हमारे भारत देश में कई ऐसे कवियों ने जन्म लिया है, जिन्होंने लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। इन्होंने अपनी कविताओं से लोगों को कुछ अलग तरह से सोचने पर मजबूर किया है। कविता इस देश की सबसे महान शैलियों में से एक है। भारतीय साहित्य का इतिहास भी 6वीं शताब्दी में महान महाकाव्य कविता में ही लिखा गया था। भारतीय साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी विविधता है। जो देश की विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के कारण होती है। भारत में जन्में इन महानतम और लोकप्रिय भारतीय कवि ने हमें जीने का सही तरीका बताया है। इनकी कवितायेँ पढ़कर हम में एक नई सोच और क्षमता जाग्रत होती है।
इसीलिए आज हम आपके लिए ऐसे कवियों की सूची लाये हैं। जिनकी कवितायेँ हर आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
कबीर दास 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और महान संत थे। इनकी हिंदी रचनाओं ने भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। ये सभी धर्मों के परेय थे। अपने जीवनकाल के दौरान इन्होंने सभी धर्मों की धार्मिक प्रथाओं की सख्त आलोचना की थी। कबीर पंथ नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं। इनकी कवितायें आज सैकड़ों सालों बाद भी जीवित हैं।
कबीर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि और निबन्धकार थे। ये आधुनिक युग के वीर रस के श्रेष्ठ कवि के रूप में विख्यात हैं। दिनकर जी स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए। और स्वतन्त्रता के बाद ये राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। इनकी कविताओं में एक ओर जहां ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है, तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें इनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में देखने को मिलता है। बागी कविताओं के राजा रामधारी सिंह दिनकर जी को राष्ट्रकवि की उपाधि देकर सम्मानित किया गया था।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। ये भारत के उन महान राजनैतिक कवियों में से एक थे, जिन्होंने खड़ी बोली के सहारे पाठकों का दिल जीता। इन्हें साहित्य जगत में ‘दद्दा’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। इनकी कृति 'भारत-भारती' भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी। इसीलिए महात्मा गांधी ने इन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की पदवी भी दी थी। इनकी जयन्ती हर साल 3 अगस्त को ‘कवि दिवस’ के रूप में मनाई जाती है।
मैथिलीशरण गुप्त के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सुमित्रानंदन पंत जी हिंदी साहित्य में छायावादी युग के प्रमुख कवियों में से एक हैं। ये एक ऐसे कवि थे, जो प्रकृति से प्रेरणा लेकर उसे लोगों तक पहुंचाते थे। इनका व्यक्तित्व भी इनकी ओर आकर्षण का केंद्र बिंदु था। इनकी रचना “चिदम्बरा” के लिये इहें 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा इनकी रचना “कला और बूढ़ा चांद” के लिये इन्हें 1960 का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था। इसके अलावा भी इनको अनेकों प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
सुमित्रानंदन पंत के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
5
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ भी हिन्दी कविता के छायावादी युग के प्रमुख
स्तंभों में से एक हैं। निराला जी ऐसे कवि थे, जिन्होंने हिंदी कविताओं में
मुक्त छंद के प्रकार से पाठकों को एवं अन्य कवियों को परिचित करवाया।
जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ सूर्यकान्त
त्रिपाठी हिन्दी साहित्य में छायावाद के 4 प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं।
वैसे तो कविताओं के अलावा इन्होंने कहानियां, उपन्यास और निबंध भी लिखे
हैं, किन्तु इनकी ख्याति विशेष रूप से कविता के कारण ही है।
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रहीम हिंदी भाषा के बहुत प्रभावशाली कवि थे। ये मुसलमान होकर भी कृष्ण भक्त थे। इनका पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना था। मुस्लिम धर्म के अनुयायी होते हुए भी रहीम ने अपनी काव्य रचना द्वारा हिन्दी साहित्य की जो सेवा की वह अद्भुत है। रहीम की कई रचनायें प्रसिद्ध हैं। अपनी रचनाओं को इन्होंने दोहों के रूप में लिखा। इन्होंने अपने अनुभवों को जिस सरल शैली में अभिव्यक्त किया है वो वास्तव में अदभुत है। इसके अलावा इन्होंने ही तुर्की भाषा में लिखी बाबर की आत्मकथा “तुजके बाबरी” का फारसी में अनुवाद किया। मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुल रहीम खानखाना अपने दोहों के जरिये आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।
रहीम के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रबीन्द्रनाथ ठाकुर (बांग्ला: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর) (7 मई, 1861 – 7 अगस्त, 1941) विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया।
तुलसीदास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
महादेवी वर्मा छायावाद युग की सबसे महान कवयित्री थीं। ये हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक हैं। इन्होंने अपनी कविताओं से ना केवल पाठकों को ही बल्कि समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण इन्हें 'आधुनिक मीरा' के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी के महान कवि निराला ने इन्हें 'हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती' के नाम से भी संबोधित किया है। इन्हीं से लोगों को प्रेरणा मिली कि औरतें किसी से कम नहीं होतीं।
महादेवी वर्मा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर खुसरो 14वीं सदी के एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और
संगीतकार थे। इन्हें खड़ी बोली के आविष्कारक का श्रेय दिया जाता है। ये
पहले ऐसे मुस्लिम कवि थे, जिन्होंने हिंदी का खुलकर प्रयोग किया है। ये
हिंदी भाषा के साथ-साथ फारसी के कवि भी थे। इसके साथ ही कव्वाली की शैली को
पहली बार लोगों के सामने प्रकाशित करने का श्रेय भी अमीर खुसरो को ही जाता
है। इन्होंने ही सितार और तबले का आविष्कार किया था।
अमीर खुसरो के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
मिर्जा असद-उल्लाह बेग खां उर्फ गालिब उर्दू एवं फारसी भाषा के महान शायर
थे। मिर्जा गालिब को भारत सहित पाकिस्तान में भी एक महत्वपूर्ण कवि के रूप
में जाना जाता है। ये एक ऐसे उर्दू भाषा के सर्वकालिक महान शायर थे,
जिन्होंने अन्य शायरों को सिखाया कि शेर सिर्फ मोमीन नहीं बल्कि काफिर भी
लिख सकते हैं। इन्हें दबीर-उल-मुल्क और नज्म-उद-दौला के खिताब से नवाजा जा
चुका है।
मिर्ज़ा ग़ालिब के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
12
अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन
अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन एक कवि, निबंधकार, शोधकर्ता, अनुवादक, भाषाविद्, नाटककार और लोककथाओं के विशेषज्ञ थे। उन्होंने तमिल, कन्नड़ और अंग्रेज़ी में कवितायें लिखी है जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि अमेरिका में भी प्रभाव बनाया और आज भी बहुचर्चित कविताओं में से एक हैं। यद्यपि वह भारतीय थे और उनके अधिकांश काम भारत से संबंधित थे परन्तु उन्होंने अपने जीवन का दूसरा भाग, अपने मृत्यु तक अमेरिका में ही बिताया।
अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के [सूर्य] माने जाते हैं। सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद है।
सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं: (1) सूरसागर - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं। (2) सूरसारावली (3) साहित्य-लहरी - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं। (4) नल-दमयन्ती (5) ब्याहलो
सूरदास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
आगा शाहिद अली एक भारतीय-अमेरिकी कश्मीरी कवि थे। उनके संग्रह ए वॉक टू येलो पेज के माध्यम से, आधा इंच हिमालय, अमेरिका का एक Nostalgist के मानचित्र, देश एक पोस्ट ऑफिस के बिना, कमरे कभी पूरी ही नहीं कर रहे हैं, 2001 में नेशनल बुक अवार्ड के लिए बाद के फाइनलिस्ट के रूप में शामिल हैं।
आगा शाहिद अली के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अरुण कोलटकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह भिजकी वही के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया।
अरुण कोलटकर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि झाँसी की रानी (कविता) के कारण है। ये राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं, किन्तु इन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इस कारण इनकी रचना की सादगी हृदयग्राही है।
सुभद्रा कुमारी चौहान के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
17
अरविंद कृष्ण मेहरोत्रा
अरविंद कृष्ण मेहरोत्रा एक भारतीय कवि, साहित्यिक आलोचक और अनुवादक है। मेहरोत्रा को 2009 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कविता के प्रोफेसर के पद के लिए नामित किया गया था। मेहरोत्रा ने प्राचीन प्राकृत भाषा और हिंदी, बंगाली और गुजराती से 200 से अधिक साहित्यिक कृतियों का अनुवाद किया है।
अरविंद कृष्ण मेहरोत्रा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
18
गुलजार ‘सम्पूर्ण सिंह कालरा’
सम्पूर्ण सिंह कालरा जो गुलजार नाम से प्रसिद्ध हैं, भारतीय सिनेमा जगत के सबसे प्रसिद्द कवि और गीतकार हैं। इन्होंने हिंदी और उर्दू की कविताओं का मजेदार मिश्रण पाठकों के सामने परोसा है। इसके अतिरिक्त ये एक मशहूर पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक तथा नाटककार भी हैं। इनकी रचनाए मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं। लेकिन इसके साथ ही इन्होंने ब्रज भाषा, खड़ी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी रचनाएं की हैं। इनको वर्ष 2002 में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2004 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2009 में निर्मित फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये इन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार तथा ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
गुलजार ‘सम्पूर्ण सिंह कालरा’ के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस पर श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है।
धर्मवीर भारती के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अरुंधति सुब्रमण्यम कवयित्री, कलाकार और आध्यात्मिकता और संस्कृति पर लिखने वाली लेखिका हैं। कई वर्षों में उन्होंने कविता संपादक और संग्रहाध्यक्ष के रूप में काम किया है, और साहित्य, शास्त्रीय नृत्य और रंगमंच पर पत्रकार के रूप में काम किया है।
अरुंधति सुब्रमण्यम के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर 1907 – 18 जनवरी 2003 हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावत काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उनकी मृत्यु 18 जनवरी 2003 में सांस की बीमारी के वजह से मुंबई में हुई थी।
हरिवंश राय बच्चन के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
गीत चतुर्वेदी एक हिन्दी कवि, लघु कहानी लेखक और उपन्यासकार है। अक्सर नव-विचारक लेखक के रूप में माना जाता है, वह भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार कविता के लिए 2007 में 2014 वह भोपाल, भारत में रहने में सम्मानित किया गया और उपन्यास के लिए कृष्ण प्रताप पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने कहा कि एक कथा लेखक और आलोचक के रूप में दोनों सक्रिय है। 2011 में, इंडियन एक्सप्रेस भारत के 'दस सर्वश्रेष्ठ राइटर्स की एक सूची में उसे शामिल थे। अपनी कविताओं दुनिया भर में सत्रह भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
गीत चतुर्वेदी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जयशंकर प्रसाद, हिन्दी कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और कामायनी तक पहुँचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया। बाद के प्रगतिशील एवं नई कविता दोनों धाराओं के प्रमुख आलोचकों ने उसकी इस शक्तिमत्ता को स्वीकृति दी। इसका एक अतिरिक्त प्रभाव यह भी हुआ कि खड़ीबोली हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी।
जयशंकर प्रसाद के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
बलराम दासा एक Odia कवि और साहित्यकार था। उन्होंने कहा कि ओड़िआ साहित्य में 5 महान कवियों में से एक था, literature.He के भक्ति युग के दौरान Panchasakha सबसे पुराना था और पंच सखा के सबसे प्रतिभाशाली होना कहा जाता है। उन्होंने Odia रामायण भी Jagamohana रामायण के रूप में जाना लिखा था।
बलराम दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
बुल्ले शाह, जिन्हें बुल्ला शाह भी कहा जाता है, एक पंजाबी सूफ़ी संत एवं कवि थे। उनकी मृत्यु 1757 से 1759 के बीच वर्तमान पाकिस्तान में स्थित शहर क़सूर में हुई थी उनकी कविताओं को काफ़ियाँ कहा जाता है। बुल्ले शाह का असली नाम अब्दुल्ला शाह था। उन्होंने शुरुआती शिक्षा अपने पिता से ग्रहण की थी और उच्च शिक्षा क़सूर में ख़्वाजा ग़ुलाम मुर्तज़ा से ली थी।
बुल्ले शाह के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जयंत महापात्र अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह रिलेशनशिप के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 2009 में भारत में चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने भारत में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ विरोध करने के लिए 2015 में पुरस्कार लौटा दिया।
जयंत महापात्र के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्त्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं।
कालिदास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
दुष्यंत कुमार त्यागी एक हिन्दी कवि, कथाकार और ग़ज़लकार थे। कवि की पुस्तकों में जन्मतिथि 1 सितंबर 1933 लिखी है, किन्तु दुष्यन्त साहित्य के मर्मज्ञ विजय बहादुर सिंह के अनुसार कवि की वास्तविक जन्मतिथि 27 सितंबर 1931 है।
दुष्यंत कुमार के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
कुमार विश्वास एक भारतीय हिन्दी कवि, वक्ता और सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। वे आम आदमी पार्टी के नेता रह चुके हैं। उनका मूल नाम विश्वास कुमार शर्मा है। वे युवाओं के अत्यन्त प्रिय कवि हैं। हिंदी को भारत से विश्व तक पुनः स्थापित करने वाले कुमार विश्वास के कविता के मंचन, वाचन, गायन के साथ साथ वकतृत्व प्रतिभा के भी धनी हैं। मंच संचालन, गायन, काव्य वाचन, पाठन, लेखन आदि सब विधाओं में निपुण कुमार विश्वास हिंदी के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।
कुमार विश्वास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अच्युतानन्द दास 16वीं सदी के कवि, द्रष्टा और उड़ीसा, के वैष्णव संत थे। कहते हैं कि उन्हें भूत, वर्तमान एवं भविष्य देखने की शक्ति प्राप्त थी। वे महान लेखक थे। वे उन पाँच व्यक्तियों में से थे जिन्होने संस्कृत ग्रन्थों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करके पूर्वी भारत में आध्यात्मिक क्रान्ति ला दी। उनका ओड़िया भाषा में रचित ग्रन्थ "शून्यसंहिता" प्रसिद्ध है।
अच्युतानन्द दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जसोबंत दास एक ओडिया कवि, साहित्यकार और रहस्यवादी थे। वह ओडिया साहित्य के पांच महान कवियों में से एक थे, साहित्य के भक्ति युग के दौरान पंचशाक। वे अपनी कृति प्रेमा भक्ति ब्रह्म गीता के लिए जाने जाते हैं।
जसोबंत दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
मीराबाई (1498-1573) सोलहवीं शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं। उनकी कविता कृष्ण भक्ति के रंग में रंग कर और गहरी हो जाती है। मीरा बाई ने कृष्ण भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है। मीरा कृष्ण की भक्त हैं। उनके गुरु रविदास जी थे तथा रविदास जी के गुरु रामानंद जी थे।
मीरा बाई के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण का चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया।
भारतेंदु हरिश्चंद्र के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
साहिर लुधियानवी (8 मार्च 1921 - 25 अक्टूबर 1980) एक प्रसिद्ध शायर तथा गीतकार थे। इनका जन्म लुधियाना में हुआ था और लाहौर (चार उर्दू पत्रिकाओं का सम्पादन, सन् 1948 तक) तथा बंबई (1949 के बाद) इनकी कर्मभूमि रही।
साहिर लुधियानवी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सरोजिनी नायडू (13 फरवरी 1879 - 2 मार्च 1949) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही 12हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और 13 वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता रची। सर्जरी में क्लोरोफॉर्म की प्रभावकारिता साबित करने के लिए हैदराबाद के निज़ाम द्वारा प्रदान किए गए दान से "सरोजिनी नायडू" को इंग्लैंड भेजा गया था सरोजिनी नायडू को पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन करने का मौका मिला।
सरोजिनी नायडू के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
माखनलाल चतुर्वेदी भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे। प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठत पत्रों के संपादक के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रचार किया और नई पीढ़ी का आह्वान किया कि वह गुलामी की जंज़ीरों को तोड़ कर बाहर आए। इसके लिये उन्हें अनेक बार ब्रिटिश साम्राज्य का कोपभाजन बनना पड़ा। वे सच्चे देशप्रमी थे और 1921-22 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए जेल भी गए। आपकी कविताओं में देशप्रेम के साथ-साथ प्रकृति और प्रेम का भी चित्रण हुआ है।
माखनलाल चतुर्वेदी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अनंत दास ओडिया कवि, साहित्यकार और रहस्यवादी थे। वे ओडिया साहित्य के पांच महान कवियों में से एक थे, साहित्य की भक्ति युग के दौरान पंचशाक.उन्हें अपने कार्य के लिए जाना जाता है
अनंत दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अमृता प्रीतम (1919-2005) पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थी। पंजाब (भारत) के गुजराँवाला जिले में पैदा हुईं अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 100 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था।
अमृता प्रीतम के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
काजी नज़रुल इस्लाम , अग्रणी बांग्ला कवि, संगीतज्ञ, संगीतस्रष्टा और दार्शनिक थे। वे बांग्ला भाषा के अन्यतम साहित्यकार, देशप्रेमी तथा बंगलादेश के राष्ट्रीय कवि हैं। पश्चिम बंगाल और बंगलादेश दोनो ही जगह उनकी कविता और गान को समान आदर प्राप्त है। उनकी कविता में विद्रोह के स्वर होने के कारण उनको 'विद्रोही कवि' के नाम से जाना जाता है। उनकी कविता का वर्ण्यविषय 'मनुष्य के ऊपर मनुष्य का अत्याचार' तथा 'सामाजिक अनाचार तथा शोषण के विरुद्ध सोच्चार प्रतिवाद'।
काज़ी नज़रुल इस्लाम के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
माइकल मधुसुदन दत्त जन्म से मधुसुदन दत्त, बंगला भाषा के प्रख्यात कवि और नाटककार थे। नाटक रचना के क्षेत्र मे वे प्रमुख अगुआई थे। उनकी प्रमुख रचनाओ मे मेघनादबध काव्य प्रमुख है। उन्होंने महिलाओं द्वारा बोले गए प्रेम के दुखों और पीड़ाओं के बारे में भी कविताएँ लिखीं।
माइकल मधुसुदन दत्त के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
शिव कुमार 'बटालवी' पंजाबी भाषा के एक विख्यात कवि थे, जो उन रोमांटिक कविताओं के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिनमें भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण है।
शिव कुमार बटालवी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जीत थाइल अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह दीज़ एरर्स आर करेक्ट के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका पहला उपन्यास, नार्कोपोलिस, (फेबर एंड फेबर, 2012), जिसने दक्षिण एशियाई साहित्य के लिए डीएससी पुरस्कार जीता, को 2012 के मैन बुकर पुरस्कार और द हिंदू लिटरेरी प्राइज़ के लिए भी चुना गया।
जीत थाइल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
निसीम इज़ेकिल एक यहूदी मूल के अंग्रेज़ी भाषा के भारतीय लेखक थे। उनका जन्म मुंबई में हुआ था। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह लैटर–डे साम्स के लिये उन्हें सन् 1983 में अंग्रेज़ी भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
निसीम इजेकिल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अरविन्द घोष या श्री अरविन्द एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी।
अरविन्द घोष के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
विक्रम सेठ भारतीय साहित्य में एक जाने माने नाम है। मुख्य रूप से ये उपन्यासकार और कवि हैं। इनकी पैदाइश और परवरिश कोलकाता में हुई। दून स्कूल और टानब्रिज स्कूल में इनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इन्होंने दर्शनशास्त्र राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र का अध्यन किया, बाद में इन्होंने नानजिंग विश्वविद्यालय में क्लासिकल चीनी कविता का भी अध्यन किया।
विक्रम सेठ के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जीवनानंद दास बोरिशाल (बांग्लादेश) में जन्मे बांग्ला के सबसे जनप्रिय रवीन्द्रोत्तर कवि हैं। उन्हें 1955 में मरणोपरांत श्रेष्ठ कविता के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1926 में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। झरा पालक, धूसर पांडुलिपि, बनलता सेन, महापृथिबी, रूपसी बांगला आदि उनकी बहुचर्चित कृतियाँ हैं।
जीवनानन्द दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
इलवेनिल मीना कंदासामी एक भारतीय कवि, कथा लेखिका, अनुवादक और कार्यकर्ता हैं जो चेन्नई, तमिलनाडु, भारत से हैं। उनके अधिकांश कार्य नारीवाद और समकालीन भारतीय मिलिशिया के जाति-विरोधी अनीहीकरण आंदोलन पर केंद्रित हैं।
मीना कंदासामी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अवतार सिंह संधू, जिन्हें सब पाश के नाम से जानते हैं पंजाबी कवि और क्रांतिकारी थे। अवतार सिंह पाश उन चंद इंकलाबी शायरो में से है, जिन्होंने अपनी छोटी सी जिन्दगी में बहुत कम लिखी क्रान्तिकारी शायरी द्वारा पंजाब में ही नहीं सम्पूर्ण भारत में एक नई अलख जगाई। जो स्थान क्रान्तिकारियों में भगत सिंह का है वही स्थान कलमकारो में पाश का है। इन्होंने गरीब मजदूर किसान के अधिकारो के लिये लेखनी चलाई, इनका मानना था बिना लड़े कुछ नहीं मिलता उन्होंने लिखा "हम लड़िगें साथी" तथा "सबसे खतरनाक होता है अपने सपनों का मर जाना" जैसे लोकप्रिय गीत लिखे। आज भी क्रान्ति की धार उनके शब्दों द्वारा तेज की जाती है।
पाश (पंजाबी कवि) के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सारला दास ओड़िया के महान कवि थे जिन्होने ओडिया में महाभारत तथा बिलङ्का रामायण की रचना की। उनका समय पन्द्रहवीं शती का है। उन्हें ओड़िया का आदिकवि कहा जाता है। सारला दास का जन्म ओड़िशा के जगत सिंह जिला में 'तेन्तुलिपदा' नामक स्थान पर हुआ था। उनका मूल नाम 'सिद्धेश्वर परिड़ा' था।
सरला दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अतीबदी जगन्नाथ दासा ओडिया कवि और साहित्यकार थे। वे ओड़िया साहित्य, पंचसखा में 5 महान कवियों में से एक थे। उन्होंने ओड़िया भागवत लिखी। दासा का जन्म कपिलेश्वरपुर सासना (पुरी के 16 पारंपरिक सासना गांवों में से एक) 1491 में राधाष्टमी पर कौशिकी गोत्र के एक स्थापित ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
जगन्नाथ दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" को कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण मोड़ देने वाले कथाकार, ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक के रूप में जाना जाता है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया, पुरातत्व-खुदाई शिविर में हुआ। बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। बी.एससी. करके अंग्रेजी में एम.ए. करते समय क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़कर बम बनाते हुए पकड़े गये और वहाँ से फरार भी हो गए। सन्1930 ई. के अन्त में पकड़ लिये गये। अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले कवि हैं। अनेक जापानी हाइकु कविताओं को अज्ञेय ने अनूदित किया। बहुआयामी व्यक्तित्व के एकान्तमुखी प्रखर कवि होने के साथ-साथ वे एक अच्छे फोटोग्राफर और सत्यान्वेषी पर्यटक भी थे।
अज्ञेय के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
कमला सुरय्या मलयालम भाषा की भारतीय लेखिका थीं। वे मलयालम भाषा में माधवी कुटटी के नाम से लिखती थीं। उन्हें उनकी आत्मकथा ‘माई स्टोरी’ से अत्यधिक प्रसिद्धि मिली। वह एक व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली स्तंभकार भी थीं और उन्होंने महिलाओं के मुद्दों, बच्चों की देखभाल, राजनीति सहित अन्य विषयों पर लिखा।
कमला सुरय्या के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
केकी एन. दारुवाला अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह द कीपर ऑफ़ द डेड के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 2014 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
केकी एन. दारुवाला के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रंजीत होसकोटे एक भारतीय अंग्रेजी भाषा के कवि एवं लेखक और अनुवादक हैं। इनका जन्म मुंबई में हुआ। 2004 में उन्हें आजीवन उपलब्धि के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रंजीत होसकोटे का जन्म मुंबई में हुआ था और बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल, एलफिंस्टन कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने राजनीति में बीए की पढ़ाई की, और बाद में बॉम्बे विश्वविद्यालय से, जहाँ से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की।
रंजीत होसकोटे के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रुक्मिणी भाया नायर, भारत की एक भाषाविद्, कवि, लेखक और आलोचक है। उन्होंने 1990 में ब्रिटिश काउंसिल के सहयोग से द पोएट्री सोसाइटी (इंडिया) द्वारा आयोजित "ऑल इंडिया पोएट्री कॉम्पिटिशन" में अपनी कविता काली के लिए पहला पुरस्कार जीता था। वे वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग में प्रोफेसर हैं। नायर को हिंदुत्व विचारधारा और इसे बढ़ावा देने वाले धार्मिक और जातिगत भेदभाव के एक तीखे आलोचक के रूप में जाना जाता है।
रुक्मिणी भाया नायर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
जयदेव (1200 ईस्वी के आसपास) संस्कृत के महाकवि हैं जिन्होंने गीत गोविंद और रतिमंजरी की रचना की। जयदेव, उत्कल राज्य यानि ओडिशा के गजपति राजाओं के समकालीन थे।
जयदेव एक वैष्णव भक्त और संत के रूप में सम्मानित थे। उनकी कृति ‘गीत गोविन्द’ को श्रीमद्भागवत के बाद राधाकृष्ण की लीला की अनुपम साहित्य-अभिव्यक्ति माना गया है। संस्कृत कवियों की परंपरा में भी वह अंतिम कवि थे, जिन्होंने ‘गीत गोविन्द’ के रूप में संस्कृत भाषा के मधुरतम गीतों की रचना की। कहा गया है कि जयदेव ने दिव्य रस के स्वरूप राधाकृष्ण की रमणलीला का स्तवन कर आत्मशांति की सिद्धि की। भक्ति विजय के रचयिता संत महीपति ने जयदेव को श्रीमद्भागवतकार व्यास का अवतार माना है।
जयदेव के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
पुरन्दर दास कर्णाटक संगीत के महान संगीतकार थे। इन्हें कर्णाटक संगीत जगत के 'पितामह' मानते हैं। वह द्वैत दार्शनिक-संत व्यासतीर्थ के शिष्य थे, और अभी तक एक और हरिदास, कनकदास के समकालीन थे। उनके गुरु, व्यासतीर्थ, ने एक गीत में पुरंदर दास का महिमा मंडन किया: दसरेंदर पुरंदर दारासराय। वह एक संगीतकार, गायक और दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत (कर्नाटक संगीत) के मुख्य संस्थापक-समर्थकों में से एक थे।
पुरन्दर दास के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
तिरुवल्लुवर एक प्रख्यात तमिल कवि हैं जिन्होंने तमिल साहित्य में नीति पर आधारित कृति थिरूकुरल का सृजन किया। उन्हें थेवा पुलवर, वल्लुवर और पोयामोड़ी पुलवर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। सभी प्रमुख भारतीय धर्मों के साथ-साथ 19 वीं शताब्दी के ईसाई मिशनरियों ने भी उन्हें गुप्त रूप से प्रेरित (क्रिप्टो-) या मूल रूप से अपनी परंपरा से संबंधित होने का दावा करने की कोशिश की है।
तिरुवल्लुवर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
गिव पटेल एक भारतीय पारसी कवि, नाटककार, चित्रकार, साथ ही एक अभ्यास चिकित्सक है। उन्होंने कहा कि लेखकों, जो खुद को 'ग्रीन मूवमेंट' जो पर्यावरण की रक्षा करने के प्रयास में शामिल है की सदस्यता ली है के एक समूह के अंतर्गत आता है। अपनी कविताओं प्रकृति के लिए गहरी चिंता की बात है और इसे करने के लिए आदमी की क्रूरता का पर्दाफाश। उनकी कृतियों को कविताओं, क्या आप कैसे सामना (1966), शारीरिक (1976) और प्रतिबिंबित मिररिंग (1991) शामिल हैं। उन्होंने यह भी तीन नाटकों, शीर्षक राजकुमारी, Savaska और श्री बेहराम लिखा है।
गिव पटेल के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
आर। पार्थसारथी को राजगोपाल पार्थसारथी के रूप में भी जाना जाता है (जन्म 1934) एक भारतीय कवि, अनुवादक, आलोचक और संपादक हैं। वह 1978-79 के दौरान आयोवा राइटिंग प्रोग्राम के विश्वविद्यालय के सदस्य थे, और साहित्य अकादमी के अंग्रेजी के सलाहकार बोर्ड के सदस्य थे।
आर पार्थसारथी के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
ख़ुदा-ए-सुखन मोहम्मद तकी उर्फ मीर तकी "मीर" उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। मीर को उर्दू के उस प्रचलन के लिए याद किया जाता है जिसमें फ़ारसी और हिन्दुस्तानी के शब्दों का अच्छा मिश्रण और सामंजस्य हो। अहमद शाह अब्दाली और नादिरशाह के हमलों से कटी-फटी दिल्ली को मीर तक़ी मीर ने अपनी आँखों से देखा था। इस त्रासदी की व्यथा उनकी रचनाओं मे दिखती है। अपनी ग़ज़लों के बारे में एक जगह उन्होने कहा था-
हमको शायर न कहो मीर कि साहिब हमने
दर्दो ग़म कितने किए जमा तो दीवान किया
मीर तक़ी मीर के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
रसखान कृष्ण भक्त मुस्लिम कवि थे। उनका जन्म पिहानी, भारत में हुआ था। हिन्दी के कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन रीतिमुक्त कवियों में रसखान का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे विट्ठलनाथ के शिष्य थे एवं वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे। रसखान को 'रस की खान' कहा गया है। इनके काव्य में भक्ति, शृंगार रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं। रसखान कृष्ण भक्त हैं और उनके सगुण और निर्गुण निराकार रूप दोनों के प्रति श्रद्धावनत हैं। रसखान के सगुण कृष्ण वे सारी लीलाएं करते हैं, जो कृष्ण लीला में प्रचलित रही हैं। यथा- बाललीला, रासलीला, फागलीला, कुंजलीला, प्रेम वाटिका, सुजान रसखान आदि। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं को बखूबी बाँधा है। मथुरा जिले में महाबन में इनकी समाधि हैं|
रसखान के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
यूनिस डी सूजा (1940-2017) एक भारतीय अंग्रेजी भाषा कवि, साहित्यिक आलोचक और उपन्यासकार था। कविता की उसके उल्लेखनीय पुस्तकों के अलावा डच पेंटिंग (1988) में महिलाओं है। उनकी कविता की उल्लेखनीय पुस्तकें डच वीमेन इन डच पेंटिंग (1988), विल्स ऑफ बिलॉन्गिंग (1990), नाइन इंडियन वुमन पोएट्स (1997), दिस माई वर्ड्स (2012) और लर्न फ्रॉम द आलमंड लीफ (2016) हैं।
यूनिस डी सूजा के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
बिहारीलाल चौबे या बिहारी हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि थे। बिहारी लाल चौबे या बिह्रि (1595-1663) एक हिंदी कवि थे, जो ब्रजभाषा में सतसई (सात सौ छंद) लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं, लगभग सात सौ भेदों का एक संग्रह, कुमार जो संभवतः काव्य कला का सबसे प्रसिद्ध हिंदी कार्य है , जैसा कि कथा और सरल शैलियों से अलग है।
बिहारी (साहित्यकार) के बारे मे अधिक पढ़ें
+expand
अगर आपको इस सूची में कोई भी कमी दिखती है अथवा आप कोई नयी प्रविष्टि इस सूची में जोड़ना चाहते हैं तो कृपया नीचे दिए गए कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखें |
Keywords:
भारत के महानतम और प्रसिद्ध कवि लोकप्रिय भारतीय कवियों की सूची सभी समय के लिए सर्वश्रेष्ठ भारतीय कवि शीर्ष भारतीय कवि