रवांडा और बुरुंडी के जनसंहार

दोनों नरसंहार में लगभग 12.5 लाख लोग मारे गए| 1962 में बुरुंडी की आजादी के बाद से, देश में नरसंहार नामक दो घटनाएं हुई हैं। 1972 में तुत्सी आर्मी द्वारा हुतु समुदाय के लोगों का नरसंहार व 1993 में हुतु लोगों द्वारा तुत्सी नरसंहार | रवांडा नरसंहार -> तुत्सी और हुतु समुदाय के लोगों के बीच हुआ एक जातीय संघर्ष था। 1994 में 6 अप्रैल को किगली में हवाई जहाज पर बोर्डिंग के दौरान रवांडा के राष्ट्रपति हेबिअरिमाना और बुरुन्डियान के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या कर दी गई, जिसके बाद ये संहार शुरू हुआ। करीब 100 दिनों तक चले इस नरसंहार में 5 लाख से लेकर दस लाख लोग मारे गए। तब ये संख्या पूरे देश की आबादी के करीब 20 फीसदी के बराबर थी।

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