कलरीपायट्टु

कलरीपायट्टु (मलयालमകളരിപയറ്റ്)उच्चारित [kaɭəɾipːajətːɨ̆] दक्षिणी राज्य केरल से उत्पन्न भारत की एक युद्ध कला है। संभवतः सबसे पुरानी अस्तित्ववान युद्ध पद्धतियों में से एक,कलरीपायट्टु को अंग्रेजी में (mother of all martial arts) कहकर सम्मान दिया जाता है, जिसका अर्थ है सभी युद्ध कलाएँ की माता या माँ। ये केरल में और तमिलनाडु व कर्नाटक से सटे भागों में साथ ही पूर्वोत्तर श्रीलंका और मलेशिया के मलयाली समुदाय के बीच प्रचलित है। इसका अभ्यास मुख्य रूप से केरल की योद्धा जातियों जैसे नायर , एज्हावा द्वारा, किया जाता था.
कलारी पयट में हमले, पैर से मारना, मल्लयुद्ध, पूर्व निर्धारित तरीके, हथियारों के जखीरें और उपचार के तरीके शामिल हैं। इसके क्षेत्रीय स्वरुप केरल की भौगोलिक स्थिति के अनुसार वर्गीकृत हैं, ये हैं मलयालियो की उत्तरी शैली, तमिलों की दक्षिणी शैली और भीतरी केरल से केन्द्रीय शैली. उत्तरी कलारी पयट कठिन तकनीक के सिद्धांत पर आधारित है, जबकि दक्षिणी शैली मुख्यतः नर्म तकनीकों का अनुसरण करती है, हालांकि दोनों प्रणालियां आंतरिक और बाह्य अवधारणाओं का उपयोग करतीं हैं।
कलारी पयट के कुछ युद्ध अभ्यासों को नृत्य में उपयोग किया जा सकता है और वो कथकली नर्तक जो युद्ध कला को जानते थे, वे स्पष्ट रूप से अन्य दूसरे कलाकारों की तुलना में बेहतर थे। कुछ पारंपरिक भारतीय नृत्य स्कूल अभी भी कलारी पयट को अपने व्यायाम नियम के हिस्से के रूप में शामिल करते हैं.

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