रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड

रिलायंस की स्थापना 1966 में भारतीय उद्योगपति धीरूभाई अंबानी द्वारा की गयी थी। अंबानी एक ऐसे मार्ग दर्शक रहे जिन्होंने भारतीय शेयर बाज़ार को वितीय लिखित जैसी पूर्ण परिवर्तनीय डिबेन्चर से परिचित कराया. अंबानी उन पहले उद्यमियों में से एक थे जिन्होंने खुदरा निवेशकों को शेयर बाज़ार की ओर आकर्षित किया। आलोचकों का आरोप है कि बाज़ार पूंजीकरण के सम्बन्ध में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की उन्नति को सर्वोच्च स्थान पर लाने का श्रेय बड़े पयमाने पर धीरुभाई की चालाकी से काम निकलवाने की क्षमता को जाता है जिससे वह नियंत्रित अर्थव्यवस्था को अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते थे। यद्यपि कंपनी का मूल व्यवसाय तेल से संबंधित व्यापार है, लेकिन हाल के वर्षों में कंपनी ने विविध व्यापारों में अपने हाथ आज़माएं हैं। संस्थापक के दोनों बेटों मुकेश अंबानीऔर अनिल अंबानी के बीच गहरे मतभेद होने की वजह से 2006 में समूह को दोनों के बीच विभाजित कर दिया गया। सितम्बर 2008 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ अकेली ऐसी भारतीय कंपनी थी जिसे फोर्ब्स की “दुनिया की 100 सबसे सम्मानित कंपनियों” की सूची में शामिल किया गया था।

आरआईएल बाजार पूंजीकरण के आधार पर भारत की दूसरी सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप कारोबार करने वाली कंपनी है एवं राजस्व के मामले में यह इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। 2013 के रूप में, यह कंपनी फॉर्च्यून ग्लोबल 500 सूची के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में 99वें स्थान पर है। 18 अक्टूबर 2007 को, रिलायंस इंडस्ट्रीज $ 100 बिलियन बाजार पूंजीकरण करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। आरआईएल भारत के कुल निर्यात में लगभग 14% का योगदान देती है। 2019 February 14th को भारत में पुलवामा हमले में हुए शाहिद परिवारों की बहुत बड़ी मुश्किल घड़ी में सभी परिवार की सहायता की हैं।

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