विश्व में मृत्यु के 17 प्रमुख कारण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2019 में, दुनिया भर में मौत के शीर्ष 10 कारण 55.4 मिलियन लोगों की मृत्यु का 55% हिस्सा था। हृदय रोग, स्ट्रोक, श्वसन रोग और नवजात शिशुओं में संक्रमण सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनता है। विश्व स्तर पर, 2019 में मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से 7 छुआछूत वाली बीमारियां नहीं थीं। इन सात कारणों से होने वाली मौतें सभी मौतों का 44% हिस्सा है। हृदय रोग से पूरी दुनियां में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। यह दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों में 16% मौत के लिए जिम्मेदार है। स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज मौत का दूसरा और तीसरा प्रमुख कारण है और उसके बाद सांस का संक्रमण मौत का चौथा प्रमुख कारण बनता है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन का डाटा है।


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हृदयवाहिका रोग

हृदयवाहिका रोग Cardiovascular disease

Average 17.79 million Deaths Noted by Cardiovascular Diseases.

हृदय रोग या हृदयनलिका रोग ऐसे रोगों का एक समूह है, जो हृदय या रक्त नलिकाओं (धमनियां और शिराएं) को ग्रस्त करते हैं. हालांकि इस शब्द का संबंध ऐसे किसी भी रोग से है जो हृदयनलिका तंत्र (MeSH C14 में प्रयोग) को प्रभावित करता हो, सामान्यतः इसका प्रयोग मेदकाठिन्य या एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी के रोग) से संबंधित रोगों के लिये किया जाता है. इन तंत्र और उपचार शर्तों के समान होता है. व्यवहार में, हृदयनलिका रोग का उपचार हृदयरोगतज्ञों, वक्ष के शल्यचिकित्सकों, रक्तनलिकाओं के शल्यचिकित्सकों, नाड़ीरोगतज्ञों और व्यवधानी रेडियोलाजिस्टों द्वारा किया जाता है, जिनका कार्यक्षेत्र उपचाराधीन अवयव तंत्र पर निर्भर करता है. विभिन्न विशेषज्ञताओं के बीच काफी आपसी आच्छादन होता है और यह आम बात है कि एक ही अस्पताल में कतिपय प्रक्रियाएं भिन्न प्रकार के विशेषज्ञों द्वारा की जाती हैं. अधिकांश देश हृदयनलिका रोग की उच्च और बढ़ती दरों का सामना कर रहे हैं. प्रति वर्ष कैंसर की अपेक्षा हृदय रोग से कहीं अधिक अमेरिकियों की मृत्यु होती है. पिछले कुछ वर्षों में स्त्रियों में हृदयनलिका रोग का जोखम बढ़ने लगा है और स्तन कैंसर की अपेक्षा अधिक स्त्रियों की मृत्यु इससे हुई है.

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कर्क रोग

कर्कट रोग Cancer

Average 9.56 million Deaths Noted by Cancer.

कर्क रोग (चिकित्सकीय पद: दुर्दम नववृद्धि) रोगों का एक वर्ग है जिसमें कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित वृद्धि (सामान्य सीमा से अधिक विभाजन), रोग आक्रमण (आस-पास के उतकों का विनाश और उन पर आक्रमण) और कभी कभी अपररूपांतरण अथवा मेटास्टैसिस (लसिका या रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है) प्रदर्शित करता है। कर्क के ये तीन दुर्दम लक्षण इसे सौम्य गाँठ (ट्यूमर या अबुर्द) से विभेदित करते हैं, जो स्वयं सीमित हैं, आक्रामक नहीं हैं या अपररूपांतरण प्रर्दशित नहीं करते हैं। अधिकांश कर्क एक गाँठ या अबुर्द (ट्यूमर) बनाते हैं, लेकिन कुछ, जैसे रक्त कर्कट (श्वेतरक्तता) गाँठ नहीं बनाता है। चिकित्सा की वह शाखा जो कर्क के अध्ययन, निदान, उपचार और रोकथाम से सम्बंधित है, ऑन्कोलॉजी या अर्बुदविज्ञान कहलाती है।

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श्वसन तंत्र के रोग

श्वसन तंत्र के रोग Respiratory disease

More than 3.91 million Deaths Noted by Respiratory Diseases.

श्वसन तंत्र के रोगों में फेफड़ों के रोग, श्वासनली के रोग सहित इस तंत्र के अन्य रोग शामिल हैं। श्वसन तंत्र के रोगों में स्वयंसीमित सर्दी-जुकाम से लेकर जीवाणुजन्य न्यूमोनिया जैसे घातक रोग हैं।

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पाचन रोग

पाचन रोग Digestive diseases

Average 2.38 million Deaths Noted by Digestive Diseases.

पाचन तंत्र जठरांत्र संबंधी मार्ग (जीआई), यकृत, अग्न्याशय और पित्ताशय से बना होता है जो शरीर को भोजन पचाने में मदद करता है। भोजन को पोषक तत्वों में तोड़ने के लिए पाचन महत्वपूर्ण है, जिसका उपयोग आपका शरीर ऊर्जा, विकास और कोशिका की मरम्मत के लिए करता है।

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यकृत रोग

यकृत रोग Liver disease

Average 1.32 million Deaths Noted by Liver Diseases.

इस नाम से भी जाना जाता है: जिगर की बीमारी, कोई भी स्थिति जो लिवर को क्षति पहुंचाती है और उसे ठीक से काम करने से रोकती है.

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क्षयरोग

क्षयरोग Tuberculosis

Average 1.18 million Deaths Noted by Tuberculosis.

यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंततः सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50% से अधिक की मृत्यु हो जाती है। सक्रिय टीबी संक्रमण के आदर्श लक्षण खून-वाली थूक के साथ पुरानी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना हैं (बाद का यह शब्द ही पहले इसे "खा जाने वाला/यक्ष्मा" कहा जाने के लिये जिम्मेदार है)। अन्य अंगों का संक्रमण, लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है। सक्रिय टीबी का निदान रेडियोलोजी, (आम तौर पर छाती का एक्स-रे) के साथ-साथ माइक्रोस्कोपिक जांच तथा शरीर के तरलों की माइक्रोबायोलॉजिकल कल्चर पर निर्भर करता है। भीतरी या छिपी टीबी का निदान ट्यूबरक्यूलाइन त्वचा परीक्षण (TST) और/या रक्त परीक्षणों पर निर्भर करता है।

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श्वासनली के निचले हिस्से का संक्रमण

श्वासनली के निचले हिस्से का संक्रमण Lower respiratory tract infection

Average 2.56 million Deaths Noted by Lower Respiratory Tract Infections.

निचली श्वासनली, स्वर ग्रंथि के नीचे स्थित श्वसन पथ का ही एक भाग है। इस शीर्षक, श्वसन पथ के निचले भाग का संक्रमण, का प्रयोग प्रायः निमोनिया के समानार्थक शब्द के रूप में किया जाता है, लेकिन इसका प्रयोग अन्य प्रकार के संक्रमणों के लिए भी किया जा सकता है जिसमे फेफड़ों में होने वाला फोड़ा और गंभीर श्वसन शोथ (फेफड़ों की सूजन) भी शामिल हैं। इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी, तेज़ बुखार खांसी और थकावट आते हैं। श्वसन पथ के निचले भाग का संक्रमण साधारणतया इसके ऊपरी भाग के संक्रमण से अधिक गंभीर होता है और इससे हमारे स्वास्थ्य बजट पर भी काफी दबाव पड़ता है। 1993 से श्वसन पथ के निचले भाग में होने वाले संक्रमण के कारण होने वाली मृत्युओं की संख्या में मामूली कमी आयी है। हालांकि फिर भी सन 2002 में इसका प्रतिशत संक्रमण के कारण होने वाली बिमारियों में सर्वधिक था और इस बीमारी के कारण उस वर्ष विश्व स्तर पर 3.9 मिलियन मृत्यु हुई थी और उस वर्ष हुई कुल मृत्युओं में से 6.9 प्रतिशत मौतें इसी के कारण हुई थीं।

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किडनी डिजीज

किडनी डिजीज Kidney disease

Average 1.23 million Deaths Noted by Kidney Diseases.

लंबे समय से चल रहा गुर्दे का रोग जिसके कारण गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं.गुर्दे खून से बेकार और नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों और अतिरिक्त तरल को छानते हैं| गुर्दों के काम बंद करने पर यह खराब पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं.लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और वे अन्य रोगों के लक्षण भी हो सकते हैं. कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होता और प्रयोगशाला में जाँच कराने पर उनमें रोग होने का पता लगता है.दवाओं से लक्षणों को रोका जा सकता है. रोग बढ़ जाने पर खून को मशीन से छानना पड़ता है (डायलिसिस) या फिर गुर्दा प्रत्यारोपण की ज़रूरत हो सकती है|

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अतिसार

अतिसार Diarrhea

Average 1.57 million Deaths Noted by Diarrhea Diseases.

अतिसार या डायरिया में या तो बार-बार मल त्याग करना पड़ता है या मल बहुत पतले होते हैं या दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं। पतले दस्त, जिनमें जल का भाग अधिक होता है, थोड़े-थोड़े समय के अंतर से आते रहते हैं।

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मनोभ्रंश रोग

मनोभ्रंश रोग Dementia

Average 2.51 million Deaths Noted by Dementia.

मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत भी कमज़ोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौनसा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगता है और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है। ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव को प्रभावित करते हैं। एलसायमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की अन्य किस्में हैं- नाड़ी संबंधी डिमेंशिया, लुई बाड़िस वाला डिमेंशिया तथा फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल हैं। वास्त्व में मनोभ्रंश किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि के लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। “Dementia” शब्द “de” (without) और “mentia” (mind) को जोड़ कर बनाया गया है।

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एचआईवी / एड्स

एचआईवी / एड्स HIV/AIDS

Average 954,492 Deaths Noted by HIV/AIDS.

एचआईवी / एड्स, या मानव इम्यूनो वायरस, कुछ लेखकों द्वारा एक वैश्विक महामारी माना जाता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ वर्तमान में एचआईवी का वर्णन करने के लिए 'वैश्विक महामारी' शब्द का उपयोग करता है। 2018 तक, लगभग 37.9 मिलियन लोग विश्व स्तर पर एचआईवी से संक्रमित हैं। 2018 में एड्स से लगभग 770,000 मौतें हुईं।

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मलेरिया

मलेरिया Malaria

Average 619,827 Deaths Noted by Malaria.

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह 51.5 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा 10 से 30 लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं।

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पार्किंसन रोग

पार्किंसन रोग Parkinson's disease

Average 340,639 Deaths Noted by Parkinson’s Disease.

पार्किन्‍सोनिज्‍म का आरम्भ आहिस्ता-आहिस्ता होता है। पता भी नहीं पड़ता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। डॉक्टर जब हिस्‍ट्री (इतिवृत्त) कुरेदते हैं तब मरीज़ व घरवाले पीछे मुड़ कर देखते हैं याद करते हैं और स्वीकारते हैं कि हां सचमुय ये कुछ लक्षण, कम तीव्रता के साथ पहले से मौजूद थे। लेकिन तारीख बताना सम्भव नहीं होता। कभी-कभी किसी विशिष्ट घटना से इन लक्षणों का आरम्भ जोड़ दिया जाता है - उदाहरण के लिये कोई दुर्घटना, चोट, बुखार आदि। यह संयोगवश होता है। उक्त तात्कालिक घटना के कारण मरीज़ का ध्यान पार्किन्‍सोनिज्‍म के लक्षणों की ओर चला जाता है जो कि धीरे-धीरे पहले से ही अपनी मौजूदगी बना रहे थे। बहुत सारे मरीजों में पार्किन्‍सोनिज्‍म रोग की शुरूआत कम्पन से होती है। कम्पन अर्थात् धूजनी या धूजन या ट्रेमर या कांपना। पार्किंसन किसी को तब होता है जब रसायन पैदा करने वाली मस्तिष्क की कोशिकाएँ गायब होने लगती हैं

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14

पोषण की कमी

पोषण की कमी Nutrient deficiency

Average 269,997 Deaths Noted by Nutritional Deficiencies.

पोषण की कमी तब होती है जब शरीर को विटामिन और खनिज जैसे पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल रहे हैं। ऐसी कई स्थितियां हैं जो पोषण की कमी जैसे एनीमिया के कारण होती हैं । शरीर को स्वस्थ रहने और ठीक से काम करने के लिए विटामिन की आवश्यकता होती है।

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प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण

प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण Protein–energy malnutrition

Average 231,771 Deaths Noted by Protein-Energy Malnutrition.

विश्व स्वास्थ्य संगठन कुपोषण को परिभाषित करता है "पोषक तत्वों और ऊर्जा की आपूर्ति और उनके विकास, रखरखाव और विशिष्ट कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए शरीर की मांग के बीच सेलुलर असंतुलन।

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शराबीपन

शराबीपन Alcoholism

Average 184,934 Deaths Noted by Alcohol use Disorders.

शराबीपन, जिसे शराब निर्भरता भी कहते हैं, एक निष्क्रिय कर देने वाला नशीला विकार है जिसे बाध्यकारी और अनियंत्रित शराब की लत के रूप में निरूपित किया जाता है जबकि पीन वाले के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसके जीवन में नकारात्मक सामाजिक परिणाम देखने को मिलते हैं। अन्य नशीली दवाओं की लत की तरह शराबीपन को चिकित्सा की दृष्टि से एक इलाज़ योग्य बीमारी के रूप में परिभाषित किया गया है। 19वीं सदी और 20वीं सदी की शुरुआत में, शराब पर निर्भरता को शराबीपन शब्द के द्वारा प्रतिस्थापित किये जाने से पूर्व इसे मदिरापान कहा जाता था।शराबीपन को सहारा देने वाले जैविक तंत्र अनिश्चित हैं, लेकिन फिर भी, जोखिम के कारकों में सामाजिक वातावरण, तनाव, मानसिक स्वास्थ्य, अनुवांशिक पूर्ववृत्ति, आयु, जातीय समूह और लिंग शामिल हैं। लम्बे समय तक चलने वाली शराब पीने की लत मस्तिष्क में शारीरिक बदलाव, जैसे - सहनशीलता और शारीरिक निर्भरता, लाती है, जिससे पीना बंद होने पर शराब वापसी सिंड्रोम का परिणाम सामने आता है। ऐसा मस्तिष्क प्रक्रिया बदलाव पीना बंद करने के लिए शराबी की बाध्यकारी अक्षमता को बनाए रखता है।

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यकृत शोथ (हेपाटाइटिस)

यकृत शोथ Hepatitis

Average 126,391 Deaths Noted by Hepatitis.

हेपाटाइटिस या यकृत शोथ यकृत को हानि पहुंचाने वाला एक गंभीर और खतरनाक रोग होता है। इसका शाब्दिक अर्थ ही यकृत को आघात पहुंचना है। यह नाम प्राचीन ग्रीक शब्द हेपार (ἧπαρ), मूल शब्द हेपैट - (ἡπατ-) जिसका अर्थ यकृत और प्रत्यय -आइटिस जिसका अर्थ सूज़न है, से व्युत्पन्न है। इसके प्रमुख लक्षणों में अंगो के उत्तकों में सूजी हुई कोशिकाओं की उपस्थिति आता है, जो आगे चलकर पीलिया का रूप ले लेता है। यह स्थिति स्वतः नियंत्रण वाली हो सकती है, यह स्वयं ठीक हो सकता है, या यकृत में घाव के चिह्न रूप में विकसित हो सकता है। हैपेटाइटिस अतिपाती हो सकता है, यदि यह छः महीने से कम समय में ठीक हो जाये। अधिक समय तक जारी रहने पर चिरकालिक हो जाता है और बढ़ने पर प्राणघातक भी हो सकता है। हेपाटाइटिस विषाणुओं के रूप में जाना जाने वाला विषाणुओं का एक समूह विश्व भर में यकृत को आघात पहुंचने के अधिकांश मामलों के लिए उत्तरदायी होता है। हेपाटाइटिस जीवविषों (विशेष रूप से शराब (एल्कोहोल)), अन्य संक्रमणों या स्व-प्रतिरक्षी प्रक्रिया से भी हो सकता है। जब प्रभावित व्यक्ति बीमार महसूस नहीं करता है तो यह उप-नैदानिक क्रम विकसित कर सकता है।

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मृत्यु के प्रमुख कारण मृत्यु के सबसे खतरनाक कारण वर्ल्ड वाइड मौत के कारण अधिकांश मौतों का कारण बनने वाले रोग
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