भारत इतिहास और विरासत के मामले में दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है। भारत के इतिहास में कई महान शासकों ने हमारे देश में जन्म लिया है। अलग अलग सदियों में एक से बढ़कर एक राजाओं ने भारत पर राज किया है। इसीलिए इसे महान शासकों का देश कहा जाता है। आज हम आपके साथ ऐसे ही शासकों की सूची लाये हैं, जिन्होंने अपने कुशल नेतृत्व द्वारा हमारे भारत देश पर राज किया है।
सूची में उन लोगों को रखा गया है जिन्होंने भारत के किसी भी प्रान्त पर शासन किया हो| इस सूची में कुछ नाम ऐसे भी हो सकते हैं जो सेनापति अथवा मंत्री थे परन्तु अपने राज्य में जिन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

छत्रपति शिवाजी, शिवाजी महाराज या शिवाजी राज भोसले भारत के एक महान योद्धा थे। ये मराठा शासन के बहुत ही लोकप्रिय और सफल शासक हुए। छोटी उम्र से ही इनमें देशभक्ति की असीम भावना थी। शिवाजी ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित ... अधिक पढ़ें

विश्वप्रसिद्ध चक्रवर्ती सम्राट अशोक एक शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। इनका पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य था। इनका विशाल साम्राज्य उस समय से लेकर आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्... अधिक पढ़ें

पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश के राजपूत राजा थे। ये भारतेश्वर, पृथ्वीराज तृतीय, हिन्दूसम्राट, और राय पिथौरा आदि नामों से भी जाने जाते हैं। इन्होंने 20 साल की उम्र में सिंहासन संभालने के बाद अजमेर और दिल्ली राज्यों से अपना शासन शुरू किया। जिसके बाद इन्होंने राजस्थान और हरियाणा आदि कई राज्यों पर शासन किया। भारत के अंतिम हिन्दू राजा के रूप में भी जाने जाते हैं।

महाराणा प्रताप सिंह उदयपुर मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। मुगल काल में जब राजपूताना के अन्य शासकों ने मुगलों से संधी कर ली थी। तब मेवाड़ की भूमि पर महाराणा प्रताप नाम के सूर्य का उदय हुआ। इन्होंने कई सालों तक मुगल स... अधिक पढ़ें

चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के मौर्य वंश के सम्राट थे। इन्होंने ही मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चंद्रगुप्त ने अपने गुरु चाणक्य (कौटिल्य) के साथ हर ओर अपना साम्राज्य बनाया। मेगस्थनीज ने 4 साल तक चन्द्रगुप्त की सभा में ए... अधिक पढ़ें
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रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रांति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं। उन्होंने सिर्फ़ 29 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं।

छत्रपति संभाजी राजे (छत्रपति संभाजी राजे भोसले या शंभुराजे; 1657-1689) मराठा सम्राट और छत्रपति शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी थे। उस समय मराठों के सबसे प्रबल शत्रु मुगल बादशाह औरंगजेब बीजापुर और गोलकुण्डा का शासन हिन्दुस्तान से समाप्त क... अधिक पढ़ें

महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के प्रमुख राजा थे। इन्हें शेर-ए-पंजाब के नाम से भी जाना जाता है। सिख शासन की शुरुआत करने वाले महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं सदी में अपना शासन शुरू किया। इन्होंने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और सन ... अधिक पढ़ें

विजयनगर साम्राज्य: कृष्णदेवराय (1509-1529 ई. ; राज्यकाल 1509-1529 ई.) विजयनगर साम्राज्य के सर्वाधिक कीर्तिवान राजा थे। ये स्वयंयं कवि और कवियों के संरक्षक थे। तेलुगु भाषा मेइ उनका काव्य अमुक्तमाल्यद साहित्य का एक रत्न है। इनकी भा... अधिक पढ़ें

समुद्र्गुप्त गुप्त वंश के उत्तराधिकारी और अपने समय के महान राजा थे। ये एक उदार शासक, वीर योद्धा और कला के संरक्षक थे। समुद्रगुप्त ने शासन पाने के लिये राजवंश के एक अस्पष्ट राजकुमार काछा को प्रतिद्वंद्वी मानकर उन्हें हराया था। ये भारत का एक ऐसे महान शासक थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी पराजय का सामना नहीं किया। इसीलिए इनको “भारत का नेपोलियन” भी कहा जाता था।

कनिष्क कुषाण वंश के एक महान सम्राट थे। ये बौद्ध धर्म के एक महान संरक्षक थे और अभी भी इन्हें भारत के सबसे महानतम बौद्ध राजाओं में से एक के रूप में माना जाता है। ये अपने सैन्य, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों तथा कौशल हेतु प्रख्यात था। इन्हें “कनिष्क ग्रेट” के रूप में भी जाना जाता है। इनका समय काल सैन्य, राजनीतिक और आध्यात्मिक जीत के लिए स्वर्ण का समय था।
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महारानी ताराबाई (1675-1761) राजाराम महाराज की पहली पत्नी तथा छत्रपति शिवाजी महाराज के सरसेनापति हंबीरराव मोहिते की कन्या थीं। इनका जन्म 1675 में हुआ और इनकी मृत्यु 9 दिसंबर 1761 ई0 को हुयी। ताराबाई का पूरा नाम ताराबाई भोंसले था। राजा... अधिक पढ़ें

पेशवा बाजीराव प्रथम (श्रीमंत पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट) (1700 - 1740) महान सेनानायक थे। वे 1720 से 1740 तक मराठा साम्राज्य के चौथे छत्रपति शाहूजी महाराज के पेशवा (प्रधानमन्त्री) रहे। इनका जन्म चित्ताबन कुल के ब्राह्मणों में हुआ। इनको... अधिक पढ़ें

इनका पूरा नाम अब-उल फतह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था। इनको अकबर-ऐ-आजम और शहंशाह अकबर के नाम से भी जाना जाता है। ये मुगल वंश के तीसरे शासक थे। इनका शासन लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था। अकबर ही मात्र एक ऐसा राजा थे, जिन्हें हिन्दू मुस्ल... अधिक पढ़ें

राणा सांगा (महाराणा संग्राम सिंह) (12 अप्रैल 1484 - 17 मार्च 1527) (राज 1509-1528) [चित्तौडगढ] में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे तथा राणा रायमल के सबसे छोटे पुत्र थे। राणा रायमल के तीनों पुत्रों ( कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल तथा राणा सांगा ) म... अधिक पढ़ें

राजा पुरुवास या राजा पोरस का राज्य पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक फैला हुआ था। वर्तमान लाहौर के आस-पास इसकी राजधानी थी।, जिनका साम्राज्य पंजाब में झेलम और चिनाब नदियों तक (ग्रीक में ह्यिदस्प्स और असिस्नस) और उपनिवेश ह्यीपसिस तक फैला हुआ था।

अजातशत्रु मगध के एक प्रतापी सम्राट थे। ये हर्यक वंश से संबंधित थे। ये बिंबिसार के पुत्र थे जिन्होंने अपने पिता को मारकर राज्य प्राप्त किया था। इन्होंने अंग, लिच्छवि, वज्जी, कोसल तथा काशी जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की। अजातशत्रु के समय में मगध मध्यभारत का एक बहुत की शक्तिशाली राज्य था।
बप्पा रावल (713-810) मेवाड़ राज्य में गुहिल राजवंश के संस्थापक राजा थे। बप्पारावल का जन्म मेवाड़ के महाराजा गुहिल की मृत्यु के 191 वर्ष पश्चात 712 ई. में ईडर में हुआ। उनके पिता ईडर के शाषक महेंद्र द्वितीय थे।

छत्रपति शाहु (1682-1749) मराठा सम्राट और छत्रपति शिवाजीमहाराज के पौत्र और सम्भाजी महाराज के बेटे थे। ये ये छत्रपति शाहु महाराज के नाम से भी जाने जाते हैं। छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म 1682 में हुआ था। उनके बचपन का नाम यशवंतराव था। जब ... अधिक पढ़ें
बिम्बिसार से भ्रमित न हों। बिन्दुसार (राज 298-272 ईपू) मौर्य राजवंश के राजा थे जो चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे। बिन्दुसार को अमित्रघात, सिंहसेन्, मद्रसार तथा अजातशत्रु वरिसार ' भी कहा गया है। बिन्दुसार महान मौर्य सम्राट अशोक के ... अधिक पढ़ें

आल्हा मध्यभारत में स्थित ऐतिहासिक बुंदेलखण्ड के सेनापति थे और अपनी वीरता के लिए विख्यात थे। आल्हा के छोटे भाई का नाम ऊदल था और वह भी वीरता में अपने भाई से बढ़कर ही था। जगनेर के राजा जगनिक ने आल्ह-खण्ड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की... अधिक पढ़ें

गुर्जर सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार , प्रतिहार राजवंश के सबसे महान राजा माने जाते हैं। इन्होने लगभग 50 वर्ष तक राज्य किया था। इनका साम्राज्य अत्यन्त विशाल था | नौवीं शताब्दी में भारत की उत्कृष्ट राजनीतिक हस्तियों में से एक, वह ध्रु... अधिक पढ़ें
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राजेन्द्र प्रथम (1012 ई. - 1044 ई.) चोल राजवंश का सबसे महान शासक थे । उन्होंने अपनी महान विजयों द्वारा चोल सम्राज्य का विस्तार कर उसे दक्षिण भारत का सर्व शक्तिशाली साम्राज्य बनाया। उन्होंने 'गंगई कोंड' की उपाधि धारण की तथा गंगई कोंड चोलपुरम नामक नगर की स्थापना की। वहीं पर उन्होंने चोल गंगम नामक एक विशाल सरोवर का भी निर्माण किया।
विक्रमादित्य षष्ठ (1076 – 1126 ई) पश्चिमी चालुक्य शासक थे। चालुक्य-विक्रम संवत् उनके शासनारूढ़ होने पर आरम्भ किया गया। सभी चालुक्य राजाओं में वह सबसे अधिक महान, पराक्रमी थे तथा उसका शासन काल सबसे लम्बा रहा। उन्होंने 'परमादिदेव... अधिक पढ़ें

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (375-412) गुप्त राजवंश का राजा। महान वैश्य कुलुत्पन्न सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय महान जिनको संस्कृत में विक्रमादित्य या चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है; वह भारत के मह... अधिक पढ़ें

महाराजा सूरजमल (फरवरी 1707 – 25 दिसम्बर 1763) राजस्थान के भरतपुर के हिन्दू जाट शासक थे। उनका शासन जिन क्षेत्रों में था वे वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़, इटावा, हाथरस, एटा, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ जिले; राजस्थान के भरतपुर, धौलप... अधिक पढ़ें

महादजी शिंदे (या, महादजी सिंधिया ; 1730 -- 1794) मराठा साम्राज्य के एक शासक थे जिन्होंने ग्वालियर पर शासन किया। वे सरदार राणोजी राव शिंदे के पाँचवे तथा अन्तिम पुत्र थे। शिंदे (अथवा सिंधिया) वंश के संस्थापक राणोजी शिंदे के पुत... अधिक पढ़ें

राजाराज चोल 1 दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य के महान चोल सम्राट थे जिन्होंने 985 से 1014 तक राज किया। उनके शासन में चोलों ने दक्षिण में श्रीलंका तथा उत्तर में कलिंग तक साम्राज्य फैलाया। राजराज चोल ने कई नौसैन्य अभियान भी चलाये, ... अधिक पढ़ें

सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य या केवल हेमू (1501-1556) एक हिन्दू राजा थे, जिन्होंने मध्यकाल में 16वीं शताब्दी में भारत पर राज किया था। यह भारतीय इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण समय रहा जब मुगल एवं अफगान वंश, दोनों ही दिल्ली में राज्य के लिये तत्पर थे। कई इतिहसकारों ने हेमू को 'भारत का नैपोलियन' कहा है।
गुर्जर सम्राट पुल्केशिन चालुक्य सत्याश्रय, श्रीपृथ्वीवल्लभ , परमेश्वर परमभट्टारक जैसी उपाधियाँ पाने वाले यह गुर्जर सम्राट भारतीय इतिहास में एक महान शासक माने जाते हैं। इतिहासकारो का मानना है कि हूण गुर्जरो के विखण्डन से चालुक्य,... अधिक पढ़ें

स्कन्दगुप्त प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश के आठवें राजा थे। हूणों के अतिरिक्त उन्होंने पुष्यमित्रों को भी विभिन्न संघर्षों में पराजित किया। पुष्यमित्रों को परास्त कर अपने नेतृत्व की योग्यता और शौर्य को सिद्ध कर स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य कि उपाधि धारण की।

पुष्यमित्र शुंग उत्तर भारत के शुंग साम्राज्य का संस्थापक और प्रथम राजा था। इससे पहले वह मौर्य साम्राज्य में सेनापति था। 185 ई॰पूर्व में शुंग ने अन्तिम मौर्य सम्राट (बृहद्रथ) की हत्या कर स्वयं को राजा उद्घोषित किया। उसके बा... अधिक पढ़ें

कृष्ण राज वाडियार चतुर्थ (4 जून 1884 - 3 अगस्त 1940), नलवडी कृष्ण राज वाडियार के नाम से भी लोकप्रिय थे, वे 1902 से लेकर 1940 में अपनी मृत्यु तक राजसी शहर मैसूर के सत्तारूढ़ महाराजा थे। जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था ... अधिक पढ़ें
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विक्रमादित्य II (733 - 744 सीई पर शासन किया) राजा विजयदित्य के पुत्र थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद बदामी चालुक्य सिंहासन पर चढ़ गया। यह जानकारी 13 जनवरी, 735 ईस्वी के कन्नड़ में लक्ष्मीश्वर शिलालेखों से आती है शिलालेखों से यह... अधिक पढ़ें

हरिहर प्रथम (1336–1356 CE), जिन्हें हक्क और वीर हरिहर प्रथम भी कहा जाता है, विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे। ये भवन संगम के ज्येष्ठ पुत्र थे, और संगम राजवंश के संस्थापक थे, जो कि विजयनगर पर राज्य करने वाले चार राजवंशों में से प्... अधिक पढ़ें

मयूरशर्मा (या मयूरशर्मन, मयूरवर्मा) (345 - 365 ई0) कर्नाटक के आधुनिक शिमोगा जिला के तालगुण्डा का एक ब्राह्मण पंडित थे । इन्होने बनवासी के कदंब वंश की स्थापना की थी। यह वंश ही था जिसने सबसे पहले आधुनिक कर्न्टक की भुमि पर राज्य किया था। इन्होने अपना नाम मयूरवर्मन कर लिया था, जिससे वह ब्राह्मण से क्षत्रिय लगे।

महाराजा जीवाजीराव सिंधिया एक ग्वालियर के महाराजा थे। महाराजा मॉडल रेलमार्गों में उनकी रुचि के कारण अभी भी लोकप्रिय हैं। मराठाओं के सिंधिया राजवंश के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया (26 जून 1916 - 16 जुलाई 1961) मध्य भारत में ग्वालियर ... अधिक पढ़ें

विष्णुगुप्त गुप्त वंश के कम ज्ञात राजाओं में से एक थे। उन्हें आमतौर पर गुप्त साम्राज्य का अंतिम मान्यता प्राप्त राजा माना जाता है। उनका शासनकाल 10 वर्षों तक चला, 540 से 550 ईस्वी तक। 1927-28 की खुदाई के दौरान नालंदा में खोजी गई उनकी मिट्टी की सील के टुकड़े से, यह पता चलता है कि वह कुमारगुप्त III के पुत्र और नरसिंहगुप्त के पोते थे।

शेरशाह सूरी (1472 - मई 1545) ( जन्म का नाम फ़रीद खाँ) भारत में जन्मे पठान थे, जिन्होंने हुमायूँ को 1540 में हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था। शेरशाह सूरी ने पहले बाबर के लिये एक सैनिक के रूप में काम किया था... अधिक पढ़ें
संगम राजवंश में जन्मे बुक्क (1357-1377 ई.) विजयनगर साम्राज्य के सम्राट थे। इन्हें बुक्क राय प्रथम के नाम से भी जाना जाता है। बुक्क ने तेलुगू कवि नाचन सोमा को संरक्षण दिया। 14वीं सदी के पूर्वार्ध में दक्षिण भारत में तुंगभद्रा नद... अधिक पढ़ें
कृष्ण तृतीय ( 939 – 967 ई), मान्यखेत के राष्ट्रकूट राजवंश के अन्तिम महान एवं योग्य शासक थे। वह एक चतुर प्रशासक और कुशल सैन्य प्रचारक था। उसने राष्ट्रकूटों के गौरव को वापस लाने के लिए कई युद्ध किए और राष्ट्रकूट साम्राज्य के पुनर्न... अधिक पढ़ें
शिशुनाग 412 ई॰पू॰ गद्दी पर बैठे। महावंश के अनुसार वह लिच्छवि राजा के वेश्या पत्नी से उत्पन्न पुत्र थे । पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय थे । इन्होने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति पर वहां के शासक अवंतिवर्द्धन के... अधिक पढ़ें
सीमुक अथवा सीमुख (230–207 ईसा पूर्व) भारत का राजा था जिसने सातवाहन राजवंश की स्थापना की। पुराणों में वह सिशुक या सिन्धुक नाम से वर्णित है। पुराणों के अनुसार आंध्र सीमुख सुशर्मन् के अन्य भृत्यों की सहायता से काण्वायनों का नाम कर पृथ्वी पर... अधिक पढ़ें

शाह जहाँ पांचवे मुग़ल शहंशाह था। शाह जहाँ अपनी न्यायप्रियता और वैभवविलास के कारण अपने काल में बड़े लोकप्रिय रहे। किन्तु इतिहास में उनका नाम केवल इस कारण नहीं लिया जाता। शाहजहाँ का नाम एक ऐसे आशिक के तौर पर लिया जाता है जिसने अपनी बेग़म मुमताज़ बेगम के लिये विश्व की सबसे ख़ूबसूरत इमारत ताज महल बनाने का यत्न किया।
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ललितादित्य मुक्तापीड (राज्यकाल 724-761 ई) कश्मीर के कार्कोट राजवंश के हिन्दू सम्राट थे। उनके काल में कश्मीर का विस्तार मध्य एशिया और बंगाल तक पहुंच गया। उन्होने अरब के मुसलमान आक्रान्ताओं को सफलतापूर्वक दबाया तथा तिब्बती सेन... अधिक पढ़ें

अनीयम तिरुनाल मार्तान्ड वर्मा (1706 - 7 जुलाई 1758) त्रावणकोर राज्य के महाराजा थे। वे आधुनिक त्रावणकोर के निर्माता कहे जाते हैं। उन्होने 1729 से लेकर 1758 तक आजीवन शासन किया। उनकी मृत्यु के पश्चात राम वर्मा (या 'धर्म राज') सिं... अधिक पढ़ें
महेन्द्रवर्मन प्रथम चम्पा राज्य के राजा थे। वे पहले जैन धर्म के अनुयायी थे पर बाद मेंं उन्होंने शैव धर्म अपनाया। उन्होंने 'मत्तविलास' 'विचित्र चित्त' एवं 'गुणभर शत्रुमल्ल, ललिताकुर, अवनिविभाजन, संर्कीणजाति, महेन्द्र विक्रम, अलुप्तकाम कलहप्रीथ आदि प्रशंसासूचक पदवी धारण की थी। उनकी उपाधियां 'चेत्थकारी' और 'चित्रकारपुल्ली' भी थीं।
गोविन्द तृतीय ध्रुव धारवर्ष का पुत्र था। ध्रुव ने 13 वर्षों तक सफलतापूर्वक शासन करने के बाद संभवत: अपने जीवनकाल में अपने तीसरे और योग्यतम पुत्र गोविंद (तृतीय) को 793 ई. के आसपास राज्याभिषिक्त कर दिया। उसके पूर्व गोविंद का युवराज... अधिक पढ़ें

रज़िया अल-दिन(1205-1240) शाही नाम “जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ”, इतिहास में जिसे सामान्यतः “रज़िया सुल्तान” या “रज़िया सुल्ताना” के नाम से जाना जाता है, दिल्ली सल्तनत की सुल्तान (तुर्की शासकों द्वारा प्रयुक्त एक उपाधि) थी। उसने 1236 ई0 से ... अधिक पढ़ें
भगभद्र शुंग राजवंश के एक राजा थे। उन्होंने 110 ईसा पूर्व के लगभग उत्तर केन्द्रीय और पूर्वी भारत में शासन किया। यद्यपि शुंग की राजधानी पाटलीपुत्र थी, उन्हें विदिशा में अदालत निर्माण के लिए भी जाना जाता है। शुंग राजवंश ने 112 वर्षों तक शासन किया और उनमें से 9वें राजा भग को विदिशा के भद्र के रूप में जाना जाता है।
दन्तिदुर्ग (राष्ट्रकूट साम्राज्य) (736-756) ने चालुक्य साम्राज्य को पराजित कर राष्ट्रकूट साम्राज्य की नींव डाली। दंतिदुर्ग ने उज्जयिनी में हिरण्यगर्भ दान किया था, तथा उन्होंने महाराजाधिराज,परमेश्वर परमंभट्टारक इत्यादि उपाधियाँ धारण की थी। दंतिदुर्ग का उतराधिकारी कृष्ण प्रथम था, जिसने एलोरा के सुप्रसिद्ध कैलाश नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।

अमोघवर्ष नृपतुंग या अमोघवर्ष प्रथम (800 – 878) भारत के राष्ट्रकूट वंश के महानतम शाशक थे। वे जैन धर्म के अनुयायी थे। इतिहासकारों ने उनकी शांतिप्रियता एवं उदारवादी धार्मिक दृष्टिकोण के लिये उन्हें सम्राट अशोक से तुलना की है। उनके शासनकाल में कई संस्कृत एवं कन्नड के विद्वानो को प्रश्रय मिला जिनमें महान गणितज्ञ महावीराचार्य का नाम प्रमुख है।

नरसिंहवर्मन् 1 पल्लव राजवंश का राजा। इसने 630 से 668 तक राज किया। इसने महाबलिपुरम में अपने पिता महेन्द्रवर्मन् के आरम्भ किये निर्माण महाबलिपुरम के तट मन्दिर परिसर को पूरा किया। यह मल्ल भी था इसीलिये इसे ममल्लन् बी कहते हैं और महाबलिपुरम् को ममल्लपुरम् भी कहते हैं।

यशोवर्मन का राज्यकाल 700 से 740 ई0 के बीच में रखा जा सकता है। कन्नौज उसकी राजधानी थी। कान्यकुब्ज (कन्नौज) पर इसके पहले हर्ष का शासन था जो बिना उत्तराधिकारी छोड़े ही मर गये जिससे शक्ति का 'निर्वात' पैदा हुआ। यह भी संभ्भावना है कि उ... अधिक पढ़ें
इस्माइल आदिल शाह बीजापुर के राजा थे जिन्होंने अपना अधिकांश समय अपने क्षेत्र का विस्तार करने में बिताया। उनके अल्पकालिक शासनकाल ने राजवंश के डेक्कन में एक गढ़ स्थापित करने में मदद की।