प्रभु लाल भटनागर

प्रभुलाल भटनागर, (8 अगस्त, 1912 – 5 अक्टूबर, 1976) विश्वप्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें गणित के लैटिस-बोल्ट्ज़मैन मैथड में प्रयोग किये गए भटनागर-ग्रॉस-क्रूक (बी.जी.के) कोलीज़न मॉडल के लिये जाना जाता है।

प्रभु लाल जी का जन्म कोटा, राजस्थान में 8 अगस्त, 1912 को हुआ था। इनके पिता कोटा के महाराजा के दरबार में उच्च-पदासीन थे। ये पांच भाइयों में दूसरे स्थान पर थे। इन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा रामपुरा में और आगे कोटा के हर्बर्टर कॉलिज से ली। इंटरमीडियेट परीक्षा के समय इनके पिता का देहान्त हो गया और तब इन्होंने मिल रही छात्रवृत्ति के द्वारा परिवार का पोषण व अपनी शिक्षा जारी रखी व इंटरमीडियेट में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर लाला दयाकिशन गुप्ता, प्रधानाचार्य एवं निदेशक, शिक्षा विभाग, राजस्थान के प्रोत्साहन पर वे उच्च शिक्षा के लिये जयपुर गए, जहां के महाराजा कॉलिज से 1935 में विज्ञान स्नातक में प्रथम स्थान प्राप्त किया। ये स्थान इन्हें गणित व रासायनिकी क्षेत्र में मिला जिसके लिये इन्हें महाराजा फ़तेह सिंह स्वर्ण पदक, एवं आगरा विश्वविद्यालय की ओर से कृष्णा कुमारी देवी स्वर्ण पदक मिले। वहीं से विज्ञान स्नातकोत्तर भी किया। स्नातकोत्तर विषयों में आश्चर्यजनक परिणामों के लिये इन्हें महाराजा कॉलिज जयपुर से लॉर्ड नॉर्थ ब्रूक स्वर्ण पदक मिला। बाद में इनका विवाह आनंद कुमारी जी से संपन्न हुआ व राकेश, बृजेन्द्र, विनय एवं कमल नामक चार पुत्र व एक पुत्री कल्पना हुई।

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