे में चंद्रशेखरन से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। 1966 में वह प्रिंसटन में इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी में थे। नरसिम्हन शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे।
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रोहिणी बालाकृष्णन
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रंजन रॉय डैनियल
रंजन रॉय डैनियल (जिसे आरआर डेनियल या राजन रॉय के रूप में भी जाना जाता है) (11 अगस्त 1923 - 27 मार्च 2005) एक भारतीय नागरकोइल पैदा हुए भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने कॉस्मिक किरणों और अंतरिक्ष भौतिकी के क्षेत्र में काम किया, और टाटा के निदेशक अध्यक्ष बने रहे। मौलिक अनुसंधान संस्थान उन्होंने 1976 में भारत की प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी के सलाहकार के रूप में भी काम किया। उन्होंने 23 साल तक होमी जहांगीर भाभा के साथ कॉस्मिक किरणों के क्षेत्र में काम किया। विज्ञान और इंजीनियरिंग में उनके योगदान के लिए उन्हें 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
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रवींद्र कुमार सिन्हा

रवींद्र कुमार सिन्हा (जन्म 1 जुलाई 1954) पद्मश्री से सम्मानित भारतीय जीवविज्ञानी और पर्यावरणविद् हैं। वर्तमान में, वह श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के कुलपति और पूर्व में नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष हैं। पहले वे पटना विश्वविद्यालय में जूलॉजी विभाग के प्रमुख थे, और एक अग्रणी शोधकर्ता और वन्यजीव संरक्षणवादी हैं, जो गंगा के डॉल्फ़िन के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों के लिए प्रसिद्ध हैं, उन्हें लोकप्रिय रूप से "डॉल्फ़िन मैन ऑफ़ इंडिया" के रूप में जाना जाता है।
पिछले 4 दशकों से उनका वैज्ञानिक अनुसंधान और अथक संरक्षण अभियान गंगा नदी की डॉल्फिन को विलुप्त होने से बचाने के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है। सिन्हा द्वारा गंगा नदी डॉल्फिन की रक्षा की तात्कालिकता के बारे में जागरूकता के जवाब में, भारत सरकार ने 2009 में इस डॉल्फिन को भारत के राष्ट्रीय जलीय पशु के रूप में नामित किया।
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सलीम यूसुफ
सलीम यूसुफ, OC FRSC (जन्म 26 नवंबर 1952) एक भारतीय मूल के कनाडाई चिकित्सक, मैक्मास्टर यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल में कार्डियोवस्कुलर डिजीज में मैरियन डब्ल्यू बर्क चेयर हैं। वह एक हृदय रोग विशेषज्ञ और महामारी विज्ञानी हैं।
केरल के कोट्टारकारा शहर में जन्मे यूसुफ ने बैंगलोर के सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज में दवा का अध्ययन किया और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में एक रोडिल विद्वान के रूप में डीपीएचएल अर्जित किया। ऑक्सफोर्ड में, उन्होंने हृदय रोग के अनुसंधान में भी भाग लिया।
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संदीप त्रिवेदी
संदीप त्रिवेदी ( जन्म 1963) मुंबई, भारत में टाटा इंस्टीट्यूट फॉर फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में कार्यरत एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, जबकि वे इसके वर्तमान निदेशक हैं। वह विशेष रूप से खोज में, स्ट्रिंग थ्योरी में अपने योगदान के लिए जाना जाता है, (रेनाटा कल्लोष, आंद्रेई लिंडे, और शमित काचरू के साथ) कम ऊर्जा सुपरसिमेट्रिक स्ट्रिंग में ब्रह्मांड के त्वरित विस्तार के पहले मॉडल (देखें केकेएलटी तंत्र देखें)। उनके अनुसंधान क्षेत्रों में स्ट्रिंग सिद्धांत, ब्रह्मांड विज्ञान और कण भौतिकी शामिल हैं। अब वह इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंसेज (ICTS) के कार्यक्रम सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। वह भौतिक विज्ञान की श्रेणी में इन्फोसिस पुरस्कार 2010 के प्राप्तकर्ता भी हैं।
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सतीश धवन

सतीश कुमार

सतीश कुमार (जन्म 9 अगस्त 1936) एक भारतीय ब्रिटिश कार्यकर्ता और वक्ता हैं। वह एक जैन भिक्षु, परमाणु निरस्त्रीकरण अधिवक्ता और शांतिवादी रहे हैं। अब इंग्लैंड में रहते हैं, कुमार पारिस्थितिक अध्ययन के लिए शुमाकर कॉलेज अंतरराष्ट्रीय केंद्र के कार्यक्रमों के संस्थापक और निदेशक हैं, और पुनरुत्थान और पारिस्थितिक पत्रिका के संपादक एमेरिटस हैं। उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि है, एक साथी, ईपी मेनन के साथ मिलकर, 1973-4 में 8,000 मील से अधिक की शांति पैदल यात्रा, नई दिल्ली से मॉस्को, पेरिस, लंदन और वाशिंगटन, डीसी, दुनिया की सबसे शुरुआती राजधानियों की। परमाणु-सशस्त्र देश। वह जोर देकर कहते हैं कि प्रकृति के प्रति श्रद्धा हर राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में होनी चाहिए।
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सत्य चूर्ण लॉ
सत्य चूर्ण लॉ (1888 - 11 दिसंबर 1984) कलकत्ता में एक धनी प्रकृतिवादी, शौकिया पक्षी विज्ञानी, शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी थे। वे कुछ समय के लिए भारतीय सांख्यिकी संस्थान के कोषाध्यक्ष, जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन के फैलो और ब्रिटिश ऑर्निथोलॉजिस्ट्स यूनियन के सदस्य थे। 1937 में, नीरद सी। चौधरी उनके साहित्यिक सहायक बन गए। उन्होंने पक्षियों को रखने के अपने अनुभव के आधार पर पक्षियों (बंगाल के पालतू पक्षी 1923) सहित कई विषयों पर किताबें लिखीं। वह थोड़ी देर के लिए कलकत्ता जूलॉजिकल गार्डन के उपाध्यक्ष थे। उन्होंने विज्ञान के लोकप्रियकरण के लिए बंगाली में एक पत्रिका, प्राकृत की स्थापना की।
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सीमा भटनागर
सीमा भटनागर एक भारतीय वैज्ञानिक हैं, जो एंटीकैंसर दवा की खोज के क्षेत्र में काम कर रही हैं। वह मुख्य रूप से स्तन कैंसर में एंटीकैंसर दवाओं के लक्षित वितरण के लिए सिंथेटिक रसायन विज्ञान दृष्टिकोण पर काम करती है। सीमा भटनागर ने बी.एससी। केमिस्ट्री, बायोलॉजी और जूलॉजी (1992) में एम.एससी। इसाबेला थोबर्न कॉलेज, लखनऊ से कार्बनिक रसायन विज्ञान (1994) में। उसने पीएचडी की। सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ में रसायन विज्ञान (1999) और थीसिस अमिया प्रसाद भादुड़ी के डॉक्टरेट सलाहकार के तहत निष्पादित किया गया।
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शेखर सी. मांडे

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शिप्रा गुहा-मुखर्जी
शिप्रा गुहा-मुखर्जी (13 जुलाई 1 9 3 15 - 15 सितंबर 200 ) एक भारतीय वनस्पति विज्ञानी थे जिन्होंने पादप ऊतक संवर्धन, पादप आणविक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और कोशिका आणविक जीव विज्ञान पर काम किया। 2007 में ब्रेन कैंसर के कारण उसकी मृत्यु हो गई। शिप्रा गुहा मुखर्जी महिला वैज्ञानिक थीं, जो "एथेर संस्कृति के माध्यम से अगुणित पौधों के उत्पादन की तकनीक" की खोज के पीछे थी।
शिप्रा गुहा-मुखर्जी का जन्म 13 जुलाई 1938 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने बॉम्बे और दिल्ली में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और 1954 में बीएससी बॉटनी (ऑनर्स) के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली में दाखिला लिया। वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पहले छात्र और फिर प्रोफेसर और शोधकर्ता के रूप में 30 से अधिक वर्षों तक रहे। उसने वहां से भी एमएससी पूरा किया। उसके बाद उन्होंने प्रोफेसर बी। एम। जौहरी के साथ एक प्याज की टिशू कल्चर के तहत पीएचडी की और 1963 (एलियम सेपा) में अपनी पीएचडी पूरी की।
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शिवराम बाबूराव भोज
शिवराम बाबूराव भोज (जन्म 9 अप्रैल 1942) एक प्रतिष्ठित भारतीय परमाणु वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने डिजाइन, निर्माण, संचालन और अनुसंधान और विकास में चालीस वर्षों तक फास्ट-ब्रीडर परमाणु रिएक्टर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम किया। भारत सरकार ने उन्हें विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए 2003 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया है।
भोज का जन्म 9 अप्रैल 1942 को कोल्हापुर जिले के एक छोटे से गाँव कासाबा सागाँव में हुआ था, जो कागल तालुका क्षेत्राधिकार में आता है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दादा साहेब मगदुम हाई स्कूल, कसबा सागाँव में पूरी की। वे अपने स्कूल में गणित और विज्ञान में अपने ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, वह अपनी जूनियर कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के लिए राजाराम कॉलेज कोल्हापुर चले गए। उन्होंने 1965 में कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे, COEP, पुणे विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पूरी की।
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श्रीनिवास कुलकर्णी

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श्रीराम शंकर अभयंकर

श्रीराम शंकर अभ्यंकर (22 जुलाई 1 9 30 - 2 नवंबर 2012) एक भारतीय अमेरिकी गणितज्ञ थे जो बीजगणितीय ज्यामिति में उनके योगदान के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपनी मृत्यु के समय, Purdue University में गणित की कुर्सी के मार्शल प्रतिष्ठित प्रोफेसर के पद पर रहे, और कंप्यूटर विज्ञान और औद्योगिक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी थे। उन्हें अभ्यंकर के परिमित समूह सिद्धांत के अनुमान के लिए जाना जाता है।उनका नवीनतम शोध कम्प्यूटेशनल और एल्गोरिथम बीजीय ज्यामिति के क्षेत्र में था।
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शिव सुब्रह्मण्यम बांदा

शिव सुब्रह्मण्यम बांदा एक भारतीय-अमेरिकी एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। वह कंट्रोल साइंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के निदेशक हैं और राइट-पैटरसन एयर फोर्स बेस में संयुक्त राज्य वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला में एयरोस्पेस सिस्टम निदेशालय के लिए मुख्य वैज्ञानिक हैं। उन्होंने राइट स्टेट यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ डेटन और एयर फ़ोर्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पढ़ाया है।
शिव बंदा का जन्म भारत के आंध्र प्रदेश में हुआ था। विज्ञान, बैंगलोर, भारत में 1976 में। [उद्धरण वांछित] वह तब संयुक्त राज्य अमेरिका में आए और ओहियो के डेटन में राइट स्टेट यूनिवर्सिटी में स्थानांतरित होने से पहले सिनसिनाटी विश्वविद्यालय में कॉलेज में भाग लिया, जहां उन्होंने सिस्टम इंजीनियरिंग में एक और मास्टर ऑफ साइंस अर्जित किया 1978 में। बंदा ने आगे की पढ़ाई जारी रखी और पीएचडी पूरी की। 1980 में डेटन विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में। उनके डॉक्टरेट शोध प्रबंध का शीर्षक था "अस्थिर वायुगतिकीय मॉडलिंग के साथ विमान पार्श्व मापदंडों की अधिकतम संभावना"।
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श्रीकुमार बनर्जी

श्रीकुमार बनर्जी एक भारतीय धातुकर्म इंजीनियर हैं। वह 30 अप्रैल 2012 को भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग (AECI) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए। DAE के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल से पहले, वह भाभा परमाणु ऊर्जा केंद्र (BARC) के निदेशक थे। 30 अप्रैल, 2004 से 19 मई, 2010 तक। वह वर्तमान में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई में एक डीएई होमी भाभा अध्यक्ष हैं।
1967 में, बनर्जी ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में ऑनर्स के साथ बीटेक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने BARC के प्रशिक्षण स्कूल में प्रशिक्षण लिया। वह 1968 में BARC के पूर्ववर्ती धातुकर्म विभाग में शामिल हो गए और इस प्रतिष्ठान में अपना पूरा वैज्ञानिक करियर बिताया। BARC में अपने करियर के पहले कुछ वर्षों में उनके द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर, उन्हें पीएच.डी. 1974 में IIT, खड़गपुर द्वारा धातुकर्म इंजीनियरिंग में डिग्री।
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सुभाष चंद्र लखोटिया

सुभाष चंद्र लखोटिया (जन्म 1945) एक भारतीय कोशिकाविज्ञानी, अकादमिक, प्रतिष्ठित प्राध्यापक प्राणीशास्त्र के हैं, और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में INSA के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। वह अपने गुणसूत्र संगठन और प्रतिकृति के संबंध में ड्रोसोफिला पर अपने अग्रणी शोधों के लिए जाना जाता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग के एक राजा रमन्ना, वे तीनों प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों के निर्वाचित साथी हैं: भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारतीय विज्ञान अकादमी और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की सर्वोच्च एजेंसी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने 1989 में जैविक विज्ञान में उनके योगदान के लिए उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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सुभाष काक

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सुभेंदु गुहा

सुभेंदु गुहा एक भारतीय अमेरिकी फोटोवोल्टिक वैज्ञानिक हैं जिन्होंने फोटोवोल्टिक दाद का आविष्कार किया था। उन्हें एमॉर्फस सिलिकॉन और नैनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन में अग्रणी कार्य के लिए जाना जाता है। 1998 में डॉ। गुहा ने लचीली सौर कोशिकाओं का आविष्कार किया, जो सीधे आवासीय छत के शीर्ष पर लागू की जा सकती हैं।
सुभेंदु गुहा का जन्म 1942 में Dacca, India (अब बांग्लादेश में) में हुआ था। उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पीएच.डी. 1968 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ज्वाइन किया, जहां उन्होंने सेमी कंडक्टर्स की भौतिकी पर शोध किया। उन्होंने एमोर्फस सिलिकॉन को जमा करने के लिए एक उपन्यास विधि विकसित की, जिसका उपयोग दुनिया भर के शोधकर्ताओं और निर्माताओं द्वारा किया गया है। वह 1974-1975 के दौरान इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड में एक वरिष्ठ रिसर्च फेलो थे।
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सुब्रत रॉय

सुब्रत रॉय एक भारत में जन्मे अमेरिकी आविष्कारक, शिक्षक, और वैज्ञानिक हैं जो प्लाज्मा-आधारित प्रवाह नियंत्रण और प्लाज्मा-आधारित स्व-स्टरलाइज़िंग तकनीक में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। वह फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं और फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में एप्लाइड फिजिक्स रिसर्च ग्रुप के संस्थापक निदेशक हैं।
सुब्रत रॉय ने अपनी पीएच.डी. 1994 में टेनेसी विश्वविद्यालय के नॉक्सविले, टीएन में इंजीनियरिंग विज्ञान में। रॉय टेनेसी के नॉक्सविले में कम्प्यूटेशनल मैकेनिक्स कॉरपोरेशन में एक वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक थे, और फिर 2006 तक केटरिंग विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। 2006 में, रॉय मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के संकाय सदस्य के रूप में फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में शामिल हो गए। वह मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं और फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में एप्लाइड फिजिक्स रिसर्च ग्रुप के संस्थापक निदेशक हैं। उन्होंने मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे में एक विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी काम किया है।
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सुजॉय कुमार गुहा
सुजॉय कुमार गुहा एक भारतीय बायोमेडिकल इंजीनियर हैं। उनका जन्म 20 जून 1940 को पटना, भारत में हुआ था।
उन्होंने IIT खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी स्नातक की डिग्री (B.Tech।) की, उसके बाद IIT में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री और इलिनोइस विश्वविद्यालय, उरबाना-शैंपेन से एक और मास्टर डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने अपनी पीएच.डी. सेंट लुइस यूनिवर्सिटी से मेडिकल फिजियोलॉजी में। इसके बाद उन्होंने सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग], IIT दिल्ली और AIIMS की स्थापना की और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से MBBS की डिग्री भी हासिल की। भारत में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के संस्थापकों में से एक, प्रो। गुहा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनर्वास इंजीनियरिंग, प्रजनन चिकित्सा और जैव स्वास्थ्य में ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में जाना जाता है। उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं और उद्धृत पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध पत्र हैं। 2003 में वे IIT खड़गपुर में एक चेयर प्रोफेसर बने। उन्हें 2020 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
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सुन्दरलाल होरा
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सुनील मुखी

सुनील मुखी एक भारतीय सैध्दांतिक भौतिक शास्त्री हैं जो स्ट्रिंग सिद्धांत, क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त और कण भौतिकी के क्षेत्र में काम करते हैं।
उन्होंने न्यूयॉर्क राज्य विश्वविद्यालय, स्टोनी ब्रूक से 1981 में सैध्दांतिक भौतिक विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की। सैध्दांतिक भौतिकी अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र, ट्रिएस्ट इटली में दो वर्ष व्यतीत करने के बाद, वे वापस भारत आ गये, जहाँ 1984 से टाटा मूलभूत अनुसन्धान संस्थान में अपनी सेवाएं दी। नवम्बर 2012 से, वे भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे में भौतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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प्रोफेसर सुरेंद्र नाथ पांडेय

प्रोफेसर सुरेंद्र नाथ पांडेय (1939 - 2012) एक भारतीय औषधीय और कार्बनिक रसायनज्ञ थे। उन्होंने एंटीकॉन्वेलसेंट, एंटीट्यूबरकुलर, एंटी-एचआईवी, कैंसर रोधी, जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी अणुओं की डिजाइन और खोज में कई योगदान दिए। उनका शोध अर्धविराम, मनिच अड्डों, थियाडायज़ोल, बेंज़ोथियाज़ोल और ऑक्सिंडोल यौगिकों पर केंद्रित था।
डॉ.एस.एन. पांडे का जन्म बलिया, भारत में कपिल देव पांडे और गंगाजली देवी पांडे के घर हुआ था। डॉ। पांडेय ने अपने बीएससी दोनों को आगे बढ़ाने के लिए 1954 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भाग लिया। और एमएससी। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत खड़गपुर विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में दो साल के कार्यकाल के साथ की और बाद में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में लौट आए जहाँ उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की। 1965 में प्रोफेसर आर एच सहस्रबुद्धे के तहत कार्बनिक रसायन विज्ञान में।
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सूरी भगवंतम
सूरी भगवंतम (14 अक्टूबर 1909 - 6 फरवरी 1989) एक भारतीय वैज्ञानिक और प्रशासक थे। वह उस्मानिया विश्वविद्यालय के कुलपति और भारतीय विज्ञान और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के निदेशक थे।
भगवन्तम का जन्म आंध्र प्रदेश के एक गाँव अगिरिपल्ली में हुआ था। गुडीवाड़ा में प्राथमिक शिक्षा के बाद, उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय के तहत, निजाम कॉलेज, हैदराबाद से भौतिकी में विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। सी। वी। रमन की खोजों से प्रभावित होकर, वे कलकत्ता चले गए और 1928 में उनके साथ जुड़ गए। नोबेल पुरस्कार विजेता खोज के बाद, रमन ने भागवतम को अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए अपने सहयोगी के रूप में चुना। उन्होंने इस अवधि के दौरान मद्रास विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की।
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सुशांत कुमार दत्तगुप्ता

सुशांत कुमार दत्तगुप्ता, जिसे सुशांत दत्तगुप्ता के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय संघनित भौतिक विज्ञानी है। कोलकाता में एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज में एक संकाय सदस्य (बाद में निदेशक) के रूप में कार्य करते हुए, दत्तगुप्त को विश्व-भारती विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था। हालांकि, यह जल्द ही पता चला कि वह सहकर्मियों के लगातार यौन उत्पीड़न, वित्तीय अभद्रता और गबन का दोषी था। भारत सरकार द्वारा उच्च-स्तरीय जांच को आकर्षित करने के लिए आरोप पर्याप्त रूप से गंभीर थे और 15 फरवरी 2016 को, उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा -विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया था।
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स्वपन चट्टोपाध्याय

स्वपन चट्टोपाध्याय संवाददाता (जन्म 26 दिसंबर, 1951) एक भारतीय अमेरिकी भौतिक विज्ञानी हैं, जो उच्च ऊर्जा कण संप्रदायों, सुसंगत और असंगत प्रकाश स्रोतों, महिलाओं में अल्ट्राफास्ट विज्ञान और अभिनव और दूसरी सरकारों में नवीन अवधारणाओं, तकनीकों और विकास के अग्रणी योगदान के लिए विख्यात हैं। , सुपरकंडक्टिंग रैखिक त्वरक और कण और प्रकाश किरणों के संपर्क के विभिन्न अनुप्रयोग। उन्होंने दुनिया भर में कई त्वरक के विकास में सीधे योगदान दिया है, उदा। सर्न में सुपर प्रोटॉन-एंटिप्रोटन सिन्क्रोट्रॉन, बर्कले में उन्नत प्रकाश स्रोत, स्टैनफोर्ड में असममित ऊर्जा इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन कोलाइडर PEP-II, जेफ़रसन लैब में सतत इलेक्ट्रॉन बीम त्वरण सुविधा (CEBAF) और जेफर्सन लैब में फ्री-इलेक्ट्रॉन लेजर और डार्सबरी प्रयोगशालाओं।
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वी.ए.शिवा अय्यादुरई

वी.ए.शिवा अय्यादुरई (जन्म वेलायप्पा अय्यादुरई शिवा, 2 दिसंबर, 1 9 63) एक भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक, इंजीनियर, राजनीतिज्ञ, उद्यमी और षड्यंत्र के सिद्धांतों और निराधार चिकित्सा दावों के प्रवर्तक हैं। वह "ईमेल का आविष्कारक" होने के लिए व्यापक रूप से बदनाम दावे के लिए उल्लेखनीय है, "EMAIL" नामक इलेक्ट्रॉनिक मेल सॉफ़्टवेयर के आधार पर उन्होंने 1970 के दशक के उत्तरार्ध में न्यू जर्सी हाई स्कूल के छात्र के रूप में लिखा था।[शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया कि अय्यादुराई के दावे को दोहराया - वाशिंगटन पोस्ट और स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन जैसे संगठनों से - सार्वजनिक प्रतिकार के बाद। ] इन सुधारों को इतिहासकारों और ARPANET अग्रदूतों की आपत्तियों से प्रेरित किया गया था जिन्होंने बताया कि 1970 के दशक की शुरुआत में ईमेल का सक्रिय रूप से उपयोग किया गया था।
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सुब्बय्या शिवशंकरनारायण पिल्लई

सुब्बय्या शिवशंकरनारायण पिल्लई (1901-1950) एक भारतीय गणितज्ञ थे जो संख्या सिद्धांत के विशेषज्ञ थे। 1950 में के.एस. चंद्रशेखरन द्वारा वार्निंग की समस्या के लिए उनके योगदान को "रामानुजन के बाद से लगभग निश्चित रूप से उनका सबसे अच्छा काम और भारतीय गणित में सबसे अच्छी उपलब्धियों में से एक" के रूप में वर्णित किया गया था।
सुब्बय्या शिवशंकरनारायण पिल्लई का जन्म माता-पिता सुब्बय्या पिल्लई और गोमती अम्मल के घर हुआ था। उनके जन्म के एक साल बाद उनकी माँ का देहांत हो गया और जब उनके पिता पिल्लई स्कूल में थे।
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सुब्रमण्यम अनंता रामकृष्ण
सुब्रमण्यम अनंता रामकृष्ण (जन्म 30 नवंबर 1972) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में भौतिकी के प्रोफेसर हैं जो प्रकाशिकी और संघनित पदार्थ भौतिकी में विशेषज्ञता रखते हैं। उन्हें वर्ष 2016 में भौतिक विज्ञान श्रेणी में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उत्कृष्टता के लिए भारत के सर्वोच्च पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रामकृष्ण ने एम.एससी। एकीकृत 5 वर्षीय एम.एससी करने के बाद 1995 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से डिग्री। कार्यक्रम और सुरक्षित पीएच.डी. 2001 में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलोर से, प्रो.एन. कुमार की देखरेख में लिखे गए "थीसिस में लाइट ट्रांसपोर्ट एंड लोकलाइजेशन इन एक्टिव एंड पैसिव रैंडम मीडिया" शीर्षक से। उन्होंने इंपीरियल कॉलेज, लंदन में पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता के रूप में दो साल बिताए और मई 2003 में सहायक प्रोफेसर के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में प्रवेश लिया, जहाँ अब वे प्रोफेसर का पद संभाल रहे हैं।
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सुरिंदर कुमार त्रेहान
सुरिंदर कुमार त्रेहान (एस.के.त्रेहान) एक भारतीय गणितज्ञ थे, जो मैग्नेटोहाइड्रोडायनामिक्स में गैर-रैखिक स्थिरता में विशेषज्ञता रखते थे।
उन्हें गणितीय विज्ञान श्रेणी में भारत में सर्वोच्च विज्ञान पुरस्कार शांति और विज्ञान प्रौद्योगिकी के लिए 1976 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्रो। त्रेहान ने बल-मुक्त चुंबकीय क्षेत्रों की स्थिरता, जेट और सिलेंडरों की स्थिरता और अस्वास्थ्यकर प्लास्मा की स्थिरता पर महत्वपूर्ण काम किया है। चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में गैसीय पॉलीट्रोप के गणितीय उपचार पर उनका काम इस क्षेत्र में एक सफलता है। उन्होंने हाइड्रोमैग्नेटिक तरंगों और गैसीय द्रव्यमान को घुमाने पर भी महत्वपूर्ण काम किया है।
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एस.सोमनाथ
एस.सोमनाथ एक भारतीय एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट हैं। वर्तमान में वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम के निदेशक हैं। उन्होंने तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC), तिरुवनंतपुरम के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। सोमनाथ को वाहन डिजाइन लॉन्च करने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से लॉन्च वाहन सिस्टम इंजीनियरिंग, संरचनात्मक डिजाइन, संरचनात्मक गतिशीलता और आतिशबाज़ी बनाने की विद्या के क्षेत्र में।
उन्हें संचार उपग्रहों, जीसैट -6 ए और पीएसएलवी-सी 41 के लिए रिमोट सेंसिंग उपग्रहों के लिए लॉन्च वाहनों और जीसैट -एमकेआईआई (एफ 09) के उन्नयन के लिए ध्यान केंद्रित किया गया है। सोमनाथ ने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, क्विलोन, केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और डायनामिक्स और कंट्रोल में विशेषज्ञता के साथ भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
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शिवा ब्राटा भट्टाचर्जी

शिवा ब्राटा (सिब्राबेटा) भट्टाचर्जी (1921-2003) कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर थे। उन्होंने भौतिक विज्ञानी सत्येंद्र नाथ बोस के साथ अध्ययन किया, और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंस (आमतौर पर राजाबाजार साइंस कॉलेज) के रूप में बोस की देखरेख में ठोस राज्य भौतिकी में डॉक्टरेट की थीसिस पूरी की। 1945 में, वह साइंस कॉलेज में भौतिकी की खैरा प्रयोगशाला में शामिल हो गए, और एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त की। डॉ.भट्टाचर्जी ने मैनचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के तत्कालीन विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी विभाग के संकाय सदस्य के रूप में भी कार्य किया।
उनका विवाह भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के निदेशक (खनिज भौतिकी) लीलाबती भट्टाचार्जी से हुआ था। वह अपने बेटे डॉ.सुब्रत भट्टाचर्जी और बेटी श्रीमती सोनाली करमाकर द्वारा जीवित हैं।
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सुरजीत चंद्र सिन्हा

सुरजीत चंद्र सिन्हा (1926 - 27 फरवरी 2002) एक भारतीय मानवविज्ञानी थे, जिनका जन्म नेट्रकोना जिले के दुर्गापुर उपजिला में हुआ था, जो म्यांमारसिंह डिवीजन में, फिर बंगाल में और अब बांग्लादेश में है।
वह सुसांग के महाराजा भूपेंद्र चंद्र सिन्हा के सबसे बड़े बेटे थे, जो प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता और एक प्रसिद्ध परिदृश्य चित्रकार के छात्र थे। उनकी मां पाबना जिले के सिथलाई के जमींदार जोगेंद्रनाथ मोइत्रा की बेटी थीं। उसके परिवार के सदस्यों ने सम्राट जहांगीर के शासनकाल में उनकी उत्पत्ति का पता लगाया। सिन्हा की सबसे छोटी बहन रवीन्द्रसंगीत के प्रमुख प्रतिपादक पुरबा डैम हैं।
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शिशिर कुमार मित्रा

सिसिर कुमार मित्रा (या शिशिरकुमार मित्र) MBE, FNI, FASB, FIAS, FRS (24 अक्टूबर 1890 - 13 अगस्त 1963) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे। मित्रा का जन्म बंगाल के प्रेसीडेंसी (वर्तमान पश्चिम बंगाल) में हुगली जिले में स्थित कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक उपनगर कोननगर के उनके पिता के गृहनगर में हुआ था। वह जॉयकृष्ण मित्रा के तीसरे बेटे थे, जो मित्रा के जन्म के समय एक स्कूली छात्र थे, और एक मेडिकल छात्र शरतकुमारी, जिनका परिवार मिदनापुर से आया था। जबकि मित्रा के पैतृक परिवार रूढ़िवादी हिंदू थे, उनकी माँ का परिवार प्रगतिशील ब्रह्म समाज के अनुयायी थे, और उनके उन्नत दृष्टिकोण के लिए मिदनापुर में नोट किए गए थे। 1878 में, जॉयकृष्ण मित्रा ने ब्रह्म समाज में शामिल हो गए और अपने परिवार की इच्छाओं के खिलाफ अपनी पत्नी से शादी कर ली, जिन्होंने उनके साथ संबंध तोड़ने का जवाब दिया। परिणामस्वरूप, नवविवाहित दंपति शरतकुमारी के गृहनगर मिदनापुर चले गए, जहाँ जॉयकृष्ण और उनकी पत्नी के दो बेटे थे - सतीश कुमार और संतोष कुमार - और जॉयकृष्णा से पहले एक बेटी 1889 में अपने परिवार को कोलकाता ले गई; वहाँ, वह एक स्कूली छात्र बन गया। मित्रा का जन्म अगले वर्ष हुआ था।
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सुब्रमणिया रंगनाथन

सुब्रमणिया रंगनाथन (1934–2016), रंगा के नाम से प्रसिद्ध, एक भारतीय जैव-रसायनशास्त्री और प्रोफेसर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में रसायन शास्त्र विभाग के प्रमुख थे। वह सिंथेटिक और मैकेनिक ऑर्गेनिक केमिस्ट्री पर अपने अध्ययन के लिए जाने जाते थे और एक निर्वाचित साथी भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत और भारतीय विज्ञान अकादमी वैज्ञानिक परिषद वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी इंडस्ट्रियल रिसर्च ने उन्हें रासायनिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए 1977 में सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कारों में से एक, विज्ञान स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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सुदीप्ता सेनगुप्ता
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सोमक रायचौधरी

सोमक रायचौधरी एक भारतीय खगोल वैज्ञानिक हैं। वह इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिज़िक्स (IUCAA), पुणे के निदेशक हैं। वह प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी, कोलकाता, भारत, से छुट्टी पर हैं, जहाँ वे भौतिकी के प्रोफेसर हैं, और बर्मिंघम विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम से भी संबद्ध हैं। उन्हें स्टेलर मास ब्लैक होल और सुपरमैसिव ब्लैक होल पर उनके काम के लिए जाना जाता है। उनके महत्वपूर्ण योगदान में गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के क्षेत्र में शामिल हैं, आकाशगंगा गतिशीलता और ब्रह्मांड में बड़े पैमाने पर गति, जिसमें ग्रेट अट्रैक्टर भी शामिल है।
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सैयद अब्दुल्ला हुसैन

सैयद अब्दुल्ला हुसैन (13 अगस्त 1944 - 30 दिसंबर 2009) एक भारतीय पक्षी विज्ञानी थे। उन्हें सलीम अली के साथ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) में किए गए काम के लिए जाना जाता है। उनके घर के पास कुद्रेमुख से मेंढक न्याक्त्रबत्रस हुसैनी की एक प्रजाति का नाम उनके नाम पर रखा गया था, लेकिन बाद में प्रजाति का नाम विवादों में घिर गया।
हुसैन का जन्म मैंगलोर (तब मद्रास प्रेसीडेंसी के एक हिस्से) के पास करकला में हुआ था, जहाँ उनके पिता सैयद हुसैन एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बस्ती मिशन स्कूल में हुई और करकला में श्री भुवनेंद्र कॉलेज से विज्ञान में विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के बर्ड माइग्रेशन अध्ययन परियोजना में एक क्षेत्र अनुसंधान की स्थिति के लिए आवेदन किया और यद्यपि उन्हें जूलॉजी में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी, सलीम अली ने उन्हें बहुत चौकस पाया और उन्हें स्वीकार किया। हुसैन अली के साथ कई अभियानों पर गए और बाद में अपने दम पर सर्वेक्षण किया। हुसैन 1979 में बीएनएचएस के सहायक क्यूरेटर बने, 1985 से 1990 तक वरिष्ठ वैज्ञानिक और फिर 1992 तक शोध के उप निदेशक रहे। बाद में वे मलेशिया चले गए जहां उन्होंने एशियन वेटलैंड ब्यूरो का नेतृत्व किया। वे बर्डलाइफ इंटरनेशनल के उपाध्यक्ष भी थे। 1974 में, वह एक ऐसे समूह का हिस्सा थे, जो रिचर्ड मींटर्त्जेन द्वारा गलत तरीके से दावा किए गए एक इलाके में वन उल्लू की तलाश में गया था।
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सैम पित्रोडा

सत्य पित्रोदा (सैम पित्रोदा ) (जन्म 16 नवंबर 1942) एक भारतीय दूरसंचार इंजीनियर, आविष्कारक और उद्यमी हैं। उन्हें भारत के कंप्यूटर और आईटी क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी को प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में कम्प्यूटरीकरण लाने में मदद की थी। वह डॉ। मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान पीएम के सलाहकार भी थे। उनका जन्म टिटलागढ़ के पूर्वी भारतीय राज्य ओडिशा में हुआ था। एक गुजराती परिवार में।
सत्यन पित्रोदा का जन्म गुजराती माता-पिता के लिए भारत के टिटलागढ़, ओडिशा में हुआ था। [स्व-प्रकाशित स्रोत?] उनके सात भाई-बहन थे और उनमें से वे तीसरे सबसे बड़े हैं। परिवार महात्मा गांधी और उनके दर्शन से बहुत प्रभावित था। नतीजतन, पित्रोदा और उनके भाई को गांधीवाद के दर्शन के लिए गुजरात भेजा गया। उन्होंने गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से स्कूली शिक्षा पूरी की और वड़ोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की। भौतिकी में मास्टर्स पूरा करने के बाद वे 1964 में संयुक्त राज्य अमेरिका गए और शिकागो में इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स प्राप्त किया।
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सैयद ज़हूर क़ासिम

सैयद ज़हूर क़ासिम (31 दिसंबर 1926 - 20 अक्टूबर 2015) एक भारतीय समुद्री जीवविज्ञानी थे। कासिम ने अंटार्कटिका में भारत की खोज का नेतृत्व करने में मदद की और 1981 से 1988 तक अन्य सात अभियानों को निर्देशित किया। वह 1991 से 1996 तक भारत के योजना आयोग के सदस्य थे। वह 1989 से 1991 तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, अन्ना मलाई विश्वविद्यालय, भारतीय इंस्टीट्यूट सहित विश्वविद्यालयों के मानद प्रोफेसर थे। प्रौद्योगिकी मद्रास, और जामिया मिलिया इस्लामिया।
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सुधीर कुमार वेम्पति
सुधीर कुमार वेम्पति एक भारतीय उच्च ऊर्जा भौतिक विज्ञानी और भारतीय विज्ञान संस्थान के उच्च ऊर्जा भौतिकी केंद्र के प्रोफेसर हैं। उन्हें न्यूट्रिनो भौतिकी में अध्ययन के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से लार्ज हैड्रोन कोलाइडर उलटा समस्या और कई लेख प्रकाशित किए हैं, , वैज्ञानिक लेखों के एक ऑनलाइन भंडार ने 6 में से 4 studies को सूचीबद्ध किया है। वे उच्च ऊर्जा भौतिकी पर इंडो-फ्रेंच सहयोग के सदस्य हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, ने उन्हें 2016 में भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
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शुभा तोले
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सुचित्रा सेबास्टियन
सुचित्रा सेबास्टियन कैवेंडब्रिज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एक संघनित भौतिक विज्ञानी हैं। वह क्वांटम सामग्रियों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं। विशेष रूप से, वह उन इन्सुलेट सामग्रियों की खोज के लिए जानी जाती है जो उच्च चुंबकीय क्षेत्रों के तहत एक साथ चालन-व्यवहार का प्रदर्शन करती हैं। विश्व आर्थिक मंच ने उन्हें 2013 में तीस असाधारण युवा वैज्ञानिकों में से एक का नाम दिया।
सुचित्रा सेबेस्टियन ने महिला क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई से भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद में भाग लिया, जहाँ उन्होंने एमबीए किया। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से लागू भौतिकी में पीएचडी प्राप्त की।
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एस के शिवकुमार

एस के शिवकुमार (1953 - 13 अप्रैल 2019) कर्नाटक राज्य के एक भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) केन्द्रों में काम किया था। इन्हें 2015 में चौथे उच्चतम नागरिक पुरस्कार भारत में पद्म श्री सम्मानित किया गया था।
शिवकुमार का जन्म 1953 में मैसूर राज्य (अब कर्नाटक), भारत में मैसूर में हुआ था। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बीएससी के बाद इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीई और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से फिजिकल इंजीनियरिंग में एमटेक किया। उन्होंने 2014 में कुवेम्पु विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स में पीएचडी प्राप्त की।
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श्यामला चितले
श्यामला "श्या" चितले (15 फरवरी 1918 - 31 मार्च 2013) एक भारतीय अमेरिकी पेलियोबोटनिस्ट थे जिनका संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत दोनों में शिक्षण और अनुसंधान का लगभग 60 साल का करियर था। वह क्लीवलैंड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में पेलियोबोटनी डिपार्टमेंट की संस्थापक और पहली क्यूरेटर थीं, 2010 बोटैनिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका अवार्ड फॉर पेलियबॉटनी के लिए विजेता और लगभग 150 प्रकाशनों की लेखिका।
चितले का जन्म 1918 में महाराष्ट्र, भारत में श्यामला दीक्षित से हुआ था। ज्यादातर अपने पिता द्वारा उठाए गए (उनकी मां की मृत्यु जब वह 9 वर्ष की थी), तो उन्होंने घर पर भी शिक्षा प्राप्त की। जैसा कि उस समय पारंपरिक था, उसने काफी कम उम्र में कॉर्पोरेट वकील दिनकर वामन चितले से शादी कर ली। जबकि उन्हें कुछ से उच्च शिक्षा के बारे में निराशा और यहां तक कि शारीरिक खतरों का सामना करना पड़ा, उन्होंने अपने पति दिनकर के प्रोत्साहन के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी।
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शोभना शर्मा
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शिवरामकृष्णन पंचरत्नम
शिवरामकृष्णन पंचरत्नम (1934-1969) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने प्रकाशिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। उन्हें एक प्रकार के ज्यामितीय चरण की खोज के लिए जाना जाता है जिसे कभी-कभी क्रिस्टल से गुजरने वाले ध्रुवीकृत बीमों के लिए पंचरत्नम चरण के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 1934 में भारत के पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में हुआ था। 25 वर्ष की आयु में उन्हें भारतीय विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया। वे 1961-1964 तक भौतिकी, मैसूर विश्वविद्यालय में अध्ययन विभाग में एक पाठक थे। 1964 से 1969 में 35 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु तक वह जॉर्ज विलियम सीरीज़ के साथ काम करते हुए ऑक्सफोर्ड के सेंट कैथरीन कॉलेज के रिसर्च फेलो थे। इस अवधि के लिए उनके प्रकाशन मुख्य रूप से ऑप्टिकल पंपिंग पर प्रयोगों में पाए गए प्रभावों के सिद्धांत से संबंधित थे, उदा। स्पिन संरेखण के कारण एक गैस में डबल अपवर्तन। प्रोफेसर सीरीज़ ने पंचरत्नम के जीवन और कार्यों का परिचय लिखा है। उन्होंने रॉयल सोसाइटी की कार्यवाही के लिए भी तैयारी की, पंचरत्नम द्वारा छोड़े गए नोटों के आखिरी तीन पेपर।
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शिवराम कश्यप

शिवराम कश्यप (सन् 1882 - 1934), भारतीय वनस्पतिविज्ञानी थे। अभिनेत्री कामिनी कौशल इनकी पुत्री थीं।
शिवराम कश्यप का जन्म पंजाब के झेलम नगर के एक प्रतिष्ठित सैनिक परिवार में हुआ था। सन् 1899 में आने पंजाब विश्वविद्यालय की मैट्रिकुलेशन परीक्षा पास की तथा सन् 1904 में आगरा के मेडिकल स्कूल की उपाधि परीक्षा में उत्तीर्ण विद्यार्थियो में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया। मेडिकल स्कूल में पढ़ते समय ही आपने इंटरमीडिएट सायंस की परीक्षा दी और पंजाब विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम आए। उत्तर प्रदेश के मेडिकल विभाग में सेवा आरंभ की ओर सेवा करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय की बी.एस-सी. परीक्षा भी दी और फिर सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया। सन् 1906 में गवर्नमेंट कालेज, लाहौर, में आप सहायक प्रोफेसर नियुक्त हुए तथा तीन वर्ष बाद वनस्पति शास्त्र का विषय लेकर, आपने एम.एस-सी. परीक्षा पास की और विश्वविद्यालय के एम.ए. और एम.एस-सी. कक्षाओं के विद्यार्थियों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। सन् 1910 में आप इंग्लैण्ड गए तथा दो वर्ष पश्चात् केंब्रिज विश्वविद्यालय से आपको नैचुरल सायंस ट्राइपॉस की डिग्री प्राप्त हुई।
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शंभू नाथ डी

शंभू नाथ डी FRS FRSM; (1 फरवरी 1 9 15 - 15 अप्रैल 1 9 --5) एक भारतीय-बंगाली चिकित्सा वैज्ञानिक और शोधकर्ता थे, जिन्होंने हैजा के पशु मॉडल हैजा के विष की खोज की, और हैजा के रोगजन विब्रियो कोलेरे के संचरण की विधि का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। शंभू नाथ डी का जन्म भारत के पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हुआ था। उनके पिता श्री दशरथ डे इतने सफल व्यवसायी नहीं थे। अपने चाचा आशुतोष डे द्वारा समर्थित, डी ने गरबती हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पूरी की जिससे उन्हें जिला छात्रवृत्ति प्राप्त करने में मदद मिली और साथ ही हुगली मोहसिन कॉलेज में आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए, जो तब कलकत्ता के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से संबद्ध था। उनकी उच्च शिक्षा का समर्थन कोस्टोदान सेठ ने किया, जिन्होंने डी को एक असाधारण छात्र के रूप में पहचाना। डे ने अपना एम.बी. 1939 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से परीक्षा और 1942 में ट्रॉपिकल मेडिसिन (DTM) में डिप्लोमा पूरा किया। स्नातक होने के तुरंत बाद उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी के एक डिमॉन्स्ट्रेटर के रूप में दाखिला लिया और प्रोफेसर बी। पी। त्रिभंगी के तहत अपने शोध की शुरुआत की। 1947 में, डी, मॉर्बिड एनाटॉमी विभाग, यूनिवर्सिटी कॉलेज अस्पताल मेडिकल स्कूल, लंदन में सर रॉय कैमरन के तहत पीएचडी छात्र के रूप में शामिल हुए, और 1949 में पैथोलॉजी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उनकी वापसी के बाद, डी ने हैजा के रोगजनन पर काम किया और शुरू किया उनके निष्कर्ष प्रकाशित करना। 1955 में, डी कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी और बैक्टीरियोलॉजी डिवीजन के प्रमुख बने, जिसे उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति तक जारी रखा। डे ने 30 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए और हैजा और इसके रोगजनन पर एक उत्कृष्ट मोनोग्राफ लिखा है।
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श्यामा चरण दुबे
श्यामा चरण दुबे (25 जुलाई 1922 - 4 फरवरी 1996) एक भारतीय मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री और भारतीय समाज समाज के पूर्व अध्यक्ष थे। भारत के मध्य प्रदेश में जन्मे दूबे ने राजनीति विज्ञान में नागपुर विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री ली और हिसलोप कॉलेज नागपुर महाराष्ट्र में व्याख्याता के रूप में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। बाद में वे लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में शामिल हुए |
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तिरुप्पत्तुर वेंकटचलमूर्ति रामकृष्णन

तिरुप्पत्तुर वेंकटचलमूर्ति रामकृष्णन FRS (जन्म 14 अगस्त 1941) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं जो संघनित पदार्थ भौतिकी में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। वह वर्तमान में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भौतिकी के डीएई होमी भाभा प्रोफेसर और त्रिपुरा विश्वविद्यालय के कुलपति हैं।
तिरुप्पत्तुर वेंकटचलमूर्ति रामकृष्णन का जन्म 14 अगस्त 1941 को मद्रास, तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने 1959 और 1961 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से भौतिकी में बी.एससी (ऑनर्स।) और एम। एससी। 1966 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से। उन्होंने अपने व्यावसायिक करियर की शुरुआत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में व्याख्याता के रूप में की। वह 1986 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में स्थानांतरित हो गए, जहाँ उन्होंने 2003 तक काम किया।
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टी.वी.रमन

टी.वी.रमन (जन्म 4 मई 1965) एक कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं जो सुलभता अनुसंधान में माहिर हैं। उनके अनुसंधान हित मुख्य रूप से श्रवण उपयोगकर्ता इंटरफेस और संरचित इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के क्षेत्रों में हैं। उन्होंने डिजिटल कैम्ब्रिज रिसर्च लैब (CRL), एडोब सिस्टम्स और आईबीएम रिसर्च में वर्ल्ड वाइड वेब के संदर्भ में भाषण इंटरैक्शन और मार्कअप प्रौद्योगिकियों पर काम किया है। वर्तमान में वह Google रिसर्च में काम करता है। जन्म से ही रमन आंशिक रूप से देखे गए हैं, और 14 वर्ष की आयु से अंधे हैं।
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तपन मिश्रा
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तेज पी० सिंह

तेज पाल सिंह (जन्म 1944) एक भारतीय बायोफिजिसिस्ट हैं, जो कि रेशनल स्ट्रक्चर-बेस्ड ड्रग डिज़ाइन, प्रोटीन स्ट्रक्चर बायोलॉजी और एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने जीवाणुरोधी चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में दवा डिजाइन के विकास में एक सक्रिय भूमिका निभाई है, क्षय रोग, सूजन, कैंसर और गैस्ट्रोपैथी।
वह देश के सभी छह रामचंद्रन पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय हैं । वे छह अकादमियों के एक साथी हैं, अर्थात्, तीसरी विश्व विज्ञान अकादमी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारतीय विज्ञान अकादमी, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फाउंडेशन और बायोटेक रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया।
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तनु पद्मनाभन

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तिरुमालाचारी रामासामी

तिरुमालाचारी रामासामी पूर्व भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव हैं। उन्होंने मई 2006 में पदभार ग्रहण किया। इस कार्यभार से पहले, उन्होंने केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान, चेन्नई, भारत के निदेशक के रूप में कार्य किया। वह एक प्रतिष्ठित शोधकर्ता और चमड़ा वैज्ञानिक हैं। उन्हें 2001 में विज्ञान और इंजीनियरिंग में उत्कृष्टता के लिए भारत के राष्ट्रीय नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया और 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें 1993 में रासायनिक विज्ञान में उल्लेखनीय और उत्कृष्ट शोध के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार,भारत में विज्ञान के लिए सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने 1963 में GS हिंदू हाई स्कूल, श्रीविल्लिपुत्तुर से सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SSLC) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, सेंट जोसेफ कॉलेज से प्री-यूनिवर्सिटी, 1964 में त्रिची, बैचलर और मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी इन लेदर टेक्नोलॉजी। 1969 और 1972 में मद्रास विश्वविद्यालय, क्रमशः प्रथम श्रेणी और डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन केमिस्ट्री ऑफ लीड्स विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से जनवरी 1976 में।
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तथागत अवतार तुलसी

तथागत अवतार तुलसी (जन्म 9 सितंबर 1987) एक भारतीय भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्हें एक बच्चे के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 9 साल की उम्र में हाई स्कूल पूरा किया, बी.एससी 10 साल की उम्र में और एम.एससी पटना साइंस कॉलेज (पटना विश्वविद्यालय) से 12 साल की उम्र में। अगस्त 2009 में, उन्होंने अपनी पीएच.डी. 22 वर्ष की आयु में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से। जुलाई 2010 में, उन्हें IIT मुंबई में अनुबंध पर सहायक प्रोफेसर (नए पीएचडी स्नातकों के लिए एक गैर-स्थायी शिक्षण स्थिति) के रूप में एक पद की पेशकश की गई थी।
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टिमोथी अलॉयसियस गोंसाल्वेस

टिमोथी अलॉयसियस गोंसाल्वेस (जन्म 20 जून 1954) एक कंप्यूटर वैज्ञानिक और प्रोफेसर हैं। अपने शैक्षणिक जीवन के दौरान, वह कई संस्थानों और कंपनियों के संस्थापक / सह-संस्थापक रहे हैं। इनमें नीलगिरी नेटवर्क (पी) लिमिटेड के संस्थापक, एनएमएसवर्क्स सॉफ्टवेयर (पी) लिमिटेड के सह-संस्थापक, टीएनईटीटी समूह के सह-संस्थापक और आईआईटी मद्रास में आरटीबीआई, और आईआईटी मंडी कैटलिस्ट शामिल हैं। विशेष रूप से, वह हिमाचल प्रदेश के हिमालयी राज्य में जनवरी 2010 से जून 2020 तक IIT मंडी के संस्थापक निदेशक थे। वह वर्तमान में IIT मंडी में प्रोफेसर एमेरिटस (मानद) हैं। उनके शैक्षणिक हितों में भविष्य के इंजीनियरों के लिए शिक्षा, कंप्यूटर नेटवर्क, वितरित सिस्टम, दूरसंचार सॉफ्टवेयर और दूसरों के बीच प्रदर्शन मूल्यांकन शामिल हैं।
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थेकेथिल कोचंडी एलेक्स
थेकेथिल कोचंडी एलेक्स एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) (2008–2012) और अंतरिक्ष आयोग के सदस्य, ISRO सैटेलाइट सेंटर (ISAC) के निदेशक थे। उन्होंने इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सिस्टम और उपग्रह प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता हासिल की। पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट के साथ शुरू करके वह सभी भारतीय उपग्रहों में सेंसर सिस्टम के लिए जिम्मेदार रहा है। उनके नेतृत्व में 1993 में इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम्स (LEOS) के लिए प्रयोगशाला की स्थापना की गई थी और स्थापना के समय से 2008 तक वह इसके निदेशक थे। उन्हें 2011 में "डॉ.विक्रम साराभाई प्रतिष्ठित प्रोफेसर" से सम्मानित किया गया था।
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तंजौर रामचंद्र अनंतरामन

तंजौर रामचंद्र अनंतरामन (25 नवंबर 1927 - 19 जून 2009) भारत के पूर्व प्रख्यात धातुविदों और भौतिक वैज्ञानिकों में से एक थे।
अनंतरामन का जन्म 25 नवंबर 1927 को भारत के तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने बी.एससी। (ऑनर्स।) 1947 में मद्रास विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में, D.I.I.Sc. 1950 में भारतीय विज्ञान संस्थान (बैंगलोर) से धातुकर्म में और एम.एससी। 1951 में मद्रास विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान रसायन विज्ञान में डिग्री। सभी विश्वविद्यालय परीक्षाओं में पहली रैंक हासिल करने के बाद, उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) में भौतिक धातु विज्ञान में अपने डॉक्टरेट अनुसंधान के लिए 1951 की एकमात्र भारतीय रोड्स छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। 1954 में उन्हें डी.फिल। ऑक्सफोर्ड से और 1980 में बाद में उच्च डॉक्टरेट की डिग्री D.Sc. धातु विज्ञान और सामग्री विज्ञान के कई क्षेत्रों में अपने अनुसंधान उत्पादन की मान्यता में उसी विश्वविद्यालय से।
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उप्पगुंडुरी अश्वत्तनारायण

उप्पगुंडुरी अश्वत्तनारायण (1 जुलाई, 1928 - 6 मार्च, 2016) महादेवन इंटरनेशनल सेंटर फॉर वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट, भारत के मानद निदेशक थे। वह स्वतंत्र भारत में भूविज्ञान के दर्जनों में गिने जाते हैं और आंध्र प्रदेश के एक प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय, भारत में भूविज्ञान का अध्ययन और अध्यापन किया; कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पासाडेना, कैलिफोर्निया; ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम, पश्चिमी ओंटारियो विश्वविद्यालय, कनाडा; सागर विश्वविद्यालय, भारत; डार एस सलाम, तंजानिया और यूनिवर्सिडेड एडुआर्डो मोंडलेन, मोज़ाम्बिक विश्वविद्यालय। उन्होंने डीन और सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडी इन जियोलॉजी, सागर विश्वविद्यालय, भारत में सेवा की है; भूविज्ञान विभाग के प्रमुख, यूनिवर्सिटी ऑफ़ डार त सलाम, तंजानिया; निदेशक, राज्य खनन निगम, तंजानिया और पर्यावरण और प्रौद्योगिकी, मोजाम्बिक के सलाहकार। उन्होंने UNDP, विश्व बैंक, लुइस बर्जर इंक और SIDA के सलाहकार के रूप में भी काम किया, जबकि मोजाम्बिक में।
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उडिपी रामचंद्र राव

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उमा रामकृष्णन
उमा रामकृष्णन एक भारतीय आणविक पारिस्थितिकीविद् हैं, जो नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (NCBS), बैंगलोर में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उनका शोध भारतीय उपमहाद्वीप में जनसंख्या आनुवंशिकी और स्तनधारियों के विकास के इतिहास की जांच करता है, जिसमें भारत के बाघों को बचाने का काम भी शामिल है। वह पार्कर-जेन्ट्री पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय हैं। जुलाई 2019 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के एक साथी के रूप में चुना गया।
रामाकृष्णन ने भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में विज्ञान स्नातक और जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर किया। बाद में उन्होंने सैन डिएगो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त की, जिसके बाद वह स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक थीं।
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उद्धव भराली
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उपिंदर सिंह भल्ला

उपिंदर सिंह भल्ला (जन्म 1963) एक भारतीय कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंटिस्ट, शैक्षणिक और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के जैविक विज्ञान के राष्ट्रीय केंद्र में एक प्रोफेसर हैं। उन्हें कम्प्यूटेशनल और प्रायोगिक तरीकों का उपयोग करके स्मृति और घ्राण कोडिंग में न्यूरोनल और सिनैप्टिक सिग्नलिंग पर अपने अध्ययन के लिए जाना जाता है और भारतीय विज्ञान अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के एक निर्वाचित साथी हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने उन्हें 2007 में जैविक विज्ञान में उनके योगदान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया। इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन ने मस्तिष्क की कम्प्यूटेशनल मशीनरी की समझ के लिए उनके अग्रणी योगदान के लिए उन्हें लाइफ साइंस में इन्फोसिस पुरस्कार 2017 से सम्मानित किया।
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वी.बालाकृष्णन

वी.बालाकृष्णन (वेंकटरामन बालकृष्णन के रूप में जन्म 1943) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्होंने कई क्षेत्रों में काम किया है, जिसमें कण भौतिकी, कई-शरीर सिद्धांत, ठोस पदार्थों के यांत्रिक व्यवहार, डायनेमिक सिस्टम, स्टोचैस्टिक प्रक्रिया और क्वांटम डायनामिक्स शामिल हैं। । वह एक निपुण शोधकर्ता है जिसने अनैतिकता के सिद्धांत, निरंतर-समय के यादृच्छिक चलने और गतिशील प्रणालियों में पुनरावृत्ति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने 1970 में Brandeis University से अपनी पीएचडी प्राप्त की। TIFR और IGCAR कलपक्कम में एक दशक के बाद, वह 1980 में IIT मद्रास में भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए। उन्हें 1985 में भारतीय विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया
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विजय कुमार सारस्वत

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वासुदेव कलकुंते आत्रेय
वासुदेव कलकुंते आत्रे (जन्म 1939) एक भारतीय वैज्ञानिक और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के पूर्व प्रमुख, भारत के प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन हैं। उस क्षमता में, उन्होंने रक्षा मंत्री (रक्षा मंत्री) के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। वह पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित हैं।
आत्रे का जन्म 1939 में बैंगलोर में हुआ था। उन्होंने 1961 में यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (UVCE), बैंगलोर से मैसूर विश्वविद्यालय का हिस्सा और 1963 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्हें 1967 में वाटरलू, कनाडा विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी से सम्मानित किया गया। इसके बाद, उन्होंने 1980 तक, नोवा स्कोटिया, हैलिफ़ैक्स, कनाडा के तकनीकी विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में काम किया। वह 1977 तक IISc में विजिटिंग प्रोफेसर थे। वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास सेवा (DRDS) के पूर्व सदस्य हैं।
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वसंत शंकर हुज़ूरबाजार
वसंत शंकर हुज़ूरबाजार (15 सितंबर 1919 - 15 नवंबर 1991) कोल्हापुर के एक भारतीय सांख्यिकीविद् थे। हुज़ूरबाजार 1953 से 1976 तक पुणे विश्वविद्यालय के सांख्यिकी विभाग के संस्थापक प्रमुख थे। 1979 से 1991 तक, उन्होंने अपनी मृत्यु तक कोलोराडो के डेनवर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।उन्होंने दौरा किया। 1962 में आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में दो साल के लिए प्रोफेसर।
1974 में, हुज़ूरबाजार को सांख्यिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1983 में उन्हें अमेरिकन स्टेटिस्टिकल एसोसिएशन के फेलो के रूप में चुना गया।
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वरुण भीष्म साहनी
वरुण भीष्म साहनी (जन्म 29 मार्च, 1956) एक भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, खगोल भौतिकीविद और खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के लिए इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं। कॉस्मोलॉजी पर अपने शोध के लिए जाना जाता है, साहनी तीनों प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों के एक चुने हुए साथी हैं। भारतीय विज्ञान अकादमी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकाद और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत।वैज्ञानिक अनुसंधान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सरकार की शीर्ष एजेंसी, ने उन्हें 2000 में भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
साहनी ने ब्रह्मांड का अध्ययन करने की सूचना दी है, विशेष रूप से इसकी बड़े पैमाने पर संरचना, प्रारंभिक मुद्रास्फीति चरण और ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक। उनकी उपलब्धियों में मुद्रास्फीति से संबंधित एक लौकिक नो-हेयर प्रमेय की स्थापना, स्वयं-विकसित सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करते हुए ब्रह्मांड संरचना का विश्लेषण, अंधेरे ऊर्जा और अंधेरे पदार्थों के उपन्यास मॉडल की खोज, मुद्रास्फीति और एकीकृत ऊर्जा के एकीकृत मॉडल का डिजाइन और शामिल हैं। ब्रैनवर्ल्ड भौतिकी का उपयोग करके बिग बैंग सिद्धांत को स्पष्ट करना। उनके अध्ययन को कई लेखों के माध्यम से प्रलेखित किया गया है और भारतीय विज्ञान अकादमी के ऑनलाइन लेख भंडार ने उनमें से 68 को सूचीबद्ध किया है।
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वशिष्ठ नारायण सिंह
वशिष्ठ नारायण सि