प्राचीन काल से ही कला, साहित्य इत्यादि क्षेत्रों के विद्वानों का उल्लेख हम इतिहास में सुनते आये हैं | समयकाल व्यतीत होने के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी मनुष्य ने अपनी कल्पना और जिज्ञासा को वास्तविकता में परिवर्तित किया | आधुनिक युग में विकास का आधार मुख्यतः विज्ञान को ही माना गया है , तो हमें भी इसका ध्यान रखते हुए उन वैज्ञानिकों का स्मरण करते रहना चाहिए जिन्होंने इतनी महत्वपूर्ण खोजें की |
वैज्ञानिकों के अंदर दुनिया को बदलने की ताकत होती है। इनके आविष्कार दुनिया को एक नया आयाम देते हैं। उनके महान योगदान को मानवजाती कभी भी भूल नहीं सकती। इन वैज्ञानिकों ने कई सालों की कड़ी मेहनत की है जो अपने आप में अविश्वसनीय लगता है। यहां ऐसे ही महान और लोकप्रिय गैर-भारतीय वैज्ञानिकों की सूची दी गई है। आधुनिक दुनिया में वैज्ञानिक विचारों के विकास में इन विभूतियों का महान योगदान है। उन्होंने वैश्विक वैज्ञानिक विचार में अद्वितीय योगदान दिया है। उनकी रचनात्मकता और काबिलियत ने हमारे जीने के तरीके को एक नया आकार दिया है। उनका काम अभी भी विश्वविद्यालयों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। इन वैज्ञानिकों के अद्भुत काम आज भी परमाणु विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, जैविक विज्ञान, डिजिटल मीडिया, ऊर्जा, क्लाउड कंप्यूटिंग और यहां तक कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में काम आते है। इन महान वैज्ञानिकों को हमारा बारम्बार प्रणाम है। आइये आज की इस सूची में हम दुनियाभर के उन महान वैज्ञानिकों पर नज़र डालते हैं जिनकी खोजों ने मानवता और विज्ञान को नए शिखरों तक पहुँचाया –
थॉमस एल्वा एडिसन (11 फ़रवरी 1847 - 18 अक्टूबर 1931) हान अमरीकी आविष्कारक एवं वीध्वांत व्यक्ति थे।फोनोग्राफ एवं विद्युत बल्ब सहित अनेकों युक्तियाँ विकसित कीं जिनसे संसार भर में लोगों के जीवन में भारी बदलाव आये। "मेन्लो पार्क के जादूगर" के नाम से प्रख्यात, भारी मात्रा में उत्पादन के सिद्धान्त एवं विशाल टीम को लगाकर अन्वेषण-कार्य को आजमाने वाले वे पहले अनुसंधानकर्ता थे। इसलिये एडिसन को ही प्रथम औद्योगिक प्रयोगशाला स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। अमेरिका में अकेले 1093 पेटेन्ट कराने वाले एडिसन विश्व के सबसे महान आविष्कारकों में गिने जाते हैं।
एडीसन बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे
निकोला टेस्ला (अंग्रेजी: Nikola Tesla; सर्बियाई सिरिलिक: Никола Тесла, 10 जुलाई 1856 - 7 जनवरी 1943) एक सर्बियाई अमेरिकी आविष्कारक, भौतिक विज्ञानी, यांत्रिक अभियन्ता, विद्युत अभियन्ता और भविष्यवादी थे। टेस्ला की प्रसिद्धि उनके आधुनिक प्रत्यावर्ती धारा (एसी) विद्युत आपूर्ति प्रणाली के क्षेत्र में दिये गये अभूतपूर्व योगदान के कारण है। टेस्ला के विभिन्न पेटेंट और सैद्धांतिक कार्य, बेतार संचार और रेडियो के विकास का आधार साबित हुये हैं। वैद्युत चुंबकत्व के क्षेत्र में किये गये उनके कई क्रांतिकारी विकास कार्य, माइकल फैराडे के विद्युत प्रौद्योगिकी के सिद्धांतों पर आधारित थे।
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) (3 मार्च 1847 – 2 अगस्त 1922) को पूरी दुनिया आमतौर पर टेलीफोन के आविष्कारक के रूप में ही ज्यादा जानती है। बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि ग्राहम बेल ने न केवल टेलीफोन, बल्कि कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई और भी उपयोगी आविष्कार किए हैं। ऑप्टिकल-फाइबर सिस्टम, फोटोफोन, बेल और डेसिबॅल यूनिट, मेटल-डिटेक्टर आदि के आविष्कार का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। ये सभी ऐसी तकनीक पर आधारित हैं, जिसके बिना संचार-क्रंति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
अल्बर्ट आइंस्टीन (जर्मन : Albert Einstein; 14 मार्च 1879 - 18 अप्रैल 1955) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc2 के लिए जाने जाते हैं। उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी, खासकर प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन की खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
आइंसटाइन ने विशेष सापेक्षिकता (1905) और सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत (1916) सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में- सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांत, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है।
आइंस्टीन ने पचास से अधिक शोध-पत्र और विज्ञान से अलग किताबें लिखीं। 1999 में टाइम पत्रिका ने शताब्दी-पुरूष घोषित किया। एक सर्वेक्षण के अनुसार वे सार्वकालिक महानतम वैज्ञानिक माने गए।
आइंस्टीन ने 300 से अधिक वैज्ञानिक शोध-पत्रों का प्रकाशन किया। 5 दिसंबर 2014 को विश्वविद्यालयों और अभिलेखागारो ने आइंस्टीन के 30,000 से अधिक अद्वितीय दस्तावेज एवं पत्र की प्रदर्शन की घोषणा की हैं। आइंस्टीन के बौद्धिक उपलब्धियों और अपूर्वता ने "आइंस्टीन" शब्द को "बुद्धिमान" का पर्याय बना दिया है।
स्टीफन विलियम हॉकिंग (8 जनवरी 1942– 14 मार्च 2018)), एक विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र (Centre for Theoretical Cosmology) के शोध निर्देशक थे।
हंफ्री डेवी एक ब्रिटिश रासायनज्ञ थे उन्होंने कोयला की खानों में जलाने के सुरक्षा दीप का आविष्कार किया। इसके अलावा इन्होंने इलेक्ट्रोलिसिस, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, बेरियम, बोरोन के भी आविष्कार या खोजें कीं।
सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध प्रपत्र "प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों "" सन् 1687 में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल भौतिकी) की नींव रखी।
उनकी फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका, 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है, जो अधिकांश साहित्यिक यांत्रिकी के लिए आधारभूत कार्य की भूमिका निभाती है।
इस कार्य में, न्यूटन ने सार्वत्रिक गुरुत्व और गति के तीन नियमों का वर्णन किया जिसने अगली तीन शताब्दियों के लिए भौतिक ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। न्यूटन ने दर्शाया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया।
यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया और इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया। गणित में, अवकलन और समाकलन कलन के विकास का श्रेय गोटफ्राइड लीबनीज के साथ न्यूटन को जाता है। उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय का भी प्रदर्शन किया और एक फलन के शून्यों के सन्निकटन के लिए तथाकथित "न्यूटन की विधि" का विकास किया और घात श्रृंखला के अध्ययन में योगदान दिया।
वैज्ञानिकों के बीच न्यूटन की स्थिति बहुत शीर्ष पद पर है, ऐसा ब्रिटेन की रोयल सोसाइटी में 2005 में हुए वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के द्वारा प्रदर्शित होता है, जिसमें पूछा गया कि विज्ञान के इतिहास पर किसका प्रभाव अधिक गहरा है, न्यूटन का या एल्बर्ट आइंस्टीन का। इस सर्वेक्षण में न्यूटन को अधिक प्रभावी पाया गया।. न्यूटन अत्यधिक धार्मिक भी थे, हालाँकि वे एक अपरंपरागत ईसाई थे, उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान, जिसके लिए उन्हें आज याद किया जाता है, की तुलना में बाइबिल हेर्मेनेयुटिक्स पर अधिक लिखा।
19वी शताब्दी के जिन महान वैज्ञानिकों ने निष्काम भाव से मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया ,उनमे से एक थे लुई पाश्चर (Louis Pasteur)। लुई पाश्चर (Louis Pasteur) ने अपनी महान वैज्ञानिकों खोजो के द्वारा बीमारी के दौरान घाव उत्पन्न होने की स्थिति में जो असहनीय पीड़ा होती है उससे मुक्ति दिलाकर एक बड़ी मानव सेवा ही की थी।
कर्म-क्षेत्र: रसायन शास्त्र, सूक्ष्म जीव शास्त्र
शिक्षा: École Normale Supérieure
विशेष खोज: रैबीज वैक्सिन
कार्य : स्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालय, लील्ले विज्ञान तथा तकनिकी विश्वविद्यालय ,École Normale Supérieure ,पास्चर इंस्टीट्युट
पुरस्कार-उपाधि: लीवेनहोएक मेडल, मान्ट्यान पुरस्कार ,कापली मेडल ,रमफ़र्ड मेडल, अलबर्ट मेडल
सम्मान: लुई पास्चर के सम्मान मे ही दूध को 60 डीग्री सेल्सीयस तक गर्म कर कीटाणु रहित करने की प्रक्रिया को ’पास्चराइजेशन’ कहते है।
बेंजामिन फ्रैंकलिन (साँचा:OldStyleDateDY – 17 अप्रैल 1790) संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापक जनकों में से एक थे। एक प्रसिद्ध बहुश्रुत, फ्रैंकलिन एक प्रमुख लेखक और मुद्रक, व्यंग्यकार, राजनीतिक विचारक, राजनीतिज्ञ, वैज्ञानिक, आविष्कारक, नागरिक कार्यकर्ता, राजमर्मज्ञ, सैनिक, और राजनयिक थे। एक वैज्ञानिक के रूप में, बिजली के सम्बन्ध में अपनी खोजों और सिद्धांतों के लिए वे प्रबोधन और भौतिक विज्ञान के इतिहास में एक प्रमुख शख्सियत रहे। उन्होंने बिजली की छड़, बाईफोकल्स, फ्रैंकलिन स्टोव, एक गाड़ी के ओडोमीटर और ग्लास 'आर्मोनिका' का आविष्कार किया। उन्होंने अमेरिका में पहला सार्वजनिक ऋण पुस्तकालय और पेंसिल्वेनिया में पहले अग्नि विभाग की स्थापना की। वे औपनिवेशिक एकता के शीघ्र प्रस्तावक थे और एक लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने एक अमेरिकी राष्ट्र के विचार का समर्थन किया। अमेरिकी क्रांति के दौरान एक राजनयिक के रूप में, उन्होंने फ्रेंच गठबंधन हासिल किया, जिसने अमेरिका की स्वतंत्रता को संभव बनाने में मदद की।
फ्रेंकलिन को अमेरिकी मूल्यों और चरित्र के आधार निर्माता के रूप में श्रेय दिया जाता है, जिसमें बचत के व्यावहारिक और लोकतांत्रिक अतिनैतिक मूल्यों, कठिन परिश्रम, शिक्षा, सामुदायिक भावना, स्व-शासित संस्थानों और राजनीतिक और धार्मिक स्वैच्छाचारिता के विरोध करने के संग, प्रबोधन के वैज्ञानिक और सहिष्णु मूल्यों का समागम था। हेनरी स्टील कोमगेर के शब्दों में, "फ्रैंकलिन में प्यूरिटनवाद के गुणों को बिना इसके दोषों के और इन्लाईटेनमेंट की प्रदीप्ति को बिना उसकी तपिश के समाहित किया जा सकता है।" वाल्टर आईज़ेकसन के अनुसार, यह बात फ्रेंकलिन को, "उस काल के सबसे निष्णात अमेरिकी और उस समाज की खोज करने वाले लोगों में सबसे प्रभावशाली बनाती है, जैसे समाज के रूप में बाद में अमेरिका विकसित हुआ।"फ्रेंकलिन, एक अखबार के संपादक, मुद्रक और फिलाडेल्फिया में व्यापारी बन गए, जहां पुअर रिचार्ड्स ऑल्मनैक और द पेन्सिलवेनिया गजेट के लेखन और प्रकाशन से वे बहुत अमीर हो गए। फ्रेंकलिन की विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दिलचस्पी थी और अपने प्रसिद्ध प्रयोगों के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की. पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय को स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे अमेरिकी दार्शनिक सोसायटी के पहले अध्यक्ष चुने गए। फ्रेंकलिन अमेरिका में उस वक्त एक राष्ट्रीय नायक बन गए जब उन्होंने उस प्रयास का नेतृत्व किया जिसके तहत संसद पर अलोकप्रिय स्टाम्प अधिनियम को निरस्त करने का दबाव बनाया गया। एक निपुण राजनयिक फ्रैंकलिन को, पेरिस में अमेरिकी मंत्री के रूप में फ्रांसीसियों के बीच व्यापक रूप से सराहा गया और वे फ्रेंको अमेरिकी संबंधों के सकारात्मक विकास में एक प्रमुख व्यक्ति थे। 1775 से 1776 तक, फ्रैंकलिन, कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के तहत पोस्टमास्टर जनरल थे और 1785 से 1788 तक, वे सुप्रीम एक्सिक्यूटिव कौंसिल ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के अध्यक्ष रहे। अपने जीवन के आखिरी काल में, वे एक सबसे प्रमुख दासप्रथा-विरोधी बन गए।
उनका रंगीन जीवन और वैज्ञानिक और राजनीतिक उपलब्धि की विरासत और अमेरिका के सबसे प्रभावशाली संस्थापक पिता के रूप में उनकी छवि ने फ्रेंकलिन को सिक्कों और पैसों पर; युद्धपोत; कई शहरों के नामों, काउंटियों, शैक्षिक संस्थानों, हमनामों और कंपनियों; और उनकी मृत्यु के दो से अधिक सदियों के बाद अनगिनत सांस्कृतिक सन्दर्भों में सम्मानित होते देखा।
ऍडविन पावल हबल एक अमेरिकी खगोलशास्त्री थे जिन्होनें हमारी गैलेक्सी के अलावा अन्य गैलेक्सियाँ खोज कर हमेशा के लिए मानवजाती की ब्रह्माण्ड के बारे में अवधारणा बदल डाली। उन्होंने यह भी खोज निकाला के कोई गैलेक्सी पृथ्वी से जितनी दूर होती है उस से आने वाले प्रकाश का डॉप्लर प्रभाव उतना ही अधिक होता है, यानि उसमे लालिमा अधिक प्रतीत होती है। इस सच्चाई का नाम "हबल सिद्धांत" रखा गया और इसका सीधा अर्थ यह निकला के हमारा ब्रह्माण्ड निरंतर बढ़ती हुई गति से फैल रहा है।
जोसेफ़ जॉन थॉमसन अंग्रेज़ भौतिक विज्ञानी थे। वो रॉयल सोसायटी ऑफ़ लंदन के निर्वाचित सदस्य थे। एक विख्यात वैज्ञानिक थे। उन्हौंने इलेक्ट्रॉन की खोज की थी।
पोलैंड में जन्में निकोलस कोपरनिकस (Nicolaus Copernicus, पोलिश: Mikołaj Kopernik; 19 फ़रवरी 1473 – 24 मई 1543) पोलिश खगोलशास्त्री व गणितज्ञ थे। उन्होंने यह क्रांतिकारी सूत्र दिया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केन्द्र में नहीं है।
निकोलस पहले युरोपिय खगोलशास्त्री थे जिन्होंने पृथ्वी को ब्रह्माण्ड के केन्द्र से बाहर माना, यानी हीलियोसेंट्रिज्म मॉडल को लागू किया। इसके पहले पूरा युरोप अरस्तू की अवधारणा पर विश्वास करता था, जिसमें पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र थी और सूर्ये, तारे तथा दूसरे पिंड उसके गिर्द चक्कर लगाते थे।
1530 में कोपरनिकस की किताब डी रिवोलूशन्स (De Revolutionibus) प्रकाशित हुई जिसमें उसने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर पूरा करती है। कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिए प्रूटेनिक टेबिल्स की रचना की जो अन्य खगोलविदों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।
खगोलशास्त्री होने के साथ साथ कोपरनिकस गणितज्ञ, चिकित्सक, अनुवादक, कलाकार, न्यायाधीश, गवर्नर, सैन्य नेता और अर्थशास्त्री भी थै। उन्होंने मुद्रा पर शोध कर ग्रेशम के प्रसिद्ध नियम को स्थापित किया, जिसके अनुसार खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। उन्होंने मुद्रा के संख्यात्मक सिद्धांत का फार्मूला दिया। कोपरनिकस के सुझावों ने पोलैंड की सरकार को मुद्रा के स्थायित्व में सहायता प्रदान की।
पेन्सिलिन के आविष्कारक अलेक्जेंडर फ्लेमिंग, स्कॉटलैण्ड के जीववैज्ञानिक एवं औषधिनिर्माता थे। उनकी प्रसिद्धि पेनिसिलिन के आविष्कारक के रूप में है | उन्होने जीवाणुविज्ञान (बैक्टिरिओलॉजी), रोग-प्रतिरक्षा-विज्ञान (Immunology) एवं रसचिकित्सा (केमोथिरैपी) आदि विषयों के ऊपर अनेक शोधपत्र प्रकाशित किये। उन्होने सन् 1923 में लिसोजाइम (lysozyme) नामक एंजाइम की खोज भी की। पेनिसिलिन के आविष्कार के लिये उन्हें सन् 1945 में संयुक्त रूप से चिकित्सा का नोबेल सम्मान दिया गया।
जेम्स क्लार्क मैक्सवेल (James Clerk Maxwell) स्कॉटलैण्ड (यूके) के एक विख्यात गणितज्ञ एवं भौतिक वैज्ञानिक थे। इन्होंने 1865 ई. में विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिससे रेडियो और टेलीविजन का आविष्कार सम्भव हो सका। क्लासिकल विद्युत चुंबकीय सिद्धांत, चुंबकत्व और प्रकाशिकी के क्षेत्र में दिए गए सिद्धांतों के लिए उन्हें प्रमुखता से याद किया जाता है। मैक्सवेल ने क्रांतिकारी विचार रखा कि प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंग है और यह माध्यम से स्वतंत्र है। स्कॉटिश भौतिकविद जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने इस सिद्धांत से क्रांति ला दी। न्यूटन के बाद विद्युतचुंबकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल द्वारा किए गए कार्य को भौतिकी के क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा एकीकरण कार्य माना जाता है। यह कई क्षेत्रों से जुड़ा है।
डेमीत्रि इवानोविच मेडेलीफ़ (रूसी : Дмитрий Иванович Менделеев ; 8 फ़रवरी 1834 – 2 फ़रवरी 1907), एक रूसी रसानज्ञ और आविष्कारक थे। उन्होंने तत्वों के आवर्त वर्गीकरण का प्रतिपादन किया। इस सारणी का प्रयोग कर उन्होंने उन तत्वों के गुणों का भी पता लगाया जिसकी उसने समय तक खोज नहीं हो सकी थी।
मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी, पोलिश : Maria Salomea Skłodowska-Curie (लघु नाम: मैरी क्यूरी) (7 नवम्बर 1867 - 4 जुलाई 1934) विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री थी। मेरी ने रेडियम की खोज की थी। विज्ञान की दो शाखाओं (भौतिकी एवं रसायन विज्ञान) में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बडी बेटी आइरीन को 1935 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को 1965 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक , इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था।
जॉर्ज वॉशिंगटन कार्वर एक अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक और आविष्कारक थे जिन्होंने मिट्टी की कमी को रोकने के लिए कपास और वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा दिया। वह 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में सबसे प्रमुख अश्वेत वैज्ञानिक थे।
पॉल एड्रियन मौरिस डिरॅक अंग्रेज़ सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री थे जिन्होंने क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम विद्युत गतिकी दोनों के प्रारंभिक विकास के लिए मौलिक योगदान दिया था। यह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित के ल्युकेज़ियन प्रोफेसर तथा सैंटर फॉर थियोरेटिकल स्टडीज़, युनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी के सदस्य थे, व अपने जीवन का अंतिम दशक इन्होंने फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में व्यतीत किया।
नील्स हेनरिक डेविड बोर (1885-1962) डेनमार्क के भौतिकविज्ञानी थे जिन्होने क्वांटम विचारों के आधार पर हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्र्म की व्याख्या की। नाभिक के द्र्व - बूँद मॉडल के आधार पर उन्होने नाभिकीय विखंडन का एक सिद्धांत प्रस्तुत किया। बोर ने
क्वांटम - यांत्रिकी की संकल्पनात्मक समस्याओं को विशेषकर संपूरकता के सिद्धांत की प्रस्तुति द्वारा स्पष्ट करने में योगदान किया।
रॉबर्ट हूक एक अंग्रेज़ी प्राकृतिक दार्शनिक थे। इन्होंने वैज्ञानिक क्रांति में अपने प्रायोगिक एवं सैद्धांतिक कार्यों के योगदान द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
जॉन डाल्टन एक अंग्रेज़ वैज्ञानिक थे। इन्होंने पदार्थ की रचना सम्बन्धी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जो 'डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त' के नाम से प्रचलित है।
सेराक्यूस के आर्किमिडीज़ (यूनानी:Ἀρχιμήδης; 287 ई.पू. - 212 ई.पू.), एक यूनानी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, अभियंता, आविष्कारक और खगोल विज्ञानी थे। हालांकि उनके जीवन के कुछ ही विवरण ज्ञात हैं, उन्हें शास्त्रीय पुरातनता का एक अग्रणी वैज्ञानिक माना जाता है। भौतिक विज्ञान में उन्होनें जलस्थैतिकी, सांख्यिकी और उत्तोलक के सिद्धांत की व्याख्या की नीव रखी थी। उन्हें नवीनीकृत मशीनों को डिजाइन करने का श्रेय दिया जाता है, इनमें सीज इंजन और स्क्रू पम्प शामिल हैं। आधुनिक प्रयोगों से आर्किमिडीज़ के इन दावों का परीक्षण किया गया है कि दर्पणों की एक पंक्ति का उपयोग करते हुए बड़े आक्रमणकारी जहाजों को आग लगाई जा सकती हैं।आमतौर पर आर्किमिडीज़ को प्राचीन काल का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है और सब समय के महानतम लोगों में से एक कहा जाता है। उन्होंने एक परवलय के चाप के नीचे के क्षेत्रफल की गणना करने के लिए पूर्णता की विधि का उपयोग किया, इसके लिए उन्होंने अपरिमित श्रृंखला के समेशन का उपयोग किया और पाई का उल्लेखनीय सटीक सन्निकट मान दिया। उन्होंने एक आर्किमिडीज सर्पिल को भी परिभाषित किया, जो उनके नाम पर आधारित है, घूर्णन की सतह के आयतन के लिए सूत्र दिए और बहुत बड़ी संख्याओं को व्यक्त करने के लिए एक सरल प्रणाली भी दी।
आर्किमिडीज सेराक्यूस की घेराबंदी के दौरान मारे गए जब एक रोमन सैनिक ने उनकी हत्या कर दी, हालांकि यह आदेश दिया गया था कि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। सिसरो आर्किमिडिज़ का मकबरा, जो एक बेलन के अंदर अन्दर स्थित गुंबद की तरह है, पर जाने का वर्णन करते हैं कि, आर्किमिडीज ने साबित किया था कि गोले का आयतन और इसकी सतह का क्षेत्रफल बेलन का दो तिहाई होता है (बेलन के आधार सहित) और इसे उनकी एक महानतम गणितीय उपलब्धि माना जाता है।
उनके आविष्कारों के विपरीत, आर्किमिडीज़ के गणितीय लेखन को प्राचीन काल में बहुत कम जाना जाता था। एलेगज़ेनडरिया से गणितज्ञों ने उन्हें पढ़ा और उद्धृत किया, लेकिन पहला व्याख्यात्मक संकलन सी. तक नहीं किया गया था। यह 530 ई. में मिलेटस के इसिडोर ने किया, जब छठी शताब्दी ई. में युटोकियास ने आर्किमिडीज़ के कार्यों पर टिप्पणियां लिखीं और पहली बार इन्हें व्यापक रूप से पढने के लिये उपलब्ध कराया गया। आर्किमिडीज़ के लिखित कार्य की कुछ प्रतिलिपियां जो मध्य युग तक बनी रहीं, वे पुनर्जागरण के दौरान वैज्ञानिकों के लिए विचारों का प्रमुख स्रोत थीं, हालांकि आर्किमिडीज़ पालिम्प्सेट में आर्किमिडीज़ के द्वारा पहले से किये गए अज्ञात कार्य की खोज 1906 में की गयी थी, जिससे इस विषय को एक नयी अंतर्दृष्टि प्रदान की कि उन्होंने गणितीय परिणामों को कैसे प्राप्त किया।
अंटोइन हेनरी बैकेरल एक फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री, नोबेल पुरस्कार विजेता और मैरी क्यूरी तथा पियरे क्यूरी के साथ रेडियोधर्मिता के अनवेष्क थे, जिसके लिए तीनों को 1903 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
जर्मन वैज्ञानिक मैक्स प्लांक (Max Planck) का जन्म 23 अप्रैल 1858 को हुआ था। ग्रेजुएशन के बाद जब उसने भौतिकी का क्षेत्र चुना तो एक अध्यापक ने राय दी कि इस क्षेत्र में लगभग सभी कुछ खोजा जा चुका है अतः इसमें कार्य करना निरर्थक है। प्लांक ने जवाब दिया कि मैं पुरानी चीज़ें ही सीखना चाहता हूँ. प्लांक के इस क्षेत्र में जाने के बाद भौतिकी में इतनी नई खोजें हुईं जितनी शायद पिछले हज़ार वर्षों में नहीं हुई थीं।
प्लांक ने अपने अनुसंधान की शुरुआत ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) से की। उसने विशेष रूप से उष्मागतिकी के द्वितीय नियम पर कार्य किया। उसी समय कुछ इलेक्ट्रिक कंपनियों ने उसके सामने एक ऐसे प्रकाश स्रोत को बनाने की समस्या रखी जो न्यूनतम ऊर्जा की खपत में अधिक से अधिक प्रकाश पैदा कर सके। इस समस्या ने प्लांक का रूख विकिरण (Radiation) के अध्ययन की ओर मोड़ा . उसने विकिरण की विद्युत् चुम्बकीय प्रकृति (Electromagnetic Nature) ज्ञात की। इस तरह ज्ञात हुआ कि प्रकाश, रेडियो तरंगें, पराबैंगनी (Ultraviolet), इन्फ्रारेड सभी विकिरण के ही रूप हैं जो दरअसल विद्युत् चुम्बकीय तरंगें हैं।
प्लांक ने ब्लैक बॉडी रेडियेशन पर कार्य करते हुए एक नियम दिया जिसे वीन-प्लांक नियम के नाम से जाना जाता है। बाद में उसने पाया कि बहुत से प्रयोगों के परिणाम इससे अलग आते हैं। उसने अपने नियम का पुनर्विश्लेषण किया और एक आश्चर्यजनक नई खोज पर पहुंचा, जिसे प्लांक की क्वांटम परिकल्पना कहते हैं। इन पैकेट्स को क़्वान्टा कहा जाता है। हर क़्वान्टा की ऊर्जा निश्चित होती है तथा केवल प्रकाश (विकिरण) की आवृत्ति (रंग) पर निर्भर करती है। (सूत्र E = hν जहाँ h प्लांक नियतांक तथा ν आवृत्ति है।)
प्लांक की इस परिकल्पना ने भौतिक जगत में हलचल मचा दी। यहीं से जन्म हुआ भौतिकी की नई शाखा क्वांटम भौतिकी का. बाद में इसी परिकल्पना का उपयोग करते हुए आइन्स्टीन ने प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या की, जिसके लिए उसे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस परिकल्पना के अनुसार प्रकाश तथा अन्य विद्युत चुम्बकीय विकिरण ऊर्जा का सतत प्रवाह न होकर ऊर्जा के छोटे छोटे पैकेट के रूप में चलता है।
क्वांटम भौतिकी की स्थापना के लिए प्लांक को 1918 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। धार्मिक रूप से वह ईसाई था। वह तथा आइन्स्टीन गहरे दोस्त थे। उनकी पिआनो की महफिलें साथ में जमती थीं। 4 अक्टूबर 1947 को नब्बे वर्ष की अवस्था में उसकी मृत्यु हुई।
माइकेल फैराडे, भौतिक विज्ञानी एवं रसायनज्ञ थे। उन्होने विद्युत-धारा के चुम्बकीय प्रभाव का आविष्कार किया। उसने विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का अध्ययन करके उसको नियमवद्ध किया। इससे डायनेमों तथा विद्युत मोटर का निर्माण हुआ। बाद में मैक्सवेल Maxwell के विद्युतचुम्बकत्व के चार समीकरणों में फैराडे का यह नियम भी सम्मिलित हुआ। फैराडे ने विद्युत रसायन पर भी बहुत काम किया और इससे सम्बन्धित अपने दो नियम दिये। उन्होंने रुडोल्फ डिजल के साथ डिजल-चलित बिजली उत्पादक का आविष्कार किया था।
ब्लेज़ पास्कल, फ्रांसीसी गणितज्ञ, भौतिकज्ञ और धार्मिक दार्शनिक थे। पास्कल ने व्यावहारिक विज्ञान पर काम करते हुए मशीनी गणक बनाए, द्रव्यों के गुणों को समझा और टॉरिसैली के काम को आगे बढ़ाते हुए दबाव और निर्वात की अवधारणाओं को स्पष्ट किया। इन्होंने वैज्ञानिक विधि के समर्थन में भी लेख लिखे। साथ ही धार्मिक दर्शन में भी इनकी कृतियों ने बहुत असर छोड़ा।
चार्ल्स डार्विन (12 फरवरी, 1809 – 19 अप्रैल 1882) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से 1831 से 1836 में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है।संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक जीवजाति का उद्भव (Origin of Species (हिंदी में - 'ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़')) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो।
डार्विन के विकास के सिद्धान्त से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। उदाहरणतः वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई।
ग्रेगर जॉन मेंडल (22 जुलाई, 1822 – 6 जनवरी, 1884) एक जर्मन भाषी ऑस्ट्रियाई औगस्टेनियन पादरी एवं वैज्ञानिक थे। उन्हें आनुवांशिकी का जनक कहा जाता है। उन्होंने मटर के दानों पर प्रयोग कर आनुवांशिकी के नियम निर्धारित किए थे। उनके कार्यों की महत्ता बीसवीं शताब्दी तक नहीं पहचानी गई बाद में उन नियमों की पुनर्खोज ने उनका महत्व बताया।
एंटोन वोन लुएन्हूक एक डच जीव वैज्ञानिक थे। वे सूक्ष्म-जीव विज्ञान के जनक माने जाते हैं। उनके सूक्ष्मदर्शी यंत्र ने जीव-विज्ञान की दुनिया में क्रांति ला दी थी।
रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन बीसवी शताब्दी के अन्तिम भाग के सबसे चर्चित वैज्ञानिक थे। वे 1966 मे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए। फाइनमेन ने 1961-63 मे कैल-टेक मे स्नातक के विद्यार्थियों को भौतिक शास्त्र पढ़ाया। इन तीन साल ने भौतिक शास्त्र को पढ़ाने की नयी दिशा दी और भौतिक शास्त्र नयी तरह से नये विषयों के साथ पढ़ाया जाने लगा। इन लेक्चरों को तीन किताबों ने बदला गया। यह लाल बाईंडिंग मे थीं और 'Lectures on Physics by Richard P Feynman के नाम से मशहूर हुईं।
ओटो हैन एक जर्मन रसायनज्ञ थे और रेडियोधर्मिता और रेडियोकेमिस्ट्री के क्षेत्र में अग्रणी थे। हैन को परमाणु रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है। उन्होंने रेडियम, थोरियम, प्रोटैक्टिनियम और यूरेनियम के रेडियोधर्मी समस्थानिकों की खोज की। उन्होंने रेडियोधर्मी पुनरावृत्ति और परमाणु समरूपता की घटनाओं की भी खोज की।
Lise Meitner एक ऑस्ट्रियाई-स्वीडिश भौतिक विज्ञानी थीं, जिन्होंने एक तत्व प्रोटैक्टीनियम और परमाणु विखंडन की खोजों में योगदान दिया। रेडियोएक्टिविटी पर कैसर विल्हेम इंस्टीट्यूट में काम करते हुए, उन्होंने 1917 में एक रेडियोधर्मी आइसोटोप के रूप में प्रोटैक्टीनियम की खोज की।
जॉन क्रेग वेंटर एक अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजिस्ट और व्यवसायी हैं। उन्हें मानव जीनोम के पहले ड्राफ्ट अनुक्रम का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है | उन्होंने एक सिंथेटिक गुणसूत्र के साथ एक सेल को संक्रमित करने के लिए पहली टीम को इकट्ठा किया।
एडवर्ड ओसबोर्न विल्सन, आमतौर पर ई। ओ। विल्सन के रूप में उद्धृत, एक अमेरिकी जीवविज्ञानी, प्रकृतिवादी और लेखक हैं। उनकी जैविक विशेषता myrmecology है, चींटियों का अध्ययन, जिस पर उन्हें दुनिया का अग्रणी विशेषज्ञ कहा गया है।
मौरिस ह्यूग फ्रेडरिक विल्किंस एक न्यूजीलैंड में जन्मे ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी और आणविक जीवविज्ञानी, और नोबेल पुरस्कार विजेता थे जिनके शोध में फॉस्फोरेसेंस, आइसोटोप जुदाई, ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी और एक्स-रे विवर्तन की वैज्ञानिक समझ और रडार के विकास में योगदान दिया गया था।
स्टीफन जे गोल्ड एक अमेरिकी जीवाश्म विज्ञानी, विकासवादी जीवविज्ञानी और विज्ञान के इतिहासकार थे। वह अपनी पीढ़ी के लोकप्रिय विज्ञान के सबसे प्रभावशाली और व्यापक रूप से पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक थे।
अबू अली सीना (फारसी: بو علی سینا ; 980 – 1037, अंग्रेजी: Avicenna or Ibn-Sina) फारस के विद्वान, दार्शनिक एवं चिकित्सक थे। उन्होने विविध विषयों पर लगभग 450 पुस्तकें लिखी जिसमें से 240 अब भी प्राप्य हैं। इसमें से 15 पुस्तकें चिकित्सा विज्ञान से संबंधित हैं। उनकी विश्वविख्यात किताब का नाम क़ानून है। यह किताब मध्यपूर्व जगत में मेडिकल सांइस की सबसे ज़्यादा प्रभावी और पढ़ी जाने वाली किताब है। इस प्रकार अपने समय के प्रसिद्ध चिकित्सक थे। अबू अली सीना न केवल नास्तिक चिकित्सकों और दार्शनिकों में सबसे आगे हैं बल्कि पश्चिम में शताब्दियों तक वे चिकित्सकों के सरदार के रूप मे प्रसिद्ध रहे।[कृपया उद्धरण जोड़ें]इब्न सिन्ना (एविसेना) पर दुनिया की प्राचीनता, उसके (दुनिया के) बाद की अस्वीकृति और "भीतर की महान विचारधारा" के अलावा अन्य नास्तिक सिद्धांतों के बारे में अपने बयानों के कारण काफिर और नास्तिक होने का आरोप लगाया गया था।अन्य विद्वानों जिन्होंने यह कहा कि इब्न सिन्ना एक नास्तिक था (शेख अल-थुवैनी के पहले), अल-ग़ज़ाली, इब्न तैमियाह, इब्न अल-क़ायम और अल-ढाबी है।
रॉबर्ट कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं। इन्होंने कॉलेरा, ऐन्थ्रेक्स तथा क्षय रोगों पर गहन अध्ययन किया। अंततः कोच ने यह सिद्ध कर दीया कि कई रोग सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं। इसके लिए सन 1905 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कोच ने रोगों एवं उनके कारक जीवों का पता लगाने के लिए कुछ परिकल्पनाएं की थी जो आज भी इस्तेमाल होती हैं।
कार्ल सेगन प्रसिद्ध यहूदी खगोलशास्त्री और खगोल रसायनशास्त्री थे जिन्होंने खगोल शास्त्र, खगोल भौतिकी और खगोल रसायनशास्त्र को लोकप्रिय बनाया। इन्होंने पृथ्वी से इतर ब्रह्माण्ड में जीवन की खोज करने के लिए सेटी नामक संस्था की स्थापना भी की।
जॉन बर्दीन(23 मई 1908 - 30 जनवरी 1991) एक अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक थे जिन्हें विलियम शोक्ली और वॉल्टर ब्रैट्टैन के साथ 1947 में ट्रांज़िस्टर इजाद करने के लिये 1956 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्हें 1972 में अतिचालकता का बी॰सी॰एस॰ सिद्धांत बनाने के लिये फिरसे इस पुरस्कार से नवाज़ा गया।
कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (23 मई 1707 - 10 जनवरी 1778) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं।
लिनुस कार्ल पाउलिङ एक अम्रीकी रसायनज्ञ, बायोकेमीज्ञानी, शांति कार्यकर्ता, लेखक और शिक्षक थे। उन्होने 1200 से ज्यादा सामग्री और पुस्तकें
प्रकाशित कियें है। उन्में से लगभग 850 वैज्ञानिक विषयों थे। "न्यू सयिन्टिस्ट" पत्रिका उन्को सर्वकाल की महानतम वैज्ञानिकों में एक कहतें है। आज की युग में पाउलिङ को इतिहास के 16 वीं सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक का स्तान दिया गया है। पाउलिङ क्वांटम रसायन विज्ञान और आणविक जीव विज्ञान के स्ंस्थापक थे। उन्की वैज्ञानिक कामों के लिये उन्को सन 1954 में नोबेल पुरस्कार मिली। सन 1962 में उन्को शान्ती का नोबेल पुरस्कार भी मिली। इससे वे दो
अविभाजित नोबेल पुरस्कारों दिया हुआ इकलौता आदमी हो गए। डीएनए की संरचना पर भी पाउलिङ ने अनुसंधान किये थे।
जेम्स डी. वाटसन, एक अमेरिकन जीवाणु वैज्ञानिक हैं। वे डी.एन.ए. की बनावट पता करने के लिये जाने जाते हैं। इस कार्य के लिये उन्हे, फ्रैन्सिस क्रिक और मॉरिस विल्किंस को 1962 में नोबल पुरुस्कार मिला।
वर्नर हाइजनबर्ग, जन्म: 5 दिसम्बर 1901, देहांत: 1 फ़रवरी 1976 एक जर्मन सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी थे, जो क्वांटम यांत्रिकी में अपने मूलभूत योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनके दिए गए अनिश्चितता सिद्धान्त को अब क्वांटम यांत्रिकी की एक आधारशिला माना जाता है।
बारबरा मैक्लिंटॉक एक अमेरिकी वैज्ञानिक और साइटोजेनेटिकिस्ट थी, जिन्हें फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 1983 का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। मैकक्लिंटॉक ने 1927 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की। वहां उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मक्का साइटोजेनेटिक्स के विकास में अग्रणी के रूप में की, जो बाकी जीवन के लिए उसके शोध का केंद्र बिंदु था। 1920 के दशक के उत्तरार्ध से, मैकक्लिंटॉक ने क्रोमोसोम का अध्ययन किया और मक्का में प्रजनन के दौरान वे कैसे बदलते हैं। उसने मक्का के गुणसूत्रों को देखने के लिए तकनीक विकसित की और कई मौलिक आनुवंशिक विचारों को प्रदर्शित करने के लिए सूक्ष्म विश्लेषण का उपयोग किया। उन विचारों में से एक अर्धसूत्रीविभाजन के दौरान क्रॉस-ओवर करके आनुवंशिक पुनर्संयोजन की धारणा थी जिसके द्वारा गुणसूत्र सूचना का आदान-प्रदान करते हैं। उसने मक्का के लिए पहला आनुवांशिक मानचित्र तैयार किया, जो गुणसूत्र के क्षेत्रों को भौतिक लक्षणों से जोड़ता है। उन्होंने टेलोमेयर और सेंट्रोमियर की भूमिका का प्रदर्शन किया, गुणसूत्र के क्षेत्र जो आनुवंशिक जानकारी के संरक्षण में महत्वपूर्ण हैं। उन्हें इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ के रूप में मान्यता मिली, प्रतिष्ठित फैलोशिप से सम्मानित किया गया, और 1944 में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य चुनी गयी।
गाटफ्रीड विलहेल्म लाइबनिज (Gottfried Wilhelm von Leibniz / 1 जुलाई 1646 - 14 नवम्बर 1716) जर्मनी के दार्शनिक, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, राजनयिक, भौतिकविद्, इतिहासकार, राजनेता, विधिकार थे। उनका पूरा नाम 'गोतफ्रीत विल्हेल्म फोन लाइब्नित्स' ([ˈɡɔtfʁiːt ˈvɪlhɛlm fɔn ˈlaɪbnɪts]) था। गणित के इतिहास तथा दर्शन के इतिहास में उनका प्रमुख स्थान है।