बाबा मस्त नाथ

बाबा मस्तनाथ (जन्म 1764) एक हिंदू संत थे। उनका जन्म भारतीय राज्य हरियाणा के रोहतक जिले के कंसरेती गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम सबला जी रेबारी हिंदू समुदाय से हैं। वे गुरु गोरक्षनाथ जी के अवतार हैं। वे मठ अस्थल बोहर (8वीं शताब्दी में चौरंगीनाथ जी द्वारा स्थापित) चले गए। उन्होंने इसका कायाकल्प किया और मठ को पुनर्जीवित किया। 2012 में उनके सातवें शिष्य महंत चांदनाथ ने उनके नाम पर बाबा मस्त नाथ विश्वविद्यालय की स्थापना की। महाराजा अपने पंचभौतिक तत्वों में सौ वर्षों तक विद्यमान रहे। उसके समय में औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता, सूबेदारों की स्वतन्त्रता, विदेशी आक्रमणों का विनाश तथा यूरोपीय कम्पनियों की परम्परागत राजनीतिक शक्ति छीन लेने के षड़यन्त्रों के फलस्वरूप दिल्ली की राजसत्ता कमजोर होती जा रही थी। पंजाब, हरियाणा आदि सूबे जीर्ण-शीर्ण हो रहे थे। चौरंगी नाथजी ने निरंतर अग्नि को प्रज्वलित करके बारह वर्षों तक धूना के रूप में जाना जाता है। [1]

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