संत गरीब दास (1717-1778) भक्ति और काव्य के लिए जाने जाते हैं। गरीब दास ने एक विशाल संग्रह की रचना की जो सदग्रंथ साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। गरीब दास साहेब ने सद्गुरु कबीर साहेब की अमृतवाणी का विवरण किया
जिसे रत्न सागर भी कहते हैं। अच. ऐ. रोज के अनुसार गरीबदास की ग्रन्थ साहिब पुस्तक में 7000 कबीर के पद लिए गए थे और 17000 स्वयं गरीब दास ने रचे थे। गरीबदास का दर्शन था कि राम में और रहीम में कोई अन्तर नहीं है।बाबा गरीबदास की समाधि स्थल गाँव छुडानी, हरियाणा और जिला सहारनपुर उत्तर प्रदेश में आज भी सुरक्षित है। संत गरीब दास जी को 10 वर्ष की आयु में कबीर परमात्मा स्वयं आकर मिले थे, उनको अपना ज्ञान बताया।
गरीब दास
