तत्त्वचिन्तामणि

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तत्त्वचिन्तामणि, गंगेश उपाध्याय द्वारा रचित नव्यन्याय का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। तत्वचिंतामणि के पश्चात् जितने न्यायग्रंथ लिखे गए वे सब नव्यन्याय के नाम से प्रख्यात हैं। उन्होंने गौतम के मात्र एक सूत्र ‘प्रत्यक्षानुमानोपमान शब्दाः प्रमाणाति’ की व्याख्या में इस ग्रंथ की रचना की है। यह न्याय ग्रंथ चार खंडों में विभाजित है – प्रत्यक्षखण्ड, अनुमानखण्ड, उपमानखण्ड और शब्दखण्ड। इसमें पूर्ववर्ती नैयायिकों की भांति 16 तत्त्वों का वर्नन नहीं किया गया है।

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