कुमारिल भट्ट

कुमारिल भट्ट (लगभग 650 ई) मीमांसा दर्शन के दो प्रधान संप्रदायों में से एक भटसंप्रदाय के संस्थापक थे। उन्होने बौद्ध धर्म को भारत से समूल उखाड़ने के लिए बौद्धिक दिग्विजय का दिव्य अभियान चलाया। कुमारिल भट ने जो आधार तैयार किया उसी पर आदि शंकराचार्य ने विशाल भवन उठाया|

कुमारिल भट्ट असम निवासी भट थे और पहले बौद्ध थे किंतु बाद में धर्म परिवर्तन द्वारा हिन्दू धर्म में उन्होंने प्रवेश किया। तारानाथ उन्हें दक्षिण भारत का निवासी बताते हैं। उनके काल के विषय में विद्वानों में मतभेद है। किंतु सामान्य रूप से उनका समय ईसा की सातवीं शताब्दी में रखा जा सकता है। वे शंकराचार्य से पहले हुए। वे वाचस्पति मिश्र (850 ई.) के भी पूर्ववर्ती हैं और मंडन मिश्र उनके अनुयायी हैं। कुमारिल भवभूति (620 ई.-680 ई.) के गुरु थे। कुमारिल का यश हर्षवर्धन के अंतिम काल में अच्छी तरह फैल चुका था।

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