बादरायण

बादरायण वेदान्त के न्याय-प्रस्थान के प्रवर्तक ग्रन्थ ब्रह्मसूत्र के रचयिता थे। जितने ब्रह्मसूत्र उपलब्ध हैं, उनका रचयिता एक ही व्यक्ति था और वे बादरायण थे। वाचस्पतिमिश्र के समय से बादरायण को ‘व्यास’ भी कहा जाने लगा था, किन्तु ब्रह्मसूत्रकार बादरायण वेदव्यास या महाभारत के रचयिता ‘कृष्ण द्वैपायन’ से भिन्न व्यक्ति थे। भारतीय दर्शन में ब्रह्मसूत्र का महत्त्व अनेकविध है। सबसे पहले उसका महत्त्व इस बात में है कि उसने उपनिषदों को एक दर्शन का रूप प्रदान किया। वह वेदान्त का संस्थापक बन गया। ब्रह्मसूत्रों का अध्ययन करने से पता चलता है कि बादरायण प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान तथा शब्द या श्रुति को प्रमाण मानते थे।

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