घूमने योग्य 32 सबसे ठंडे भारतीय स्थान

भारत में सर्दियां कुछ स्थानों पर रिकॉर्ड तोड़ सकती हैं और भारत एक उच्च तापमान वाले देश के रूप में भी पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहाँ का मौसम जबरदस्त तरीके से बदल सकता है, यहाँ की लू जिस्म जला देती है और ठण्ड जिस्म कंपा देती है। शायद दुनिया के किसी अन्य जगह पर इस तरह की विविधताएं नहीं हैं जैसे कि भारत में है। देश के उत्तरी भाग में तापमान कभी कभी शून्य से काफी नीचे चला जाता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी तापमान में गिरावट देखने को मिलती है। जिन स्थानों पर तापमान शून्य डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे चला जाता है, वह लगभग पूरे साल ठंडा रहता है। इन प्रसिद्ध ठन्डे स्थानों में से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं। ये काफी खूबसूरत जगहें हैं। बर्फ की मोटी सफेद परत और सर्द मौसम इन जगहों को बेहद खूबसूरत बना देता है। आइये ऐसे ही कुछ अत्यंत ठन्डे स्थानों के बारे में जानकारी प्राप्त करतें हैं।


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द्रास

द्रास 1

द्रास जम्मू और कश्मीर का हिस्सा है और कारगिल जिले के अंतर्गत आता है। यह 3,280 मीटर (10,760 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। इसके ज्यादातर हिस्सों में औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों के दौरान तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है जो इसे सबसे ठंडा बनाता है। द्रास कारगिल जिले से 56 किमी दूर पश्चिमी लद्दाख में श्रीनगर की सड़क पर स्थित है। यह भारत में सबसे ठंडा स्थान है और इसे लद्दाख का गेटवे कहा जाता है।

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मसूरी

मसूरी 2

मसूरी भारत के उत्तराखंड राज्य का हिस्सा है। यह देहरादून से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मसूरी उन स्थानों में से एक है जहां लोग बार-बार जाना पसंद करते हैं। यह शहर 2,005.5 मीटर (6,597 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल हिमालय पर्वतमाला के शिवालिक श्रेणी में पड़ता है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। यहां गर्मियों में तापमान 24-35 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों के दौरान 1 से 20 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।

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मैकलियॉड गंज

मैकलियॉड गंज 3

मैकलियॉड गंज भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। मैक्लॉडगंज का नाम सर डोनाल्ड फ्रील मैक्लॉड जो कि पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे, के नाम पर रखा गया है। ये समुद्र तल से 2,004 मीटर (6,575 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यहां गर्मियों के दौरान तापमान 25 से 36 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा सकता है, और सर्दियों के दौरान ये 1 से 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।

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लेह

लेह 4

लेह जम्मू कश्मीर राज्य का के लद्दाख जिले का मुख्यालय एवं प्रमुख नगर है। यह समुद्र तल से 3,500 मीटर (11,500 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यहां गर्मियों में दौरान तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रहता है और सर्दियों के दौरान -42 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। इस क्षेत्र में बोली जाने वाली कुछ भाषाओं में अंग्रेजी, लद्दाख़ी और उर्दू शामिल हैं। यह भारत में सबसे लोकप्रिय छुट्टी गंतव्य में से एक है।

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श्रीनगर

श्रीनगर 5

श्रीनगर जम्मू और कश्मीर की राजधानी है और अशोक महान द्वारा स्थापित किया गया था। कश्मीर घाटी के मध्य में बसा यह नगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। श्रीनगर डल झील और विभिन्न मंदिरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। ये समुद्र तल से 1700 मीटर (5,200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यहां गर्मियों के दौरान तापमान 27 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो जाता है, और सर्दियों में -2.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। ये युवा जोड़ों या परिवारों के लिए हनीमून मनाने के लिए एक बेहतरीन स्थान है।

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शिमला

शिमला 7

शिमला हिमालय की पश्चिमी सीमाओं के उत्तर में स्थित है और हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। इस लोकप्रिय पर्यटन स्थल को अक्सर पहाड़ों की रानी के रूप में जाना जाता है। ये समुद्र तट से 2400 मीटर (7,234 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। गर्मियों के दौरान यहां तापमान 19-28 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है, और सर्दियों में यह 1 से 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। शिमला में बोली जाने वाली भाषा ज्यादातर हिंदी है और ये भी भारत में एक लोकप्रिय हनीमून गंतव्य है।

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मनाली, हिमाचल

मनाली, हिमाचल 8

मनाली कुल्लू घाटी में स्थित भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य की पहाड़ियों का एक महत्वपूर्ण पर्वतीय स्थल यानी कि हिल स्टेशन है। मनाली और उसके आस-पास के क्षेत्र भारतीय संस्कृति और विरासत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसे सप्तर्षि या सात ऋषियों का घर बताया गया है। ये समुद्र तट से लगभग 2,050 मीटर (6,730 फीट) की ऊंचाई पर है। यहां गर्मियों के दौरान औसत तापमान 4-15 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में ये 15 से -5 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

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केलांग

केलांग 9

केलांग भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले का प्रशासनिक केंद्र है और 3,080 मीटर (10,100 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यहां गर्मियों के दौरान औसत तापमान 25 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों के दौरान यह -2 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है।

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गंगटोक

गंगटोक 10

गंगटोक भारत के राज्य सिक्किम की राजधानी है। ये बहुत आकर्षक शहर है जो रानीपूल नदी के पश्चिम ओर बसा है। कंचनजंघा शिखर की संपूर्ण श्रंखला यहां से दिखाई देती है। ये समुद्र तल से 1,600 मीटर (5,200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यहां गर्मियों में औसत तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रहता है और सर्दियों ये 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।

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मुन्नार

मुन्नार 11

मुन्नार केरल राज्य में स्थित एक प्रमुख पर्वतीय स्थल है और इडुक्की जिले का हिस्सा है। ये समुद्र तट से 1,700 मीटर (5,600 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। चाय के खूबसूरत बागान यहां की खासियत हैं और प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक यहां आते हैं। जिंदगी की भागदौड़ और प्रदूषण से दूर ये जगह लोगों को अपनी ओर खींचती है। यहां गर्मियों के दौरान तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में ये 0 से 13 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

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पहलगाम

Pahalgam
पहलगाम भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में अनंतनाग जिले का एक छोटा सा कस्बा है। यह एव विख्यात पर्यटक स्थान है साथ ही अमरनाथ यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। यह लिद्दर नदी के किनारे समुद्र से 7,200 फ़ीट की ऊँचाई पर बसा हुआ है। यह ज़िले में तहसील का दर्जा रखता है।

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केदारनाथ मन्दिर

केदारनाथ मन्दिर KedarnathTemple
केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गयी। इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे लेकिन मन्दिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया।

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अमरनाथ गुफा मंदिर

अमरनाथ गुफा मंदिर Amarnath Cave Temple
अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊँची है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।

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उत्तरी सिक्किम

North Sikkim
उत्तर सिक्किम भारतीय राज्य सिक्किम का एक जिला है। जिले का मुख्यालय मांगन) है। चार जिलों में विभक्त सिक्किम राज्य के उत्तरी सिक्किम जिले का अधिकांश हिस्सा पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित है, क्योंकि इस संवेदनशील जिले की सीमा चीन से मिलती है। यहां आने वाले सैलानियों को विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। मंगन यहां का जिला मुख्यालय है और इसके आसपास ही अधिकांश आबादी रहती है। मंगन समुद्र तल से 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की जलवायु पूरे साल अनुकूल और संतुलित रहती है। नेपाल की पूर्वी सीमा पर स्थित कंजनजंगा यहां की सबसे ऊंची चोटी है जो 8000 मीटर की ऊंचाई पर है। जिले की प्राकृतिक सुंदरता यहां आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

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मुनस्‍यारी

Munsiari
मुनस्‍यारी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। यह उत्‍तराखण्‍ड में जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है जो एक तरफ तिब्‍बत सीमा और दूसरी ओर नेपाल सीमा से लगा हुआ है। मुनस्‍यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्‍यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्‍व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्‍वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है, बाई तरफ नन्‍दा देवी और त्रिशूल पर्वत, दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्‍पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है।
काठगोदाम, हल्‍द्वानी रेलवे स्‍टेशन से मुनस्‍यारी की दूरी लगभग 295 किलोमीटर है और नैनीताल से 265 किलोमीटर है। काठगोदाम से मुनस्‍यारी की यात्रा बस अथवा टैक्‍सी के माध्‍यम से की जा सकती है और रास्‍ते में कई खूबसूरत स्‍थल आते हैं। काठगोदाम से चलने पर भीमताल, जो कि नैनीताल से मात्र 10 किलोमीटर है, पड़ता है उसके बाद वर्ष भर ताजे फलों के लिए प्रसिद्ध भवाली है, अल्‍मोड़ा शहर और चितई मंदिर भी रास्‍ते में ही है। अल्‍मोड़ा से आगे प्रस्‍थान करने पर धौलछीना, सेराघाट, गणाई, बेरीनाग और चौकोड़ी है। बेरीनाग और चौकोड़ी अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां से आगे चलने पर थल, नाचनी, टिमटिया, क्‍वीटी, डोर, गिरगॉव, रातापानी और कालामुनि आते हैं। कालामुनि पार करने के बाद आता है मुनस्‍यारी, जिसकी खूबसूरती अपने आप में निराली है।
मुनस्‍यारी में ठहरने के लिए काफी होटल, लॉज और गेस्‍ट हाउस है। गर्मी के सीजन में यहां के होटल खचाखच भरे रहते है इसलिए इस मौसम में वहां जाने से पहले ठहरने के लिए कमरे की बुकिंग जरूर करा लेना चाहिए क्‍योंकि इस समय में यहां पर देसी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ जाती है। विदेशी पर्यटक यहां खासकर ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग के लिए आते हैं।
लोग पहाड़ी (स्‍थानीय बोली) बोलते है और हिन्‍दी भाषा का प्रयोग भी करते हैं। यहां के अधिकतर लोग कृषि कार्य में लगे हुए है।

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रोहतांग पास

रोहतांग पास 13

रोहतांग पास हिमालय का एक प्रमुख पास है। रोहतांग पास भारत देश के हिमाचल प्रदेश में समुद्री तल से 4111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जहां से मनाली का शानदार दृश्य दिखाई पड़ता है। यह पास, दुनिया की सबसे ऊंची चलने वाली रोड़ है जहां हर साल लाखों पर्यटक इस लॉफी पहाड़ पर भ्रमण करने आते हैं। यहां से पहाडों, सुंदर दृश्यों वाली भूमि और ग्लेसियर का शानदार दृश्य देखा जा सकता है। इन सभी के अलावा इस पर्यटन स्थल में आकर पर्यटक ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग और पैरालाइडिंग भी कर सकते हैं। यह पास साल में मई के महीने में पर्यटकों के लिए खुल जाता है और सितम्बर में भारी बर्फबारी के कारण बंद कर दिया जाता है।

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बद्रीनाथ मन्दिर

बद्रीनाथ मन्दिर Badrinath Temple
बद्रीनाथ में जो प्रतिमा है़ वह विष्णु के एक रूप "बद्रीनारायण" की है। बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता है। भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊँचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्र में, समुद्र तल से 3,133 मीटर (10,279 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। जाड़ों की ऋतु में हिमालयी क्षेत्र की रूक्ष मौसमी दशाओं के कारण मन्दिर वर्ष के छह महीनों (अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक) की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है। यह भारत के कुछ सबसे व्यस्त तीर्थस्थानों में से एक है; 2012 में यहाँ लगभग 10.6 लाख तीर्थयात्रियों का आगमन दर्ज किया गया था। बद्रीनाथ मन्दिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप "बद्रीनारायण" की पूजा होती है। यहाँ उनकी 1 मीटर (3.3 फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा विष्णु के आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं) में से एक माना जाता है। यद्यपि, यह मन्दिर उत्तर भारत में स्थित है, "रावल" कहे जाने वाले यहाँ के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नम्बूदरी सम्प्रदाय के ब्राह्मण होते हैं। बद्रीनाथ मन्दिर को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अधिनियम – 30/1948 में मन्दिर अधिनियम – 16/1939 के तहत शामिल किया गया था, जिसे बाद में "श्री बद्रीनाथ तथा श्री केदारनाथ मन्दिर अधिनियम" के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नामित एक सत्रह सदस्यीय समिति दोनों, बद्रीनाथ एवं केदारनाथ मन्दिरों, को प्रशासित करती है। विष्णु पुराण, महाभारत तथा स्कन्द पुराण जैसे कई प्राचीन ग्रन्थों में इस मन्दिर का उल्लेख मिलता है। आठवीं शताब्दी से पहले आलवार सन्तों द्वारा रचित नालयिर दिव्य प्रबन्ध में भी इसकी महिमा का वर्णन है। बद्रीनाथ नगर, जहाँ ये मन्दिर स्थित है, हिन्दुओं के पवित्र चार धामों के अतिरिक्त छोटे चार धामों में भी गिना जाता है और यह विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देशों में से भी एक है। एक अन्य संकल्पना अनुसार इस मन्दिर को बद्री-विशाल के नाम से पुकारते हैं और विष्णु को ही समर्पित निकटस्थ चार अन्य मन्दिरों – योगध्यान-बद्री, भविष्य-बद्री, वृद्ध-बद्री और आदि बद्री के साथ जोड़कर पूरे समूह को "पंच-बद्री" के रूप में जाना जाता है। ऋषिकेश से यह 294 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। मन्दिर तक आवागमन सुलभ करने के लिए वर्तमान में चार धाम महामार्ग तथा चार धाम रेलवे जैसी कई योजनाओं पर कार्य चल रहा है।

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बनिहाल

Banihal
बनिहाल (Banihal) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के रामबन ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले में तहसील का दर्जा रखता है।

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तवांग

Tawang
तवांग अरुणाचल प्रदेश प्रान्त का एक शहर है जो तवांग जिले का मुख्यालय भी है। तवांग अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित है। तवांग की उत्तर-पूर्व दिशा में तिब्बत, दक्षिण-पश्चिम में भूटान और दक्षिण-पूर्व में पश्चिम कमेंग ज़िला स्थित है। तवांग हिमालय की तराई में समुद्र तल से 3500 मी. की ऊँचाई पर स्थित है।

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स्पीति घाटी

स्पीति घाटी 14

स्पीति घाटी हिमांचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित एक ठंडी रेगिस्तान पहाड़ी घाटी है। स्पीति का अर्थ है मिडल लैंड अर्थात ये तिब्बत और भारत के बीच की भूमि है। आसपास के क्षेत्र में से स्पीति घाटी कम से कम आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है, और उत्तरी भारत तक पहुंच के लिए प्रवेश द्वार है। लाहौल और स्पीति उच्च पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। एक सड़क दोनों डिवीजनों को जोड़ती है, लेकिन अक्सर हिमपात के कारण सर्दी और वसंत में भारी हिमपात और कठिन परिस्थितियों के कारण इसको बंद कर दिया जाता है।

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गुलमर्ग

गुलमर्ग 15

फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर गुलमर्ग जम्मू और कश्मीर का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। यह देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं। वैसे तो पूरे कश्मीर में ही प्राकृतिक सुदंरता चारों तरफ बिखरी पड़ी हुई है, लेकिन गुलमर्ग उनमें सबसे सुंदर जगहों में से एक है। गुलमर्ग मुख्यतः दो शब्दों के मेल से बना है, गुल अर्थात “फूल” और मर्ग मतलब “मैदान” इस हिसाब से गुलमर्ग को फूलों का मैदान माना गया है।

गुलमर्ग में घूमने की जगह-

  • अफरवत पीक (Apharwat Peak)
  • गुलमर्ग गंडोला (Gulmarg Gondola)
  • खिलनमर्ग (Khilanmarg)
  • निंगली नल्ला (Ningli Nalla)
  • गोल्फ कोर्स (Golf Course)

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श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड

श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड 16

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब या गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी सिखों का एक धार्मिक स्थल है। यह हिमालय में 4632 मीटर की ऊँचाई पर एक बर्फ़ीली झील किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिख गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है और इसका उल्लेख 10वें ग्रंथ में भी है जो कि स्वयं गुरु जी द्वारा लिखी गई है। 10वें ग्रंथ में गुरु ने अपने जन्म के बारे में घटना बताई है कि हेमुकंड की नदी के पास ही जब उन्होंने अपने ध्यान और तपस्या द्वारा भगवान का स्मरण कर लिया था तो भगवान ने उन्हें धरती पर जन्म लेने को कहा ताकि वह लोगों तक आस्था और धर्म का सही मतलब पहुंचा सकें और लोगों को बुराइयों से बचने का सही रास्ता बता सकें।

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सोनमर्ग

Sonamarg
सोनमर्ग या सोनामर्ग भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले में 3,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है। यह सिन्द नाले (सिन्धु नदी से भिन्न) नामक नदी की घाटी में है। सोनमर्ग से आगे ऊँचे पर्वत हैं और कई प्रसिद्ध हिमानियाँ (ग्लेशियर) स्थित हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 इसे पश्चिम में श्रीनगर और पूर्व में लद्दाख़ से जोड़ता है।

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धर्मशाला

Dharmashala
धर्मशाला (Dharmashala) भारत के केरल राज्य के कन्नूर ज़िले में स्थित एक बस्ती है।

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यमुनोत्री मंदिर

यमुनोत्री Yamunotri Temple (Janki Chatti)
यमुनोत्री मंदिर उत्तरकाशी जिले में उत्तराखंड में 3,291 मीटर (10,797 फीट) की ऊंचाई पर गढ़वाल हिमालय के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। मंदिर देवी यमुना को समर्पित है और देवी की एक काले संगमरमर की मूर्ति है। ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून - यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के मुख्य शहरों से एक पूरा दिन की यात्रा है। वास्तविक मंदिर केवल एक 13 किलोमीटर (8.1 मील) की यात्रा हनुमान चट्टी के शहर से और एक 6 किलोमीटर की दूरी (3.7 मील) जानकी चट्टी से टहलने के द्वारा पहुँचा जा सकता है; घोड़े या पालकी किराए के लिए उपलब्ध हैं। यमुनोत्री के लिए हनुमान चट्टी से वृद्धि झरने के एक नंबर के दृश्यों का आनंद लेता है। वहाँ हनुमान चट्टी से यमुनोत्री के लिए दो ट्रैकिंग मार्ग, मार्कंडेय तीर्थ, जहां ऋषि मार्कंडेय लिखा मार्कंडेय पुराण, अन्य मार्ग नदी के बाएं किनारे पर जो  Kharsali के माध्यम से चला जाता है, जहां से के माध्यम से दाहिने किनारे आय के साथ एक हैं यमुनोत्री एक पांच या छह घंटे की दूरी पर चढ़ाई है।

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कारगिल

Kargil
कारगिल (Kargil) भारत के लद्दाख़ केन्द्रशासित प्रदेश के करगिल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह सुरु नदी की घाटी के मध्य में बसा हुआ है।

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कल्पा

Kalpa
कल्पा (Kalpa) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर ज़िले में स्थित एक बस्ती है। यह सतलुज नदी की घाटी में स्थित है और हिन्दू व बौद्ध धार्मिक स्थल है।

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सियाचिन हिमनद

Siachen Glacier
सियाचिन ग्लेशियर हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर) है। यह काराकोरम की पांच बड़े हिमानियों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर (ताजिकिस्तान की फ़ेदचेन्को हिमानी के बाद) विश्व की दूसरी सबसे बड़ा ग्लेशियर है। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत इंदिरा कोल पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। सियाचिन ग्लेशियर पर 1984 से भारत का नियंत्रण रहा है और भारत इसे अपने लद्दाख़ राज्य लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत का नियंत्रण अन्त करने के कई विफल प्रयत्न करे हैं और वर्तमानकाल में भी सियाचिन विवाद जारी रहा है।

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सेला दर्रा

Sela Pass
सेला दर्रा या से ला (ला का मतलब दर्रा है) भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के तवांग ज़िले और पश्चिम कमेंग ज़िले के मध्य अवस्थित एक उच्च तुंगता वाला पहाड़ी दर्रा है। इसकी ऊँचाई 4,170 मीटर (13,700 फुट) है और यह तिब्बती बौद्ध शहर तवांग को दिरांग और गुवाहाटी से जोड़ता है। इस दर्रे से होकर ही तवांग शेष भारत से एक मुख्य सड़क के माध्यम से जुड़ा हुआ है। इस दर्रे के आस-पास वनस्पति अल्प मात्रा में उगते हैं तथा यह क्षेत्र आमतौर से वर्ष भर बर्फ से ढका होता है। इस दर्रे के शिखर के नजदीक स्थित सेला झील इस क्षेत्र में स्थित लगभग 101 पवित्र तिब्बती बौद्ध धर्म के झीलों में से एक है।

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कुपवाड़ा

Kupwara
कुपवाड़ा जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक नगर है। यह कुपवाड़ा ज़िले का केन्द्र भी है। कुपवाड़ा पीरपंजाल और शम्सबरी पर्वत के मध्य स्थित है। समुद्र तल से 5,300 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह नगर ऐतिहासिक दृष्टि से भी स्थान काफी प्रसिद्ध है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। कुपवाड़ा जिले में कई पर्यटन स्थल जैसे मां काली भद्रकाली मंदिर, शारदा मंदिर, जेत्ती नाग शाह आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

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कोकरनाग

Kokernag
कोकरनाग (Kokernag), जिसे ब्रंग कोकरनाग (Brang Kokernag) भी कहा जाता है, भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के अनन्तनाग ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले में तहसील का दर्जा रखता है।

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काज़ीगुंड

Qazigund
काज़ीगुंड (Qazigund), भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के अनंतनाग ज़िले में एक नगर है। जम्मू से श्रीनगर के मुख्य मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए) में पीर पंजाल पर्वतमाला को बनिहाल दर्रा द्वारा पार करा जाता है, जिसमें बनिहाल जम्मू विभाग का अंतिम और काज़ीगुंड कश्मीर विभाग का पहला पड़ाव है। इसलिए इसे कश्मीर घाटी का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है।

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