द होम एंड द वर्ल्ड

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द होम एंड द वर्ल्ड रवींद्रनाथ टैगोर का 1916 का उपन्यास है। यह पुस्तक पश्चिमी संस्कृति के विचारों और पश्चिमी संस्कृति के खिलाफ क्रांति के बीच टैगोर की खुद के साथ हुई लड़ाई को दर्शाती है। इन दो विचारों को दो मुख्य पात्रों में चित्रित किया गया है, निखिलेश, जो तर्कसंगत है और हिंसा का विरोध करता है, और संदीप, जो अपने लक्ष्यों तक पहुंचने से अपने रास्ते में कुछ भी खड़ा नहीं होने देगा। बंगाल क्षेत्र के इतिहास और उसकी समसामयिक समस्याओं को समझने में ये दो विरोधी आदर्श बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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