कन्होपत्रा

कन्होपत्रा एक 15 वीं सदी के मराठी संत-कवयत्रि थी। हिंदू धर्म के वारकरी संप्रदाय द्वारा सम्मानित थी। कान्होपत्रा एक वेश्या और नाचने वाली गणीका कि लडकी थी।

वह बीदर के बादशाह (राजा) की उपपत्नी से बिना वर्कारी के हिंदू भगवान विठोबा-देवता संरक्षक को आत्मसमर्पण करने के लिए चुनाए।वह पंढरपुर में विठोबा के मुख्य मंदिर में निधन हो गया।सिर्फ उन्हो एक ही व्यक्ति किसके समाधि मंदिर के परिसर के भीतर है।

कन्होपत्रा मराठी ओवी और अभंगा अपने पेशे के साथ उसका शील संतुलन के लिए विठोबा के प्रति उसकी भक्ति और उसके संघर्ष की कविता कह लिखि थी।
उनकी कविताओं में, भगवान विठोबा उसके रक्षक बनते थे और अपने पेशे के चंगुल से उसे रिहा करने के लिए प्रार्थना कर रहि थी।
उसकी तीस अभंगा आज भी बच गया है और आज भी लोगा गाते है।वह सिर्फ एक ही महिला संत वरकारि,जिन्होंने पवित्रता केवल उनकी भक्ति के आधार गुरु बिना प्राप्त किये है।

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