सिविल डिसओबेड़ेंसी, जिसेसंक्षेप में सविनय अवज्ञा कहा जाता है, अमेरिकी ट्रान्सेंडेंटलिस्ट हेनरी डेविड थोरो का एक निबंध है जिसे पहली बार 1849 में प्रकाशित किया गया था। इसमें थोरो का तर्क है कि व्यक्तियों को सरकारों को अपने विवेक को खत्म करने या उनका शोषण करने कीअनुमति नहीं देनी चाहिए|
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