सिख गुरुओं सिख धर्म के आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने 1469 में शुरू होने वाले लगभग ढाई शताब्दियों के दौरान इस धर्म की स्थापना की थी। वर्ष 1469 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म हुआ था। 1708 में, उन्हें नौ अन्य गुरुओं द्वारा उत्तराधिकार दिया गया था, आखिरकार गुरुशिप को दसवें गुरु द्वारा पवित्र सिख ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में पारित किया गया था, जिसे अब सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा जीवित गुरु माना जाता है।
गुरु (शिक्षक) सिख धर्म में सर्वोच्च होता है। सिख धर्म की स्थापना में 10 गुरुओं का महत्वपूर्ण योगदान है। इन गुरुओं ने खुद का उदाहरण प्रस्तुत किया और अनुयायियों को आध्यात्मिक जीवन जीने का मार्ग दिखाया। प्रत्येक गुरु ने उनके पूर्ववर्तियों की शिक्षा में कुछ जोड़ा है और ज्ञान को नई दिशा दी है। इन गुरुओं ने ही इस महान धर्म के सभी सिद्धांतों, मान्यताओं और प्रथाओं को परिभाषित किया है। यहाँ सिख गुरुओं की पूरी सूची है। इन गुरुओं को भगवान का संदेशवाहक माना जाता है जो भक्ति और त्याग के प्रतीक हैं। सिख समुदाय मानव जाति के प्रति अपनी सेवा के लिए विश्वप्रसिद्ध है जो उनके गुरुओं द्वारा सिखाया गया है। इन सभी गुरुओं ने गुरु ग्रंथ साहिब जी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है जो सिखों द्वारा पूजी जाने वाली पवित्र पुस्तक है।इस ग्रंथ में छः गुरुओं सहित तीस भगतों की बानी है जिसे गुरबानी कहते हैं।

गुरू अमर दास जी सिख पंथ के एक महान प्रचारक थे। जिन्होंने गुरू नानक जी महाराज के जीवन दर्शन को व उनके द्वारा स्थापित धार्मिक विचाराधारा को आगे बढाया। तृतीय नानक' गुरू अमर दास जी का जन्म बसर्के गिलां जो कि अमृतसर में स्थित है, में... अधिक पढ़ें

गुरू हर किशन जी सिखों के आठवें गुरू थे। गुरू हर किशन साहिब जी का जन्म सावन वदी 10 (8वां सावन) बिक्रम सम्वत 1713 (7 जुलाई 1656) को कीरतपुर साहिब में हुआ। वे गुरू हर राय साहिब जी एवं माता किशन कौर के दूसरे पुत्र थे। राम राय जी गुरू हरकिशन साहिब जी के बड़े भाई थे। रामराय जी को उनके गुरू घर विरोधी क्रियाकलापों एवं मुगल सलतनत के पक्ष में खड़े होने की वजह से सिख पंथ से निष्कासित कर दिया गया था।

हर राय या गुरू हर राय सिखों के सातवें गुरु थे। गुरू हरराय जी एक महान आध्यात्मिक व राष्ट्रवादी महापुरुष एवं एक योद्धा भी थे। उनका जन्म सन् 1630 ई0 में कीरतपुर रोपड़ में हुआ था। गुरू हरगोविन्द साहिब जी ने मृत्यू से पहले, अपने पोते ह... अधिक पढ़ें

नानक (23 अप्रैल 1469 – 2 अक्टूबर 1539) सिखों के प्रथम (आदि )गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु - सभी के गुण समेटे हुए थे।

अंगद देव या गुरू अंगद देव सिखो के एक गुरू थे। गुरू अंगद देव महाराज जी का सृजनात्मक व्यक्तित्व था। उनमें ऐसी अध्यात्मिक क्रियाशीलता थी जिससे पहले वे एक सच्चे सिख बनें और फिर एक महान गुरु। गुरू अंगद साहिब जी (भाई लहना जी) का जन्म हरीक... अधिक पढ़ें

राम दास या गुरू राम दास , सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 9 सितंबर 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब 'चौथे नानक' गुरू राम दास जी महाराज ने एक पवित्र शहर रामसर, जो कि अब अमृतसर के नाम से जाना जाता है, का निर्माण किया।

अर्जुन देव या गुरू अर्जुन देव (25 अप्रेल 1563 – 9 जून 1606) सिखों के 5वे गुरु थे। गुरु अर्जुन देव जी शहीदों के सरताज एवं शान्तिपुंज हैं। आध्यात्मिक जगत में गुरु जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें ब्रह्मज्ञानी भी कहा जाता है। गुरु... अधिक पढ़ें

गुरू हरगोबिन्द सिखों के छठें गुरू थे। साहिब की सिक्ख इतिहास में गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोबिन्द साहिब की दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है। गुरु हरगोबिन्द साहिब की शिक्षा दीक्षा महान विद्वान् भाई गुरदास की देख-... अधिक पढ़ें

गुरू तेग़ बहादुर (1 अप्रैल, 1621 – 11 नवम्बर, 167A5) सिखों के नवें गुरु थे जिन्होने प्रथम गुरु नानक द्वारा बताए गये मार्ग का अनुसरण करते रहे। उनके द्वारा रचित 115 पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं। उन्होने काश्मीरी पण्ड... अधिक पढ़ें

गुरु गोबिन्द सिंह (जन्म:पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 12 जनवरी 1666- मृत्यु 17 अक्टूबर 1708 ) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवम्बर सन 1675 को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, ... अधिक पढ़ें