
ओझा
ओझा परिवार में संस्कृत साहित्य , वेद-वेदाङ्ग , ज्योतिष , कर्मकाण्ड व तन्त्र साधना की पठन-पाठन की परम्परा शुरु से रही है। पुष्करणा समाज ही नहीं अपितु हिन्दू समाज के प्रत्येक वर्ग को इन्होंने विद्यादान दिया है इनकी यह योज्ञता को देखकर ही पुष्करणा समाज की गणमान्य जातियों ने इन्हें गुरु भाव से सम्मानित किया है।