कौन कहता है की लड़किया कुछ कर नहीं सकती आपको मालूम होना चाहिए की लड़कियों ने इतिहास रच दिए है अगर आप लड़की है या नहीं फिर भी आप अपनी लाइफ में कुछ बेहतर करना चाहते है तो आप कर सकते है बस कुछ करने का जज्बा होना चाहिए।
आज के इस दौर में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है जिसमें महिलाओं ने अपना शानदार परचम ना लहराया हो। हर साल भारत की आत्मविश्वासी और अदम्य महिलाएं विविध क्षेत्रों में शानदार सफलता अर्जित कर रही हैं। वे अपनी अद्भुत उपलब्धियो से देश को भी गौरवान्वित करती हैं। इन साहसी महिलाओं ने दुनिया को दिखा दिया है कि अगर वे ठान लें तो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं चाहे वह विज्ञान, खेल, व्यवसाय, सिनेमा, साहित्य, कला, नागरिक सेवाएं या पुलिस सेवा हो या अन्य कोई क्षेत्र जहाँ पुरुषों का वर्चस्व रहा है। नीचे भारत की सबसे प्रेरणादायक महिलाओं की सूची दी गई है। हालांकि कई महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में सम्मान की पात्र हैं, लेकिन इन नामों ने अद्भुत कमाल किया है। इन्होने अविश्वसनीय प्रयास और संघर्ष किया है, निर्धारित रूढ़ियों को चकनाचूर किया है और अपनी खुद की एक पहचान बनाई है जो कभी ख़त्म नहीं होगी। इन्होंने अन्य भारतीय महिला के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया है और लाखों लोगो को प्रेरित किया है।
सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले (3 जनवरी 1831 – 10 मार्च 1897) भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।
सावित्रीबाई फुले के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
विजय लक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में विजय लक्ष्मी पंडित ने अपना अमूल्य योगदान दिया। इनका जन्म 18 अगस्त 1900 को गांधी-नेहरू परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुई। 1921 में उन्होंने काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पण्डित से विवाह कर लिया। गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने भी आज़ादी के लिए आंदोलनों में भाग लेना आरम्भ कर दिया। वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं और फिर आन्दोलन में जुट जातीं। उनके पति को भारत की स्वतंत्रता के लिए किये जा रहे आन्दोलनों का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार करके लखनऊ की जेल में डाला गया जहाँ उनका निधन हो गया।
विजया लक्ष्मी पंडित के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रांति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं। उन्होंने सिर्फ़ 29 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं।
रानी लक्ष्मी बाई के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
आनंदीबाई जोशी (31 मार्च 1865-26 फ़रवरी 1887) पुणे शहर में जन्मी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने डॉक्टरी की डिग्री ली थी। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर डॉक्टरी की डिग्री हासिल करना अपने-आप में एक मिसाल है। उनका विवाह नौ साल की अल्पायु में उनसे करीब 20 साल बड़े गोपालराव से हो गया था। जब 14 साल की उम्र में वे माँ बनीं और उनकी एकमात्र संतान की मृत्यु 10 दिनों में ही गई तो उन्हें बहुत बड़ा आघात लगा। अपनी संतान को खो देने के बाद उन्होंने यह प्रण किया कि वह एक दिन डॉक्टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी। उनके पति गोपालराव ने भी उनको भरपूर सहयोग दिया और उनकी हौसला अफजाई की।
आनंदीबाई जोशी का व्यक्तित्व महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने सन् 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया। जब उन्होंने यह निर्णय लिया था, उनकी समाज में काफी आलोचना हुई थी कि एक शादीशुदा हिंदू स्त्री विदेश (पेनिसिल्वेनिया) जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्चयी महिला थीं और उन्होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। यही वजह है कि उन्हें पहली भारतीय महिला डॉक्टर होने का गौरव प्राप्त हुआ। डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत वापस लौटीं तो उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और बाईस वर्ष की अल्पायु में ही उनकी मृत्यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्य से डॉक्टरी की डिग्री ली थी, उसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाईंं, परन्तु उन्होंने समाज में वह स्थान प्राप्त किया, जो आज भी एक मिसाल है।
आनंदीबाई जोशी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सुचेता कृपलानी (मूल नाम: सुचेता मजूमदार) (25 जून,1908 - 1 दिसम्बर, 1974) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थीं। ये उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनीं और भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं। वे प्रसिद्ध गांधीवादी नेता आचार्य कृपलानी की पत्नी थीं।
सुचेता कृपलानी का जन्म पंजाब के अंबाला शहर में सम्पन्न बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सरकारी चिकित्सक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कई स्कूलों में पूरी हुई क्योंकि हर दो-तीन वर्ष में पिता का तबादला होता रहता था। आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें दिल्ली भेज दिया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से उन्होंने इतिहास विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की।
सुचेता कृपलानी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सिन्धुताई सपकाल अनाथ बच्चों के लिए समाजकार्य करनेवाली मराठी समाज कार्यकर्ता है। उन्होने अपने जीवन मे अनेक समस्याओं के बावजूद अनाथ बच्चों को सम्भालने का कार्य किया है।
सिन्धुताई का जन्म 14 नवम्बर 1948, महाराष्ट्र के वर्धा जिले में 'पिंपरी मेघे' गाँव मे हुआ। उनके पिताजी का नाम 'अभिमान साठे' है, जो कि एक चरवाह (जानवरों को चरानेवाला) थे। क्योंकि वे घर मे नापसंद बच्ची (क्योंकि वे एक बेटी थी; बेटा नही) थी, इसलिए उन्हे घर मे 'चिंधी'(कपड़े का फटा टुकड़ा) बुलाते थे। परन्तु उनके पिताजी सिन्धु को पढ़ाना चाहते थे, इसलिए वे सिन्धु कि माँ के खिलाफ जाकर सिन्धु को पाठशाला भेजते थे। माँ का विरोध और घर की आर्थिक परस्थितीयों की वजह से सिन्धु की शिक्षा मे बाधाएँ आती रही। आर्थिक परस्थिती, घर की जिम्मेदारियां और बालविवाह इन कारणों की वजह से उन्हे पाठशाला छोड़नी पड़ी जब वे चौथी कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण हुई।
सिन्धुताई सपकाल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सरोजिनी नायडू (13 फरवरी 1879 - 2 मार्च 1949) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही 12हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और 13 वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता रची। सर्जरी में क्लोरोफॉर्म की प्रभावकारिता साबित करने के लिए हैदराबाद के निज़ाम द्वारा प्रदान किए गए दान से "सरोजिनी नायडू" को इंग्लैंड भेजा गया था सरोजिनी नायडू को पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन करने का मौका मिला।
सरोजिनी नायडू के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
कल्पना चावला (17 मार्च 1962 - 1 फ़रवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।
कल्पना चावला के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
न्यायमूर्ति अन्ना चांडी (4 मई 1905 – 20 जुलाई 1966) भारत की पहली महिला न्यायाधीश थीं। वे 1937 में एक जिला अदालत में भारत में पहली महिला न्यायाधीश बनीं। वे भारत में पहली महिला न्यायाधीश तो थी ही, शायद दुनिया में उच्च न्यायालय के न्यायधीश के पद (1959) तक पहुँचने वाली वे दूसरी महिला थीं।
जस्टिस अन्ना चांडी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
मिताली राज भारतीय महिला क्रिकेट की कप्तान हैं। वे टेस्ट क्रिकेट मैच में दोहरा शतक बनाने वाली पहली महिला हैं। जून 2018 में, मिताली राज ट्वेन्टी-20 अंतर्राष्ट्रीय में 2000 रन बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बनीं।
मिताली राज के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी ( उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।
इन्दिरा गांधी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
मेधा पाटकर दिसम्बर 1, 1954 में जन्मीं थी। वे एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता तथा सामाज सुधारक है। वे भारतीय राजनीतिज्ञ भी है। मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक के नाम से भी जानी जाती है। उनहोने नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत की थी।
मेधा पाटकर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
हिमा दास एक भारतीय धावक हैं। वो आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। हिमा ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता।
हिमा दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
इरोम चानू शर्मिला(जन्म:14 मार्च 1972) मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो पूर्वोत्तर राज्यों में लागू सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम, 1958 को हटाने के लिए लगभग 16 वर्षों तक (4 नवम्बर 2000 से 9 अगस्त 2016 ) भूख हड़ताल पर रहीं।
इरोम चानू शर्मिला के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
उषा मेहता (25 मार्च, 1920 - 11 अगस्त, 2000) ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी और स्वतंत्रता के बाद वह गांधीवादी दर्शन के अनुरूप महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयासरत रही। वह भारत छोड़ो आंदोलन के समय खुफिया कांग्रेस रेडियो चलाने के कारण पूरे देश में विख्यात हुईं।
उषा मेहता के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
टेसी थॉमस (जन्म 1963) भारत की एक प्रक्षेपास्त्र वैज्ञानिक हैं। वे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में अग्नि चतुर्थ की परियोजना निदेशक एवं एरोनाटिकल सिस्टम्स की महानिदेशक थीं। भारत में प्रक्षेपास्त्र परियोजना का प्रबन्धन करने वाली वे पहली महिला हैं। उन्हें 'भारत की प्रक्षेपास्त्रांगना' कहा जाता है।
48 वर्षीय भारतीय महिला वैज्ञानिक टेसी थॉमस को 1988 से अग्नि प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम से जुड़ने के बाद से ही अग्निपुत्री टेसी थॉमस के नाम से भी जाना जाता है। उनकी अनेक उपलब्धियों में अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 प्रक्षेपास्त्र की मुख्य टीम का हिस्सा बनना और सफल प्रशीक्षण है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को अपना प्रेरणा स्रोत माना है।
टेसी थॉमस के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
डॉ॰ किरण बेदी (जन्म : 9 जून 1949) भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी एवं राजनेता हैं। सम्प्रति वे पुदुचेरी की उपराज्यपाल हैं। सन 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में सम्मिलित होने वाली वे प्रथम महिला अधिकारी हैं। 35 वर्ष तक सेवा में रहने के बाद सन 2007 में उन्होने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली। उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं।
एक किशोरी के रूप में, बेदी 1966 में राष्ट्रीय जूनियर टेनिस चैंपियन बनीं। 1965 और 1978 के बीच, उन्होंने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में कई खिताब जीते। IPS में शामिल होने के बाद, बेदी ने दिल्ली, गोवा, चंडीगढ़ और मिजोरम में सेवा की। उन्होंने दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में एक सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में अपना करियर शुरू किया, और 1979 में राष्ट्रपति का पुलिस पदक जीता। इसके बाद, वह पश्चिम दिल्ली चली गईं, जहां उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी लाई।
किरण बेदी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अवनि चतुर्वेदी भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक है। वह रीवा जिले से है जो मध्य प्रदेश में है। उन्हें अपनी दो साथियों- मोहन सिंह और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। इन तीनों को जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल किया गया। उन्हें औपचारिक रूप से तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा कमीशन में शामिल किया गया था।
अवनि चतुर्वेदी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
लक्ष्मी अग्रवाल (जन्म 1 जून 1990) स्टॉप सेल एसिड और एक टीवी होस्ट के साथ एक भारतीय प्रचारक हैं। वह एक एसिड अटैक सर्वाइवर है और एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारों के लिए बोलती है। 2005 में 15 साल की उम्र में, एक 32 वर्षीय व्यक्ति गुड्डू उर्फ नईम खान ने उन पर हमला किया था, जिससे शादी करने के लिए उन्होंने इंकार कर दिया था। उनकी कहानी, अन्य लोगों के बीच, हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा एसिड अटैक पीड़ितों पर एक श्रृंखला में कही गई थी। उसने एसिड की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक याचिका के लिए 27,000 हस्ताक्षर एकत्र करने और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में इसका कारण लेने के लिए एसिड हमलों के खिलाफ भी वकालत की है। उनकी याचिका ने उच्चतम न्यायालय को केंद्र और राज्य सरकारों को एसिड की बिक्री को विनियमित करने का आदेश दिया, और संसद ने एसिड हमलों के अभियोग को आगे बढ़ाने के लिए आसान बना दिया।वह स्टॉप सेल एसिड की संस्थापक है, जो एसिड हिंसा और एसिड की बिक्री के खिलाफ एक अभियान है। लक्ष्मी ने #StopSaleAcid के साथ इस अभियान की शुरुआत की जिसने राष्ट्रव्यापी व्यापक समर्थन हासिल किया। महिला और बाल विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय और उनके अभियान स्टॉप सेल एसिड के लिए यूनिसेफ से अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण पुरस्कार 2019 मिला।
लक्ष्मी अग्रवाल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम (एम सी मैरी कॉम) का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर में हुआ। उनको खेल-कूद का शौक बचपन से ही था और उनके ही प्रदेश के मुक्केबाज डिंग्को सिंह की सफलता ने उन्हें मुक्केबाज़ बनने के लिए और प्रोत्साहित कर दिया। एक बार बॉक्सिंग रिंग में उतरने का फैसला करने के बाद मैरी कॉम ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैरी कॉम पांच बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं। 2012 के लंदन ओलम्पिक मे उन्होंने काँस्य पदक जीता। 2010 के ऐशियाई खेलों में काँस्य तथा 2014 के एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। उनके जीवन पर फिल्म “मैरी कॉम” भी बनी है। इस फिल्म में उनकी भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई।
मैरी कॉम के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
टेनिस स्टार के नाम से मशहूर सानिया मिर्ज़ा का जन्म 15 नवम्बर 1986 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ। सानिया मिर्ज़ा भारतीय टेनिस खिलाडी हैं। सानिया ने बहुत से रिकार्ड्स अपने नाम किये हैं। अपने कॅरियर की शुरुआत उन्होंने 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर किया। 2003 उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ बना जब भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद सानिया मिर्ज़ा ने विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2005 के अंत में उनकी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 42 हो चुकी थी जो किसी भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा थी। 2009 में वह भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं।
सानिया मिर्ज़ा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
शकुन्तला देवी (4 नवम्बर 1929 - 21 अप्रैल 2013) जिन्हें आम तौर पर "मानव कम्प्यूटर" के रूप में जाना जाता है, बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा की धनी एवं मानसिक परिकलित्र (गणितज्ञ) थीं। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनका नाम 1982 में ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया।
शकुन्तला देवी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सालुमारदा थिमम्क्का, जिसे आलादा मारदा थिमम्क्का के नाम से भी जाना जाता है, कर्नाटक राज्य का एक भारतीय पर्यावरणविद् है, जो हालीकल और कुदुर के बीच राजमार्ग के चार किलोमीटर के हिस्से के साथ 385 बरगद के पेड़ लगाने और उसके काम के लिए प्रसिद्ध है। उसने लगभग 8000 अन्य पेड़ भी लगाए हैं।
सालुमारदा थिमम्क्का के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
कनकलता बरुआ भारत की स्वतन्त्रता सेनानी थीं जिनको अंग्रेजों ने 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के समय गोली मार दी। उन्हें बीरबाला भी कहते हैं। वे असम की निवासी थीं। बरुआ का जन्म असम के अविभाजित डारंग जिले के बोरंगाबाड़ी गाँव में कृष्ण कांता और कर्णेश्वरी बरुआ की बेटी के रूप में हुआ था। उनके दादा घाना कांता बरुआ डारंग में एक प्रसिद्ध शिकारी थे।
कनकलता बरुआ के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
25
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल
प्रतिभा पाटिल वर्ष 2007 से 2012 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहीं.
प्रतिभा सिंह पाटिल भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनी थी.
यह पुरुस्कार मेक्सिको के राजदूत मेल्बा प्रिआ ने पुणे के एमसीसीआईए भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में पाटिल को प्रदान किया.
प्रतिभा पाटिल यह पुरुस्कार पाने वाली भारत की दूसरी राष्टपति बनी.
इससे पहले यह सम्मान राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन को दिया गया था.
हलाकि अलग-अलग श्रेणी की बात करे तो यह सम्मान नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन, प्रसिद्ध कलाकार सतीश गुजराल, उद्योगपति रघुपत सिंघानिया को प्रदान किया गया है !
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (जन्म 19 दिसंबर 1934) स्वतन्त्र भारत के 60 साल के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति तथा क्रमानुसार 12वीं राष्ट्रपति रही हैं। राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अपने प्रतिद्वंदी भैरोंसिंह शेखावत को तीन लाख से ज़्यादा मतों से हराया था। प्रतिभा पाटिल को 6,38,116 मूल्य के मत मिले, जबकि भैरोंसिंह शेखावत को 3, 31, 306 मत मिले। उन्होंने 25 जुलाई 2012 को संसद के सेण्ट्रल हॉल में आयोजित समारोह में नव निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपना कार्यभार सौंपते हुए राष्ट्रपति भवन से विदा ली।
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
प्रेमा माथुर दुनिया की पहली महिला वाणिज्यिक पायलट हैं (डेक्कन एयरवेज, हैदराबाद) | उन्होंने 1947 में उसकी कमर्शियल पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया। 1949 में प्रेमा माथुर ने राष्ट्रीय एयर रेस जीता।
कैप्टन प्रेमा माथुर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
बछेंद्री पाल (जन्म 24 मई 1954), माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं।
बछेंद्री पाल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अरूणिमा सिन्हा (जन्म:1988) भारत से राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी तथा एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने वाली पहली भारतीय दिव्यांग हैं। अरुणिमा एक कायस्थ परिवार से हैं वह उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की निवासी हैं और केंद्रीय अद्योगिक सुरक्षा बल (सी आई एस एफ) में हेड कांस्टेबल के पद पर 2012 से कार्यरत हैं।
अरूणिमा सिन्हा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रज़िया अल-दिन(1205-1240) शाही नाम “जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ”, इतिहास में जिसे सामान्यतः “रज़िया सुल्तान” या “रज़िया सुल्ताना” के नाम से जाना जाता है, दिल्ली सल्तनत की सुल्तान (तुर्की शासकों द्वारा प्रयुक्त एक उपाधि) थी। उसने 1236 ई0 से 1240 ई0 तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। रजिया पर्दा प्रथा त्यााग कर पुरूषों की तरह खुले मुंह राजदरबार में जाती थी। यह इल्तुतमिश की पुत्री थी। तुर्की मूल की रज़िया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में अभ्यास कराया गया, ताकि ज़रुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।. रज़िया सुल्ताना मुस्लिम एवं तुर्की इतिहास कि पहली महिला शासक थीं।
रज़िया सुल्तान के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रानी रुद्रमा देवी (1259–1289) काकतीय वंश की महिला शासक थीं। यह भारत के इतिहास के कुछ महिला शासकों में से एक थीं। रानी रूद्रमा देवी या रुद्रदेव महाराजा, 1263 से उनकी मृत्यु तक दक्कन पठार में काकातिया वंश की एक राजकुमारी थी। वह भारत में सम्राटों के रूप में शासन करने वाली बहुत कम स्त्रियों में से एक थी..
रानी रुद्रमा देवी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अक्का महादेवी वीरशैव पंथ संबंधी कन्नड़ कविता में प्रसिद्ध हस्ती थीं।अक्का महादेवी का जन्म 12वीं शताब्दी में दक्षिण भारत के कर्णाटक राज्य में 'उदुतदी' नामक स्थान पर हुआ। । इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति कविता में ऊंचा योगदान माने जाते हैं। इन्होंने कुल मिलाकर लगभग 430 वचन कहे थे, जो अन्य समकालीन संतों के वचनों की अपेक्षा कम हैं। फिर भी इन्हें वीरशैव पंथ के अन्य संतों जैसे बसव, चेन्न बसव, किन्नरी बोम्मैया, सिद्धर्मा, अलामप्रभु एवं दास्सिमैय्या द्वारा ऊंचा दर्जा दिया गया है। बारहवीं शताब्दी की प्रख्यात कन्नड़ कवियत्री- अक्का महादेवी एक परम शिव भक्त थीं। पिता निर्मल शेट्टी और माता सुमति की सुपुत्री महादेवी जी का जन्म शिवमोग्गा जिले के शिकारिपुर तालुक के गाँव में लगभग सन 1130 ई. में हुआ। इनके माता- पिता शिव भक्त थे। 10 वर्ष की आयु में महादेवी ने शिवमंत्र की दीक्षा प्राप्त की। इन्होंने अपने द्वारा रचित अनेक कविताओं में भगवान शिव का सजीव चित्रण किया है। यह प्रभु की सगुण भक्ति करती। भक्ति भाव के चार प्रकार (दास्य, सखा, वात्सल्य, और माधुर्य भाव ) में, महादेवी जी की अपने इष्ट के प्रति माधुर्य भक्ति थी। यह भगवान शिव को “चेन्नमल्लिकार्जुन” अर्थात “सुन्दर चमेली के फूल के समान श्वेत, सुन्दर प्रभु !” कहकर संबोधित करतीं। इन्होंने भगवान शिव को ही अपना पति माना। उत्तर भारत की भक्तिमति मीराबाई (Meerabai) के कृष्ण-प्रेम के समान ही महादेवी जी की भगवान शिव में प्रीति थी। इनका वैवाहिक जीवन भी कुछ-कुछ मीराबाई के जीवन के समान ही था।
अक्का महादेवी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
साइना नेहवाल का जन्म 17 मार्च 1990 को हैदराबाद, तेलंगाना में हुआ। साइना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। पिछले ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता साइना को रियो ओलंपिक में 5वीं वरीयता प्राप्त हुई है। साइना के माता पिता स्टेट लेवल पर बैडमिंटन खेला करते थे, बैडमिंटन की प्रतिभा साइना को उनके माता पिता से विरासत में मिली थी। एक महीने में तीसरी बार प्रथम वरीयता पाने वाली भी वो अकेली महिला खिलाडी हैं। लंदन ओलंपिक 2012 मे साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। बैडमिंटन मे ऐसा करने वाली वे भारत की पहली खिलाड़ी हैं। 2008 में बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों मे भी वे क्वार्टर फाइनल तक पहुँची थी। वर्तमान में वह शीर्ष महिला भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।
साइना नेहवाल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
वंदना लूथरा एक भारतीय उद्यमी और वीएलसीसी हेल्थ केयर लिमिटेड की संस्थापक हैं, जो एशिया और जीसीसी और अफ्रीका में एक सौंदर्य और कल्याण समूह का प्रतिनिधित्व करती है। वह सौंदर्य और कल्याण क्षेत्र कौशल परिषद की अध्यक्ष भी हैं, जो एक पहल है जो प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण प्रदान करती है।
वंदना लूथरा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सुषमा स्वराज (14 फरवरी,1952- 06 अगस्त, 2019) एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ और भारत की पूर्व विदेश मंत्री थीं। वे वर्ष 2009 में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही हैं। वे सन 2009 के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के 19 सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रही थीं।
अम्बाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने एस॰डी॰ कालेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष 2014 में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी थीं। कैबिनेट में उन्हें शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
सुषमा स्वराज के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
नीरजा भनोट ( 7 सितंबर 1963- 5 सितंबर 1986) मुंबई में पैन ऍम एयरलाइन्स ( Pan Am Airlines) की विमान परिचारिका थीं। 5 सितंबर 1986 के मुम्बई से न्यूयॉर्क जा रहे पैन एम फ्लाइट 73 के अपहृत विमान में यात्रियों की सहायता एवं सुरक्षा करते हुए वे आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गईं थीं। उनकी बहादुरी के लिये मरणोपरांत उन्हें भारत सरकार ने शान्ति काल के अपने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया और साथ ही पाकिस्तान सरकार और अमरीकी सरकार ने भी उन्हें इस वीरता के लिये सम्मानित किया है।
इनकी कहानी पर आधारित 2016 में एक फ़िल्म भी बनी, जिसमें उनका किरदार [[सोनम कपूर]] ने अदा किया।
नीरजा भनोट के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
चांद बीबी हुमायूं की पत्नी का भी नाम था। चांद बीबी (1550-1599), जिन्हें चांद खातून या चांद सुल्ताना के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय मुस्लिम महिला योद्धा थी। उन्होंने बीजापुर (1596-1599) और अहमदनगर (1580-1590) की संरक्षक के रूप में काम किया था। चांद बीबी को सबसे ज्यादा सम्राट अकबर की मुगल सेना से अहमदनगर की रक्षा के लिए जाना जाता है। जो आज भी जनता के लिए इतिहास के तौर पर अदभुत परीचय देता है।
चांद बीबी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
डॉ सीमा राव भारत की पहली महिला कमांडो ट्रेनर हैं, जिन्होंने भारतीय विशेष बलों को बिना कोई मुआवजा लिए 18 वर्षों तक प्रशिक्षित किया। वह क्लोज क्वार्टर बैटल — जोकि निकटता में लड़ाई करने की एक कला है, उसमें अग्रणी है और विभिन्न भारतीय बलों को प्रशिक्षित करने में वे सलंगन हैं। उनके काम में मेजर दीपक राव, ने अपनी भागीदारी निभाई ।
सीमा राव के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अरुणा आसफ़ अली (बंगाली: অরুণা আসফ আলী) (16 जुलाई 1909 – 29 जुलाई 1996) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनका जन्म का नाम अरुणा गांगुली था। उन्हे 1942 में भारत छोडो आंदोलन के दौरान, मुंबई के गोवालीया मैदान में कांग्रेस का झंडा फ्हराने के लिये हमेशा याद किया जाता है।
अरुणा आसफ़ अली के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
महारानी ताराबाई (1675-1761) राजाराम महाराज की पहली पत्नी तथा छत्रपति शिवाजी महाराज के सरसेनापति हंबीरराव मोहिते की कन्या थीं। इनका जन्म 1675 में हुआ और इनकी मृत्यु 9 दिसंबर 1761 ई0 को हुयी। ताराबाई का पूरा नाम ताराबाई भोंसले था। राजाराम की मृत्यु के बाद इन्होंने अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी दित्तीय का राज्याभिषेक करवाया और मराठा साम्राज्य की संरक्षिका बन गयीं।ताराबाई का विवाह छत्रपति शिवाजी के छोटे पुत्र राजाराम प्रथम के साथ हुआ राजाराम 1689 से लेकर 1700 में उनकी मृत्यु हो जाने के पश्चात ताराबाई मराठा साम्राज्य कि संरक्षिका बनी। और उन्होंने शिवाजी दित्तीय को मराठा साम्राज्य का छत्रपति घोषित किया और एक संरक्षिका के रूप में मराठा साम्राज्य को चलाने लगी उस वक्त शिवाजी द्वितीय मात्र 4 वर्ष के थे 1700 से लेकर 1707 ईसवी तक मराठा साम्राज्य की संरक्षिका उन्होंने औरंगजेब को बराबर की टक्कर दी और उन्होंने 7 सालों तक अकेले दम पर मुगलों से टक्कर ली और कई सरदारों को एक करके वापस मराठा साम्राज्य को बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ताराबाई अपने पुत्र को गद्दी पर देखना चाहती थी। परंतु ऐसा हो ना सका औरंगजेब की मृत्यु के बाद बहादुर शाह प्रथम ने छत्रपति शाहू जो कि उसकी कैद में थे उनको दिल्ली से छोड़ दिया और जिसके करण साहू ने यहां पर आकर गद्दी के लिए संघर्ष शुरु हो गया और महाराष्ट्र में गृह युद्ध छिड़ गया अंततः शाहू ने युद्ध में ताराबाई की सेना को पराजित कर उन्हें पूरी तरीके से खत्म कर दिया। और उनको कोल्हापुर राज्य दे दिया और वहीं पर उनका राज्य स्थापित कर दिया और खुद मराठा समाज शाहु के काल में ही मराठा साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। और छत्रपति शाहू छत्रपति हालात में मौत होने वाले 1740 के दशक में ताराबाई अपनी पोते रामराज को शाहू के पास लेकर गई क्योंकि शाहू का कोई पुत्र नहीं था रामराज शाहु के पास और कोई पुत्र नहीं था इसीलिए शिवाजी के वंशज होने के नाते रामराज छत्रपति शाहू जी को अपना पुत्र घोषित कर दिया। और रामराज 1749 सतारा की गद्दी पर बैठ गए। उसके गददी पर बैठते ही पेशवा बालाजी बाजीराव को हटाने के लिए ताराबाई ने रामराज से कहा पर रामराज ने मना कर दिया। जिससे ताराबाई ने रामराज को सतारा के किले में कैद कर लिया। जब बालाजी बाजीराव को यह खबर पहुंची तो वे छत्रपति को रिहा करने के लिए सतारा की ओर चल दिए 1752 मई को यह खबर लगते ही उन्होंने दामाजी राव गायकवाड की 15000 सेना के साथ दाभाडे परिवार को एक करके जो कि पूरा परिवार पेशवा का पुराना दुश्मन था बालाजी बाजीराव के खिलाफ साजिश रची बालाजी बाजीराव नंवंबर 1752 में पूर्ण रूपेण परास्त किया और ताराबाई से संधि कर ली जिसके तहत ताराबाई ने रामराज को अपना पोता ना होना घोषित कर दिया और अब मराठा साम्राज्य की सारी शक्ति पेशवाओं के हाथ में चली गई। 14 जनवरी 1761 में पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की हार होने के बाद जून 1761 में बालाजी बाजीराव की मृत्यु हो गई और उसके बाद ही दिसंबर 1761 में ताराबाई का भी निधन हो गया। ताराबाई मराठा साम्राज्य की सबसे ताकतवर महिलाओं में से निकली और जिस तरह से उन्होंने 7 वर्षों तक औरंगजेब से लड़ाई लड़ी हो उनकी महानता को दर्शाता है और उनकी दूरदर्शिता को भी।
ताराबाई के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रानी चेनम्मा (1778 - 1829) भारत के कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थीं। सन् 1824 में (सन् 1857 के भारत के स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम से भी 33 वर्ष पूर्व) उन्होने हड़प नीति (डॉक्ट्रिन ऑफ लेप्स) के विरुद्ध अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष किया था। संघर्ष में वह वीरगति को प्राप्त हुईं। भारत में उन्हें भारत की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने वाले सबसे पहले शासकों में उनका नाम लिया जाता है।रानी चेनम्मा के साहस एवं उनकी वीरता के कारण देश के विभिन्न हिस्सों खासकर कर्नाटक में उन्हें विशेष सम्मान हासिल है और उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष के पहले ही रानी चेनम्मा ने युद्ध में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। हालांकि उन्हें युद्ध में सफलता नहीं मिली और उन्हें कैद कर लिया गया। अंग्रेजों के कैद में ही रानी चेनम्मा का निधन हो गया।
रानी चेन्नम्मा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
शीला ने 12वीं की पढाई के बाद 18 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था| इसके बाद वह पुणे में ऑटो चलाने लग गयी थीं| इस दौरान उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन वे पीछे नहीं हटी| शीला का नाम पहली महिला ऑटो ड्राइवर के रूप में 1988 से लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में दर्ज है|
शीला दावरे के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
ये कहानी है जिवामे की फाउंडर और सीईओ रिचा कर की। इस वेंचर को शुरू करने में उन्हें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में तो उन्हें अपने घर से ही विरोध झेलना पड़ा। उनकी मां ने बेटी का ये कहकर विरोध किया कि मैं अपनी सहेलियों को कैसे बताउंगी कि मेरी बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है। रिचा बताती हैं कि उनके पिता को तो समझ ही नहीं आया कि वो कौन सा काम करना चाहती हैं।
रिचा कर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
गीता गोपीनाथ (जन्म 8 दिसंबर, 1971) हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में प्राध्यापक और केरल के मुख्यमंत्री के वित्तीय सलाहकार हैं। उन्होंने सभी मुद्राओं के मूल्य निर्धारण और यूरोप में संप्रभु ऋण चूक पर काम किया है। फ़िलहाल वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक हैं। वह फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यू यॉर्क के सलाहकार भी हैं। केरल की वामपंथी सरकार द्वारा 21 जुलाई 2016 को उन्हें केरल के मुख्यमंत्री का वित्तीय सलाहकार नियुक्त किया गया था।
गीता गोपीनाथ के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जहाँआरा बेगम (2 अप्रैल 1614 – 16 सितम्बर 1681) सम्राट शाहजहां और महारानी मुमताज महल की सबसे बड़ी बेटी थी।
वह अपने पिता के उत्तराधिकारी और छठे मुगल सम्राट औरंगज़ेब की बड़ी बहन भी थी। उन्होंने चांदनी चौक की रूपरेखा बनाई! 1631 में मुमताज़ महल की असामयिक मृत्यु के बाद, 17 वर्षीय जहाँआरा ने अपनी माँ को मुग़ल साम्राज्य की फर्स्ट लेडी (पद्शाह बेगम) के रूप में लिया, इस तथ्य के बावजूद कि उनके पिता की तीन पत्नियाँ थीं। वह शाहजहाँ की पसंदीदा बेटी थी और उसने अपने पिता के शासनकाल में प्रमुख राजनीतिक प्रभाव को समाप्त कर दिया था, जिसे उस समय "साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला" के रूप में वर्णित किया गया था। जहाँआरा अपने भाई दारा शिकोह की एक उत्साही पार्टी थी और उसने अपने पिता के चुने हुए उत्तराधिकारी के रूप में उसका समर्थन किया। 1657 में शाहजहाँ की बीमारी के बाद उत्तराधिकार के युद्ध के दौरान, जहाँआरा उत्तराधिकारी दारा के साथ चली गई और अंततः अपने पिता के साथ आगरा के किले में शामिल हो गई, जहाँ उसे औरंगज़ेब ने नजरबंद कर दिया था। एक समर्पित बेटी, उसने 1666 में अपनी मृत्यु तक शाहजहाँ की देखभाल की। बाद में, जहाँआरा ने औरंगज़ेब के साथ सामंजस्य स्थापित किया, जिसने उसे राजकुमारी की महारानी का खिताब दिया और उसने उसकी छोटी बहन, राजकुमारी रोशनारा बेगम की जगह फर्स्ट लेडी बना दिया। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान जहाँआरा अविवाहित थी।
जहाँआरा बेगम के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सरला ठकराल (1919-15 मार्च 2008), एक विमान उड़ने वाली पहली भारतीय महिला थी। 1914 में जन्मी, सरला ठकराल ने 1936, 21 वर्ष की आयु में एक विमानन लाइसेंस अर्जित करके एक जिप्सी मोठ को अकेले उड़ाया। उनकी एक 4 साल की बेटी भी थी। प्रारंभिक लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, उन्होंने लाहौर फ्लाइंग क्लब के स्वामित्व वाले विमान में एक हज़ार घंटे की उड़ान भर कर रखी और पूरा किया। 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह पी.डी शर्मा से हुआ जिनके परिवार में 9 पायलट थे जिस कारण उन्हें पायलट बन्ने के लिए बहुत प्रोत्साहन मिला। उनके पति शर्मा, पायलट का लाइसेंस पाने वाले पाने भारतीय थे कराची से लाहौर के बीच में तथा सरला 1000 घंटे से अधिक की उड़ान भर के 'लाइसेंस अ' हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी।
ठकराल आर्य समाज की समर्पित अनुयायी थी, जों की वेदों की शिक्षा के लिए समर्पित एक आध्यात्मिक समुदाय है। सरला, जिसे मति भी कहा जाता है, एक सफल व्यवसायी, चित्रकार, कपड़े और पोशाक गहने डिजाइन करना शुरू कर दिया। 2008 में उनकी मृत्यु हो गई।
सरला ठकराल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
कमलादेवी चट्टोपाध्याय (3 अप्रैल 1903 – 29 अक्टूबर 1988) भारतीय समाजसुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, तथा भारतीय हस्तकला के क्षेत्र में नवजागरण लाने वाली गांधीवादी महिला थीं। उन्हें सबसे अधिक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के लिए; स्वतंत्र भारत में भारतीय हस्तशिल्प, हथकरघा, और थियेटर के पुनर्जागरण के पीछे प्रेरणा शक्ति के लिए; और सहयोग की अगुआई करके भारतीय महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक स्तर के उत्थान के लिए याद किया जाता था। उन्हे समाज सेवा के लिए 1955 में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया।
डॉ॰ कमलादेवी ने आजादी के तुरंत बाद शिल्पों को बचाए रखने का जो उपक्रम किया था उसमें उनकी नजर में बाजार नहीं था। उनकी पैनी दृष्टि यह समझ चुकी थी कि बाजार को हमेशा सहायक की भूमिका में रखना होगा। यदि वह कर्ता की भूमिका में आ गया तो इसका बचना मुश्किल होगा, परंतु पिछले तीन दशकों के दौरान भारतीय हस्तशिल्प जगत पर बाजार हावी होता गया और गुणवत्ता में लगातार उतार आता गया। भारतभर के हस्तशिल्प विकास निगमों ने शिल्पों को बाजार के नजरिये से देखना शुरू कर दिया। उनको इसमें आसानी और सहजता भी महसूस हो रही थी।
कमलादेवी चट्टोपाध्याय के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
इंदु मल्होत्रा एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान भारत का उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश हैं। 27 अप्रैल, 2018 को वे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद की शपथ ग्रहण की। वे देश की पहली ऐसी महिला अधिवक्ता हैं जो अधिवक्ता से सीधे उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनीं।
इंदु मल्होत्रा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सुनीता कृष्णन (जन्म-1972), एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, मुख्य कार्यवाहक व प्रज्वला के सह संस्थापक है। यह एक गैर सरकारी संघठन है जों यौन उत्पीड़न वाले पीड़ितों को समाज में बचाते है, पुनर्वास कराते व पुनर्गठन करते हैं। कृष्णन मानव तस्करी और सामाजिक नीति के छेत्र में काम करती हैं। उनकी संस्था, प्रज्वला देश के सबसे बड़े पुनर्वास घरो में से एक है वहाँ बच्चों और महिलाओ को आश्रय दिया जाता है। वह एनजीओ संस्थानों की मदद से कोशिश कर रहे हैं के सयुक्त रूप से महिलाओ और बच्चो के लिए सुरक्षात्मक व पुनर्वास सेवाए दे सके। उन्हें 2016, में भारत के चौथे उच्चतम नागरिक पुरुस्कार- पदमश्री से नवाज़ा गया।
सुनीता कृष्णन के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
49
शोभना चंद्रकुमार पिल्लई
शोभना या शोभना चंद्रकुमार पिल्लई एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री और भरतनाट्यम नर्तकी हैं। यह हिन्दी, मलयालम, तमिल, कन्नड़, और अंग्रेजी भाषा के 200 से अधिक फिल्में कर चुकीं हैं। उन्होंने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, एक केरल राज्य फिल्म पुरस्कार, 2011 में कलीममणि और कई अन्य पुरस्कार जीते हैं।
शोभना चंद्रकुमार पिल्लई के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
ऊदा देवी, एक भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी थीं जिन्होने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय सिपाहियों की ओर से युद्ध में भाग लिया था। ये अवध के छठे नवाब वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्य थीं। इस विद्रोह के समय हुई लखनऊ की घेराबंदी के समय लगभग 2000 भारतीय सिपाहियों के शरणस्थल सिकन्दर बाग़ पर ब्रिटिश फौजों द्वारा चढ़ाई की गयी थी और 16 नवंबर 1857 को बाग़ में शरण लिये इन 2000 भारतीय सिपाहियों का ब्रिटिश फौजों द्वारा संहार कर दिया गया था।इस लड़ाई के दौरान ऊदा देवी ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर स्वयं को एक पुरुष के रूप में तैयार किया था। लड़ाई के समय वो अपने साथ एक बंदूक और कुछ गोला बारूद लेकर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गयी थीं। उन्होने हमलावर ब्रिटिश सैनिकों को सिकंदर बाग़ में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया था जब तक कि उनका गोला बारूद खत्म नहीं हो गया।
ऊदा देवी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
न्यायमूर्ति फातिमा बीबी (जन्म: 30 अप्रैल 1927) सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं। वे वर्ष 1989 में इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्हें 3 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य बनाया गया। उनका पूरा नाम मीरा साहिब फातिमा बीबी है। वे तमिलनाडू की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं।न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीबी का जन्म केरल के पथानामथिट्टा में हुआ था। उनके पिता का नाम मीरा साहिब और माँ का नाम खदीजा बीबी है। उनकी विद्यालयी शिक्षा कैथीलोकेट हाई स्कूल, पथानामथिट्टा से हुई। उन्होने यूनिवर्सिटी कॉलेज, त्रिवेंद्रम से स्नातक और लॉ कॉलेज, त्रिवेंद्रम से एल एल बी किया। 14 नवम्बर 1950 को वे अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुयी, मई, 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुयी, 1968 में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुयी। 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, 1980 में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और 8 अप्रैल 1983 को उन्हें उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 06 अक्टूबर 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुई। जहां से 24 अप्रैल 1992 को वे सेवा निवृत हुई।
एम॰ फातिमा बीबी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
आरती साहा (24 सितंबर 1940-23 अगस्त 1994) भारत तथा एशिया की पहली महिला इंग्लिश चैनल पार करने वाली प्रसिद्ध तैराक थीं। भारतीय पुरुष तैराक मिहिर सेन से प्रेरित होकर उन्होंने इंग्लिश चैनल पार करने की कोशिश की और 29 सितम्बर 1959 को वे एशिया से ऐसा करने वाली प्रथम महिला तैराक बन गईं। उन्होंने 42 मील की यह दूरी 16 घंटे 20 मिनट में तैय की।
आरती साहा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रीता फारिया पॉवेल (1945) मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय और एशियाई मूल की महिला हैं। वे पहली भारतीय मिस वर्ल्ड हैं, जिन्होने चिकित्सा शास्त्र में विशेषज्ञता हासिल की। मुंबई में 1945 में जन्मी रीता पहली भारतीय और एशियाई मूल की महिला हैं जिन्होंने 1966 में मिस वर्ल्ड का टाइटिल जीता। एक साल मॉडलिंग की ऊंचाइयों को छूने के बाद रीता ने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया। उन्होने मुंबई स्थित ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जमशेदजी जीजाबाई ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल से एम बी बी एस में स्नातक किया। उसके बाद वे किंग्स कॉलेज एवं अस्पताल, लंदन में उच्च अध्ययन हेतु चली गई। 1971 में उन्होने डेविड पॉवेल से शादी की और 1973 में दोनों डबलिन में रहने लगे, जहां उन्होने डोकटरी की प्रेक्टिस करना शुरू किया।
रीता फारिया के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
मातंगिनी हाजरा (19 अक्टूबर 1870 ) भारत की क्रान्तिकारी थीं। उन्हें 'गाँधी बुढ़ी' के नाम से जाना जाता था।मातंगिनी हाजरा का जन्म पूर्वी बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) मिदनापुर जिले के होगला ग्राम में एक अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था। गरीबी के कारण 12 वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह ग्राम अलीनान के 62वर्षीय विधुर त्रिलोचन हाजरा से कर दिया गया। इस पर भी दुर्भाग्य उनके पीछे पड़ा रहा। छह वर्ष बाद वह निःसन्तान ही विधवा हो गयीं। पति की पहली पत्नी से उत्पन्न पुत्र उससे बहुत घृणा करता था। अतः मातंगिनी एक अलग झोपड़ी में रहकर मजदूरी से जीवनयापन करने लगीं। गाँव वालों के दुःख-सुख में सदा सहभागी रहने के कारण वे पूरे गाँव में माँ के समान पूज्य हो गयीं।
1932 में गान्धी जी के नेतृत्व में देश भर में स्वाधीनता आन्दोलन चला। वन्देमातरम् का घोष करते हुए जुलूस प्रतिदिन निकलते थे। जब ऐसा एक जुलूस मातंगिनी के घर के पास से निकला, तो उसने बंगाली परम्परा के अनुसार शंख ध्वनि से उसका स्वागत किया और जुलूस के साथ चल दी। तामलुक के कृष्णगंज बाजार में पहुँचकर एक सभा हुई। वहाँ मातंगिनी ने सबके साथ स्वाधीनता संग्राम में तन, मन, धन से संघर्ष करने की शपथ ली।
मातंगिनी हाजरा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
लक्ष्मी सहगल (जन्म: 24 अक्टूबर 1914 - मृत्यु: 23 जुलाई 2012) डॉक्टर लक्ष्मी सहगल का जन्म 1914 में एक परंपरावादी तमिल परिवार में हुआ और उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की शिक्षा ली, फिर वे सिंगापुर चली गईं। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब जापानी सेना ने सिंगापुर में ब्रिटिश सेना पर हमला किया तो लक्ष्मी सहगल सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज में शामिल हो गईं थीं।
लक्ष्मी सहगल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अरुणा राय भारत की एक राजनैतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होने सन् 1968 से 1975 तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्य किया। उनके योगदान के लिये उन्हें मैगससे पुरस्कार एवं मेवाड़ सेवाश्री आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वे राजस्थान के निर्धन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये किये गये प्रयास के लिये विशेष रूप से जानी जातीं हैं। भारत में सूचना का अधिकार लागू करने के लिये उनके प्रयत्न एवं योगदान उल्लेखनीय हैं। वे मेवाड़ के राजसमन्द जिले में स्थित देवडूंगरी गांव से सम्पूर्ण देश में संचालित मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापिका एवं अध्यक्ष भी हैं।
अरुणा राय के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
फाल्गुनी नायर, सौंदर्य और वेलनेस उत्पादों की बिक्री करने वाली रिटेल स्टोर न्याका की संस्थापक और सीईओ हैं। इसमें लक्मे, लोरियल जैसे 1200 से अधिक विशाल ब्रांड के उत्पाद हैं और भारत भर के कई राज्यों में इसकी उपस्थिति है।
फाल्गुनी नायर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
किरण मजूमदार-शॉ (जन्म 23 मार्च 1953) एक भारतीय अरबपति उद्यमी हैं। वह बायोकॉन लिमिटेड की कार्यकारी चेयरपर्सन और संस्थापक और बायोकॉन बायोलॉजिक्स लिमिटेड, भारत में स्थित एक जैव प्रौद्योगिकी कंपनी है, और भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर के पूर्व अध्यक्ष हैं। 2014 में, उन्हें विज्ञान और रसायन विज्ञान की प्रगति में उत्कृष्ट योगदान के लिए ओथमर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। वह बिजनेस लिस्ट में फाइनेंशियल टाइम्स की शीर्ष 50 महिलाओं में शामिल हैं। 2019 में, उन्हें फोर्ब्स द्वारा दुनिया की 68 वीं सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। उसे वर्ष 2020 का EY वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर नामित किया गया था।
किरण मजूमदार-शॉ के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
इंदिरा कृष्णमूर्ति नुई (जन्म: 28 अक्टूबर 1955) वर्तमान में पेप्सिको कंपनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारिणी हैं। दुनिया की प्रभावशाली महिलाओं में उनका नाम शुमार है। वे येल निगम के उत्तराधिकारी सदस्य हैं। साथ ही वे न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व के निदेशक बोर्ड की स्तर बी की निदेशक भी हैं। इसके अलावा वे अंतरराष्ट्रीय बचाव समिति, कैट्लिस्ट, के बोर्ड और लिंकन प्रदर्शन कला केंद्र की एक सदस्य हैं। वे एइसेन्होवेर फैलोशिप के न्यासी बोर्ड की सदस्य भी हैं और वर्तमान में यू एस-भारत व्यापार परिषद में सभाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दे रही हैं।
इंदिरा नुई के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
वाणी कोला एक भारतीय उद्यम पूंजीपति है। वह कलारी कैपिटल के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं, जो एक भारतीय प्रारंभिक चरण उद्यम पूंजी फर्म है। उन्हें 2014 में फॉर्च्यून इंडिया द्वारा भारतीय व्यापार में सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
वाणी कोला का जन्म 1963 या 1964 में हैदराबाद, आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना), भारत में हुआ था। उन्होंने 16 साल की उम्र में अपनी माध्यमिक शिक्षा शुरू की। उन्होंने हैदराबाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय में पढ़ाई की, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और "400 इंजीनियरिंग छात्रों में से छह लड़कियों में से एक थीं"। संयुक्त राज्य अमेरिका में एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग करने के लिए 1980 के दशक के अंत में भारत छोड़ने से पहले उसने अपनी बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की।
वाणी कोला के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
मयिलम्मा एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिनकी प्रसिद्धि का दावा केरल के पलक्कड़ के प्लाचीमाडा में कोका-कोला कंपनी के खिलाफ अभियान था। वह एक देशी जनजातीय समुदाय के थे। वह आउटलुक पत्रिका द्वारा स्पीक आउट पुरस्कार और श्री शक्ति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे। वह भी 'Plachimada हीरोइन' के रूप में जाना जाता है।
मयिलम्मा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जॉयमोती कोनवारी , ताई-अहोम राजकुमार गदापानी (बाद में सुप्रथा ) की पत्नी थीं । वह अंत तक अत्याचार की अपनी वीरता के कारण सम्मानीय मोहिओकी को प्राप्त किया गया था, अपने निर्वासित पति राजकुमार गाधी के ठिकाने का खुलासा किए बिना, सुलिकफा लोरा रोजा के तहत रॉयलिस्टों के हाथों मर रही थी , जिससे उनके पति को विद्रोह उठने और राजा बनने के लिए सक्षम होना पड़ा। गदापानी और जॉयमोती के बेटे रुद्र सिंगा ने उस स्थान पर खोदी गई जोयसागर टंकी खोली थी, जहाँ उसे प्रताड़ित किया गया था। 1935 में ज्योति प्रसाद अग्रवाल के निर्देशन में बनी पहली असमिया फिल्म जोमोती उनके जीवन पर आधारित थी।
जॉयमोती कोनवारी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
प्रभावतीगुप्त गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री थी। उसका विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन द्वितीय के साथ 380 ई॰ के आसपास हुआ था। रुद्रसेन द्वितीय शैव मतानुयायी था जबकि प्रभावती वैष्णव मत को मानने वाली थी। विवाह के बाद रुद्रसेन भी वैष्णव हो गया था। अपने अल्प शासन के बाद 390 ई॰ में रुद्रसेन द्वितीय की मृत्यु हो गई और 13 वर्ष तक प्रभावती ने अपने अल्प-वयस्क पुत्रों (दिवाकर सेन तथा दामोदर सेन)की संरक्षिका के रूप में शासन किया। दिवाकर सेन की मृत्यु प्रभावती के संरक्षण काल में ही हो गई और दामोदर सेन वयस्क होने पर सिंहासन पर बैठा। यही 410 ई॰ में प्रवरसेन द्वितीय के नाम से वाकाटक शासक बना। उसने अपनी राजधानी नन्दिवर्धन से परिवर्तन करके प्रवरपुर बनाई। शकों के उन्मूलन का कार्य प्रभावती गुप्त के संरक्षण काल में ही संपन्न हुआ। इस विजय के फलस्वरूप गुप्त सत्ता गुजरात एवं काठियावाड़ में स्थापित हो गई।
प्रभावतीगुप्त के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
प्रिया झिंगन उन 25 महिला अधिकारियों के पहले बैच से एक हैं, जिन्हें 1993 में भारतीय सेना में कमीशन मिला था। झिंगन चेन्नई में अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में कैडेट नंबर 001 थी। एक पुलिस अधिकारी की बेटी होने के कारण झिंगन प्रारम्भ में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होना चाहती थे, लेकिन उन्होंने सेना में भर्ती होने की अनुमति पाने के लिए तत्कालीन सेना प्रमुख सुनीत फ्रांसिस रोड्रिग्स को लिखने का फैसला किया।उनके अनुरोध को 1992 में स्वीकार कर लिया गया और चेन्नई में अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में प्रशिक्षण के लिये बुला लिया गया।
प्रिया झिंगन के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
हरिता कौर देओल (1972 से 25 दिसम्बर 1996) एक महिला पायलट थी जो कि भारतीय वायु सेना में कार्यरत थीं। ,साथ ही ये भारत की पहली महिला पायलट थीं। इनका जन्म पंजाब के चंडीगढ़ में एक सिक्ख परिवार में हुआ था। एक सिख परिवार में चंडीगढ़ से, 1993 में, वह लघु सेवा आयोग (एसएससी) के अधिकारियों के रूप में वायु सेना में शामिल पहली सात महिला कैडेटों में से एक बन गई। इसने भारत में परिवहन पायलट के रूप में महिलाओं के प्रशिक्षण में एक महत्वपूर्ण चरण को चिह्नित किया।
हरिता कौर देओल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
दुर्बा बेनर्जी इंडियन एयरलाइंस की पहली महिला (1956 में) पायलट और भारत की पहली व्यापारिक (कामरशियल) पायलट रही हैं। एक बालिका के रूप में बेनर्जी जहाज़ों और उड़ने में रुचि रखती थी और भविष्य में स्वयं जहाज़ चलाना चाहती थी। वह अपने समय की पहली महिला थी जिसने आम परम्परा के विपरीत इस क्षेत्र में प्रवेश किया।
दुर्बा बेनर्जी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
ओंके ओबव्वा, (18 वीं शताब्दी) एक महिला थी, जिसने हैदर अली की सेना से, अकेले मूसल (ओंके) के साथ भारत के कर्नाटक राज्य के चित्रदुर्ग में लड़ाई लड़ी थी। उनका पति चित्रदुर्ग के चट्टानी किले में एक प्रहरी था। कर्नाटक राज्य में, अब्बक्का रानी, केलदी चेन्नम्मा और कित्तूर चेन्नम्मा के साथ- साथ ओबव्वा भी महिला योद्धाओं और देशभक्तों के रूप में जानी जाती है।
ओंके ओबव्वा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
दुर्गा भाभी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रान्तिकारियों की प्रमुख सहयोगी थीं। 18 दिसम्बर 1928 को भगत सिंह ने इन्ही दुर्गा भाभी के साथ वेश बदल कर कलकत्ता-मेल से यात्रा की थी। दुर्गाभाभी क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की धर्मपत्नी थीं। चूंकि वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के सदस्य भगवती चरण वोहरा की पत्नी थीं, इसलिए एचएसआरए के अन्य सदस्यों ने उन्हें भाभी (बड़े भाई की पत्नी) के रूप में संदर्भित किया और भारतीय क्रांतिकारी हलकों में "दुर्गा भाभी" के रूप में लोकप्रिय हो गईं।
दुर्गा भाभी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अगर आपको इस सूची में कोई भी कमी दिखती है अथवा आप कोई नयी प्रविष्टि इस सूची में जोड़ना चाहते हैं तो कृपया नीचे दिए गए कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखें |
Keywords:
भारत में प्रेरणादायक महिलाएँ प्रेरणादायक भारतीय महिला प्रेरणा स्त्रोत भारतीय महिला भारतीय महिलाएँ जिन्होंने खुद को प्रेरणादायक बनाया।