प्राचीन काल से ही कला, साहित्य इत्यादि क्षेत्रों के विद्वानों का उल्लेख हम इतिहास में सुनते आये हैं | समयकाल व्यतीत होने के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी मनुष्य ने अपनी कल्पना और जिज्ञासा को वास्तविकता में परिवर्तित किया | आधुनिक युग में विकास का आधार मुख्यतः विज्ञान को ही माना गया है , तो हमें भी इसका ध्यान रखते हुए उन वैज्ञानिकों का स्मरण करते रहना चाहिए जिन्होंने इतनी महत्वपूर्ण खोजें की |
वैज्ञानिकों के अंदर दुनिया को बदलने की ताकत होती है। इनके आविष्कार दुनिया को एक नया आयाम देते हैं। उनके महान योगदान को मानवजाती कभी भी भूल नहीं सकती। इन वैज्ञानिकों ने कई सालों की कड़ी मेहनत की है जो अपने आप में अविश्वसनीय लगता है। यहां ऐसे ही महान और लोकप्रिय गैर-भारतीय वैज्ञानिकों की सूची दी गई है। आधुनिक दुनिया में वैज्ञानिक विचारों के विकास में इन विभूतियों का महान योगदान है। उन्होंने वैश्विक वैज्ञानिक विचार में अद्वितीय योगदान दिया है। उनकी रचनात्मकता और काबिलियत ने हमारे जीने के तरीके को एक नया आकार दिया है। उनका काम अभी भी विश्वविद्यालयों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। इन वैज्ञानिकों के अद्भुत काम आज भी परमाणु विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, जैविक विज्ञान, डिजिटल मीडिया, ऊर्जा, क्लाउड कंप्यूटिंग और यहां तक कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में काम आते है। इन महान वैज्ञानिकों को हमारा बारम्बार प्रणाम है। आइये आज की इस सूची में हम दुनियाभर के उन महान वैज्ञानिकों पर नज़र डालते हैं जिनकी खोजों ने मानवता और विज्ञान को नए शिखरों तक पहुँचाया –
नोट: भारतीय वैज्ञानिकों को इस सूची में नहीं जोड़ा गया है| भारतीय वैज्ञानिकों की अलग सूची बनायी गयी है | देखने के लिए क्लिक करें : आधुनिक भारतीय वैज्ञानिक | प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक
थॉमस एल्वा एडिसन (11 फ़रवरी 1847 - 18 अक्टूबर 1931) हान अमरीकी आविष्कारक एवं वीध्वांत व्यक्ति थे। फोनोग्राफ एवं विद्युत बल्ब सहित अनेकों युक्तियाँ विकसित कीं जिनसे संसार भर में लोगों के जीवन में भारी बदलाव आये। "मेन्लो पार्क के जादूगर" के नाम से प्रख्यात, भारी मात्रा में उत्पादन के सिद्धान्त एवं विशाल टीम को लगाकर अन्वेषण-कार्य को आजमाने वाले वे पहले अनुसंधानकर्ता थे। इसलिये एडिसन को ही प्रथम औद्योगिक प्रयोगशाला स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। अमेरिका में अकेले 1093 पेटेन्ट कराने वाले एडिसन विश्व के सबसे महान आविष्कारकों में गिने जाते हैं। एडीसन बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे।
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अल्बर्ट आइंस्टीन (जर्मन : Albert Einstein; 14 मार्च 1879 - 18 अप्रैल 1955) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc2 के लिए जाने जाते हैं। उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी, खासकर प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन की खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
आइंसटाइन ने विशेष सापेक्षिकता (1905) और सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत (1916) सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में- सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांत, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है।
आइंस्टीन ने पचास से अधिक शोध-पत्र और विज्ञान से अलग किताबें लिखीं। 1999 में टाइम पत्रिका ने शताब्दी-पुरूष घोषित किया। एक सर्वेक्षण के अनुसार वे सार्वकालिक महानतम वैज्ञानिक माने गए।
आइंस्टीन ने 300 से अधिक वैज्ञानिक शोध-पत्रों का प्रकाशन किया। 5 दिसंबर 2014 को विश्वविद्यालयों और अभिलेखागारो ने आइंस्टीन के 30,000 से अधिक अद्वितीय दस्तावेज एवं पत्र की प्रदर्शन की घोषणा की हैं। आइंस्टीन के बौद्धिक उपलब्धियों और अपूर्वता ने "आइंस्टीन" शब्द को "बुद्धिमान" का पर्याय बना दिया है।
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निकोला टेस्ला (10 जुलाई 1856 - 7 जनवरी 1943) एक सर्बियाई अमेरिकी आविष्कारक, भौतिक विज्ञानी, यांत्रिक अभियन्ता, विद्युत अभियन्ता और भविष्यवादी थे। टेस्ला की प्रसिद्धि उनके आधुनिक प्रत्यावर्ती धारा (एसी) विद्युत आपूर्ति प्रणाली के क्षेत्र में दिये गये अभूतपूर्व योगदान के कारण है। टेस्ला के विभिन्न पेटेंट और सैद्धांतिक कार्य, बेतार संचार और रेडियो के विकास का आधार साबित हुये हैं। वैद्युत चुंबकत्व के क्षेत्र में किये गये उनके कई क्रांतिकारी विकास कार्य, माइकल फैराडे के विद्युत प्रौद्योगिकी के सिद्धांतों पर आधारित थे।
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अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) (3 मार्च 1847 – 2 अगस्त 1922) को पूरी दुनिया आमतौर पर टेलीफोन के आविष्कारक के रूप में ही ज्यादा जानती है। बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि ग्राहम बेल ने न केवल टेलीफोन, बल्कि कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई और भी उपयोगी आविष्कार किए हैं। ऑप्टिकल-फाइबर सिस्टम, फोटोफोन, बेल और डेसिबॅल यूनिट, मेटल-डिटेक्टर आदि के आविष्कार का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। ये सभी ऐसी तकनीक पर आधारित हैं, जिसके बिना संचार-क्रंति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
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स्टीफन विलियम हॉकिंग (8 जनवरी 1942– 14 मार्च 2018)), एक विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र (Centre for Theoretical Cosmology) के शोध निर्देशक थे।
स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को ऑक्सफोर्ड में फ्रैंक (1905-1986) और इसाबेल एलेन हॉकिंग (नी वाकर; 1915-2013) के घर हुआ था। हॉकिंग की मां का जन्म ग्लासगो, स्कॉटलैंड में डॉक्टरों के परिवार में हुआ था। यॉर्कशायर के उनके अमीर पैतृक दादाजी ने खुद को कृषि भूमि खरीदने के लिए बढ़ा दिया था और फिर 20 वीं शताब्दी की शुरुवात में महान कृषि अवसाद में दिवालिया हो गया था। उनके पैतृक दादी ने परिवार को अपने घर में एक स्कूल खोलकर वित्तीय बर्बाद कर दिया। अपने परिवार की वित्तीय बाधाओं के बावजूद, दोनों माता-पिता ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भाग लिया, जहां फ्रैंक ने दवा पढ़ी और इसाबेल ने दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र पढ़ा। इसाबेल एक मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सचिव के रूप में काम करती थी, और फ्रैंक एक चिकित्सकीय शोधकर्ता थे। हॉकिंग की दो छोटी बहनें, फिलीपा और मैरी और एक गोद लिया भाई एडवर्ड फ्रैंक डेविड (19 55-2003) था। 1950 में, जब हॉकिंग के पिता नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च में पैरासिटोलॉजी के विभाजन के प्रमुख बने, तो उनका परिवार सेंट अल्बान, हर्टफोर्डशायर चला गया। सेंट अल्बान में, उनके परिवार को बहुत बुद्धिमान और कुछ हद तक विलक्षण माना जाता था; उनके परिवार में भोजन अक्सर चुपचाप एक पुस्तक पढ़ने के साथ बिताया जाता था। वे एक बड़े, अव्यवस्थित और खराब रखरखाव वाले घर में एक मितव्ययी अस्तित्व में रहते थे और एक परिवर्तित लंदन टैक्सीकैब में यात्रा करते थे। अफ्रीका में काम कर रहे हॉकिंग के पिता की अनुपस्थिति के दौरान, शेष परिवार ने मार्जर्का में चार महीने उनकी मां के दोस्त बेरेल और उनके पति, कवि रॉबर्ट ग्रेव्स के घर बिताये।
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लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक , इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था।
लिओनार्दो दा विंची का जन्म इटली के फ्लोरेंस प्रदेश के विंचि नामक ग्राम में हुआ था। इस ग्राम के नाम पर इनके कुल का नाम पड़ा। ये अवैध पुत्र थे। शारीरिक सुंदरता तथा स्फूर्ति के साथ साथ इनमें स्वभाव की मोहकता, व्यवहारकुशलता तथा बौद्धिक विषयों में प्रवीणता के गुण थे। लेओनार्डो ने छोटी उम्र से ही विविध विषयों का अनुशीलन प्रारंभ किया, किंतु इनमें से संगीत, चित्रकारी और मूर्तिरचना प्रधान थे। इनके पिता ने इन्हें प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार तथा स्वर्णकार, आँद्रेआ देल वेरॉक्यो (Andrea del Verrochio), के पास काम सीखने गये और उनकी छत्रच्छाया में रहकर कार्य करते रहे और इसके तत्पश्चात् मिलान के रईस लुडोविको स्फॉत्र्सा (Ludovico Sforza) की सेवा में चले गए, जहाँ इनके विविध कार्यों में सैनिक इंजीनियरी तथा दरबार के भव्य समारोहों के संगठन भी सम्मिलित थे। यहाँ रहते हुए इन्होंने दो महान कलाकृतियाँ, लुडोविको के पिता की घुड़सवार मूर्ति तथा "अंतिम व्यालू" (Last Supper) शीर्षक चित्र, पूरी कीं। लुडोविको के पतन के पश्चात्, सन् 1499 में, लेआनार्डो मिलान छोड़कर फ्लोरेंस वापस आ गए, जहाँ इन्होंने अन्य कृतियों के सिवाय मॉना लिसा (Mona Lisa) शीर्षक चित्र तैयार किया। यह चित्र तथा "अंतिम व्यालू" नामक चित्र, इनकी महत्तम कृतियाँ मानी जाती हैं। सन् 1508 में फिर मिलान वापस आकर, वहाँ के फरासीसी शासक के अधीन ये चित्रकारी, इंजीनियरी तथा दरबारी समारोहों की सजावट और आयोजनों की देखभाल का अपना पुराना काम करते रहे। सन् 1513 से 1516 तक रोम में रहने के पश्चात् इन्हें फ्रांस के राजा, फ्रैंसिस प्रथम, अपने देश ले गए और अंब्वाज़ (Amboise) के कोट में इनके रहने का प्रबंध कर दिया। यहीं इनकी मृत्यु हुई।
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सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध प्रपत्र "प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों "" सन् 1687 में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल भौतिकी) की नींव रखी।
उनकी फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका, 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है, जो अधिकांश साहित्यिक यांत्रिकी के लिए आधारभूत कार्य की भूमिका निभाती है।
इस कार्य में, न्यूटन ने सार्वत्रिक गुरुत्व और गति के तीन नियमों का वर्णन किया जिसने अगली तीन शताब्दियों के लिए भौतिक ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। न्यूटन ने दर्शाया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया।
यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया और इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया। गणित में, अवकलन और समाकलन कलन के विकास का श्रेय गोटफ्राइड लीबनीज के साथ न्यूटन को जाता है। उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय का भी प्रदर्शन किया और एक फलन के शून्यों के सन्निकटन के लिए तथाकथित "न्यूटन की विधि" का विकास किया और घात श्रृंखला के अध्ययन में योगदान दिया।
वैज्ञानिकों के बीच न्यूटन की स्थिति बहुत शीर्ष पद पर है, ऐसा ब्रिटेन की रोयल सोसाइटी में 2005 में हुए वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के द्वारा प्रदर्शित होता है, जिसमें पूछा गया कि विज्ञान के इतिहास पर किसका प्रभाव अधिक गहरा है, न्यूटन का या एल्बर्ट आइंस्टीन का। इस सर्वेक्षण में न्यूटन को अधिक प्रभावी पाया गया।. न्यूटन अत्यधिक धार्मिक भी थे, हालाँकि वे एक अपरंपरागत ईसाई थे, उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान, जिसके लिए उन्हें आज याद किया जाता है, की तुलना में बाइबिल हेर्मेनेयुटिक्स पर अधिक लिखा।
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हंफ्री डेवी एक ब्रिटिश रासायनज्ञ थे उन्होंने कोयला की खानों में जलाने के सुरक्षा दीप का आविष्कार किया। इसके अलावा इन्होंने इलेक्ट्रोलिसिस, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, बेरियम, बोरोन के भी आविष्कार या खोजें कीं।
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19वी शताब्दी के जिन महान वैज्ञानिकों ने निष्काम भाव से मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया ,उनमे से एक थे लुई पाश्चर (Louis Pasteur)। लुई पाश्चर (Louis Pasteur) ने अपनी महान वैज्ञानिकों खोजो के द्वारा बीमारी के दौरान घाव उत्पन्न होने की स्थिति में जो असहनीय पीड़ा होती है उससे मुक्ति दिलाकर एक बड़ी मानव सेवा ही की थी।
कर्म-क्षेत्र: रसायन शास्त्र, सूक्ष्म जीव शास्त्र
शिक्षा: École Normale Supérieure
विशेष खोज: रैबीज वैक्सिन
कार्य : स्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालय, लील्ले विज्ञान तथा तकनिकी विश्वविद्यालय ,École Normale Supérieure ,पास्चर इंस्टीट्युट
पुरस्कार-उपाधि: लीवेनहोएक मेडल, मान्ट्यान पुरस्कार ,कापली मेडल ,रमफ़र्ड मेडल, अलबर्ट मेडल
सम्मान: लुई पास्चर के सम्मान मे ही दूध को 60 डीग्री सेल्सीयस तक गर्म कर कीटाणु रहित करने की प्रक्रिया को ’पास्चराइजेशन’ कहते है।
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गैलीलियो गैलिली (15 फरवरी, 1565 - 8 जनवरी, 1642) इटली के वैज्ञानिक थे। वे एक महान आविष्कारक थे तथा दूरदर्शी के विकास में उनका अतुलनीय सहयोग था।
इस महान विचारक का जन्म आधुनिक इटली के पीसा नामक शहर में एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था। आधुनिक इटली का शहर पीसा 15 फ़रवरी 1564 केा महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली के जन्म को भी ईश्वर की रचना का दोष मानकर ऐतिहासिक भूल कर बैठा था। गैलीलियो के द्वारा प्रतिपादित सिंद्वांतो से धार्मिक मान्यताओं का खंडन होता था जिसके लिये गैलीलियो को ईश्वरीय मान्यताओं से छेडछाड करने के लिये सारी उम्र कारावास की सजा सुनायी गयी। इनके पिता विन्सौन्जो गैलिली उस समय के जाने माने संगीत विशेषज्ञ थे। वे "ल्यूट" नामक वाद्य यंत्र बजाते थे, यही ल्यूट नामक यंत्र बाद में गिटार और बैन्जो के रूप में विकसित हुआ। अपनी संगीत रचना के दौरान विन्सौन्जो गैलिली ने तनी हुयी डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाले स्वरों का गहनता से अध्ययन किया तथा यह पाया कि डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाली आवाज में संबंध है। पिता के द्वारा संगीत के लिये तनी हुयी डोरी या तार से निकलने वाली ध्वनियों के अंतरसंबंधों के परिणामों का वैज्ञानिक अध्ययन उनके पुत्र गैलीलियो द्वारा किया गया। इस अध्ययन को करने के दौरान बालक गैलीलियो के मन में सुग्राहिता पूर्ण प्रयोग करते हुये उनके परिणामो को आत्मसात करने की प्रेरणा प्रदान की। इनको परीक्षा मूलक (प्रयोगात्मक) विज्ञान का जनक माना जाता है। इन्होंने दोलन का सूत्र का प्रतिपादन किया। इन्होंने दूरबीन का आविष्कार किया। उसने दूरदर्शी यंत्र को अधिक उन्नत बनाया। उसकी सहायता से अनेक खगोलीय प्रेक्षण लिये तथा कॉपरनिकस के सिद्धान्त का समर्थन किया। उन्हें आधुनिक प्रायोगिक खगोलिकी का जनक माना जाता है।
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सेराक्यूस के आर्किमिडीज़ ( 287 ई.पू. - 212 ई.पू.), एक यूनानी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, अभियंता, आविष्कारक और खगोल विज्ञानी थे। हालांकि उनके जीवन के कुछ ही विवरण ज्ञात हैं, उन्हें शास्त्रीय पुरातनता का एक अग्रणी वैज्ञानिक माना जाता है। भौतिक विज्ञान में उन्होनें जलस्थैतिकी, सांख्यिकी और उत्तोलक के सिद्धांत की व्याख्या की नीव रखी थी। उन्हें नवीनीकृत मशीनों को डिजाइन करने का श्रेय दिया जाता है, इनमें सीज इंजन और स्क्रू पम्प शामिल हैं। आधुनिक प्रयोगों से आर्किमिडीज़ के इन दावों का परीक्षण किया गया है कि दर्पणों की एक पंक्ति का उपयोग करते हुए बड़े आक्रमणकारी जहाजों को आग लगाई जा सकती हैं।आमतौर पर आर्किमिडीज़ को प्राचीन काल का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है और सब समय के महानतम लोगों में से एक कहा जाता है।
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पोलैंड में जन्में निकोलस कोपरनिकस (Nicolaus Copernicus, 19 फ़रवरी 1473 – 24 मई 1543) पोलिश खगोलशास्त्री व गणितज्ञ थे। उन्होंने यह क्रांतिकारी सूत्र दिया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केन्द्र में नहीं है।
निकोलस पहले युरोपिय खगोलशास्त्री थे जिन्होंने पृथ्वी को ब्रह्माण्ड के केन्द्र से बाहर माना, यानी हीलियोसेंट्रिज्म मॉडल को लागू किया। इसके पहले पूरा युरोप अरस्तू की अवधारणा पर विश्वास करता था, जिसमें पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र थी और सूर्ये, तारे तथा दूसरे पिंड उसके गिर्द चक्कर लगाते थे। 1530 में कोपरनिकस की किताब डी रिवोलूशन्स (De Revolutionibus) प्रकाशित हुई जिसमें उसने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर पूरा करती है। कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिए प्रूटेनिक टेबिल्स की रचना की जो अन्य खगोलविदों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।
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मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी, पोलिश : Maria Salomea Skłodowska-Curie (लघु नाम: मैरी क्यूरी) (7 नवम्बर 1867 - 4 जुलाई 1934) विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री थी। मेरी ने रेडियम की खोज की थी। विज्ञान की दो शाखाओं (भौतिकी एवं रसायन विज्ञान) में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बडी बेटी आइरीन को 1935 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को 1965 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
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जोसेफ़ जॉन थॉमसन अंग्रेज़ भौतिक विज्ञानी थे। वो रॉयल सोसायटी ऑफ़ लंदन के निर्वाचित सदस्य थे। एक विख्यात वैज्ञानिक थे। उन्हौंने इलेक्ट्रॉन की खोज की थी। थॉमसन गैसों में बिजली के चालन पर अपने काम के लिए भौतिकी में 1906 नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये गए। उनके सात छात्रों में उनके बेटे जॉर्ज पेजेट थॉमसन सहित सभी भौतिक विज्ञान में या तो रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता बने। उनका रिकॉर्ड केवल जर्मन भौतिकशास्त्री अर्नाल्ड सोम्मेरफील्ड के बराबर है।
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ग्रेगर जॉन मेंडल (22 जुलाई, 1822 – 6 जनवरी, 1884) एक जर्मन भाषी ऑस्ट्रियाई औगस्टेनियन पादरी एवं वैज्ञानिक थे। उन्हें आनुवांशिकी का जनक कहा जाता है। उन्होंने मटर के दानों पर प्रयोग कर आनुवांशिकी के नियम निर्धारित किए थे। उनके कार्यों की महत्ता बीसवीं शताब्दी तक नहीं पहचानी गई बाद में उन नियमों की पुनर्खोज ने उनका महत्व बताया।
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पेन्सिलिन के आविष्कारक अलेक्जेंडर फ्लेमिंग, स्कॉटलैण्ड के जीववैज्ञानिक एवं औषधिनिर्माता थे। उनकी प्रसिद्धि पेनिसिलिन के आविष्कारक के रूप में है | उन्होने जीवाणुविज्ञान (बैक्टिरिओलॉजी), रोग-प्रतिरक्षा-विज्ञान (Immunology) एवं रसचिकित्सा (केमोथिरैपी) आदि विषयों के ऊपर अनेक शोधपत्र प्रकाशित किये। उन्होने सन् 1923 में लिसोजाइम (lysozyme) नामक एंजाइम की खोज भी की। पेनिसिलिन के आविष्कार के लिये उन्हें सन् 1945 में संयुक्त रूप से चिकित्सा का नोबेल सम्मान दिया गया।
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ऍडविन पावल हबल एक अमेरिकी खगोलशास्त्री थे जिन्होनें हमारी गैलेक्सी के अलावा अन्य गैलेक्सियाँ खोज कर हमेशा के लिए मानवजाती की ब्रह्माण्ड के बारे में अवधारणा बदल डाली। उन्होंने यह भी खोज निकाला के कोई गैलेक्सी पृथ्वी से जितनी दूर होती है उस से आने वाले प्रकाश का डॉप्लर प्रभाव उतना ही अधिक होता है, यानि उसमे लालिमा अधिक प्रतीत होती है। इस सच्चाई का नाम "हबल सिद्धांत" रखा गया और इसका सीधा अर्थ यह निकला के हमारा ब्रह्माण्ड निरंतर बढ़ती हुई गति से फैल रहा है।
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लोरेंजो रोमानो एमेडियो कार्लो एवोगैड्रो (9 अगस्त 1776 - 9 जुलाई 1856) एक इटली के वैज्ञानिक थे, जिन्हें आणविक सिद्धांत में उनके योगदान के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, जिसे अब अवोगाद्रो के नियम के रूप में जाना जाता है, जिसमें कहा गया है कि समान परिस्थितियों में गैसों के बराबर मात्रा। तापमान और दबाव में समान संख्या में अणु होंगे। इन्होंने 1811 ई. में अणु की खोज की।
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रॉबर्ट हुक (18 जुलाई 1635 – 3 मार्च 1703) एक अंग्रेज़ी प्राकृतिक दार्शनिक थे। इन्होंने वैज्ञानिक क्रांति में अपने प्रायोगिक एवं सैद्धांतिक कार्यों के योगदान द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
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कार्ल सेगन प्रसिद्ध यहूदी खगोलशास्त्री और खगोल रसायनशास्त्री थे जिन्होंने खगोल शास्त्र, खगोल भौतिकी और खगोल रसायनशास्त्र को लोकप्रिय बनाया। इन्होंने पृथ्वी से इतर ब्रह्माण्ड में जीवन की खोज करने के लिए सेटी नामक संस्था की स्थापना भी की।
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जॉन डाल्टन एक अंग्रेज़ वैज्ञानिक थे। इन्होंने पदार्थ की रचना सम्बन्धी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जो 'डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त' के नाम से प्रचलित है। डाल्टन ने द्रव्यों की प्रकृति के बारे में एक आधारभूत सिद्धांत प्रस्तुत किया। डाल्टन ने द्रव्यों की विभाज्यता का विचार प्रदान किया जिसे उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था। ग्रीक दार्शनिकों के द्वारा द्रव्यों के सूक्ष्मतम अविभाज्य कण, जिसे परमाणु नाम दिया था, उसे डाल्टन ने भी परमाणु नाम दिया। डाल्टन का यह सिद्धांत रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था।
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जेम्स क्लार्क मैक्सवेल
जेम्स क्लार्क मैक्सवेल स्कॉटलैण्ड (यूके) के एक विख्यात गणितज्ञ एवं भौतिक वैज्ञानिक थे। इन्होंने 1865 ई. में विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिससे रेडियो और टेलीविजन का आविष्कार सम्भव हो सका। क्लासिकल विद्युत चुंबकीय सिद्धांत, चुंबकत्व और प्रकाशिकी के क्षेत्र में दिए गए सिद्धांतों के लिए उन्हें प्रमुखता से याद किया जाता है। मैक्सवेल ने क्रांतिकारी विचार रखा कि प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंग है और यह माध्यम से स्वतंत्र है। स्कॉटिश भौतिकविद जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने इस सिद्धांत से क्रांति ला दी। न्यूटन के बाद विद्युतचुंबकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल द्वारा किए गए कार्य को भौतिकी के क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा एकीकरण कार्य माना जाता है। यह कई क्षेत्रों से जुड़ा है।
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बेंजामिन फ्रैंकलिन (17 जनवरी 1706 – 17 अप्रैल 1790) संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापक जनकों में से एक थे। एक प्रसिद्ध बहुश्रुत, फ्रैंकलिन एक प्रमुख लेखक और मुद्रक, व्यंग्यकार, राजनीतिक विचारक, राजनीतिज्ञ, वैज्ञानिक, आविष्कारक, नागरिक कार्यकर्ता, राजमर्मज्ञ, सैनिक, और राजनयिक थे। एक वैज्ञानिक के रूप में, बिजली के सम्बन्ध में अपनी खोजों और सिद्धांतों के लिए वे प्रबोधन और भौतिक विज्ञान के इतिहास में एक प्रमुख शख्सियत रहे। उन्होंने बिजली की छड़, बाईफोकल्स, फ्रैंकलिन स्टोव, एक गाड़ी के ओडोमीटर और ग्लास 'आर्मोनिका' का आविष्कार किया। उन्होंने अमेरिका में पहला सार्वजनिक ऋण पुस्तकालय और पेंसिल्वेनिया में पहले अग्नि विभाग की स्थापना की। वे औपनिवेशिक एकता के शीघ्र प्रस्तावक थे और एक लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने एक अमेरिकी राष्ट्र के विचार का समर्थन किया। अमेरिकी क्रांति के दौरान एक राजनयिक के रूप में, उन्होंने फ्रेंच गठबंधन हासिल किया, जिसने अमेरिका की स्वतंत्रता को संभव बनाने में मदद की।
फ्रेंकलिन को अमेरिकी मूल्यों और चरित्र के आधार निर्माता के रूप में श्रेय दिया जाता है, जिसमें बचत के व्यावहारिक और लोकतांत्रिक अतिनैतिक मूल्यों, कठिन परिश्रम, शिक्षा, सामुदायिक भावना, स्व-शासित संस्थानों और राजनीतिक और धार्मिक स्वैच्छाचारिता के विरोध करने के संग, प्रबोधन के वैज्ञानिक और सहिष्णु मूल्यों का समागम था। हेनरी स्टील कोमगेर के शब्दों में, "फ्रैंकलिन में प्यूरिटनवाद के गुणों को बिना इसके दोषों के और इन्लाईटेनमेंट की प्रदीप्ति को बिना उसकी तपिश के समाहित किया जा सकता है।" वाल्टर आईज़ेकसन के अनुसार, यह बात फ्रेंकलिन को, "उस काल के सबसे निष्णात अमेरिकी और उस समाज की खोज करने वाले लोगों में सबसे प्रभावशाली बनाती है, जैसे समाज के रूप में बाद में अमेरिका विकसित हुआ।"फ्रेंकलिन, एक अखबार के संपादक, मुद्रक और फिलाडेल्फिया में व्यापारी बन गए, जहां पुअर रिचार्ड्स ऑल्मनैक और द पेन्सिलवेनिया गजेट के लेखन और प्रकाशन से वे बहुत अमीर हो गए। फ्रेंकलिन की विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दिलचस्पी थी और अपने प्रसिद्ध प्रयोगों के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की. पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय को स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे अमेरिकी दार्शनिक सोसायटी के पहले अध्यक्ष चुने गए। फ्रेंकलिन अमेरिका में उस वक्त एक राष्ट्रीय नायक बन गए जब उन्होंने उस प्रयास का नेतृत्व किया जिसके तहत संसद पर अलोकप्रिय स्टाम्प अधिनियम को निरस्त करने का दबाव बनाया गया। एक निपुण राजनयिक फ्रैंकलिन को, पेरिस में अमेरिकी मंत्री के रूप में फ्रांसीसियों के बीच व्यापक रूप से सराहा गया और वे फ्रेंको अमेरिकी संबंधों के सकारात्मक विकास में एक प्रमुख व्यक्ति थे। 1775 से 1776 तक, फ्रैंकलिन, कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के तहत पोस्टमास्टर जनरल थे और 1785 से 1788 तक, वे सुप्रीम एक्सिक्यूटिव कौंसिल ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के अध्यक्ष रहे। अपने जीवन के आखिरी काल में, वे एक सबसे प्रमुख दासप्रथा-विरोधी बन गए।
उनका रंगीन जीवन और वैज्ञानिक और राजनीतिक उपलब्धि की विरासत और अमेरिका के सबसे प्रभावशाली संस्थापक पिता के रूप में उनकी छवि ने फ्रेंकलिन को सिक्कों और पैसों पर; युद्धपोत; कई शहरों के नामों, काउंटियों, शैक्षिक संस्थानों, हमनामों और कंपनियों; और उनकी मृत्यु के दो से अधिक सदियों के बाद अनगिनत सांस्कृतिक सन्दर्भों में सम्मानित होते देखा।
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विलियम हार्वे(1 अप्रैल 1578 - 3 जून 1657) एक अंग्रेजी चिकित्सक थे, जिन्होंने शरीर रचना और शरीर विज्ञान में प्रभावशाली योगदान दिया।वह पूरी तरह से वर्णन करने वाले पहले ज्ञात चिकित्सक थे।
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1964 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। चार्ल्स हार्ड टाउन्स (28 जुलाई, 1915 - 27 जनवरी, 2015) एक अमेरिकी भौतिक विज्ञानी थे। टाउजेस ने मेसर के सिद्धांत और अनुप्रयोग पर काम किया, जिसके लिए उन्होंने मूलभूत पेटेंट प्राप्त किया, और मेसर और लेजर उपकरणों से जुड़े क्वांटम इलेक्ट्रॉनिक्स में अन्य काम किए।
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रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन
रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन बीसवी शताब्दी के अन्तिम भाग के सबसे चर्चित वैज्ञानिक थे। वे 1966 मे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए। फाइनमेन ने 1961-63 मे कैल-टेक मे स्नातक के विद्यार्थियों को भौतिक शास्त्र पढ़ाया। इन तीन साल ने भौतिक शास्त्र को पढ़ाने की नयी दिशा दी और भौतिक शास्त्र नयी तरह से नये विषयों के साथ पढ़ाया जाने लगा। इन लेक्चरों को तीन किताबों ने बदला गया। यह लाल बाईंडिंग मे थीं और 'Lectures on Physics by Richard P Feynman के नाम से मशहूर हुईं।
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जॉर्ज वॉशिंगटन कार्वर एक अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक और आविष्कारक थे जिन्होंने मिट्टी की कमी को रोकने के लिए कपास और वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा दिया। वह 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में सबसे प्रमुख अश्वेत वैज्ञानिक थे।
जबकि टस्केगी इंस्टीट्यूट में एक प्रोफेसर, कार्वर ने कपास के बार-बार रोपण के कारण मिट्टी को बेहतर बनाने के लिए तकनीक विकसित की। वह चाहते थे कि गरीब किसान अन्य फसलों जैसे मूंगफली और शकरकंद को अपने भोजन के स्रोत के रूप में और अपने जीवन स्तर में सुधार के लिए उगाएं।
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नील्स हेनरिक डेविड बोर (1885-1962) डेनमार्क के भौतिकविज्ञानी थे जिन्होने क्वांटम विचारों के आधार पर हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्र्म की व्याख्या की। नाभिक के द्र्व - बूँद मॉडल के आधार पर उन्होने नाभिकीय विखंडन का एक सिद्धांत प्रस्तुत किया। बोर ने क्वांटम - यांत्रिकी की संकल्पनात्मक समस्याओं को विशेषकर संपूरकता के सिद्धांत की प्रस्तुति द्वारा स्पष्ट करने में योगदान किया।
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जॉन बर्दीन(23 मई 1908 - 30 जनवरी 1991) एक अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक थे जिन्हें विलियम शोक्ली और वॉल्टर ब्रैट्टैन के साथ 1947 में ट्रांज़िस्टर इजाद करने के लिये 1956 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्हें 1972 में अतिचालकता का बी॰सी॰एस॰ सिद्धांत बनाने के लिये फिरसे इस पुरस्कार से नवाज़ा गया।
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जोहान्स केप्लर (1571-1630 ईo) महान जर्मन ज्योतिषी थे। इन्होंने गुरुत्वाकर्षण का उल्लेख अपने प्रथम प्रबंध में किया और यह भी बताया कि पृथ्वी पर समुदों में ज्वारभाटा चंद्रमा के आकर्षण के कारण आता है। इस महान गणितज्ञ एवं ज्योतिषी का 59 वर्ष की आयु में प्राग में 1630 ईo में देहावसान हो गया।
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माइकेल फैराडे, भौतिक विज्ञानी एवं रसायनज्ञ थे। उन्होने विद्युत-धारा के चुम्बकीय प्रभाव का आविष्कार किया। उसने विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का अध्ययन करके उसको नियमवद्ध किया। इससे डायनेमों तथा विद्युत मोटर का निर्माण हुआ। बाद में मैक्सवेल Maxwell के विद्युतचुम्बकत्व के चार समीकरणों में फैराडे का यह नियम भी सम्मिलित हुआ। फैराडे ने विद्युत रसायन पर भी बहुत काम किया और इससे सम्बन्धित अपने दो नियम दिये। उन्होंने रुडोल्फ डिजल के साथ डिजल-चलित बिजली उत्पादक का आविष्कार किया था।
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एडवर्ड ओसबोर्न विल्सन, आमतौर पर ई। ओ। विल्सन के रूप में उद्धृत, एक अमेरिकी जीवविज्ञानी, प्रकृतिवादी और लेखक हैं। उनकी जैविक विशेषता myrmecology है, चींटियों का अध्ययन, जिस पर उन्हें दुनिया का अग्रणी विशेषज्ञ कहा गया है।
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अबू अली सीना फारस के विद्वान, दार्शनिक एवं चिकित्सक थे। उन्होने विविध विषयों पर लगभग 450 पुस्तकें लिखी जिसमें से 240 अब भी प्राप्य हैं। इसमें से 15 पुस्तकें चिकित्सा विज्ञान से संबंधित हैं। उनकी विश्वविख्यात किताब का नाम क़ानून है। यह किताब मध्यपूर्व जगत में मेडिकल सांइस की सबसे ज़्यादा प्रभावी और पढ़ी जाने वाली किताब है। इस प्रकार अपने समय के प्रसिद्ध चिकित्सक थे। अबू अली सीना न केवल नास्तिक चिकित्सकों और दार्शनिकों में सबसे आगे हैं बल्कि पश्चिम में शताब्दियों तक वे चिकित्सकों के सरदार के रूप मे प्रसिद्ध रहे।[कृपया उद्धरण जोड़ें]इब्न सिन्ना (एविसेना) पर दुनिया की प्राचीनता, उसके (दुनिया के) बाद की अस्वीकृति और "भीतर की महान विचारधारा" के अलावा अन्य नास्तिक सिद्धांतों के बारे में अपने बयानों के कारण काफिर और नास्तिक होने का आरोप लगाया गया था।अन्य विद्वानों जिन्होंने यह कहा कि इब्न सिन्ना एक नास्तिक था (शेख अल-थुवैनी के पहले), अल-ग़ज़ाली, इब्न तैमियाह, इब्न अल-क़ायम और अल-ढाबी है।
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कार्ल लीनियस या कार्ल वॉन लिने (23 मई 1707 - 10 जनवरी 1778) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं।
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डेमीत्रि इवानोविच मेडेलीफ़ ( 8 फ़रवरी 1834 – 2 फ़रवरी 1907), एक रूसी रसानज्ञ और आविष्कारक थे। उन्होंने तत्वों के आवर्त वर्गीकरण का प्रतिपादन किया। इस सारणी का प्रयोग कर उन्होंने उन तत्वों के गुणों का भी पता लगाया जिसकी उसने समय तक खोज नहीं हो सकी थी।
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पॉल एड्रियन मौरिस डिरॅक अंग्रेज़ सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री थे जिन्होंने क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम विद्युत गतिकी दोनों के प्रारंभिक विकास के लिए मौलिक योगदान दिया था। यह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित के ल्युकेज़ियन प्रोफेसर तथा सैंटर फॉर थियोरेटिकल स्टडीज़, युनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी के सदस्य थे, व अपने जीवन का अंतिम दशक इन्होंने फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में व्यतीत किया।
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एनरिको फर्मि ( 1901-1954) इटैलियन भौतिक विज्ञानी एवं नोबेल पुरस्कार विजेता थे। फर्मि का जन्म 29 सितंबर 1901 को रोम शहर में हुआ। शिक्षा-दीक्षा गटिंगेन एवं लाइडेन में हुई तथा तदुपरांत रोम में भौतिकी के प्राध्यापक नियुक्त हुए। इन्होंने भारी तत्वों के नाभिकों को तोड़ने के संबंध में महत्वपूर्ण शोध कार्य किया तथा सन् 1934 में, न्यूट्रॉन की बमबारी द्वारा भारी तत्वों के नाभिकों को तोड़ने में सफलता प्राप्त की। इस प्रकार फेर्मि ने तत्वांतरण करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। कृत्रिम रेडियो ऐक्टिव पदार्थों का सृजन करने के उपलक्ष्य में, सन् 1938 में, इन्हें नोवेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
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अर्नेस्ट रदरफोर्ड (30 अगस्त 1871 - 31 अक्टूबर 1937) प्रसिद्ध रसायनज्ञ तथा भौतिकशास्त्री थे। उन्हें नाभिकीय भौतिकी का जनक माना जाता है। अर्नेस्ट रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त 1871 को न्यूजीलैंड में हुआ था। अपनी अधिकतम उम्र रासायनिक प्रयोगों में गुजारने वाले वैज्ञानिक माइकल फैराडे के बाद दूसरे स्थान पर अर्नेस्ट रदरफोर्ड का ही नाम आता है। भौतिक विज्ञान में अपनी योग्यताओं के चलते 1894 में रदरफोर्ड को प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर जे.जे.थॉमसन के अधीन शोध करने का मौका मिला, इसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली। 1898 में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में वे भौतिकी के प्रोफेसर रहे और 1907 में इंग्लैंड मैनचैस्टर विश्वविद्यालय में भौतिकी के व्याख्याता।
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बारबरा मैक्लिंटॉक एक अमेरिकी वैज्ञानिक और साइटोजेनेटिकिस्ट थी, जिन्हें फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 1983 का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। मैकक्लिंटॉक ने 1927 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की। वहां उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मक्का साइटोजेनेटिक्स के विकास में अग्रणी के रूप में की, जो बाकी जीवन के लिए उसके शोध का केंद्र बिंदु था। 1920 के दशक के उत्तरार्ध से, मैकक्लिंटॉक ने क्रोमोसोम का अध्ययन किया और मक्का में प्रजनन के दौरान वे कैसे बदलते हैं। उसने मक्का के गुणसूत्रों को देखने के लिए तकनीक विकसित की और कई मौलिक आनुवंशिक विचारों को प्रदर्शित करने के लिए सूक्ष्म विश्लेषण का उपयोग किया। उन विचारों में से एक अर्धसूत्रीविभाजन के दौरान क्रॉस-ओवर करके आनुवंशिक पुनर्संयोजन की धारणा थी जिसके द्वारा गुणसूत्र सूचना का आदान-प्रदान करते हैं। उसने मक्का के लिए पहला आनुवांशिक मानचित्र तैयार किया, जो गुणसूत्र के क्षेत्रों को भौतिक लक्षणों से जोड़ता है। उन्होंने टेलोमेयर और सेंट्रोमियर की भूमिका का प्रदर्शन किया, गुणसूत्र के क्षेत्र जो आनुवंशिक जानकारी के संरक्षण में महत्वपूर्ण हैं। उन्हें इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ के रूप में मान्यता मिली, प्रतिष्ठित फैलोशिप से सम्मानित किया गया, और 1944 में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य चुनी गयी।
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ओटो हैन एक जर्मन रसायनज्ञ थे और रेडियोधर्मिता और रेडियोकेमिस्ट्री के क्षेत्र में अग्रणी थे। हैन को परमाणु रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है। उन्होंने रेडियम, थोरियम, प्रोटैक्टिनियम और यूरेनियम के रेडियोधर्मी समस्थानिकों की खोज की। उन्होंने रेडियोधर्मी पुनरावृत्ति और परमाणु समरूपता की घटनाओं की भी खोज की।
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रॉबर्ट कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं। इन्होंने कॉलेरा, ऐन्थ्रेक्स तथा क्षय रोगों पर गहन अध्ययन किया। अंततः कोच ने यह सिद्ध कर दीया कि कई रोग सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं। इसके लिए सन 1905 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कोच ने रोगों एवं उनके कारक जीवों का पता लगाने के लिए कुछ परिकल्पनाएं की थी जो आज भी इस्तेमाल होती हैं।
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अंटोइन हेनरी बैकेरल एक फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री, नोबेल पुरस्कार विजेता और मैरी क्यूरी तथा पियरे क्यूरी के साथ रेडियोधर्मिता के अनवेष्क थे, जिसके लिए तीनों को 1903 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया। बैकेरल पेरिस में एक ऐसे परिवार में पैदा हुए थे जिसने वैज्ञानिकों की चार पीढ़ियाँ जिसमे बैकेरल के बेटे जीन शामिल है, पैदा की।
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चार्ल्स डार्विन (12 फरवरी, 1809 – 19 अप्रैल 1882) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से 1831 से 1836 में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है।संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक जीवजाति का उद्भव (Origin of Species (हिंदी में - 'ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़')) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो।
डार्विन के विकास के सिद्धान्त से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। उदाहरणतः वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई।
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गाटफ्रीड विलहेल्म लाइबनिज
गाटफ्रीड विलहेल्म लाइबनिज ( 1 जुलाई 1646 - 14 नवम्बर 1716) जर्मनी के दार्शनिक, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, राजनयिक, भौतिकविद्, इतिहासकार, राजनेता, विधिकार थे। उनका पूरा नाम 'गोतफ्रीत विल्हेल्म फोन लाइब्नित्स' था। गणित के इतिहास तथा दर्शन के इतिहास में उनका प्रमुख स्थान है।
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एंटोन वोन लुएन्हूक एक डच जीव वैज्ञानिक थे। वे सूक्ष्म-जीव विज्ञान के जनक माने जाते हैं। उनके सूक्ष्मदर्शी यंत्र ने जीव-विज्ञान की दुनिया में क्रांति ला दी थी। 1670 के दशक में, उन्होंने अपने सूक्ष्मदर्शी के साथ सूक्ष्म जीवन का पता लगाना शुरू कर दिया। यह डच खोज और खोज के स्वर्ण युग की उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक था (c. 1590s-1720)।
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लाइस मिट्नर एक ऑस्ट्रियाई-स्वीडिश भौतिक विज्ञानी थीं, जिन्होंने एक तत्व प्रोटैक्टीनियम और परमाणु विखंडन की खोजों में योगदान दिया। रेडियोएक्टिविटी पर कैसर विल्हेम इंस्टीट्यूट में काम करते हुए, उन्होंने 1917 में एक रेडियोधर्मी आइसोटोप के रूप में प्रोटैक्टीनियम की खोज की।
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मौरिस ह्यूग फ्रेडरिक विल्किंस एक न्यूजीलैंड में जन्मे ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी और आणविक जीवविज्ञानी, और नोबेल पुरस्कार विजेता थे जिनके शोध में फॉस्फोरेसेंस, आइसोटोप जुदाई, ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी और एक्स-रे विवर्तन की वैज्ञानिक समझ और रडार के विकास में योगदान दिया गया था।
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वोल्टा इटली के वैज्ञानिक थे। ये सन् 1800 ईस्वी में विद्युत धारा के आविष्कार के लिए जाने जाते हैं। वोल्टा का जन्म कोमो में 18 फरवरी, 1745 को हुआ। यह विद्युत को एक रासायनिक क्रियाओं के द्वारा करके जैसे गोबर गैस कहते हैं उसी के द्वारा इन्होंने किरिया करवा कर विद्युत को उत्पन्न किया और उस विद्युत को तारों में प्रवाहित किया जिसको हम अपने छोटे छोटे कामों में ला सकते हैं इन्होंने उस विद्युत का जल विद्युत नाम दिया था। जिसे हम पहले अपने कामों में लाते थे।
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जॉन क्रेग वेंटर एक अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजिस्ट और व्यवसायी हैं। उन्हें मानव जीनोम के पहले ड्राफ्ट अनुक्रम का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है | उन्होंने एक सिंथेटिक गुणसूत्र के साथ एक सेल को संक्रमित करने के लिए पहली टीम को इकट्ठा किया।
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स्टीफन जे गोल्ड एक अमेरिकी जीवाश्म विज्ञानी, विकासवादी जीवविज्ञानी और विज्ञान के इतिहासकार थे। वह अपनी पीढ़ी के लोकप्रिय विज्ञान के सबसे प्रभावशाली और व्यापक रूप से पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक थे।
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अमेरिका की रेचल कार्सन (27 मई 1907 – 14 अप्रैल 1964) एक लेखक, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् थीं। रेचल को आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की जननी के रूप में भी जाना जाता है। 1962 में प्रकाशित उनकी पुस्तक सायलेंट स्प्रिंग ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को भी प्रभावित किया था। उन्होंने स्वयं वह पुस्तक पढ़ी और उसमें उल्लेख किए गए कैमिकल्स का परीक्षण कराने का आदेश दिया।
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लिनुस कार्ल पौलिंग एक अम्रीकी रसायनज्ञ, बायोकेमीज्ञानी, शांति कार्यकर्ता, लेखक और शिक्षक थे। उन्होने 1200 से ज्यादा सामग्री और पुस्तकें प्रकाशित कियें है। उन्में से लगभग 850 वैज्ञानिक विषयों थे। "न्यू सयिन्टिस्ट" पत्रिका उन्को सर्वकाल की महानतम वैज्ञानिकों में एक कहतें है। आज की युग में पाउलिङ को इतिहास के 16 वीं सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक का स्तान दिया गया है। पाउलिङ क्वांटम रसायन विज्ञान और आणविक जीव विज्ञान के स्ंस्थापक थे। उन्की वैज्ञानिक कामों के लिये उन्को सन 1954 में नोबेल पुरस्कार मिली। सन 1962 में उन्को शान्ती का नोबेल पुरस्कार भी मिली। इससे वे दो अविभाजित नोबेल पुरस्कारों दिया हुआ इकलौता आदमी हो गए। डीएनए की संरचना पर भी पाउलिङ ने अनुसंधान किये थे।
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जर्मन वैज्ञानिक मैक्स प्लांक (Max Planck) का जन्म 23 अप्रैल 1858 को हुआ था। ग्रेजुएशन के बाद जब उसने भौतिकी का क्षेत्र चुना तो एक अध्यापक ने राय दी कि इस क्षेत्र में लगभग सभी कुछ खोजा जा चुका है अतः इसमें कार्य करना निरर्थक है। प्लांक ने जवाब दिया कि मैं पुरानी चीज़ें ही सीखना चाहता हूँ. प्लांक के इस क्षेत्र में जाने के बाद भौतिकी में इतनी नई खोजें हुईं जितनी शायद पिछले हज़ार वर्षों में नहीं हुई थीं।
प्लांक ने अपने अनुसंधान की शुरुआत ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) से की। उसने विशेष रूप से उष्मागतिकी के द्वितीय नियम पर कार्य किया। उसी समय कुछ इलेक्ट्रिक कंपनियों ने उसके सामने एक ऐसे प्रकाश स्रोत को बनाने की समस्या रखी जो न्यूनतम ऊर्जा की खपत में अधिक से अधिक प्रकाश पैदा कर सके। इस समस्या ने प्लांक का रूख विकिरण (Radiation) के अध्ययन की ओर मोड़ा . उसने विकिरण की विद्युत् चुम्बकीय प्रकृति (Electromagnetic Nature) ज्ञात की। इस तरह ज्ञात हुआ कि प्रकाश, रेडियो तरंगें, पराबैंगनी (Ultraviolet), इन्फ्रारेड सभी विकिरण के ही रूप हैं जो दरअसल विद्युत् चुम्बकीय तरंगें हैं।
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ब्लेज़ पास्कल, फ्रांसीसी गणितज्ञ, भौतिकज्ञ और धार्मिक दार्शनिक थे। पास्कल ने व्यावहारिक विज्ञान पर काम करते हुए मशीनी गणक बनाए, द्रव्यों के गुणों को समझा और टॉरिसैली के काम को आगे बढ़ाते हुए दबाव और निर्वात की अवधारणाओं को स्पष्ट किया। इन्होंने वैज्ञानिक विधि के समर्थन में भी लेख लिखे। साथ ही धार्मिक दर्शन में भी इनकी कृतियों ने बहुत असर छोड़ा।
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टिम बर्नर्स ली (जन्म: 8 जून, 1955) विश्व व्यापी वेब के आविष्कारक, विश्व व्यापी वेब संघ के वर्तमान निर्देशक और एक शोधकर्त्ता है। टिम बर्नर्स् ली को, 2001 में, रॉयल सोसायटी का सदस्य बनाया गया। 2004 में नाईटहुड की उपाधि दी गयी थी। 13 जून 2007 को, ऑर्डर ऑफ मेरिट, इंगलैंड के सबसे महत्वपूर्ण सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान महारानी द्वारा कला, विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिये दिया जाता है। इसी लिये टाइम पत्रिका ने उन्हें, 20वीं शताब्दी के 100 महान वैज्ञानिकों और विचारकों में चुना है।
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जेम्स डी. वाटसन, एक अमेरिकन जीवाणु वैज्ञानिक हैं। वे डी.एन.ए. की बनावट पता करने के लिये जाने जाते हैं। इस कार्य के लिये उन्हे, फ्रैन्सिस क्रिक और मॉरिस विल्किंस को 1962 में नोबल पुरुस्कार मिला। 1950 के दशक में, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में, फ्रांसिस क्रिक के साथ काम करते हुये, उन्होंने डी.एन.ए. [deoxyribonucleic acid (D.N.A.)] की बनावट का पता लगाया। इसके लिए वाटसन एवं क्रिक को 1962 में नोबल पुरूस्कार मिला। नोबल कमेटी ने पुरूस्कार देते समय, मॉरिस विल्किंस के द्वारा, इस क्षेत्र में किये गये कार्य को सराहा और उन्हे भी, नोबल पुरूस्कार में, शामिल किया।
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जॉन वॉन न्यूमैन एक महान हंगेरियाई गणितज्ञ थे। जान वान न्यूमैन एक महान साइंटिस्ट थे आधुनिक कंप्यूटर के विकास में इनका सर्वाधिक योगदान है, वॉन न्यूमैन ने कई क्षेत्रों में प्रमुख योगदान दिया, जिसमें गणित (गणित की नींव, कार्यात्मक विश्लेषण, अर्गोडिक सिद्धांत, प्रतिनिधित्व सिद्धांत, ऑपरेटर बीजगणित, ज्यामिति, टोपोलॉजी और संख्यात्मक विश्लेषण), भौतिकी (क्वांटम यांत्रिकी, हाइड्रोलिक्स और क्वांटम सांख्यिकीय यांत्रिकी) शामिल हैं।
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वर्नर हाइजनबर्ग, ( जन्म: 5 दिसम्बर 1901, देहांत: 1 फ़रवरी 1976) एक जर्मन सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी थे, जो क्वांटम यांत्रिकी में अपने मूलभूत योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनके दिए गए अनिश्चितता सिद्धान्त को अब क्वांटम यांत्रिकी की एक आधारशिला माना जाता है।
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लॉर्ड (विलियम थॉमसन) केल्विन
विलियम थॉमसन, प्रथम बैरन केल्विन, ओएम, जीसीवीओ, पीसी, पीआरएस, एफआरएसई (26 जून 1824 - 17 दिसंबर 1907) बेलफास्ट में पैदा हुए एक ब्रिटिश गणितज्ञ, गणितीय भौतिक विज्ञानी और इंजीनियर थे। 53 वर्षों के लिए ग्लासगो विश्वविद्यालय में प्राकृतिक दर्शन के प्रोफेसर, उन्होंने बिजली के गणितीय विश्लेषण और थर्मोडायनामिक्स के पहले और दूसरे नियमों के निर्माण में महत्वपूर्ण काम किया, और भौतिकी के उभरते अनुशासन को अपने आधुनिक रूप में एकीकृत करने के लिए बहुत कुछ किया। उन्होंने 1883 में रॉयल सोसाइटी का कोपले मेडल प्राप्त किया, इसके अध्यक्ष 1890-1895 थे, और 1892 में हाउस ऑफ लॉर्ड्स में पदोन्नत होने वाले पहले ब्रिटिश वैज्ञानिक थे।
उनके सम्मान में केल्विन की इकाइयों में निरपेक्ष तापमान कहा जाता है। जबकि तापमान की निचली सीमा (पूर्ण शून्य) का अस्तित्व उनके काम से पहले जाना जाता था, केल्विन को इसका सही मान लगभग −273.15 डिग्री सेल्सियस या −459.67 डिग्री फ़ारेनहाइट निर्धारित करने के लिए जाना जाता है। उनके सम्मान में जूल-थॉमसन प्रभाव का नाम भी रखा गया है।
उन्होंने अपने काम में गणित के प्रोफेसर ह्यू ब्लैकबर्न के साथ मिलकर काम किया। उनका एक इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ इंजीनियर और आविष्कारक के रूप में भी करियर था, जिसने उन्हें लोगों की नज़रों में ला दिया और उनके धन, प्रसिद्धि और सम्मान को सुनिश्चित किया। ट्रान्साटलांटिक टेलीग्राफ प्रोजेक्ट पर उनके काम के लिए उन्हें 1866 में क्वीन विक्टोरिया द्वारा सर विलियम थॉमसन बनने के लिए नाइट की उपाधि दी गई थी। उनके पास व्यापक समुद्री हित थे और मेरिनर के कंपास पर उनके काम के लिए सबसे अधिक विख्यात थे, जिसकी पहले सीमित विश्वसनीयता थी।
उन्हें 1892 में थर्मोडायनामिक्स में उनकी उपलब्धियों और आयरिश होम रूल के विरोध में, काउंटी ऑफ एयर में लार्ग्स के बैरन केल्विन बनने के लिए सम्मानित किया गया था। शीर्षक केल्विन नदी को संदर्भित करता है, जो हिलहेड में ग्लासगो विश्वविद्यालय के गिलमोरहिल घर में उनकी प्रयोगशाला के पास बहती है। कई विश्व-प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों से उन्नत पदों के प्रस्तावों के बावजूद, केल्विन ने ग्लासगो छोड़ने से इनकार कर दिया, 1899 में उस पद से अपनी अंतिम सेवानिवृत्ति तक शेष रहे। औद्योगिक अनुसंधान और विकास में सक्रिय, उन्हें 1899 के आसपास जॉर्ज ईस्टमैन द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में सेवा करने के लिए भर्ती किया गया था। ईस्टमैन कोडक से संबद्ध ब्रिटिश कंपनी कोडक लिमिटेड के बोर्ड में। 1904 में वे ग्लासगो विश्वविद्यालय के चांसलर बने।
उनका घर लाल बलुआ पत्थर की हवेली नीदरलैंड, लार्ग्स में था, जिसे उन्होंने 1870 के दशक में बनाया था और जहां उनकी मृत्यु हुई थी। ग्लासगो विश्वविद्यालय के हंटरियन संग्रहालय में केल्विन के काम पर एक स्थायी प्रदर्शनी है, जिसमें उनके कई मूल कागजात, उपकरण और अन्य कलाकृतियाँ, जैसे कि उनके धूम्रपान पाइप शामिल हैं।
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