मुहम्मद इक़बाल

मुहम्मद इक़बाल मसऊदी (जीवन: 9 नवम्बर 1877 – 21 अप्रैल 1938) अविभाजित भारत के प्रसिद्ध कवि, नेता और दार्शनिक थे। उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ शायरी में गिना जाता है। इकबाल के दादा सहज सप्रू हिंदू कश्मीरी पंडित थे जो बाद में सिआलकोट आ गए। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं: असरार-ए-ख़ुदीरुमुज़-ए-बेख़ुदी और बंग-ए-दारा, जिसमें देशभक्तिपूर्ण तराना-ए-हिन्द (सारे जहाँ से अच्छा) शामिल है। फ़ारसी में लिखी इनकी शायरी ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ इन्हें इक़बाल-ए-लाहौर कहा जाता है। इन्होंने इस्लाम के धार्मिक और राजनैतिक दर्शन पर काफ़ी लिखा है।

तराना-ए-मिल्ली या समुदाय का गान एक उत्साही कविता है जिसमें अल्लामा मोहम्मद इकबाल मसऊदी ने मुस्लिम उम्माह (इस्लामिक राष्ट्रों) को श्रद्धांजलि दी और कहा कि इस्लाम में राष्ट्रवाद का समर्थन नहीं किया गया है। उन्होंने दुनिया में कहीं भी रह रहे सभी मुसलमानों को एक ही राष्ट्र के हिस्से के रूप में मान्यता दी, जिसके नेता मुहम्मद हैं, जो मुसलमानों के पैगंबर है।

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