घुड़दौड़

अश्वधावन या घुड़दौड़ घोड़ों के वेग की प्रतियोगिता है। ऐसी प्रतियोगिता मुख्यत: दुलकी, सरपट और क्षेत्रगामी (क्रॉस-कंट्री) या अवरोधयुक्त (ऑब्स्टैकल) दौड़ों में होती है। घुड़दौड़ की प्रथा अति प्राचीन है, परंतु प्रथम घुड़दौड़ प्रतियोगिता, जिसका उल्लेख दिनांक सहित प्राप्त है, 684 ई. पू. की है जो 23 वीं ओलिंपिक प्रतियोगिता थी। 40 वर्ष बाद प्रथम बार 33वें ओलिंपिक में अश्वारोही प्रतियोगिता हुई। यूनान में अश्वधावन सर्वप्रिय खेलों में से था और राष्ट्रीय खेल माना जाता था।

सन् 1839 में “”द ग्रैंड नैशनल”” नामक एक और लोकप्रिय घुड़दौड़ का प्रचलन हुआ। यह साढ़े चार मील लंबी दौड़ लिवरपुल में होती है। यथार्थ में यह ग्रेट ब्रिटेन की पुरानी स्टीपनलचेज़ प्रथा का आधुनिक रूप है। पुराने समय में स्टीपचलेज़ सुसंपन्न लोगों नीची भूमि तथा छोटे बड़े अवरोधों को लाँघते हुए, किसी दूरस्थ चर्च की नुकीली मीनार को लक्ष्य मान अश्वारोही एक दूसरे से होड़ लेते थे। परंतु अब विभिन्न प्रकार की बाधाएँ निर्धारित रूप से खड़ी करके प्रतियोगिता एक निश्चित क्षेत्र में होने लगी है। घुड़दौड़ अमरीका में भी अति लोकप्रिय है। 17वीं सदी के मध्य से ही इसका प्रचलन वरजीनिया और मेरीलैंड में था। फ्रांस में आधुनिक ढंग से घुड़दौड़ सन् 1833 से प्रचलित हुआ। प्रिक्स ड ओरलिओ, प्रिक्स डू जॉकी, प्रिक्स डू पिं्रस इंपीरियल और द ग्रैंड प्रिक्स डी पेरिस यहाँ की मुख्य और महत्वपूर्ण दौंड़ों में पेरिस ग्रैंड स्टीपल चेज़प्रमुख है।

आस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली तथा अन्य देशों में अश्वधावन मूलत: इंग्लैंड की ही प्रथा नियमों के अनुसार होता है।

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दुनिया के 32 सबसे लोकप्रिय खेल 1

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